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लेख संग्रह - भाग 5 - नई पौध

नई पौध लगाओ. अच्छी नस्ल की लगाओ. उसको बढ़िया खाद खुराक दो. अच्छा पानी दो. उसकी निराई - गुड़ाई बढ़िया करो.


भाइयों आप समझ गए होंगे कि नई पौध चाहे पेड़ पौधों की हो या मनुष्य की या जानवरों की उनमें अच्छे गुण डालो. उनकी अच्छी देखभाल करो.



मनुष्य की पौध है तो उसे उस पर और अच्छी मेहनत करने की जरूरत पड़ती है. उनकी संख्या कम हो लेकिन वह ज्यादा मजबूत और ज्यादा बुद्धिमान हो. उनका शारीरिक व मानसिक विकास अच्छा हो इसका ध्यान रखो. उन्हें किसी चीज की कमी ना हो. वह बड़े होकर अच्छा मनुष्य बने इसका ध्यान रखें.










पहले के जमाने में राजाओं के दरबार में नृत्यांगनायें रहती थी. कई सुंदर युवतियां नृत्यांगनायें बनती थी.


अब तो फिल्मों आदि में ही नृत्यांगनायें दिखती हैं. गढ़वाल उत्तराखंड में वादी नामक जाति की महिलाएं नृत्यांगनाओं का काम करती थी.









हर कोई अपनी दुनिया में खुश है. कोई दारू की बोतल में खुश है. कोई ड्रग्स में खुश है. कोई मेहनत मजूरी में खुश है. कोई पैसे कमाने में खुश है.


कोई तपस्या करने में खुश है. कोई चोरी करने में खुश है. कोई परोपकार करने में खुश है. आप बताइए आप किस चीज में खुश हैं.








लॉकडाउन में वैसे ही अर्थव्यवस्था ठप है. बारिश के कारण दिहाड़ी मजदूरों का काम और ठप हो जाता है. तो बारिश और लॉकडाउन में कोढ पर खाज की स्थिति उत्पन्न हो गई है. परंतु लोग इसका प्रयोग पढ़ने लिखने, अपना हुनर तराशने व अच्छे कार्यों में कर सकते हैं.







आज मेंने अपनी पुस्तकों की अलमारी साफ की. बहुत कबाड़ा निकला. फालतू कबाड़ा तो मैंने जला दिया. कुछ तुडे- मुड़े लिखे हुए कागज भी मिले.


इनमें से कुछ जरूरी कागजों में लिखी सामग्री को मैंने फिर से एक कीमती और अच्छी नोटबुक में लिख लिया. पूरी नोटबुक भर गई.


इस तरह मेरे पहले के लिखे थोड़े से कागजों से एक अच्छी खासी पांडुलिपि बन गई. शाम को इस को संशोधित कर लूंगा और एक किताब के रूप में भी प्रकाशित करूंगा.








मित्रों, प्रिय पाठकों खुशी ऐसी वस्तु है; जो दुनिया की सबसे श्रेष्ठ वस्तुओं में से एक है। खुशी का अमीरी और गरीबी से ज्यादा मतलब नहीं है। एक गरीब व्यक्ति भी एक अमीर व्यक्ति से ज्यादा खुश हो सकता है।


अगर किसी व्यक्ति के अंदर सात्विक गुण हैं, तो माना जाता है कि वह अंदर और बाहर दोनों तरफ से ज्यादा खुश है। परंतु दूसरी और तामसी प्रवृत्ति वाला व्यक्ति क्षणिक रूप से खुश तो हो सकता है, लेकिन अंत में उसे दुख ही होता है। अतः अच्छे गुण प्राप्त करें जिससे आपकी खुशी चिरस्थाई हो।









गंगा एक पवित्र और आध्यात्मिक नदी मानी जाती है। गंगा किनारे आज भी कई जगह हमारी आधुनिक सभ्यता बसी हुई है। कहने का मतलब यह है कि आज के युग में भी गंगा के किनारे हमारे कई आधुनिक नगर बसे हुए हैं।


गंगा और अन्य नदियों की सबसे बड़ी समस्या है प्रदूषण। सरकार इसके लिए अरबों रुपए खर्च कर रही है। लेकिन अगर मैं प्रधानमंत्री होता तो गंगा किनारे आने वाले सभी प्रदूषण के स्रोतों को तत्काल प्रभाव से बंद करवा देता।


इसके बाद गंगा स्वयं ही साफ हो जाती और इसमें ₹1 भी खर्चा नहीं आता।







आओ भाइयों हम संकल्प करें कि हम हर बुरी चीज से दूर रहेंगे। हर अच्छी चीज के नजदीक जाएंगे।


हर बुरी चीज अंधेरे का रूप है। अंधेरा अज्ञान का प्रतीक है। हर अच्छी चीज रोशनी का रूप है और रोशनी सच्चाई का प्रतिरूप है।


तो आइए आज से हम संकल्प करें कि हम अंधेरे से रोशनी की ओर जाएंगे। बुराई से ही सच्चाई की ओर जाएंगे।










किसी के प्यार में डूब जानाा। किसी काम में डूब जाना। पानी में डूब जाना आदि डूब जाने के बहुत सारे उदाहरण हैं। वैसे डूब जाने का साधारण अर्थ पानी में डूबना ही है। आपकी क्या राय है?







जिंदगी में कई मोड़ होते हैं।किसी मोड़ पर हमारी कमजोरी होती है। किसी मोड़ पर हमारी ताकत। किसी मोड़ में हमारे दोस्त रहते हैं तो किसी मोड़ पर हमारे दुश्मन।


तो समझदार मनुष्य वह है जो हर मोड की उपयोगिता समझे। आपकी क्या राय है?








शायद ताबूत शब्द या ताबूत की परिकल्पना ईसाई सभ्यता से आई है और इसाई सभ्यता में यह मिस्र की सभ्यता से आई है।





दोस्तों जिंदगी एक रहस्य है। जब तक आदमी जिंदा रहता है, तो वह कई दांवपेंच करता है, कई नौटंकी करता है। लास्ट में बुड्ढा हो के मर जाता है। बचपन, जवानी, बुढ़ापा जाता है पढ़ने सीखने में, धन कमाने में, शादी में, बच्चे पालने में और लास्ट में बुड्ढा हो कर मरने में। तो क्या मौत के बाद भी जिंदगी है। शायद है, शायद नहीं है। इसी मौत और जिंदगी के खेल में सभी धर्म अपने अपने सिद्धांत पेश करते हैं। लेकिन आज तक कोई जान नहीं पाया कि जिंदगी से पहले क्या था और मौत के बाद क्या है।