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रेज़्यूमे वाली शादी - भाग - 12 - अंतिम भाग

जैसा सोचा था वैसा ही हुआ, इन्वेस्टर के अप्रूवल के बाद से निअव का बिज़नेस तेज़ी से चलने लग गया, और उसके तीनो संस्थापको का भी काफी नाम हो गया, शायद इसलिए क्योंकि अभी वो मार्किट में अपने किस्म की इकलौती एप्प थी ।

"तू आज भी यही रहेगा क्या? देख मैं बता रहा हूँ बिजली बिल ज्यादा आया तो मैं नहीं भरूँगा, पैसा आ रहा हैं, इसका मतलब ये नहीं हैं कि मैं तेरे पे उड़ाऊंगा" , विकास निलय को डाँटते हुए बोला।

"चला जाऊँगा", निलय ने भारी मन से जवाब दिया।

"एक बात बता, कब से?"

"क्या कब से?"

"तेरा स्क्रीन सेवर अवनी की फ़ोटो है?", विकास ने निलय से सवाल किया।

"कुछ टाइम से।"

"फिर भी सीरियसली स्क्रीनसेवर, लॉकस्क्रीन या होमस्क्रीन भी तो रख सकता था ना, तू भी अलग ही पागल है", विकास ने अलग ही लहजे में बोला।

"कोशिश तो बहुत की थी होम स्क्रीन या लॉक स्क्रीन बनाने की पर हिम्मत नहीं हुई बस", निलय अभी भी भारी मन से जवाब देते हुए बोला।

"फिर भी कब से?"

"ये पता नहीं कब से, शायद तब से जब वो अकेले मेरे खिलाफ़ खड़ी होती थी क्योंकि उसके हिसाब से मैं गलत था, या शायद तब से जब से मैं बस उसे डांट पड़वाने के बहाने ढूंढता था या शायद तब जब हम काफी सालों बाद ट्यूशन में फिर से मिले और मैं उसे मुड़ मुड़ कर देख रहा था, और उसने शायद मुझे एक बार भी देखना जरूरी नहीं समझा, या फिर तबसे भी हो सकता है, जब मैंने उसे कॉलेज में पहली बार रोते हुए देखा था और उसकी वजह जानने के लिए न जाने उससे कितना झगड़ा कर लिया था, यहाँ तक कि उसकी फ्रेंड को डेट करना भी शुरू कर दिया था, या फिर तब जब उसे शादी की रिक्वेस्ट भेजी थी… पता नहीं यार कुछ नहीं पता मुझे", निलय अपना मन हल्का करते हुए बोला।

"मुझे पता है इसका मतलब क्या है… मैं ये रिकॉर्डिंग अभिलाषा को सुना दूंगा और उसकी नजर में बस फिर मैं होऊंगा", विकास बड़ी सी मुस्कराहट के साथ बोला।

निलय ने उसे बड़ी बड़ी आंखों से देखते हुए कहा, "मैंने सही में एक भी ढंग का दोस्त नहीं बनाया है, एक मेरी बहन के साथ इन्वॉल्व हो सकता है और दूसरा मेरी एक्स के साथ।"

"जस्ट शटआप, अपने दोस्तों की जगह ना अपनी परवाह कर, फ़ोन कर उसे जिसे तूने बस स्क्रीनसेवर बनाकर छोड़ दिया है, इस फालतू की जिद्द का कोई फायदा नहीं है।"

"वो भी तो कर सकती है ना फ़ोन।"

"उसे दिक्कत नहीं होगी तेरी तरह इसलिए नहीं किया।"

"फिर तो मुझे भी समझ जाना चाहिए और उसे और परेशान नहीं करना चाहिए।"

"यार तेरा कुछ नहीं हो सकता... अच्छा मैंने तुझे एक मेल किया है, बैंगलोर में टेक फैस्ट में जाने के लिए, टिकट करा लियो, हमारे प्रमोशन के लिए वो बहुत अच्छा है", इतना बोलकर विकास अपनी बात खत्म करते हुए वहाँ से निकल जाता है।

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"वो यही कही होगी क्या, उसकी कंपनी का ऑफिस भी अभी ही गया है, सामने से एक कॉल कर लूं क्या!! या फिर वहाँ से फ्री होकर बात करता हूँ पक्का से", निलय अपने आप से बोलता हुआ टेकफैस्ट की तरफ जाता है।

