Ahsaas pyar ka khubsurat sa - 21 books and stories free download online pdf in Hindi

एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 21




आरव ऑडिटोरियम से निकल कर कैंटीन पहुंचा । वहां उसने पानी की बॉटल ली , और छोटू को पैसे देकर , वापस आने लगा । वह जैसे ही वापस मुड़ा उसे कैंटीन के कोने की टेबल पर अकेले बैठी हुई मीशा , आंसू बहाते हुए दिखी । आरव को उसे देख हैरानी हुईं , क्योंकि उसने मीशा का ये रूप पहले कभी नहीं देखा था , इवन मीशा ने शायद कभी किसी के सामने आंसू बहाए ही नहीं थे । आरव को मीशा के ऊपर थोड़ा सा तरस आया , वह उसकी ओर बढ़ा । पर दो - चार कदम बढ़ा कर, वह अचानक से रुक गया। क्योंकि उसे कल का मीशा का व्यवहार याद आ गया , जिसमें मीशा ने सिर्फ कायरा पर ही नहीं , बल्कि रेहान और रूही पर भी लांछन लगाया था। उसके मन में कुछ पल पहले जो मीशा के लिए तरस थी , उसकी जगह अब गुस्से ने ले ली थी । वह गुस्से से अपनी मुट्ठी भींचे हुए , एक नजर मीशा को गुस्से से ही देखाता और वापस मुड़ कर ऑडिटोरियम की ओर चल पड़ा ।

मीशा जान चुकी थी के आरव ने उसे ऐसे देख लिया है । उसने जब आरव को जाते देखा तो , अपने होठों पर जहरीली मुस्कान बिखेरी । फिर अपने पर्स से ग्रिस्लीन की डिब्बी निकाल कर, उससे ग्रिस्लीन अपनी आंखो में एक बार फिर डाली। क्योंकि असली आंसू बहाना तो उसे कभी आया ही नहीं था, तो उसे नकली आंसू दिखाने के लिए ये तरीका तो अपनाना ही था । फिर उसने फटाक से ग्रीस्लीन की डिब्बी पर्स में रखी , और उदास सा चेहरा बना कर , उस ओर दौड़ी, जिस तरफ आरव अभी - अभी गया था। आरव ऑडिटोरियम से लगभग कुछ ही कदमों की दूरी पर था के उसके कानो मे आवाज़ पड़ी । उसने मुड़ कर देखा तो , मीशा आंखों में आसूं लिए उसे पीछे से उसके नाम के साथ पुकार रही थी ।

मीशा ( तेज़ आवाज़ में आरव को पीछे से रोकने की कोशिश करते हुए ) - आरव ....! आरव ....! मेरी बात तो सुनो ....., बस एक बार प्लीज ......।

आरव ने एक बार फिर उसे एक नजर देखा और मीशा को इग्नोर कर वह वापस मुड़ कर ऑडिटोरियम की ओर चल पड़ा । जैसे उसे मीशा का पुकारना, सुनाई ही न दिया हो । मीशा भागते हुए आरव के पास आई और उसके रास्ते में , एकदम उसके सामने आकर खड़ी हो गई । आरव को मीशा के ऊपर बहुत गुस्सा आया । वह उसे इग्नोर कर , उसके बगल से जाने लगा। पर इस बार मीशा ने उसका पीछे से हाथ पकड़ लिया । और वह फिर से उसके सामने खड़े होकर , आंखों में बेहिसाब नकली आंसू लिए आरव से बोली .....।

मीशा - प्लीज आरव , एक बार मेरी बात तो सुनो .....।

आरव ने गुस्से से मीशा को देखा और उसका हाथ झटक कर जाने को हुआ, के तभी मीशा उसके पैरों पर गिर पड़ी । और उसके पैर पकड़ कर रोते हुए बोली ।

मीशा - आरव ...., ऐसे मुझे इग्नोर मत करो , मैं तुम सभी की नाराज़गी बर्दास्त नहीं कर पाऊंगी , और स्पेशली तुम्हारी तो बिल्कुल भी नहीं ।

आरव अब थोड़ा पिघल गया , उसने अब हैरानी से मीशा को देखा । क्योंकि उसके लिए ये जितना शॉकिंग था , उतना ही असहनीय भी । क्योंकि वो कभी नहीं चाहता था , के ऐसी सिट्यूएशन आए , जहां उसके दोस्तों को उसके पैर पकड़ कर , जमीन मे बैठना पड़े और इस तरह से सिर्फ बात करने के लिए गिड़गिड़ाना पड़े। उसने मीशा के कंधो को पकड़ कर , उठाया और उससे कहा।

