Ahsaas pyar ka khubsurat sa - 50 books and stories free download online pdf in Hindi

एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 50







कायरा रास्ते पर अपनी स्कूटी दौड़ाए जा रही थी , और उसके पीछे जय के आदमी उसकी सेफ्टी को ध्यान में रखकर , उसके पीछे - पीछे चल रहे थे । एक से दो किलोमीटर चलने के बाद कायरा को महसूस हुआ , कि कोई उसका पीछा कर रहा है । उसने तुरंत पीछे मुड़ कर देखा । लेकिन जय के आदमियों ने कायरा की हरकतों को भांप लिया और कायरा के पीछे मुड़कर देखते ही, उन्होंने अपनी कार की स्पीड एक दम मध्यम कर ली, जिससे वो लोग कायरा से काफी दूर हो गए । कायरा ने उन्हें देखा तो , पर उसे उन पर बिल्कुल भी शक नहीं हुआ क्योंकि वो लोग उससे काफी दूरी में थे । जब कायरा को ऐसा कोई नहीं दिखा , जिसपर वह शक कर सके , तो उसने अपनी स्कूटी की स्पीड बढ़ा दी और सामने देखकर ड्राइव करने लगी । कायरा के सामने की तरफ मुड़ते ही जय के आदमियों ने , अपनी कार की स्पीड बढ़ाई और दोबारा कायरा के पीछे चलने लगे। कायरा ने लेफ्ट साइड टर्न लिया और फिर कुछ दूर आगे चलकर राइट साइड में टर्न लिया और उसके बाद उसने दोबारा स्कूटी की स्पीड बढ़ा दी । जय के आदमियों ने भी उसी की तरह टर्न लिए और उसका पीछा करने लगे । कायर को एक बार फिर महसूस हुआ , कि कोई उसका पीछा सच में कर रहा है । लेकिन इस बार कायरा ने पीछे पलटकर नहीं देखा , बल्कि अपनी स्कूटी के आइने को उसने हल्का सा घुमाकर देखा , तो उसे आइने पर वही ब्लैक इनोवा अपने पीछे आती दिखी , जो कुछ देर पहले उसके पीछे मुड़कर देखने पर, उससे बहुत दूर और धीमी गति से चल रही थी । कायरा को ये तो समझ आ गया, कि ये लोग उसका ही पीछा कर रहे हैं, लेकिन उसे वो आदमी राजवीर के आदमी लगे । जब उसने एक बार फिर आइने में उन्हें अपनी ओर आते देखा , तो उसे बेहद गुस्सा आया और उसने खुद से अपनी स्कूटी की स्पीड बढ़ाकर कहा ।

कायरा - अब देखो राजवीर के चमचों , कैसे तुम लोगों को मजा चखाती हूं ......।

इतना कहकर उसने स्कूटी की स्पीड और तेज़ कर दी और पल भर में वो उन आदमियों के देखते - ही - देखते आंखों से ओझल हो गई । जब जय के आदमियों को कायरा सामने नहीं दिखी , तो उन्होंने अपनी कार की स्पीड बढ़ाई और सड़क पर कार दौड़ाने लगें, लेकिन कायर उन्हें कहीं नहीं दिखाई दी । उन दोनों ने एक दूसरे को हैरानी से देखा और सामने सड़क पर देखते हुए एक दूसरे से कहा ।

पहला आदमी - यार , ये मैम कहां चली गई ..???? अभी यहीं तो थी...!!!!

दूसरा आदमी - पता नहीं यार, मैं तो लगातार उन्हें ही देख रहा था, मेरे देखते ही देखते उन्होंने अपनी स्कूटी की स्पीड बढ़ाई और फिर पता नहीं कहां गायब हो गईं । अब हम जय सर और आरव सर को क्या जवाब देंगे , कि हम मैम पर नज़र तक नहीं रख पाए। दोनों ही हम पर बहुत गुस्सा करेंगे ।

पहला आदमी - यार बताना तो पड़ेगा भाई । नहीं बताएंगे तो शायद ज्यादा भड़केंगे , दोनों ही.... । तू कॉल कर और सबसे पहले आरव सर को बता.....।

दूसरा आदमी - ओके.....। ( इतना कह कर उस आदमी ने आरव को कॉल किया , आरव ने तुरंत कॉल रिसीव कर हैलो कहा , तो उस आदमी ने आरव से कहा ) सर हम कायरा मैम के पीछे ही थे , उन पर नज़र रख रहे थें, पर शायद उनको हम पर शक हो गया । इसी लिए शायद उन्होंने अपनी स्कूटी की स्पीड बढ़ाई और पल भर में हमारी आंखों के सामने से ओझल हो गईं ।

आरव ( शांत भाव से ) - तुम किसी मामूली लड़की का पीछा नहीं कर रहे हो, तुम एक शेरनी का पीछा कर रहे हो । और एक शेरनी की रक्षा करने की जिम्मेदारी मैंने तुम लोगों को दी है , जो कि कैसे करनी है तुम लोग बहुत अच्छी तरह से जानते हो । अगली बार से जब कायरा का पीछा करना हों, तो उसी की तरह अपना दिमाग चलाना । समझ गए ना ....????

