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आवारा हूँ - (अन्तिम भाग)

रानी के जाने के बाद आवारा बिल्कुल बिखर सा गया,उसे अपनी कोई ख़बर ना रहती ,उसे कुछ पता नहीं था कि अब वो क्या करेंगा?उसने अपना कमरा और गैराज भी छोड़ दिया था,बस सड़कों पर भटकता रहता,उसने अब फिर से शराब पीना फिर से शुरू कर दिया था।।
और एक रात वो ऐसे ही शराब के नशे में धुत्त सड़क पर झूमता चला जा रहा था,तभी वो चक्कर खाकर जमीन पर गिर पड़ा,उसी समय वहाँ से एक कार गुजर रही थी उसे जमीन पर गिरा हुआ देखकर उस कार वाले ने अपनी कार रोकी और उतर कर उसके पास आया,उसने आवारा को हाथ लगाकर हिलाया लेकिन शराब के नशे ने उसे बिल्कुल बेहोश कर दिया था।।
तब उस कार वाले उसे सहारा देकर उठाया और अपनी कार की पीछे वाली सीट पर लिटा दिया फिर अपनी कार स्टार्ट कर वो अपने घर चल पड़ा.....
सुबह हुई,आवारा को होश आया,उसने देखा कि वो एक मखमली बिस्तर पर है,जिस कमरे में वो लेटा है वो कमरा बहुत शानदार और आधुनिक है,वो समझने की कोशिश ही कर रहा था कि वो कहाँ है? तभी किसी शख्स ने उसके पास आकर पूछा....
अब कैसा लग रहा है? ये लो नींबू पानी ,इसे पीकर तुम्हें अच्छा लगेगा....
लेकिन तुम कौन हो? और मुझे यहाँ क्यों लाए हो? आवारा ने पूछा...
मुझे कुछ भी समझ लो,अपना हमदर्द,अपना दोस्त या जो भी तुम्हारा मन करें, उस शख्स ने कहा...
लेकिन तुम हो कौन? अपना नाम बताओ,आवारा ने पूछा।।
मैं शक्तिमान खुराना और तुम मुझे शक्ति भी कह सकते हो और तुम्हारा नाम क्या है?
मैं आवारा और यही मेरा परिचय है,आवारा बोला।।
ये कैसा नाम हुआ भला? तुम अपना वो नाम बताओ जो तुम्हारे माँ बाप ने रखा होगा,शक्ति बोला।।
मैं वो नाम बिल्कुल से भूल जाना चाहता हूँ,आवारा बोला।।
लगता है वक्त की बहुत बुरी मार पड़ी है तुम पर,जमाने के सताएं हुए लगते हो भाई! इसलिए अपना अतीत भूलना चाहते हो,लेकिन ये कभी नहीं हो सकता मेरे भाई! कि इन्सान अपना अतीत भूल जाए,तुम अपना अतीत जितना भूलने की कोशिश करोंगे,वो कहीं ना कहीं,कभी ना कभी तुम्हारे सामने आकर जरूर खड़ा हो जाएगा,इसलिए अपने अतीत से भागने की नहीं उसे अपनाने की कोशिश करो,शक्ति बोला।।
ये सब किताबी बातें हैं और दूसरो को समझाने में ही अच्छी लगतीं हैं लेकिन जिस पर गुजरती है वही जानता है,आवारा बोला।।
पता है भाई मैं जब छोटा था लगभग बारह साल का तब मेरी आँखों के सामने ही दो लोगों ने मेरी इकलौती बड़ी बहन का बालात्कार करके उसे मार दिया था लेकिन मैं अपना अतीत नहीं भूला और बडे़ होने पर मैने उन दोनों से बदला लिया,उन्हें तड़पा तड़पाकर मारा,कितना भागता भला एक दिन मुझे पुलिस ने पकड़ ही लिया मुझे और मेरा जुर्म साबित हो गया तो मेरी महबूबा ने भी तब मुझे छोड़कर किसी और से शादी कर ली,मैं जेल से भी भाग गया,भागता रहा ...भागता रहा और फिर जुआँ खेलने लगा,जुआँ खेलते खेलते बड़ा जुआरी बन गया,धीरे धीरे मेरा कनेक्शन अण्डरवर्ल्ड से भी जुड़ गया और अब देखों मैं अण्डरवर्ल्ड की दुनिया में शक्ति बाँस के नाम से मशहूर हूँ और अभी तक अपना अतीत नहीं भूला और अपना नाम भी नहीं बदला,शक्ति बोला।।
बहुत अफसोस हुआ आपकी कहानी सुनकर लेकिन इतना सब बरदाश्त करने के लिए मजबूत जिगर होना चाहिये और मैं आपकी तरह मजबूत जिगर का बिल्कुल भी नहीं हूँ,मेरी आँखों के सामने मेरी पत्नी का खून हुआ है ये सदमा मुझसे बरदाश्त नहीं हो रहा और जिसको भी मैं चाहने लगता हूँ वही मुझे छोड़कर चला जाता है,पता नही ऊपर वाले को मुझसे क्या दुश्मनी है?आवारा बोला।।