आरव - मैं तुमसे गुस्सा हूं , पर इसका मतलब ये नहीं के तुम्हें अपने पैरों पर गिरने के लिए मजबूर करूं । आज के बाद ऐसी नोबात मत आने देना मीशा , के तुम्हें किसी के पैरों में गिरना पड़े । और हां , तुम्हें मेरे क्या, इनफेक्ट किसी के भी पैरों में गिरने की जरूरत नहीं है।

इतना कह कर आरव ने मीशा के कंधो को छोड़ दिया । मीशा उसे भीगी पलकों से देखने लगी । और फिर उससे बोली ......।

मीशा - जब कोई सामने वाले की बात सुनने को तैयार ही न हो । तो पैरों में गिरने के अलावा कोई चारा ही नहीं बचता आरव ।

आरव - तो फिर , ऐसा काम ही क्यों करना मीशा ???? जिसमें सामने वाले को तुम्हें अनसुना करना पड़े!!!!!

मीशा ( उदास सा चेहरा बना कर , नजरें झुकाकर कहती है ) - उसी की माफी तो मांगना चाहती हूं मैं , तुमसे और सारे दोस्तों से । इसी वजह से तो तुम्हें कब से आवाज़ दे रही थी आरव ।

आरव ने मीशा के मुंह से माफी मांगने की बात सुनी तो हैरान हो गया । क्योंकि मीशा गलती करना जानती थी , पर माफी मांगना तो उसे आज तक आया ही नहीं था । पर इस पल मे वह माफी मांगने की बात कर रही थी , ये आरव के लिए शॉकिंग था । आरव ने मीशा से मुंह फेर लिया और और उसकी ओर पीठ करके बोला ..... ।

आरव ( मीशा से रूखे स्वर में ) - तुमने वो गलती की है मीशा , जिसकी कोई माफी नहीं हो सकती ।

मीशा ( रोनी सी आवाज़ में, आरव के चेहरे को ताकते हुए ) - पर मैंने ये गलती अंजाने में की है आरव ......।

आरव मीशा की ओर पलटा , और गुस्से से उसे आंखें दिखाते हुए बोला।

आरव ( आंखों में बेतहाशा आग लेकर ) - अंजाने में....???? जान - बूझ कर की गई गलती को तुम अनजाने में की गई गलती बता रही हो । क्या तुम्हें उन तीनो ने बताया नहीं था , के उन्होंने एक - दूसरे से किस तरह का रिश्ता बनाया है ??? उनके रिश्ते की सच्चाई जान कर भी तुमने इतना घटिया इल्जाम उनके ऊपर लगाया था , और तुम उसे अंजाने में हुई गलती का करार दे रही हो !!!!!!! ( वापस मुंह फेर कर ) सच कह रही थी सौम्या और शिवानी , तुम्हें अहमियत ही नहीं पता , भाई - बहन के रिश्ते की । ( मीशा की ओर जलती हुई आंखों से देखते हुए ) अगर पता होती , तो तुम इतने पाक रिश्ते पर , यूं इस तरह , सबके सामने लांछन नहीं लगाती ।

मीशा ( आरव के सामने हाथ जोड़ कर घड़ियाली आंसू बहाते हुए ) - मुझे माफ़ कर दो आरव , जो भी हुआ हो , चाहे अनजाने में या जान बूझ कर , उसके लिए मुझे माफ कर दो । मैंने बहुत गलत कहा , कायरा रूही और रेहान को । ( आरव के तरफ पीठ कर , उसे छुप - छुप कर दखते हुए ) पागल थी मैं.... , सच कहा तुमने , मुझे अहमियत ही नहीं पता थी , उनके रिश्ते की , ( आरव की ओर मुंह कर ) इनफेक्ट मुझे तो दोस्ती की भी अहमियत पता नहीं थी आरव , वरना शायद मैं ऐसा कुछ भी नहीं कहती । ( अपनी नजरें नीची कर ) मैं अपने किए पर शर्मिंदा हूं आरव , मुझे माफ़ कर दो । कल जो भी हुआ , वो ज़िन्दगी में दोबारा कभी नहीं होगा । मुझे माफ़ कर दो ......, ( इतना कह कर वह बेतहाशा रोने लगती है ) ।

आरव अपने आस - पास देखता है , जहां से दूर कैंटीन में बैठे लोग , उन्हें ही घूर रहे थे । पास आकर उनकी बातें सुननी की शायद किसी में हिम्मत नहीं थी । क्योंकि पूरे कॉलेज के लोग आरव के गुस्से से बखूबी वाकिफ थे । इसी लिए सभी दूर से ही उन्हें देख कर गॉसिप कर रहे थे । आरव ने एक नजर उन्हें देखा , तो सभी ने अपनी नजरें हटा ली , और अपना - अपना काम करने लगे । आरव ने मीशा की ओर देखा और उससे कहा .... ।

आरव ( तेज़ आवाज़ में चिल्ला कर ) - अगर तुम्हें माफी मांगनी है , तो कायरा , रूही और रेहान से मांगो । यहां मेरे सामने माफी मांग कर तुम साबित क्या करना चाहती हो ?????

