Marks - Season-1 - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

मार्क्स - Season-1 - भाग - 3

अगले 1 महीने में नादिर ने बहुत मेहनत की और उसकी हेल्प सुहाना ने की । नादिर दिन रात अपनी पढ़ाई करता और सुबह स्कूल अटेंड करता। टाइम पर कोचिंग जाता, साथ ही टाइम पर घर आता। वह वक्त भी नजदीक आ गया जब नादिर सुहाना के ट्राइमेस्टर थे । फर्स्ट एग्जाम के दिन नादिर बहुत डर रहा था, उसके हाथ-पांव फूल रहे थे यह सोचकर कि वह अच्छे से एग्जाम पास कर पाएगा या नहीं। हर बार की तरह कहीं इस बार भी उसकी मेहनत बेकार ना चली जाए, वह फिर से कहीं फेल ना हो जाए। नादिर अपने क्लास के बाहर खड़ा था और सुहाना उसी वक्त वहां आयी , सुहाना ने जब उसे बाहर खड़े देखा तो पूछा ।

सुहाना - यहां क्या कर रहा है नादिर, चल क्लास के अंदर चल एग्जाम स्टार्ट होने वाला है।

नादिर ( अपने हाथ मलते हुए बोला ) - आई एम स्केयर्ड सुहाना, कहीं मैं हर बार की तरह इस बार भी फेल न हो जाऊं या जैसे हर बार की तरह ऐन टाइम पर सब भूल जाया करता था, कहीं इस बार भी भूल ना जाऊं ।

सुहाना - नहीं नादिर, ऐसा नहीं होगा। तूने इस बार बहुत मेहनत की है, मैंने देखा है तुझे दिन रात मेहनत करते हुए और तू ऐसा सोच कर एग्जाम देगा , तो डेफिनेटली भूल जाएगा। लेकिन अगर तू यह सोच कर एग्जाम देगा, कि तू इसे पास कर जाएगा, वह भी अच्छे मार्क्स , तो पक्का पास करेगा, देखना..... । भगवान पक्का तेरी हेल्प करेंगे । अब जल्दी चल वरना हम लेट हो जाएंगे और अगर आज का एग्जाम मिस हो गया, तो फिर हमें आगे के एग्जाम देने को नहीं मिलेगा । चल जल्दी......।

दोनों अपने एग्जाम हॉल में चले गए और अगले 3 घंटे बाद जब दोनों बाहर निकले, तो नादिर पहले से काफी संतुष्ट था । सुहाना ने पूछा कि कैसा गया उसका एग्जाम। तो नादिर ने कहा।

नादिर - मुझे लग रहा है कि शायद इस बार मैं पास हो जाऊंगा । आज का पेपर बहुत अच्छा न सही, लेकिन इतना खराब भी नहीं गया हैं । मुझे लगता है शायद इस बार मैं अच्छे मार्क्स से पास हो जाऊंगा ।

सुहाना - यह तो बहुत अच्छी बात है , कांग्रेचुलेशन नादिर....।

नादिर - थैंक यू सुहाना....। अब कल के एग्जाम की तैयारी करते हैं।

सुहाना - ओके बाय मिलते हैं कल यहीं पर ।

दोनों अपने घर की ओर निकल गए । अगले आने वाले सभी एग्जाम दोनों ने मिलकर दिए और दोनों के बहुत अच्छे एग्जाम गए थे । सुहाना तो वैसे भी टॉपर थी तो उसके लिए इतना टफ नहीं था , लेकिन नादिर के लिए यह टफ था। क्योंकि बहुत समय बाद वह इतनी मेहनत कर रहा था और बहुत समय से उसने खुद को फेलियर होते ही देखा था, पर अब उसे फेलियर की जगह खुद को विनर देखना था, इसलिए उसके लिए ये सब थोड़ा सा टफ हो रहा था ।

