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जिंदगी की राह - 2

जब उस बच्ची के नाना और मामा आए तो उन्होंने उस बच्ची को देखा । जो बेहद खूबसूरत थी अपनी कमियों के साथ । उसका चेहरे का नूर और उसकी दूध के जैसी चमकती स्किन , जब वो पैदा हुई तो उसके सिर पर उतने बाल नही थे। वो एक दम नन्ही परी जैसी थी । उसके चेहरे के आगे बाकी सब कमियां कही छुप सी जा रही थी । उसके नाना ने जब उसे लिया तो वो बुहूत ही ज्यादा खुश थे । और वो छोटा बच्चा तो उनके साथ आया था वो बेचैन हो रहा था उसे देखने के लिए बार बार उछल उछल कर बोल रहा था की " बाबा मुझे भी दिखाओ नन्ही गुड़िया को , मुझे भी देखना है । ये एक दम चांद की तरह चमक रही हैं । मुझे भी दिखाओ बाबा "। और फिर वो 16 साल का बच्चा अपनी बहन यानी उस बच्ची की मां से बोलने लग गया की _ दीदी देखो बाबा मुझे नन्ही गुड़िया को दिखा नही रहे है । मुझे भी इसे गोदी लेना है । यह बात सुनके उसकी बहन की आंखे नम हो गई और आंसू छलक के आने लग गए । ये देख कर वो बच्चा बोला आप सब रो क्यो रहे हो । इतनी सुंदर गुड़िया आई है भगवान ने इसे हमको दिया है तो हमे खुशियां मनानी चाहिए। पर आप सब दुखी क्यों हो रहे है । ये बात सुनके सब भी के आंखे नम थी। और एक अलग तरह की चमक भी थी । सबने एक साथ उस बच्चे को देखा और सबके देर चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान थी । । कुछ देर बाद उस hospital के कमरे में सिर्फ 3 ही लोग बचे थे – वो बच्ची , उसके मामा और उसकी मां। वो दोनो उस बच्चे के साथ खेल रहे थे। और दूसरी तरफ अनिकेत अपने ससुर को लेके बाहर आ गए थे । और जो बात उनके और उनकी मां के बीच हुई थी , वो सारी बात बताई और ये सब सुन के वहा खड़े बुजुर्ग आदमी को एक झटका लगा । पर सारी बाते समझने के बाद उन्होंने बोला
– ठीक है । मैं खुश हूं की तुमने मेरी बेटी और पोती का साथ दिया ! उन दामाद और ससुर का रिश्ता एक बाप–बेटे से भी बढ़कर था ! उसके दूसरे दिन ही उन्हें hospital से dischage कर दिया और discharge का सारा प्रोसीजर complete होने के बाद वो सब वहां से निकले और एक गाड़ी बुक कर के अनिकेत के ससुराल के लिए निकल गए । और लगभग एक घंटे के सफर के बाद वो लोग वहां पहुंच गए । जैसे ही गाड़ी घर के सामने आके रुकी वहा के मोहौल में एक खुशी की लहर , उस जगह में छा गई । और उन लोगो के उतरते ही उनकी आंखे खुली की खुली रहे गई । वहा लगभग 20 से 30 लोग उनका बेसबरी से बहुत देरी से इंतजार कर रहे थे । और उनके आते ही वहा के वातावरण में खुशी का अनुभव आराम से किया जा सकता था ।।