टेकफैस्ट पहुंचकर जब निलय खुद को इंट्रोड्यूस करता है तो वो ये जानकर बहुत उत्साहित हो जाता है, की लोगो को उनका काम और निअव बहुत पसंद आ रहा है, वो थोड़ी देर वहीं घूमने का सोचता है, कि तभी उसे एक जानी पहचानी सी आवाज़ आती है, उस आवाज़ का पीछा करते वो एक कमरे तक पहुँचता है।

"वी आर सॉरी मिस अवनी मेहरा, हम आपको हायर नहीं कर सकते हैं।"

उस कमरे से आती हुई, ये अगली बात सुनते ही, वो अपने आप को रोक नहीं पता और आगे बढ़ कर बोलता है, "आप ऐसा क्यों कह रहे हो, मैं आपको बता दूं की निअव को निअव बनाने में इस लड़की का बड़ा हाथ है, बहुत अच्छी डेवलपर है, इन फैक्ट मुझसे भी अच्छी, मैंने तो इसे डबल सैलरी पर भी जॉब ऑफर की थी, पर इसने मना कर दिया और वो स्टडी कैफ़े का... "

"निलय.. एक मिनट, एक्सक्यूज़ अस प्लीज, एंड थैंक यू फॉर योर फीडबैक, विल लुक इनटू इट", इतना बोलते ही अवनी निलय को लेकर फट वहाँ से निकल जाती है।

"यार तुम मरवाओगे मुझे, तुम कितना बदल गए हो निलय वाधवा, एक टाइम था जब मेरी छोटी-छोटी गलतियां पकड़ते थे तुम और आज बिना कुछ पता किए कहीं भी कूद गए।"

"मैं तो बस मदद कर रहा था।"

"अरे मतलब.. अरे बाबा ये गेम डेवलपर का इंटरव्यू था", अवनी ने हँसते हुए उसे समझाया।

"क्या तुम्हे गेम बनानी अब? तुम मेरे साथ भी काम कर सकती हो, वैसे मैं तुम्हें अब डबल सैलरी भी दे सकता हूँ, या फिर पार्टनरशिप कैसी रहेगी?"

"मुझे तुमसे कुछ नहीं चाहिए, मुझे तो बस कुछ अलग करना है", अवनी अपनी बात पर अड़िग रहते हुए बोली।

वो दोनों बात करते करते बाहर आते ही है, की अचानक बारिश शुरू हो जाती है।

"इस मौसम में बारिश?", निलय हैरान होते हुए बोला।

"यही तो खासियत है यहाँ की ये बेमौसम बारिशें, बारिश वाले पकोड़े खाओगे?", अवनी ने ऐसे मासूम सा चेहरा बनाते हुआ बोला कि निलय के पास हाँ बोलने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था।

अवनी निलय का हाथ पकड़ कर उसे बारिश में भगाते और भिगाते हुए एक बहुत पुराने से रेस्तरॉ ले गयी, जिससे निलय को अपनी पहली डेट की याद आ गई।

"क्या उसे भी ऐसा ही लगा होगा, जैसा मुझे लग रहा है", अपनी अचानक से तेज़ हुई धड़कनो की वजह से, वो खुद से पूछता है।

वो अंदर पहुँच कर बैठे ही थी, की अवनी का फोन बजता है, वो वीडियो कॉल उठाती है, तो सामने से आवाज़ आई।

"हेलो मैडम, कैसी हो? वैसे हमारा बॉस भी वहीं आया हुआ है, कॉल आया उसका?"

"नहीं, वो.."

"मुझे पता था इसके बस का कुछ नहीं है.. "

"अभय, निलय इस वक़्त मेरे साथ है", अवनी ने कैमरा निलय पे फोकस करते हुए कहा।

"हाय निलय.. क्या खाना आ गया???", अभय पीछे मुड़ कर बोलता है, "भाई हमारा खाना आ गया, हम चलते हैं, बाय निलय", निलय के गुस्से से बचने के लिए विकास और अभय दोनों कॉल रख कर भागते हुए बोले।

"ये दोनों तुम्हें फोन करते है?"