खैर सारे एग्जाम फिनिश हो गए थे । अब वह दिन भी आ गया , जब नादिर और सुहाना का रिजल्ट आने वाला था। एग्जाम के ठीक एक हफ्ते बाद टॉप 5 अनाउंस हो रहे थे । सुहाना हर बार की तरह फर्स्ट आई थी , लेकिन इस बार अगर कुछ बदला था, तो वह यह था कि नादिर का रिजल्ट पहले से काफी बेहतर था । नादिर पुरी क्लास में 5थ पोजीशन पर आया था, जो कि पूरे क्लास के लिए और टीचर्स के लिए काफी आश्चर्यजनक था । नादिर अपने रिजल्ट से बहुत खुश था । सभी अपने क्लास में जा चुके थे । सुहाना नादिर के पास आई और उसने उसे कांग्रेचुलेट करते हुए कहा ।

सुहाना ( मुस्कुराते हुए ) - कांग्रेचुलेशन नादिर । सी....., यू डिड इट....। देख..., मैंने कहा था ना, कि तू कर लेगा और देख तूने सच में कर दिखाया । आखिर हमारी मेहनत रंग लाई । बता...., ट्रीट कब देगा..??? और कहां देगा...???

नादिर ( मुस्कुराकर ) - थैंक यू सो मच और तुझे भी बहुत-बहुत कांग्रेचुलेशन। आखिर तू भी तो फर्स्ट आई है ।

सुहाना - इसमें कोई बड़ी बात नहीं है नादिर, मैं तो हमेशा ही फर्स्ट आती हूं ।

नादिर - हां यह बात भी है । अच्छा चल बता कहां चलेगी...????

सुहाना - जहां तू लेकर चलेगा.... ।

नादिर - ठीक है फिर, आज कोचिंग से निकलने के बाद हम आइसक्रीम पार्लर चलेंगे ।

सुहाना - वाव...., डैट्स ग्रेट...., ( अपने होठों पर अपनी जीभ फिराते हुए ) आइसक्रीम......। तुझे पता है , मुझे आइसक्रीम कितनी पसंद है ।

नादिर ( मुस्कुराकर ) - इसीलिए तो तुझे लेकर जा रहा हूं ।

सुहाना ( खुशी से उछलने हुए ) - थैंक्स नादिर....., थैंक यू सो मच । तू ना सबसे बेस्ट है, सच्ची में बहुत बेस्ट है तू । आज ना तेरे पैरेंट्स तुझ पर प्राउड फील करेंगे, क्योंकि तूने आज बहुत अच्छे मार्क्स गेन किए हैं ।

नादिर ( खुश होते हुए ) - हां....., सही कह रही तू । आज मॉम डैड वाकई बहुत खुश होंगे ।

सुहाना - बेल लग गई है । अब हमें घर चलना चाहिए ।

नादिर - ठीक है ।

दोनों अपने घर आ गए। नादिर घर आया और उसने अपना रिजल्ट घरवालों को दिखाया । जब रिजल्ट उसके पापा के पास पहुंचा , तो उसके पापा ने रिजल्ट देखा और फिर उसके बाद नादिर को । नादिर की मां काफी खुश हुई, कि नादिर का रिजल्ट पहले से काफी अच्छा हैं। लेकिन संदीप सिर्फ नादिर को देख रहे थे । पता नहीं क्या चल रहा था उनके दिमाग में । संदीप को रिजल्ट पकड़ाने के बाद नादिर अपने रूम में जाने को हुआ, कि संदीप ने उसे रोका । संदीप के कहते ही नादिर रुक गया । संदीप ने नादिर को अपने पास बुलाया और उसका रिजल्ट उसके हाथ में दिया । नादिर काफी खुश था, कि उसके पापा ने गुस्सा नहीं किया और शायद उसे लग रहा था , कि उसके पापा उसे अब पक्का शाबाशी देंगे । अगले ही पल जोरदार थप्पड़ की आवाज़ हॉल में गूंज गई और सुप्रिया और नादिर हैरान नजरों से संदीप को देखने लगे । संदीप ने नादिर को जोरदार थप्पड़ मारा था । ये देख नादिर ने बड़ी हिम्मत की और कहा ।

