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लेख संग्रह - भाग 4 - मित्र

मित्रता अनमोल है। पुरुष का मित्र पुरुष। स्त्री का मित्र स्त्री। स्त्री पुरुष की मित्रता। लिव इन रिलेशनशिप में रहना। शादी करना। यह सब मित्रता के ही अलग-अलग रूप हैं।






पापा आप हमें बहुत प्यार करते थे। हमारे लिए बहुत कुछ सोचते थे। आज आप चले गये हो। आपकी बहुत याद आती है।
आपकी हर बात हमें अब एक-एक करके याद आती है। काश फिर हम मिल पाते।






"बधाई हो। पार्टी तो होनी ही चाहिए।' यह वह शब्द समूह है जो अक्सर लोग एक दूसरे से बोलते रहते हैं। शादी हो, बच्चा हो, मकान बन जाए, नौकरी लग जाए तो इस शब्द को समुह को लोग बोलते हैं।


यह शब्द समूह बहुत प्यारा है। लेकिन इसके साथ ही लोग कुछ खर्चे की भी डिमांड करते हैं। अब आपकी मर्जी है कि आप खर्चा करें, पार्टी करें या न करें। कहिए कैसी रही। ठीक बोला ना। आपकी राय क्या है।







दफ्तर में ऑफिस में सहकर्मियों के साथ काम करते - करते ही उनके प्रति लगाव हो जाता है। दोस्ती हो जाती है। दफ्तर ही हमारी एक छोटी सी दुनिया बन जाती है। घर से दफ्तर, दफ्तर से घर। यही एक आदर्श व्यक्ति का रूटीन होता है।


दफ्तर उसका एक छोटा सा समाज होता है। जिसमें वह अपने विचार शेयर करता है, दोस्ती करता है। दफ्तर एक साधारण व्यक्ति का अपना समाज है। अपनी छोटी सी अलग दुनिया है। दफ्तर से ही घर - द्वार चलता है। समय पास होता है। समाज में व्यक्ति के दफ्तर और कामकाज से ही उसका रूतबा तय होता है।








ज्योतिष में 28 विशेष योग हैं।
आनंद, कालदंड, धूम्राक्ष, प्रजापति,सौम्य, ध्वांक्ष, ध्वज, श्रीवत्स, वज्र, मुद्गल,छत्र,मित्र,मानस, पद्म,लुंबक, उत्पात, मृत्यु, कारण, सिद्धि,शुभ, अमृत, मुसल,गद, मातंग, राक्षस, चर,स्थिर,वर्धमान।






अमीर कैसे बने। भारत में अभी भी बहुत गरीबी है। अगर सोच सही हो, तो यह गरीबी दूर की जा सकती है। सरकार हर वर्ष विश्व बैंक से अरबों रुपए का कर्जा लेती है और उससे विकास करने की सोचती है। लेकिन इस कर्जा का 30-40 परसेंटेज ब्याज भी देना पड़ता है। इससे देश की प्रगति बाधित होती है। गुजरात के कुछ गांव ऐसे हैं, जहां का हर कमाने वाला आदमी अपनी एकादशी की इनकम गांव के कोष में जमा कर देता है। इस प्रक्रिया से वह गांव बड़े संपन्न हो गए हैं।







सशक्त भारत, विकसित भारत, मानवीय भारत और कर्ज मुक्त भारत। यह मेरा सपना है। 1 दिन यह सपना जरूर सफल होगा। दोस्तों अगर भारत को सुखी समृद्ध और विकसित होना है तो उसे सबसे पहले कर्ज मुक्त होना पड़ेगा। क्योंकि विश्व बैंक से कर्ज लेते रहने से ही भारत को एक बहुत बड़ी धनराशि हर वर्ष ब्याज के रूप में विश्व बैंक को देनी पड़ती है।
अतः हमें सबसे पहले विश्व बैंक से कर्ज लेना बंद करना पड़ेगा और देश के साधनों से ही देश का विकास करना पड़ेगा। इसके बाद क्रमबद्ध रूप से विश्व बैंक का कर्जा उसे ही धीरे-धीरे वापस करना पड़ेगा। एक समय ऐसा आएगा कि हम पर विश्व बैंक का कोई भी कर्जा नहीं रहेगा। तब ब्याज के रूप में जाने वाला हमारा धन हमारे पास ही रहेगा और यह धन देश के विकास में काम आएगा और हमारा देश विकसित समृद्ध और मानवीय बनेगा।
सरकार इसके लिए कोशिश कर सकती है सरकार इसके लिए एक कोष बनाएं।इसमें देश के सभी व्यक्ति अपनी इच्छा अनुसार धन दे और इस धन से देश का कर्जा निपटाया जाए। सरकार इसके लिए एक समिति भी बना सकती है। इसमें स्वामी रामदेव और अन्य उद्योगपति जो कि कर्ज मुक्त हैं को शामिल किया जाए और उनकी सुझावों के अनुसार देश को भी कर्ज मुक्त बनाए जाए।
दोस्तों आपके इस विषय में क्या विचार हैं कृपया लाइक तो करें ही लेकिन कमेंट भी करें। जय हिंद। जय भारत। जय श्री राम।