मीशा ( आरव की ओर देख कर ) -अगर मैं उनकी गुनहगार हूं , तो तुम्हारी भी उतनी ही गुनहगार हूं आरव । मेरी सबसे बड़ी गलती ये है आरव , के मैंने तुम्हारा ट्रस्ट तोड़ा , तभी तुम्हें मुझसे अपनी दोस्ती तोड़नी पड़ी । जब तक तुम मुझे माफ़ न कर दो , और अपनी दोस्ती पहले की तरह मेरे साथ निभाना न चालू कर दो , तब - तक सारे दोस्त मुझे माफ़ नहीं करेंगे । ( शर्म से अपनी नजरें झुकाते हुए ) और शायद मैं भी खुद को कभी माफ नहीं कर पाऊंगी ।

आरव एक नजर मीशा को देखता है , जिसकी आंखों में शर्म और शर्मिंदगी साफ देखी जा सकती थी । पर उसे कल की , मीशा की कहीं गई बातें , किसी कांटें की तरह चुभ रही थी ।

इधर रूही , कायरा के नजदीक आती है , और उसके सामने पड़ी हुई चेयर को खींच कर , सीधे कायरा के सामने बैठ जाती है और कहती है ।

रूही ( कायरा की बड़ी - बड़ी आंखों में झांकते हुए ) - मैंने सही कहा ना ???? कायरा !!!!!! तुम आरव के बारे में सोच रही थी । आरव को तुम चाहने लगी हो ना ???

कायरा अभी भी हैरानी से रूही को देख रही थी । रूही ने उसे इस तरह खुद को देखते पाया तो कहा।

रूही - जवाब दो कायरा !!! इस तरह तुम्हारे मुझे देखने भर से , और चुप रहने से , मुझे मेरे सवालों के जवाब नहीं मिलेंगे । ( कायरा को झकझोरते हुए ) कुछ तो बोलो , ऐसे चुप मत रहो .....।

कायरा फिर से उसे हैरानी से देखती है । फिर खुद को नॉर्मल कर उसके कहने पर , उसे जवाब देने के लिए मुंह खोलती ही है , के अंशिका उनके पास आकर कायरा से कहती है ।

अंशिका - आप ठीक हो ना दी ???

कायरा और रूही , अंशिका को वहां देख परेशान हो जाती है , और मन ही मन दोनों ही सोचती है ।

कायरा और रूही ( मन में ) - कहीं इसने हमारी बातें सुन तो नहीं ली ???

इतना कह कर दोनों ही एक - दूसरे को परेशानी भरी नजरों से देखती है । अंशिका , कायरा का हाथ पकड़ उससे कहती है।

अंशिका ( कायरा की आंखो मे देखते हुए ) - आपकी आंखे ठीक है ना , ईचिंग तो नहीं हो रही है ..????? ( आस - पास नजरें दौड़ते हुए ) भाई कहां गए, आपको ऐसे यहां छोड़ कर ????

कायरा और रूही को थोड़ी सी राहत मिलती है , के अंशिका ने कुछ भी नहीं सुना , अगर सुना होता तो वह उस बारे में कुछ न कुछ कहती जरूर । कायरा अंशिका से मुस्कुराते हुए कहती है ।

कायरा ( अंशिका के गालों में हाथ फेरते हुए ) - मेरी आंखें ठीक है अंशिका । बस थोड़ी सी जलन हो रही थी आंखों में , इस लिए आपके भाई पानी लेने गए हैं।

कायरा को मुस्कुराते देख रूही भी मुस्कुरा देती है । अंशिका वहां रूही को बैठे देखती है तो कहती है ।

अंशिका - आप यहां ...!!!! आप तो डांस प्रैक्टिस कर रही थी ना ...!!!!