आदमी - यस सर.....!!!! पर अभी क्या करें ?? अगर उन्हें किसी ने फिर हार्म पहुंचाने की कोशिश की तो .....????

आरव - वो संभाल लेगी .......। क्योंकि अगर उसने तुम लोगों को बेवकूफ बनाकर , तुम्हें खुद का पीछा करने से रोका है , तो जरूर उसके दिमाग में कुछ चल रहा है । वैसे तुमने देखा , कि वो किस तरफ गई थी ....????

आदमी - नहीं देख पाया सर , लेकिन जिस रास्ते पर हम अभी खड़े हैं, इसी रास्ते से मैम ने अपनी गाड़ी की स्पीड बढ़ाई थी , और ये रास्ता राजवीर सर के घर की तरफ भी जाता है ।

आरव - ठीक है, तुम लोग अभी अपने घर जाओ और थोड़ी देर आराम करो । और हां , जय को मुझसे आधे घंटे में कॉन्टेक्ट करने के लिए कह दो....।

आदमी - ओके सर....।

आदमी की बात सुनकर आरव ने कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया और मुस्कुराकर कॉफी की एक सीप लेकर उसने खुद से कहा ।

आरव - तुम न कायरा कब क्या करती हो , कुछ समझ नहीं आता । जरूर तुम राजवीर के घर जा रही होगी .....।

खुद से इतना कहकर ,कुछ सोचकर वह खुद में ही मुस्कुरा दिया और कॉलेज के लिए रेडी होने चला गया । इधर कायरा ने अपनी स्कूटी राजवीर के घर के बाहर रोकी ओर दनदनाती हुई राजवीर को तेज़ स्वर में आवाज़ देकर , उसके घर के अंदर चली आयी । राजवीर अपने घर में अकेला था । मिस्टर तिवारी कहीं बाहर गए थे और मेघा जी सुबह - सुबह मंदिर गई हुईं थी । राजवीर रात भर से नहीं सोया था और गुस्से से भरा हुआ अपने बिस्तर के किनारे में बैठा , अपनी फोन की स्क्रीन में देख रहा था । कल रात से वो अपने आदमियों के कॉल का वेट कर रहा था , ताकि उसे चंदन की मौत की खबर मिले । लेकिन अभी तक उसे चंदन के मौत की खबर नहीं मिली थी, इस लिए वह गुस्से से बैठा उबल रहा था । उसने खुद भी अपने आदमी को कई बार कॉल करने की कोशिश की , लेकिन सभी का नंबर स्विच ऑफ आ रहा था । आता कैसे नहीं , सभी के फोन तो पुलिस के पास थे , और वो भी बंद पड़े हुए थे । राजवीर ने जैसे ही कायरा की आवाज़ सुनी , उसका गुस्सा गायब हो गया और वह तुरंत अपने कमरे से बाहर आया । अपने घर के हॉल में जब उसने कायरा को देखा , तो उसकी नजरें हैरानी से बड़ी - बड़ी हो गईं ।

इधर कायरा को आवाज़ करते देखकर सारे गार्ड्स और नौकर हॉल में इकट्ठे हो गए। उनमें से एक नौकर ने कायरा से कहा ।

नौकर - कौन हैं आप , और इस तरह हमारे छोटे साहब का नाम क्यों पुकार रही हैं ....???

कायरा - मुझे उससे मिलना है अभी इसी वक्त....., उसे बुलाओ मेरे सामने ।

नौकर इसके आगे कुछ बोलता उससे पहले ही राजवीर हॉल में आया और उसने सभी से कहा ।

राजवीर - छोड़ो उसे , और सभी अपना - अपना काम करो ।

नौकर - लेकिन साहब ये......।

राजवीर - जितना कहा है उतना करो मोहन ( नौकर ).....। ( कायरा की तरफ मुस्कुराकर देखते हुए ) ये मेरी दोस्त हैं, मेरी दोस्त के साथ कोई बदसलूकी नहीं करेगा और न ही आज के बाद उससे कोई सवाल करेगा, यहां पर इसे इस तरह खड़े करके... । ये जब चाहे तब यहां आ सकती है ।

कायरा ( मन में नफ़रत से राजवीर को देखते हुए बोली ) - बदसलूकी करने वाला आज खुद घर के नौकरों को बदसलूकी न करने की सलाह दे रहा है । वाह राजवीर.... , कितने रंग देखने बाकी है अभी तुम्हारे । हर रोज गिरगिट की तरह एक नया रंग देखने मिलता है तुम्हारा ।