"हाँ, हफ्ते में कम से कम एक बार तो कर ही लेते और सच में इनकी वजह से ही मुझे ऐसा लगता है, की मैं बैंगलोर की गली गली को पहचानती हूँ अब, सस्ता अच्छा खाना हो या सस्ती टिकाऊ चीज़े सब पता है, विकास और अभय को।"

"हाँ, वो दोनों पहले बैंगलोर में ही रहते थे, और वो भी एक ही फ्लैट में, और मज़े की बात बताऊ..", निलय को अवनी को बताता हुए बोला, और आगे ऐसे ही बैंगलोर के कई किस्सो की बाते करते हुए वो दोनों वहाँ काफी समय बिता देते है।

दोनों ने पेट भर के खा लिया था और बारिश भी थम गयी थी, तो रेस्तरां से निकल कर उन्होंने चलते हुए अपने गंतव्य तक जाने का फैसला किया, और उसी के साथ निलय ने हिम्मत की सवाल करने की,
"तुमने मुझे कभी कॉल नहीं किया, क्यों?"

"वो कुछ खास नहीं, पर थी, मेरे पास दो वजह, एक तो मैं तुम्हे तुम्हारे काम के बीच में डिस्टर्ब नहीं करना चाहती थी, वैसे भी तुम्हारी खबर लेने के लिए मेरे पास काफी लोग थे, वैसे तुमने भी तो नहीं किया कॉल कभी??"

"और दूसरा क्या था?", निलय ने अवनी के प्रशन को अनसुना करते हुए पूछा।

"और दूसरा, पिछले दिनों मैंने कई ऐसी चीज़ें करी, जिसकी वजह से मैं खुद से नाराज़ थी, जिसमें से एक था, जाने अनजाने तुम्हारे और पीयू के बीच में आना।"

"पर वो और मैं तो कबसे साथ नहीं है", निलय ने एक पल भी ना लगाते हुए बोला ।

"हाँ पता लगा, कल मुझे ये", अवनी ने हामी भरी।

"हाँ वहीं तो, उसके बाद तो अभिलाषा भी आकर चली गयी", ये बोलने के बाद निलय को अहसास हुआ कि वो अवनी के आगे क्या बोल गया।

"अभिलाषा... नाम तो अच्छा है, वो भी उतनी ही अच्छी है क्या?", अवनी ने भी चिड़ाते हुए पूछा ।

"पता नहीं, उसे छोड़ो, क्योंकि उससे ज़रूरी कोई और है जिसकी वजह से मेरी जिंदगी में ठहराव आ गया, पता है इतना ठहराव आ गया कि काम के बीच में 10-10 सेकंड रुक कर उसे देखता हूँ मैं।"

"10-10 सेकंड रुक कर, क्यों?"

"स्क्रीन सेवर है ना वो मेरा, लॉकस्क्रीन या होमस्क्रीन बनाने की परमिशन नहीं मिली मुझे अभी, और पता है, सबसे खराब क्या है, वो मेरे अलावा सब से बात करती है मेरे फ्रेंड्स, कॉलीग्स, बहन सबसे।"

"अच्छा!!!"

"और सुनो, ये लड़का जो शादी के नाम पर दूर दूर भागता था, उसके पीछे शादी- शादी करके भी भगा पर वो कुछ और समझ कर चली गयी, क्या करूं मैं ऐसे में, तुम ही बताओ?"

"उससे कुछ कहो", अवनी ने धीरे से जवाब दिया।

"क्या कहुँ? शादी के लिए पूछ लू?? वैसे भी तो वो शादी के लिए और लोगों से मिलती रहती है, तो इससे अच्छा, मुझ से ही करले।"

"पूछ सकते हो.. ", अवनी ने इज़ाज़त देते हुए कहा।

"तो मिस अवनी मेहरा, मुझसे शादी करोगी.. पता नहीं कबसे पर मैं तुमसे सच में प्यार कर.."

निलय अभी बोल ही रहा होता है, की अवनी उसकी अंगुलियों को अपनी उंगलियों में लेकर, दोनो के हाथो को मिलाते हुए बड़ी सी मुस्कराहट के साथ, उसे गले लगाते हुए कहती है,

"हाँ.. मैं भी सच में तुमसे प्यार करती हूँ, मिस्टर निलय वाधवा। शुक्र है तुमने बोला तो, मुझे तो लगा था ये खडूस इंसान कभी बोल ही नहीं पाएगा।"

"खडूस पने में तुम कौन सी कम हो, तुम भी तो कह सकती थी , आखिर अब तो मैं ढंग से बात करनी भी सिख गया था", अवनी और निलय अपने नोंक झोंक वाले अंदाज़ में बोले।