Palayan - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

पलायन (पार्ट 1)

उसका मन अजीब सा हो रहा था।दिल उदास था।मन मे एक के बाद  एक उटपटांग ख्याल आ रहे थे।दिन भर निठल्ला  इधर उधर घूमने के बाद वह घर लौटा था।कमरे में आते ही उसे सालू की याद आने लगी
सालू आज सुबह दिल्ली चली गयी थी।पिछले काफी दिनों से रमेश सालू को दिल्ली भेजने का आग्रह कर रहा था।वह सालू के बिना नही रह सकता था।इसलिए उसके आग्रह को टालता आ रहा था।
कल रमेश स्वंय आ पहुंचा।उसकी शादी को छ महीने हो चुके थे।छ महीने से सालू मायके नही गयी थी।फोन पर तो वह कोई न कोई बहाना बनाकर टाल देता था।लेकिन रमेश खुद ही अपनी बहन कक लेने आ गया।तब कोई बहाना बनाते हुए नही बना।वह एक सप्ताह की कहकर उसे ले गया।उसने सालू को रोकना चाहा तो वह रोने लगी।औरत के आंसू मर्द  की कमजोरी होते है।उसे भी  निशा के आंसुओं से हार माननी पड़ी।एक सप्ताह में वापस छोड़ जाने का वादा करके रमेश अपनी बहन को साथ ले गया था।
आज सन्डे था।ऑफिस कज छुट्टी का दिन।इतवार के दिन वह सालू को लेकर बाज़ार जाता।खरीददारी करता।पिक्चर देखता।या चिड़ियाघर जाता।वहाँ नरम मखमली घास पर लेटकर निशाके अलौकिक सौन्दर्य को निहारता रहता।पर आज  सालू के  चले जाने से वह अकेला  रह गया था।अकेले घर मे मन नहीं लगता इसलिए सुबह सालू को  स्टेशन पर सी ऑफ करने के बाद ही वह घूमने के लिए निकल पड़ा था।
पूरे दिन निरर्थक घूमने के कारण सिर भारी हो रहा था।सारा बदन दर्द से टूट रहा था।मन कर रहा था।बिस्तर में पड़कर सो जाएं।पर कमरे में आते ही सूनापन अखरने लगा।कमरे रखी हर चीज उदास नज़र आ रही थी
सालू के रहने पर घर भरा भरा सा लगता था लेकिन उसके चले जाने पर खाली खाली सा लग रहा  था।
दिन तो उसने जैसे तैसे गुज़ार दिया था।पर रात में उसे सालू की कमी अखरने लगी।शादी के बाद के छः महीने उसने सालू के साथ गुज़ारे थे
।इन बीते छ महीनों में उसने सालू के जवान जिस्म  की गंध को सुंघा था।उसके होठो का रसपान किया था।उसके गालो की लाली को पिया था।हर रात उसके आगोश में गुज़ारी थी।
पर आज की रात वह अकेला था।
अकेलेपन का एहसास उसे बुरी तरह कचोटने लगा।सालू के बिना वह तन्हाई महसूस करने लगा।इतना एकाकीपन तो जब वह कुंवारा था।तब भी महसूस नही किया था।उसके अतीत के पन्ने फड़फड़ाकर खुलने लगे।
सामने वाले फ्लेट में रामकुमार रहता था।वह ड्राइवर था।रोडवेज में ड्राइवर।उसकी पत्नी थी विभा और उसके दो बच्चे थे। राम कुमार अब्बल दर्जे का शराबी था।जब घर आता तो शराब के नशे में धुत्त गिरता पड़ता आता।विभा कुछ कहती तो,"हरामखोर उल्टी सीधी बकने लगता।मारपीट करता।घर मे तोड़फोड़ करता।
उन दिनों वह यहां नया ही आया था।पति पत्नी का आपसी झगड़ा मानकर उसने ध्यान नही दिया था।
उस दिन भी सन्डे था।वह अपने कमरे में बैठा कोई किताब पढ़ रहा था।तभी बच्चों के साथ विभा के रोने का स्वर उसके कानों में पड़ा था।वह ज्यादा देर तक चुप बैठा नही रह सका और जा पहुंचा।
राम कुमार की अच्छी   पगार थी लेकिन दारू में उड़ा देता।घर खर्च को पैसे नही देता था इसी बात पर झगड़ा होता था।