राजवीर के लगभग ऑर्डर भरे शब्द सुनकर , सभी हॉल से तितर - बितर हो गए । मोहन डाइनिंग टेबल के पास रखे एक्वेरियम को साफ कर रहा था और उसके साथ एक और नौकर भी था । मोहन उम्र में सभी से बड़ा था, इस लिए सारे नौकर उसे काका कहकर बुलाते थे । साथ ही मिस्टर तिवारी उसे अपने दोस्त की तरह ट्रीट करते थे, क्योंकि दोनों की उम्र लगभग बराबर थी । लेकिन मेघा और राजवीर के लिए मोहन , बस एक नौकर से ज्यादा और कुछ नहीं था । मोहन की नज़र एक्वेरियम साफ करते हुए बार - बार राजवीर और कायरा की तरफ जा रही थी , क्योंकि वह राजवीर की सारी हरकतों से भली - भांति परिचित था । और उसके सामने एक लड़की का ऐसे राजवीर का नाम लेकर चिल्लाना , राजवीर की किसी गलती का उसे अंदेशा करा रहा था । लेकिन वह चुप रहा, क्योंकि उसकी कोई सुनने वाला यहां था ही नहीं । तभी उसके साथ वाले नौकर ने एक सुनहरी मछली को , पानी से भरे एक पॉट में रखते हुए कहा ।

नौकर - आपको नहीं लगता काका , कि छोटे साहब झूठ कह रहे हैं । ( राजवीर और कायरा की तरफ देखते हुए ) अगर वो मेमसाब इनकी दोस्त होती , तो वे इस तरह नफ़रत भरे स्वर में छोटे साहब को आवाज़ नहीं देती । मुझे तो उन मेमसाब की नज़रों में छोटे साहब के लिए , सिर्फ और सिर्फ गुस्सा और नफ़रत नज़र आ रहा है ।

मोहन ( राजवीर और कायरा की तरफ देखकर ) - मुझे लगता नहीं है, बल्कि साफ - साफ दिख रहा है चंदू ( मोहन के साथ वाला नौकर ) ...., कि छोटे साहब ने जरूर उस लड़की के साथ कुछ न कुछ ग़लत किया है , इसी वजह से वह लड़की इतने गुस्से में हैं ।

नौकर ( मोहन की तरफ नज़रें घुमाकर ) - काका....., जब आप छोटे साहब की करतूतों के बारे में इतना सब जानते हैं , फिर आप बड़े मालिक से सब कुछ कह क्यों नहीं देते ।

मोहन ( एक्वेरियम के रंगीन पत्थरों को अपनी हथेली में उठाकर कहता है ) - मैं अपने दोस्त ( मिस्टर तिवारी ) की रंग भरी ज़िन्दगी को बेरंग नहीं करना चाहता चंदू....। न ही उनकी नज़रों में अपने इकलौते बेटे की वजह से बेज्जती का झंझावात उठते देख सकता हूं और न ही उनके माथे पर अपने बेटे को लेकर चिंता की लकीरें देख सकता हूं । मेरा दोस्त दिल का बहुत भोला है , उसे उसकी पत्नी और अपने बेटे की चालाकियां समझ नहीं आती । और जिस दिन समझ आ गई , वो टूट जाएगा । और मैं ये हरगिज़ नहीं होने दे सकता .....।

मोहन ये सब कह तो रहे थे , पर उन्हें नहीं पता था , कुछ करतूतें आलरेडी मिस्टर तिवारी के सामने आ चुकी है राजवीर की । जो कि मिस्टर तिवारी के चिंता और परेशानी का सबब बनी हुई हैं । इधर अपने सामने कायरा को देखकर राजवीर उसके पास सामने आकर खड़ा हो गया और मुस्कुराते हुए उससे बोला ।

राजवीर - क्या बात है .…!!! आज सूरज पश्चिम से निकला है या फिर मेरी आंखों का धोखा है , जो आज तुम मेरे सामने मेरे ही घर की छत के नीचे खड़ी हो ....!!!!!

कायरा ( बिना किसी भाव के बोली ) - ये सच्चाई है , कि आज मैं तुम्हारे ही घर में खड़ी हूं ।

राजवीर ( जान बूझकर नासमझ बनते हुए बोला ) - अरे वाह......। मैं तो यही चाहता था , कि कब मैं तुम्हें अपने घर लेकर आऊ और तुम्हें अपने कमरे में सजाकर , अपने घर की शोभा बढ़ाऊं....।

कायरा ( गुस्से से राजवीर को देखकर ) - लड़की कोई शो पीस नहीं होती है राजवीर , जो तुम उसे अपने कमरे में सजाओगे और अपनी घर की शोभा बढ़ाओगे।

राजवीर ( कायरा को गंदी नज़रों से ताड़ते हुए कहता है ) - किसने कहा ऐसा नहीं होता..???? लड़कियां तो घर की शोभा बढ़ाने के लिए ही होती हैं और साथ में मर्दों की रात रंगीन करने के लिए भी....।

कायरा ( फीका सा मुस्कुराकर ) - तुमसे इसी सोच की उम्मीद की जा सकती है राजवीर.....।

राजवीर ( शातिर हंसी हंस कर कहता है ) - चलो अच्छा है , तुम्हें मुझसे कुछ तो उम्मीद है.... । ( कायरा उसकी इस बात को इग्नोर कर देती है , राजवीर तभी उससे आगे कहता है ) वैसे तुमने बताया नहीं कि तुम यहां क्यों आयी हो ??? मुझसे मिलने आयी हो , या फिर कल मेरी इंसल्ट करने के बाद , मुझसे माफी मांगने आयी हो ...???