रूही एक नजर कायरा को देखती है , फिर मुस्कुराते हुए अंशिका से कहती है ।

रूही - वो राहुल जी को किसी का कॉल आ गया था , ( राहुल की ओर इशारा कर ) तो वे वहां , फोन पर बात कर रहे हैं । मेरी नजर तुम लोगों पर पड़ी , इस लिए मैं यहां कायरा को देखने आ गई ।

रूही के कहने पर , कायर और अंशिका राहुल की ओर देखते हैं , जो खिड़की के पास खड़ा फोन पर किसी से बात कर रहा होता है । अंशिका रूही से मुस्कुराते हुए कहती है ।

अंशिका - अच्छा किया आपने , दी को भी और आपको भी कुछ समय के लिए कंपनी मिल जाएगी ।

तभी अंशिका की नजर , रेहान पर जाती है , जो शायद अकेले बैठे, उन लोगों को ही देख रहा था । अंशिका को थोड़ा अजीब लगता है , वह फिर से कायरा और रूही से बातें करने लगती है । रूही अंशिका से उसकी स्टडीज के बारे में पूछती ही , वह मुस्कुराते हुए उसकी बातों का जवाब दे रही होती है । कुछ पल बाद , अंशिका एक बार फिर रेहान की ओर नजर डालती है , तो पाती है , के रेहान अभी - भी उन्हीं की ओर देख रहा होता है । अंशिका को अब हल्का सा गुस्सा आ जाता। वो रूही और कायरा से कहती है ।

अंशिका - आप दोनों बातें कीजिए , मैं अभी आती हूं ।

इतना कह कर अंशिका रेहान की ओर बढ़ जाती है । और यहां , रूही और कायरा एक दूसरे को देखती है। रूही एक बार फिर कायरा से कहती है।

रूही ( कायरा को घूरते हुए ) - तूने मेरे सवालों का जवाब नहीं दिया ...!!!!

कायरा ( रूही से नजरें चुराते हुए ) - तू क्या बोल रही है , मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा ।

रूही को कायरा की बात सुनकर गुस्सा आ जाता है , वह गुस्से से कायरा को देखते हुए कहती है ।

रूही - तुझे ये समझ नहीं आ रहा , के तू आरव से प्यार करने लगी है ????

कायरा ( हैरानी से , रूही को देखते हुए ) - ये तू क्या कह रही है ????? ऐसा कुछ भी नहीं है , रूही । तुम कहीं की बात को कहीं ले कर जा रही हो ।

रूही ( कायरा का हाथ गुस्से से पकड़ कर ) - अच्छा मैं , बात को कहीं से कहीं ले कर जा रही हूं , ( कायरा अपना हाथ छुड़ाने लगती है , तो रूही उसे घूरते हुए कहती है ) तो फिर उस दिन जान बूझकर तूने आरव की जो झूठी कॉफी पी थी , वो क्या था ????? ( कायरा अब रूही की बातें सुन कर अपना हाथ छुड़ाना बंद कर देती है , और अपनी नजरें नीची कर लेती है और वह कुछ नहीं कहती , रूही उससे गुस्से से कहती है ) जब तुझे पता था , कि कॉफी तेरे लिए जहर है , तब भी तूने आरव की झूठी कॉफी क्यों पी ????

कायरा ( रूही से नजरें चुराते हुए कहती है ) - मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया , जो भी हुआ अनजाने में हुआ । और जैसे तू सोच रही है वैसा बिल्कुल भी नहीं है ।

रूही ( कायरा का हाथ छोड़ देती है , और उसके चेहरे को अपने दोनो हाथो मे लेकर कहती है ) - तो फिर कैसा है कायरा ???? जो लड़की , किसी लड़के को अपने करीब भी नहीं आने देती थी । स्कूल में भी, इवन !!! कॉलेज तक में , तुमने मेरे अलावा किसी और को दोस्त तक नहीं बनाया । और तो और हमेशा अपने काम से काम रखा । और यहां ....., ( सभी दोस्तों की ओर इशारा कर ) इतने सारे दोस्त बना लिए । साथ ही साथ , किसी भी पराए लड़के के साथ डांस भी करने लग गई । और वो भी इतने करीब आ कर । ( कायरा का दाहिना हाथ अपने हाथों में लेकर ) तुम्हें देख कर बिल्कुल भी नहीं लगता है कायरा , कि तुम आरव के साथ अनकंफर्टेबल हो , क्योंकि अगर कोई और लड़का तुम्हारे करीब आता था , तो तुम उसे वहीं दिन में भी तारे दिखा देती थी । पर यहां ...., यहां तो तुम आरव की आंखों में इस कदर खोई रहती हो , के तुम्हें खुद का होश ही नहीं रहता है ....। ( रूही की ये आखिरी लाइन सुन कर कायरा हैरानी से उसे देखने लगती है , रूही आगे कहती है ) फर्स्ट टाइम भी जब तुम आरव से मिली थी , तो मैंने तुम्हें कितनी बार कहा था , उसे सॉरी कहने के लिए, पर तुमने कितनी न - नुकूर करने के बाद , उससे सॉरी कहा था । पर अब ...., अब तो तुम हर वक्त उससे बातें करती रहती हो , उसके खयालों में खोई रहती हो । तुममें इतने बदलाव , मैंने पहले कभी नहीं देखे कायरा । तुम ही बताओ , इसे मैं क्या समझूं ????? ( कायरा के दोनों कंधो पर हाथ रख कर ) तुम्हारी आंखों में दिखता है कायरा , कि तुम उसके रंग में रंगने लगी हो....., उस चाहने लगी हो , इतना के तुम्हें खुद का भी होश नहीं है । अब बताओ तुम !!! क्या समझूं मैं इसे ?????