नादिर - आपने मुझे क्यों मारा डैड...?? मैं तो पहले से अच्छे मार्क्स लेकर आया हूं।

संदीप ( गुस्से से उबलते हुए ) - यह मार्क्स होते हैं ..???फर्स्ट की उम्मीद की थी, कि क्लास में फर्स्ट पोजिशन लाकर पूरी क्लास में टॉप करोगे । लेकिन तुम तो फिफ्थ रैंक लेकर आए हो ।

नादिर चुप हो गया । उससे कुछ कहते ही नहीं बना । सुप्रिया ने जब संदीप की बात सुनी तो कहा ।

सुप्रिया - इतने अच्छे मार्क्स लेकर आया है, वो भी इतने सालों बाद । इतना तो काफी होना चाहिए । नादिर अगली बार और अच्छे मार्क्स लेकर आएगा । अभी जो लाया है, उसकी मेहनत के बदौलत है । उसके लिए इसे शाबाशी तो मिलनी चाहिए।

संदीप ( गुस्से से उंगली दिखाकर सुप्रिया से बोले ) - इतने मार्क्स लाने के लिए मैं इसकी पढ़ाई का खर्चा नहीं करता हूं । मैं चाहता हूं कि ये क्लास में फर्स्ट रैंक लेकर आए । फर्स्ट चाहता हूं मैं इसे इसकी क्लास में , इसके अलावा मुझे और कुछ नहीं सुनना । ( नादिर की तरफ मुड़कर ) जब तुम क्लास में फर्स्ट आओगे , तब मुझसे बात करना । आइंदा यह रिजल्ट मुझे कभी मत दिखाना, समझे....।

इतना कहकर संदीप अपने कमरे में चले गए और सुप्रिया उनके पीछे - पीछे चली गई , उन्हें समझाने । नादिर बस बुत बना वहां खड़ा रह गया । कुछ कह नहीं पाया । आखिर उसने इतनी मेहनत अपने मां-बाप के लिए ही तो की थी, उन्हें सोसाइटी में एक अच्छी इमेज देने के लिए, एक अच्छा नाम देने के लिए । लेकिन उसके पिता के लिए उसका फर्स्ट आना इतना जरूरी था , कि उन्होंने नादिर के द्वारा..... की गई मेहनत को साफ नकार दिया । क्या उसके पिता के लिए नादिर का क्लास में फर्स्ट आना इतना जरूरी है , कि उन्होंने नादिर की भावनाओं के बारे में सोचा तक नहीं । ये भी नहीं देखा , कि नादिर आज कितना खुश था ।

यही सब सोचते हुए नादिर के कदम अपने रूम की तरफ बढ़ गए । उसने अपने रूम का दरवाजा बंद किया और चुपचाप बिस्तर पर आकर लेट गया । आखों से आसुओं की बौछार लग गई और जो कुछ भी कुछ देर पहले हुआ , उसके बारे में वह सोचने लगा ।

इधर बहुत देर से नादिर का सुहाना वेट कर रही थी। पर नादिर अभी तक नहीं आया था । कोचिंग के बाहर सुहाना अपनी एक फ्रेंड के साथ खड़ी थी । बहुत देर तक नादिर जब उसे आता नहीं दिखा, तो वह अपने घर चली गई।

अगले दिन नादिर स्कूल गया , काफी उदास था वह । उसे देखते ही सुहाना उसके पास आई और कहा ।

सुहाना - कल मैंने तेरा कितना वेट किया , तू आया क्यों नहीं ...???

नादिर ने कुछ नहीं कहा और अपनी क्लास की ओर बढ़ गया । सुहाना उसके पीछे - पीछे आयी, लेकिन तब तक असेंबली की बेल लग चुकी थी । दोनों असेंबली की और बढ़ गए । पूरा दिन बीत गया, पर सुहाना को नादिर से बात करने का मौका ही नहीं मिला......।

क्रमशः