कायरा ( राजवीर की आंखों में आंखें डालकर बोली ) - गतफामी है राजवीर तुम्हारी, कि मैं तुमसे माफी मांगने आयी हूं । ( उसके अलग - बगल चक्कर काट कर कहती है ) वैसे अच्छा सवाल किया तुमने , कि मैं यहां क्यों आयी हूं ।

राजवीर ( कायर की तरफ देखकर असमझ सा कहता है ) - क्यों आयी हो....????

कायरा ( राजवीर के सामने खड़ी हो गई और गुस्से से भरकर उसने उससे कहा ) - तुम्हें वॉर्न करने ....। क्योंकि कल तुमने आरव के बिजनेस के साथ जो किया है न राजवीर, ठीक नहीं किया । तुम मुझे पाने के लिए इस हद तक गिर गए हो राजवीर, कि अब तुम आरव को नुक़सान पहुंचाने लगे हो । उनका बिजनेस बर्बाद करने में तुले हुए हो तुम......।

राजवीर ( बेशर्मी के साथ कायरा से बोला ) - प्यार करता हूं मैं तुमसे , और इन्सान जिससे प्यार करता है उसे पाना उसका हक़ भी है और अधिकार भी ।

कायरा ( राजवीर को घूरते हुए , फिंकी हंसी हंस कर कहती है ) - हंसी आती है राजवीर मुझे तुम पर.....। कि तुम्हें प्यार का मतलब ही नहीं पता है । जिद्दी पन और मोहब्बत में बहुत अंतर होता है राजवीर तिवारी....., इस बात को तुम जितनी जल्दी समझ जाओ उतना अच्छा होगा तुम्हारे लिए । ( राजवीर की आंखों में गुस्से से झांकते हुए ) और एक बात...., प्यार जबरदस्ती नहीं किया जाता है, बल्कि वह सामने वाले को, खुशी से होता है , जिसे समझने के लिए शायद तुम्हें अगले सात जन्म भी कम पड़ जाएंगे ।

राजवीर ( कायरा की तरफ बढ़कर , उसकी कलाई को कसकर पकड़ते हुए, दांत पीसकर गुस्से से कहता है ) - अगर तुम्हारे लिए मेरा प्यार जिद्दी पन है, तो जिद्दी पन ही सही । लेकिन मैं तुम्हें पाकर ही रहूंगा.....। और तुम्हें पाने के लिए अगर मुझे अपने रास्ते से कईयों को हटाना भी पड़े , तो मैं बिल्कुल भी संकोच नहीं करूंगा । चाहे फिर वह कोई भी हो , आरव भी......।

कायरा ( एक झटके से उसका हाथ झटकती है और फिर उससे कहती है ) - आरव के साथ तुम कुछ नहीं कर पाओगे राजवीर , क्योंकि अब मैं तुम्हें उन्हें एक खरोंच भी नहीं पहुंचाने दूंगी ।

राजवीर - इतनी फिकर , वो भी मुझे छोड़ कर आरव के लिए । अच्छा नहीं लगा मुझे ये जानकर कायरा.....।

कायरा - तुम्हें अच्छा लगने भी नहीं देना चाहती मैं राजवीर....।

राजवीर ( चिढ़कर ) - रिश्ता क्या है तुम्हारा उससे, सिर्फ दोस्त ही तो हो तुम दोनों । तो फिर उसके लिए मुझे क्यों धमकी दे रही हो ..???? सीधे से तुम मेरे पास आ जाओ , मुझे आरव के साथ या किसी और के साथ कुछ करने की जरूरत ही नहीं होगी कायरा । मैं तुम्हें उस आरव से ज्यादा एशो आराम दूंगा , अपने हिस्से की सारी प्रॉपर्टी पैसा सब तुम्हें दूंगा । ( कायरा की तरफ अपने कदम बढ़ाकर, उसे वाहिशी नजरों से देखते हुए कहता है ) उससे ज्यादा प्यार तुम्हें मैं दूंगा...., तुम कहोगी तो मैं तुम्हारे लिए दिनभर घर में, तुम्हारी आंखों के सामने रहने के लिए तैयार हूं, हमेशा तुम्हें अपनी बाहों के घेरे में कैद करके ।