कायरा ( हैरानी से , रूही को देखते हुए कहती है ) - तुम्हें इतना सब कैसे पता है रूही ????

रूही - मैंने तुम्हें कई बार, तुम्हारी नज़रों से बच कर , तुम्हें नोटिस किया है । और आज तुम्हारे मुंह से आरव के लिए ऐसे शब्द , जो तुमने थोड़ी देर पहले कहे थे , उन्हें सुन मेरा शक यकीन ने बदल गया है ।

कायरा - पर रूही , सिर्फ मेरे इतना कहने मात्र से , ये तो प्रूफ नहीं हो जाता ना , के मैं उनसे प्यार करती हूं । ( रूही का हाथ पकड़ कर, शालीनता से ) वो मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं रूही , उन्होंने मेरी हर वक्त मदद की है । बस इसी वजह से , मैं उनके इतनी क्लोज हूं , और आजकल ये सब नॉर्मल है रूही । और तू जिस तरह से मुझे उनके करीब देखती है , वह सब सिर्फ डांस स्टेप्स का एक हिस्सा है , इससे ज्यादा और कुछ नहीं। इन सबका मतलब ये बिल्कुल भी नहीं है, के मैं उनसे प्यार करती हूं ।

रूही ( गुस्से से कायरा के कंधे पकड़ कर ) - तुम किससे झूठ बोल रही हो कायरा ???? मुझसे या खुद से ??? ( कायरा के कंधे छोड़, उसकी आंखों को पढ़ने की कोशिश करते हुए ) अच्छा चल ये छोड़ , तू ये बता के तूने जानते - बूझते आरव की झूठी कॉफी क्यों पी ???

कायरा - तू इतने यकीन से कैसे कह सकती है , कि मैंने जानते - बूझते कॉफी पी थी । ( रूही से आंखें चुराते हुए ) मैं तो तुझे पहले ही बता चुकी हूं , अनजाने में हुआ था वो सब ।

रूही - अगर ऐसा है तो मुझसे आंखें चुरा कर बातें क्यों कर रही है , मेरी आंखों में देख कर बातें कर ना ( कायरा अपनी आंखें ऊपर नहीं करती , तो रूही उससे कहती है ) अच्छा चल ये भी छोड़ । तू बस मुझे ये बता , कि जब तू आरव के साथ रहती है तो कैसा फील करती है ????

कायरा ( परेशान होते हुए ) - मैं कुछ भी फील नहीं करती यार , मैंने कहा ना , सिर्फ दोस्त हैं वो मेरे , इससे ज्यादा और कुछ भी नहीं ।

रूही ( कायरा को आंखें दिखाते हुए ) - तू अपने मुंह से खुद उगलेगी, कि फिर मैं अपने तरीके से तेरे मुंह से उगलवाऊं । तू अच्छे से जानती है , जो अगर मैंने अपने तरीके से सच्चाई तेरे मुंह से उगलवाई , तो वह सिर्फ हमारे बीच ही नहीं ,बल्कि सारे दोस्तों को पता चल जाएगी । आगे तू डिसाइड कर ले , तुझे क्या करना है ( कायरा कुछ नहीं कहती तो रूही चेयर से उठते हुए कहती है ) ठीक है , फिर मैं जा रही हूं ढिंढोरा पीटने , सभी दोस्तों के पास , फिर तो तुझे सच्चाई माननी ही होगी , साथ ही आरव को भी सब पता चल जाएगा ।

इतना कह रूही जाने लगती है , तो कायरा उसका हाथ पीछे से पकड़ते हुए कहती है ।

कायरा - तू ऐसा कुछ नहीं करेगी ।

रूही ( कायरा का हाथ अपने हाथ से अलग कर अकड़ते हुए कहती है ) - मैं ऐसा ही करूंगी ......।

रूही एक बार फिर जाने को होती है , तो कायरा उसके सामने आ जाती है और उससे कहती है ।

कायरा ( रूही से विनती करते हुए ) - प्लीज , तू ऐसा कुछ भी मत कर । वरना सब कुछ बिगड़ जाएगा ।

रूही - तो फिर तू मेरे सवालों का सही - सही जवाब दे।

कायरा ( बेबस नज़रों से ) - ठीक है , तू चल मेरे साथ बैठ , मैं तुझे सब बताती हूं ।

रूही कायरा की बात सुन मुस्कुरा देती है और मन ही मन कहती है ।

रूही ( मन में ) - अब आया न ऊंठ पहाड़ के नीचे , मैं जानती थी , ये आइडिया जरूर काम करेगा।

कायरा रूही का हाथ पकड़ कर खींचते हुए , उसे चेयर पर बैठा देती है । रूही भी मुस्कुराते हुए उसके सामने बैठ जाती है ।

इधर अंशिका रेहान के सामने आकर खड़ी हो जाती है और उसकी आंखों में झांकते हुए देखती है और उसके सामने अपने हाथो से चुटकी बजाती है । पर उसकी इस हरकत का कोई जवाब नहीं आता , क्योंकि रेहान को तो जैसे खुद का होश ही नहीं रहता , क्योंकि वह एक टक अंशिका को देख रहा होता । अब देखे भी क्यों ना, उसे अंशिका से प्यार जो हो गया था , जिसे शायद वह भी पहचानता था। उसने जब से अंशिका को पहली बार , कॉलेज ग्राउंड में देखा था , जब वह सभी से बात कर रही थी , तब ही वह तो अंशिका पर फ्लैट हो गया था । तब से लेकर अभी तक , मतलब की जब - जब अंशिका उसके सामने आई है , वह एक टक बस अंशिका को , उसकी खूबसूरती और उसकी मासूमियत को ही देखता रहा है । इससे ये तो साफ हो गया , के अंशिका को जो इन्सान लगातार घूर रहा था , वह कोई और नहीं , बल्कि रेहान ही था । पर अंशिका को उसकी आंखें चुभती नहीं थी , क्योंकि रेहान बड़े ही प्यार से उसे देखता था । जब रेहान का कोई जवाब अंशिका को नहीं मिलता तो वह, उसके बगल में चेयर लेकर बैठ जाती है , और उसके आंखों के सामने हाथ हिलाते हुए कहती है .....।

अंशिका - ओ मिस्टर ......, आर यू हियर मी ...?????

अंशिका के , उसके आंखों के सामने हाथ हिलाने से , रेहान को होश आता है , तो वह अंशिका को अपने पास में बैठे देख सकपका जाता है और तुरंत खड़े होकर हैरानी के मिले - जुले भाव से हकलाते हुए उससे कहता है ।

रेहान - त...., तू...... तुम ...., तुम यहां ???? यहां क ..... क ….... क्या कर रही ह.....हो?????

अंशिका उसे वापस चेयर में बैठाती है । और शक भरी नजरों से उसे देखते हुए, उससे कहती है ।

अंशिका - आप क्या कर रहे थे इतनी देर से ???? वो भी यहां अकेले बैठ कर ????

अंशिका का सवाल सुन , रेहान को लगता है के अंशिका ने उसे शुरू से घूरते हुए देख लिया है । उसे कोई जवाब ही नहीं सूझ रहा होता है , अंशिका को देने के लिए । क्योंकि उसकी तो सांसे हलक में अटक गई थी , अंशिका को इतने करीब अपने पास देख कर । वह कोई जवाब नहीं देता , तो अंशिका उसे एक बार फिर घूरते हुए कहती है ।

अंशिका - आप बता क्यों नहीं रहे ???? कि जब मैं वहां ( कायरा और रूही की ओर इशारा करते हुए ) खड़ी थी तो आप घूर क्यों रहे थे ?????

रेहान को ये सुन कर थोड़ी राहत मिलती है, के कम से कम अंशिका ने उसे सिर्फ वहां पर देखते हुए देखा , बाकी जगह उसे देखते हुए नहीं देखा । वह नॉर्मल बन कर अंशिका से कहता है ।

रेहान - देखो ऐसा कुछ भी नहीं है जैसा तुम समझ रही हो .....। मैं तो बस....।

अंशिका ( उसकी बात को बीच में ही काट कर ) - तो फिर कैसा है , बताइए न........।

रेहान - वही तो मैं बोलना चाह रहा था , पर तुम बोलने दो तब न बोलूं ....।

अंशिका ( रेहान को ध्यान से देखते हुए ) - अच्छा ठीक है , चलिए बोलिए ।

रेहान तो बस उसके देखने मात्र से , हड़बड़ा जाता है , क्योंकि भले ही वो गुस्से से या फिर बिना किसी भाव के देख रही हो । पर रेहान को उसे देख यही फील हो रहा था , जैसे अंशिका उसे प्यार से देख रही है । वह हड़बड़ाते हुए अंशिका से कहता है ।