कायरा ने सुना , तो उसका खून खौल गया और उसके एक जोरदार थप्पड़ राजवीर को रसीद कर दिया । सटाक......, की ध्वनि पूरे हॉल में फ़ैल गई । और राजवीर लड़खड़ाकर दो कदम पीछे हो गया । सारे नौकर चाकर हॉल में इकट्ठा हो गए , साथ में मोहन और चंदू भी थे । सब राजवीर और कायरा की तरफ आंखे फाड़े देखने लगे । कायरा ने राजवीर को उंगली दिखाकर, उसकी आंखों में आंखें डालकर , गुस्से से जलते हुए उससे कहा ।

कायरा - हिम्मत भी कैसे हुई तेरी राजवीर.... !!!!!! मुझसे ऐसे बात करने की , आरव और मेरे लिए इतना कुछ कहने की ..???? अगर किसी की जान लेना , कानूनी अपराध नहीं होता न, तो अभी तक तुम यहां जमीन पर पड़े हुए अपनी आखिरी सांसें गिन रहे होते ।

राजवीर ( अपने गाल पर हाथ रखकर गुस्से से भरकर कहता है ) - तुमने आरव के लिए , उस इन्सान के लिए मुझपर हाथ उठाया , जो मेरा इस वक्त सबसे बड़ा दुश्मन बन चुका है ।

कायरा ( चिल्लाते हुए ) - हां उठाया मैंने हाथ तुम पर, और वो भी आरव के लिए.... । क्योंकि वो बेशक तुम्हारे सबसे बड़े दुश्मन होंगे, लेकिन मेरे लिए......, मेरे लिए वो एक इन्सान मेरा सब कुछ हैं । ( राजवीर की आंखों में गुस्से से देखते हुए ) प्यार करती हूं मैं उनसे , और वो भी तुम्हारी तरह नहीं , जिद्दी पन और जुनुनीयत वाला , बल्कि सच्चा..., सच्चा प्यार करती हूं मैं उनसे । मेरी रूह, मेरे जहन, मेरे दिल, मेरे अश्क, मेरी आंखों, और मेरी हर एक सांस में बसे हैं वो ......, जो कि तुम्हें कभी नज़र नहीं आएंगे , क्योंकि तुम प्यार को पहचानते ही नहीं हो राजवीर तिवारी । तुम्हारे लिए प्यार तो सिर्फ और सिर्फ जबरदस्ती है । जिसे इन्सान के आंखों द्वारा देखी गई उनके तन की खूबसूरती को प्यार समझकर, तुम अपने इस महल जैसे घर में सजाना चाहते हो । लेकिन मन की खूबसूरती....., मन की खुबसूरती का तो तुम्हें एक तिनका तक नहीं पता है राजवीर तिवारी । अरे तुम क्या मुझसे प्यार करोगे , जिसे प्यार का पी तक नहीं पता । प्यार तो वो होता है राजवीर , जिसके लिए इन्सान मर मिटता है , लेकिन अपने प्यार को पाने के लिए किसी और को मारता नहीं है ।

राजवीर ( खीझते हुए ) - तुम मुझे यहां प्यार पर भाषण देने आयी हो....????

कायरा - नहीं....., मैं तुम्हें प्यार पर भाषण देने नहीं बल्कि तुम्हें आगाह करने आयी हूं...., कि अगर दोबारा तुमने आरव को किसी भी तरह का नुकसान , चाहे वो बिजनेस से रिलेटेड हो , उनके अपनो से रिलेटेड हो या फिर खुद उनकी जान हो, इन सब में से अगर उनकी किसी भी चीज को तुमने नुकसान पहुंचाने की कोशिश भी की , ( एक बार फिर राजवीर की आंखों में देखकर , कॉन्फिडेंस से कहती है ) तो याद रखना मिस्टर राजवीर तिवारी...., तुम्हारी मौत के पन्नों पर स्याही मैं अपनी खुद की कलम से चलाऊंगी....।

राजवीर - धमकी दे रही हो मुझे...???

कायरा ( फीका सा हंस कर ) - धमकी...., और वो भी तुम्हें....। तुम उस लायक भी हो राजवीर, जो तुम्हें मैं धमकी दे सकूं । ( राजवीर कायरा की बात सुनकर बुरी तरह से चिढ़ गया , तो कायरा ने उसका चिढ़ा हुआ चेहरा देखकर कहा ) तुम तो मुझसे बात करने के भी लायक नहीं हो राजवीर......, क्योंकि तुमने कल जो मेरे साथ किया , उसके बाद तो तुम्हें यहां नहीं बल्कि अपने नए घर , पुलिस स्टेशन में होना चाहिए था । लेकिन खैर छोड़ो...., किस्मत अच्छी थी तुम्हारी । जो तुम्हें तुम्हारे इतने सारे गुनाहों की सजा सिर्फ इस लिए नहीं दी गई , कि तुम्हारी बड़ी बहन से सब इतना प्यार करते हैं , इसी लिए सबने तुमसे और तुम्हारे गुनाहों से ज्यादा , तुम्हारी बहन और उसकी आने वाली संतान को तवज्जो दी । लेकिन अगर तुमने दोबारा आरव को नुक़सान के लिए कुछ भी किया , तो तुम मेरा वो रूप देखोगे , जो शायद आज तक तुमने किसी भी लड़की का नहीं देखा होगा । अगर मैं किसी की इज्जत और खुशी के लिए तुम्हें तुम्हारे अपराध की सजा देने से खुद को रोक सकती हूं , तो वक्त आने पर आरव को और अपनों को तुम्हारे प्रहार से बचाने के लिए , तुम्हें खुद भी सज़ा दे सकती हूं । इस लिए तुमने कल जो भी आरव और मेरे साथ किया है , वो दोबारा दोहराने की गलती कभी मत करना ....।