रेहान ( हकलाते हुए ) - त ...तुम , मुझे ए..... ऐसे मत देखो....... ।

अंशिका ( हैरानी से ) - क्यों न देखूं ???? ( फिर हल्का अटीट्यूड के साथ कहती है ) मेरी आंखें है , मैं आपको देखूं या कहीं और, उससे आपको क्या ??!!! आप बस मेरे क्वेश्चन्स का सीधे तरीके से आंसर दीजिए ।

रेहान ( बेबस निगाहों से ) - प्लीज , तुम अपनी नजरें मुझसे हटाओ , तब ही मैं कोई भी आंसर तुम्हें दे पाऊंगा ।

अंशिका ( गुस्से से ) - ओके देन , हटा लेती हूं आप पर से नजरें । ( खुद में बड़बड़ाते हुए कहती है ) नजरें हटाने को तो ऐसे बोल रहे हैं , जैसे मेरी आंखें चुडैल की तरह हों , और अपना कहीं के सीधे - साधे राजकुमार हों ।

रेहान ( अंशिका की ओर नजरें घुमाके ) - तुमने कुछ कहा ....., मुझे ठीक से सुनाई नहीं दिया ।

अंशिका ( चिढ़ते हुए ) - मैंने कुछ नहीं कहा , आप बताइए न...। जो मैंने आपसे पूछा है , उसका जवाब दीजिए बस।

रेहान ( बालों में हाथ फेरते हुए , और अंशिका से नजरें चुराते हुए ) - मैं तो अपनी बहनों को देख रहा था , बस ।

रेहान झूठ बोल गया था , क्योंकि सच्चाई तो वह बता भी नहीं सकता था , और कुछ बोलने के लिए उसे सूझ ही नहीं रहा था । इस लिए उसने यही कह दिया , ताकि वह इस झूठ में फंस न सके ।

अंशिका ( आश्चर्य से ) - बहने ......, ( चारों ओर देखते हुए ) यहां आपकी बहने कहां है ??? ( कुछ पल बाद गुस्से से रेहान को घूरते हुए ) मैं आपकी बहन हूं ???? आपने मुझे, बिना मुझसे पूछे बहन कैसे बना लिया ....?????

रेहान ( अपना सिर पीटते हुए ) - पागल लड़की....., मैं तुम्हें बहन नहीं बोल रहा हूं ( मन ही मन खुद से ) तुम्हें तो मैं अपनी जीवनसाथी बनाना चाहता हूं , और तुम हो के बहन बनना चाहती हो , जो मैं तुम्हें कभी नहीं बना सकता , क्योंकि तुम तो मेरे दिल में बस गई हो ।

अंशिका ( गुस्से से ) - आपने मुझे पागल लड़की कहा ??? और ये बताइए , अगर मुझे बहन नहीं कहा तो फिर किसे आपने बहन कहा ????

रेहान ( रूह और कायरा की ओर इशारा कर ) - उन दोनों को ।

अंशिका ( नासमझी से ) - मतलब ????

रेहान पहले तो फिर एक बार अपना सिर पीट लेता है , फिर उसे अपने कायरा और रूही के बारे में सब बताता है ।

इधर आरव अब मीशा की बातें सुन थोड़ा सा पिघल जाता है , पर तब भी चेहरे पर गुस्से की चादर ओढ़े मीशा से कहता है ।

आरव - मैं कैसे मान लूं , के तुम्हें अपनी गलती का एहसास है ।

मीशा ( उसे अपनी बातों पर यकीन दिलाने की कोशिश करते हुए ) - जिस तरह मैं तुम्हारे पैरों पर गिरी हूं , वैसे ही उन तीनो के पैरों पर भी गिरकर माफी मांग लूंगी , और तब तक मांगती रहूंगी , जब तक वो तीनो मुझे माफ़ न कर दें । तब तो तुम्हें एहसास हो जाएगा ना , के मैं अपने किए पर शर्मिंदा हूं....। और मुझे अपनी गलती का बखूबी एहसास हो गया है।

आरव ( मीशा को आंखें दिखाते हुए ) - मैंने कहा था न तुमसे , के तुम्हें किसी के सामने पैरों पर गिरने की जरूरत नहीं है ।