राजवीर ( कायरा की आंखों में झांकते हुए ) - मैंने कल भी कहा था , और आज भी तुमसे साफ - साफ शब्दों में कह रहा हूं कायरा...., कि मैंने तुम्हारी किडनेपिंग नहीं करवाई है ।

कायरा ( चिल्लाकर ) - तो फिर किसने करवाई है..???? बोलो चुप क्यों हो...??? तुम्हारे अलावा हमारे प्यार और दोस्ती का दुश्मन और कौन है इस दुनिया में ...???

राजवीर - मि......। ( इतना कहते - कहते राजवीर रुक गया , और मन ही मन बोला ) अगर मैंने इसे सच्चाई बात दी , तो नुकसान मेरा ही होगा । और मुझे अभी मिशा के साथ मिलकर , बहुत कुछ करना है । और अगर मिशा की सच्चाई मैंने इसे बताई , तो वो मेरा हरगिज़ साथ नहीं देगी , इस लिए मेरा इस वक्त चुप रहना ही बेहतर होगा ।

कायरा ( राजवीर को चुप देखकर, एक बार फिर बिफरते हुए चिल्लाकर बोली ) - बताओ न राजवीर...., बोलते क्यों नहीं ...??? जवाब नहीं है या फिर देना नहीं चाहते तुम....???

राजवीर - देखो कायरा....., किसने किया क्यों किया ये मैं नहीं जानता , पर मैंने कल तुम्हारा किडनैप नहीं करवाया था । अब इस बात को मानो या न मानो , ये तुम्हारी मर्ज़ी ।

कायरा - मेरे मानने न मानने से सच्चाई बदल नहीं जाएगी राजवीर....!!!! तुमने जो किया है , उसे मैं तुम्हारी आखिरी गलती समझ कर तुम्हें छोड़ रही हूं । और तुमसे एक्सपेक्ट कर रही हूं , कि अब तुम मुझे पाने के ख्वाब छोड़ दोगे । क्योंकि इस जनम में तो मैं तुम्हारी कभी नहीं हो सकती । मैं सिर्फ आरव की हूं , और उनकी ही रहूंगी । और अगर किस्मत में हम दोनों का मिलना नहीं लिखा है , तो भी मैं ज़िन्दगी भर उनके प्यार के एहसासों में जी लूंगी । लेकिन उनके अलावा न ही मैंने कभी किसी को अपनी ज़िन्दगी में कोई जगह दी है और अब उनसे मोहब्बत करने के बाद, किसी और को मेरी ज़िन्दगी में जगह देने का सवाल ही पैदा नहीं होता । इस लिए तुम मुझसे और आरव से दूर रहो राजवीर । वरना तुम्हें अर्श से फर्श पर लाने में , मैं एक सेकंड की भी देरी नहीं करूंगी । समझे तुम ....।

इतना कह कर कायरा ने एक नज़र उसे घूरा और फिर अपने कदम दरवाज़े की ओर बढ़ा दिया । दरवाज़े की चौखट तक पहुंच का उसने अपने कदम रोक लिए और फिर पीछे राजवीर की तरफ पलट कर उससे बोली ।

कायरा - मेरे कहे एक - एक शब्द पर गौर करना राजवीर, ये मेरे द्वारा तुम्हें मिली , पहली और आखिरी चेतावनी है, जो मैंने खुद तुम्हें तुम्हारे घर तक आकर दी है । अगली बार मैं तुम्हें कोई चेतावनी नहीं दूंगी , बल्कि सीधे तुम्हारी हरकतों का मुंह तोड़ जवाब दूंगी । मार्क माय वर्ड्स मिस्टर राजवीर तिवारी.....।

इतना कह कर कायरा ने अपने कदम घर के बाहर की तरफ बढ़ा दिए और राजवीर कायरा का ये रूप , आखें फाड़े देखता रहा । अब उसे जाती हुई कायरा को देखकर, थोड़ा सा डर भी लगने लगा था । पर था तो वो राजवीर, जो कि हार मानने वालों में से था भी नहीं और कायरा की धमकी उसके सीने में आग की तरह काम कर रही थी । जिसे बुझाने के लिए उसे इस वक्त कुछ नहीं मिल रहा था ।

इधर कायरा ने अपनी स्कूटी ऑन की , और एक बार फिर रास्तों पर दौड़ा दी, बहुत कुछ चल रहा था इस वक्त उसके दिल और दिमाग में जिसे सिर्फ वही जानती थी ।

इधर आरव रेडी होकर , कॉलेज के लिए निकल चुका था । कार ड्राइव करते हुए उसके चेहरे पर एक चमक थी , जो कि जाने का नाम ही नहीं ले रही थी । आरव सड़क पर गाड़ी दौड़ते हुए बस कायरा के बारे में ही सोच रहा था । कायरा के साथ पहली बार मिलने से लेकर , कल तक का सफर उसकी आंखों में सामने किसी फिल्म की तरफ चल रहा था और उसे याद कर उसके चेहरे पर खिलखिलाती हुई मुस्कुराहट बनी हुई थी । आरव को कायरा का गुस्सा याद कर भी , बुरा नहीं लगा रहा था । बल्कि उसे गुस्से में भी कायरा अब अच्छी लगने लगी थी । हां , कुछ शब्द ऐसे कहे थे कायरा ने , जो वाकई आरव को तकलीफ दे रहे थे , लेकिन आरव उसे कायरा की नादानी समझकर , मुस्कुरा रहा था । आरव को ये भी एहसास था , कि कायर आज राजवीर के घर क्यों गई है । और वही सब याद करके उसे और खुशी हो रही थी । कब आरव कायरा को इतना जानने समझने लगा था , कि बिना उसका चेहरा और आखें देखे ही उसे अब आभास हो जाता था , कि कायरा कौन सा कदम किस लिए उठा रही है , ये उसे पता ही नहीं चला। पर वक्त के साथ , आरव कायरा को खुद के और करीब महसूस करने लगा था । उसके सामने कायरा का मासूम सा चेहरा घूम रहा था । तभी उसके कानों में एक आवाज़ गूंजी।

आवाज़ - जब इतना प्यार करता है उससे , तो कह क्यों नहीं देता उसे, अपने दिल की बात...???

आरव ने आवाज़ सुनकर तुरंत अपनी बगल वाली सीट की और देखा , तो उसे खुद की ही परछाईं नज़र आयी । वह हैरान हो गया , तो परछाईं ने उससे कहा ।

परछाईं - हैरान मत हो आरव , मैं कोई अनजान नहीं , बल्कि तुम्हारा ही अक्श हूं ।

आरव - क्यों आए हो आज पहली बार मेरे सामने ..??? इससे पहले तो तुम कभी नहीं आए।

परछाईं - इससे पहले तुम्हें कभी इश्क़ भी तो नहीं हुआ ।

आरव उसकी बात सुनकर चुप हो गया और हौले से मुस्कुरा दिया । तो आरव की परछाईं ने उससे एक बार फिर कहा ।

परछाईं - तुम्हारे चेहरे की चमक और होठों पर फैली ये मुस्कुराहट बता रही है , कि तुम्हें उससे बेइंतहां मोहब्बत हो चुकी है । फिर क्यों नहीं कहता उससे...???

आरव - कैसे कहूं...?? हमेशा वो मुझसे लड़ती - झगड़ती रहती है । कई बार गुस्से में , तो कई बार शांत होने के बाद भी उससे ये कहते - कहते रुक गया हूं , कि मैं उससे बेइंतहा मोहब्बत कहता हूं । पता नहीं , उसे देखते ही मुझे क्या हो जाता है । धड़कने इतनी रफ़्तार से चलने लगती है कि जैसे बुलेट ट्रेन हो, आखें उसे देखते ही पलक झपकना भूल जाती हैं , सांसें ऐसे ऊपर नीचे होने लगती हैं जैसे वो उसकी खुशबू को अपने अंदर समा लेना चाहती हों । उसे देखते ही होठ ऐसे सिल जाते हैं , जैसे उन्होंने कभी बोलना ही न सीखा हो । कान हैं , जो बस उसे सुनने के लिए तरसते हैं । लेकिन वो ....., वो तो बस गुस्सा ही करती है । दुनिया के सामने बहुत बोलती है , पर मेरे सामने सिर्फ़ गुस्से से बोलती है, बाकी तो बस चुप रहती है, जैसे मुझे किसी गलती की सजा दे रही हो । लेकिन मुझे उसके गुस्से में कहे गए शब्द भी अब मीठे से लगने लगे हैं, जैसे वो मुझे मेरे भले के लिए ही समझा रही हो ।

परछाईं - इतनी फीलिंग्स हैं तेरे अन्दर , तो एक बार उससे कह दे । उसे भी एहसास हो जाएगा , कि तू उसे कितना चाहता है ।

आरव - फिर वही बात.....!!!! अरे अपनी फीलिंग्स एक्सप्रेस करने से पहले , वो मेरे बारे में क्या सोचती है, ये जानना भी तो जरूरी है । क्या पता , मैं उसे जितना प्यार करता हूं , वो भी मुझे उतना चाहती है या नहीं....???