मीशा ( शर्मिंदगी से सिर झुकाते हुए ) - इसके अलावा और कोई तरीका ही नहीं है मेरे पास , उनसे माफी मांगने का । ( आरव को देखते हुए ) और मैंने गलती ही ऐसी की है , इनफेक्ट मैंने तो गुनाह किया है आरव । जिसकी शायद सज़ा ही होती है , माफी नहीं । पर मैंने कल से लेकर आज तक बहुत सजा भुगत ली है , इससे ज्यादा मैं सज़ा नहीं भुगत पाऊंगी । ( आंखों में बेतहाशा आंसू लिए ) मैं नहीं रह पाऊंगी तुमसे दूर ( आरव उसकी लास्ट की बात पर हैरानी से, उसे देखने लगता है, तो मीशा बात को संभालते हुए उसी तरह आंसू बहाते हुए आगे कहती है ) नहीं रह पाऊंगी मैं, अपने दोस्तो के बग़ैर । ( मीशा की ये बात सुन , आरव कुछ ग़लत नहीं सोच पाता , और वह ध्यान से मीशा की बातें सुनने लगता है ) अभी चौबीस घंटे ही पूरे हुए हैं , पर मुझसे ये चौबीस घंटे भी बड़ी मुश्किल से कटे है , मुझे ये चौबीस घंटे , चौबीस दिन के बराबर लग रहे थे । ( आरव के सामने एक बार फिर हाथ जोड़ते हुए ) इस लिए, मैं नहीं रह पाऊंगी तुम सब की दोस्ती के बिना। प्लीज मुझ पर तरस खाओ , मुझे माफ़ कर दो ।

आरव को अब मीशा पर दया आने लगती है । वह मीशा से कहता है ।

आरव - ठीक है , अगर तुम यही चाहती हो तो यही सही , चलो मेरे साथ, सारे दोस्तों के पास।

मीशा ( आंखों में चमक लाते हुए ) - मतलब तुमने मुझे माफ़ कर दिया ????

आरव ( मीशा को गुस्से से उंगली दिखाते हुए ) - जब तक तुम्हें , कायरा , रूही और रेहान माफ़ नहीं कर देते , तब तक तुम मुझसे खुद के लिए माफी की उम्मीद मत रखना । ( ऑडिटोरियम की ओर जाते हुए ) चलो ,और चल कर तीनों से माफी मांगो ।

मीशा मन ही मन मुस्कुरा देती है , क्योंकि राजवीर ने उसे यही तो करने को कहा था , और कहीं न कहीं उनका प्लान वर्क कर रहा था । आरव आगे निकल जाता है , और मीशा उसके पीछे - पीछे चलते हुए मन ही मन मुस्कुराते हुए खुद से कह रही होती है ।

मीशा ( खुद को शाबाशी देते हुए ) - वेल डन मीशा , तुमने तो आसानी से शेर को अपने पिंजरे में कैद कर लिया है । अब बारी इन छोटे - छोटे पिद्दी जानवरों की है । और वैसे भी शेर का हुकुम तो सभी मानते ही हैं । ( होंठो पर जहरीली मुस्कान लिए ) आरव से अपनी बात मनवाकर, उन सभी पिद्दी जानवरों को कैसे अपने जाल में फसाना है , ये मैं बहुत अच्छे से जानती हूं । और रही बात कायरा की , तो वो तो बहुत जल्द ही तुम्हारी और आरव की लाइफ से दूर होगी , और राजवीर की लाइफ में हमेशा के लिए इन होगी । ये मेरा खुद से और आरव तुमसे, वादा है ।

इतना सोचते - सोचते वह आरव के पीछे - पीछे चल देती है ।

इधर रूही चेयर पर बैठते ही साथ कायरा से कहती है ।

रूही ( कायरा के चेहरे को पढ़ने की कोशिश करते हुए ) - अब बताओ कायरा , तुम आरव के लिए कैसा फील करती हो ।

कायरा ( कुछ पल शांत रहती है , फिर एक गहरी सांस ले कर आरव के खयालों में खोई हुई सी कहती है ) - मैं क्या बताऊं रूही , के मैं आरव जी के बारे में क्या सोचती हूं । उनका मेरे पास होना , मुझे सुकून का एहसास करवाता है । ( रूही की ओर देखते हुए ) तुझे पता है , उनका साथ मुझे अजनबी नहीं , बल्कि अपना सा लगता है । उनके पास रहने से ऐसा लगता है, कि जैसे वो समय थम सा गया हो , और मैं बस उन्हें देखती ही रहूं । ( अपने हाथो की ओर इशारा करते हुए ) उनके हाथों की छुअन जब मेरे हाथो पर या मेरे शरीर पर पड़ती है ना , तो मुझे एक सिहरन सी महसूस होती है , और वो सिहरन मुझे अन्दर कर झकझोर कर रख देती है । एक अजीब सा एहसास करवाती है उनकी आंखें मुझे , जैसे मैं उनकी आंखों से सम्मोहित हो बस उनकी पनाहों में खोई रहूं । ( रूही की ओर एक बार फिर से देखते हुए ) सच कहूं रूही , तो मेरे पास शब्द कम पड़ रहे हैं , उनकी तारीफ के लिए।

इतना कह कर वह रूही का हाथ पकड़ लेती है और फिर आगे कहती है .......।

क्रमशः