परछाईं - इसका जवाब तो तुम्हें अच्छे से पता है आरव ।

आरव - हम्मम....., जवाब पता है । उसकी आंखों में मेरे लिए असीम प्यार देखा है मैंने , वो सारी फीलिंग्स देखी हैं उसकी नज़रों में मैंने , जो मैं उसके लिए फील करता हूं । उसकी आंखों में खुद का अक्श देखा है मैंने । लेकिन डरता हूं , कि कहीं ये मेरी आंखों का वहम न हो ....।

परछाईं - हर आंखों देखी चीज़ झूंठी नहीं होती है आरव । कुछ सच्चाई आंखों में ही दिखती है , जिसे मानना न मानना खुद हमारे हाथों में होता है । तुमने जो उसकी आंखों में देखा है , वो महज एक धोखा न होकर , सच्चाई भी तो हो सकती है । क्योंकि तुमने एक बार नहीं , बल्कि बार - बार उसकी आंखों में खुद को देखा है ।

आरव - कह तो तुम सही रहे हो ।

परछाईं - मैं तुम्हारी दिल की आवाज़ हूं आरव , और दिल कभी झूठ नहीं बोलता । कब तक तुम मुझे , कायरा को नहीं सौंपोगे...??? कब तक तुम मुझे और मेरे जज्बातों को उससे छुपा कर रखोगे...??? एक न एक दिन मैं तुम्हें इतना मजबूर कर दूंगा , कि उसे तुम्हें मेरे अंदर उतारना ही होगा ।

आरव इस बात पर उसकी तरफ हैरानी से देखता है , तो वह परछाईं मुस्कुरा देती है और फिर आरव के देखते ही देखते अलोप हो जाती है । आरव को महसूस होता है, कि उसकी परछाईं ने उसे बहुत बड़ी सीख दी है , जो कि कोई और नहीं , बल्कि उसके ही जज्बात हैं , जिन्हें वो कई दिनों से महसूस कर रहा है, पर खुद को दोस्ती की आड़ में रोक रहा है, कायरा से अपने जज्बात प्रकट करने से.... । आरव अपने दिल के जज्बातों को जानकर और खुश हो जाता है और अपनी खुशी को बढ़ाने के लिए वह , एफएम पर गाने चला देता है । गाना बजने लगता है , जिसके शब्द हूबहू उसकी परछाईं के कहे गए शब्दों से और उसके दिल के जज्बातों से मेल खा रहे थे । वह गाना सुनकर , गाड़ी चलाते हुए खुद भी गाने लगता है और साथ में मुस्कुरा रहा होता है ।

ज़िन्दगी दो पल की
ज़िन्दगी दो पल की

इंतज़ार कब तक हम करेंगे भला
तुम्हें प्यार कब तक ना करेंगे भला
ज़िन्दगी दो पल की

दिल में तुम्हारे छुपा दी है मैंने तो अपनी ये जां
अब तुम्हीं इसको संभालो हमें अपना होश कहाँ
बेखुदी दो पल की,
ज़िन्दगी दो पल की

इंतज़ार कब तक हम करेंगे भला
तुम्हें प्यार कब तक ना करेंगे भला....।

ये गाना गाते हुए उसके चेहरे पर मुस्कुराहट के साथ - साथ एक चमक भी थी । होती भी क्यों न , क्योंकि वह सोच भी तो कायरा के बारे में, अपनी मोहब्बत के बारे में रहा था । और उसकी परछाईं व गाना सच ही तो कह रहे थे , आखिर कब तक आरव अपने दिल में उमड़ रहे कायरा के लिए जज्बातों को खुद के अंदर संजों कर रखेगा , कभी - न - कभी तो उसे अपने दिल की बात कायरा से कहनी ही होगी । अब बस देखना ये है , कि आरव कब कायरा से अपने दिल की बात कहता है और क्या कायरा अपने दिल की बात आरव के सामने अपनी जुबान पर लाती है , क्या कायरा आरव के जज्बातों को एक्सेप्ट करती है , या फिर वो एक बार फिर अपने अतीत के कारण आरव को न कह देती है ...????? सवाल बहुत सारे थें, लेकिन जवाब सिर्फ आने वाला वक्त ही दे सकता था । पर हमारे आरव साहब तो इस वक्त खुश थे, और उस गाने को बार - बार सुन रहे थे और मुस्कुराते हुए गुनगुनाए जा रहे थे......।

ज़िन्दगी ....., दो पल की...., इंतज़ार कब तक हम करेंगे भला , तुम्हें प्यार कब तक ना करेंगे भला....????


क्रमशः