बस भाई! यही तो दुनिया है किसी किसी की किस्मत में भगवान इतने दुख दे देता है कि इन्सान सोचने लगता है कि शायद वो पैदा ही दुख झेलने के लिए हुआ है,शक्ति बोला।।
हाँ भाई! मुझे भी कुछ ऐसा ही लगता है,आवारा बोला।।
तो तुम अपना असली नाम नहीं बताओगे,शक्ति बोला।।
मत पूछो भाई,कभी अगर मन किया तो बता दूँगा अपना असली नाम फिरहाल तो मैं आवारा ही हूँ,आवारा बोला।।
जैसी तुम्हारी मरजी भाई,चलो अब तैयार होकर नींचे आ जाओ फिर साथ बैठकर नाश्ता करते हैं,वैसे नाश्ते में क्या खाना पसंद करोगे? रसोइये से कहकर वही बनवाए देता हूँ,शक्तिमान बोला।।
मैं तो कुछ भी खा लूँगा,आवारा बोला।।
ठीक है दो मिनट ठहरो मैं तुम्हारे लिए अपने कुछ कपड़े लेकर आता हूँ,साफ सुथरे कपड़े पहनकर ही नीचे आना ,फिर बाजार चलकर तुम्हारे लिए कुछ कपड़े खरीदकर लाते हैं,शक्तिमान बोला।।
लेकिन इतनी मेहरबानी क्यों भाई?आवारा ने पूछा।।
इन्सानियत के नाते,अब से तुम मेरे साथ ही रहोगें,शक्तिमान बोला।।
एक अन्जान पर इतना भरोसा और तुमने कैसे जाना कि मै इस दुनिया में अकेला हूँ,आवारा ने पूछा।।
दिन रात मैं यही काम करता हूँ केवल लोगों को पहचानने का तभी तो मेरा ये धन्धा चलता है,शक्तिमान बोला।।
बहुत मेहरबानी भाई! आवारा बोला।।
भाई भी कहते हो और ऐसीं बातें करते हो,शक्तिमान बोला।।
और इतना कहकर शक्तिमान चला गया,कुछ देर में आवारा साफ सुथरे कपड़ो में तैयार होकर नीचे पहुँचा,उसने शक्ति के संग नाश्ता किया और फिर शक्ति उसे कपनी कार में बाजार ले गया,बड़े से सैलून में उसका हेयरकट कराया,कई तरह के नये सूट और जूते दिलवाए,अपना हुलिया देखकर खुद आवारा को ही भरोसा नहीं हुआ कि ये वही है,अब उसकी जिन्द़गी ने एक नया मोड़ लिया था और उसने शक्तिमान के संग अण्डरवर्ल्ड की दुनिया में कदम रखा....
कुछ दिनों तक तो शक्ति ने आवारा को अपने कामों से दूर रखा और केवल आराम करने को कहा,वो बोला पहले तुम अपने आपको सम्भाल लो,तुम्हारा मन संतुलित हो जाए फिर मै तुम्हें अपने काम से रूबरू कराऊँगा और जब आवारा को लगा कि अब वो कुछ सम्भल गया है तो इसी तरह एक दिन शक्ति ,आवारा को अपने साथ ले गया अपने साथ काम करने वाले लोगों से मिलवाने,
उनमें से दो चार लोंग ऐसे थे जो शक्ति के बहुत ही विश्वसनीय थे,जिन पर शक्ति बहुत भरोसा करता था उन्हें शक्ति के काम के बारें में सबकुछ पता रहता था जैसे कि कौन सा माल कहाँ से कब जाना है और कौन सा माल कहाँ से कब आना है,कौन उसे लेने जाएगा और कितना पैसा कहाँ से मिलने वाला है और उनमें से एक लड़की भी थी जिसका नाम मारिया था।।

शक्ति ने आवारा को उन सबसे मिलवाते हुए कहा कि ये मेरा भाई है आज ये भी हमारे साथ काम करेगा,तभी मारिया बोली....
बाँस! पहले तो आपने कभी नहीं बताया कि आपका कोई भाई भी है....
मुझे खुद ही पता नहीं था,ये मेरे दोस्त हैं और भाई से बढ़कर हैं,शक्ति बोला।।
और इस तरह से आवारा ,शक्ति का दायाँ हाथ बन गया,धीरे धीरे उसने इस काम में महारत हासिल कर ली,अब कोई भी खतरें वाला काम होता तो शक्ति आवारा को याद करता,अब आवारा देश विदेश,दोनों ही जगह की डील्स हैंडल करने लगा था।।
उसके ज्यादातर कामों में हाथ बँटाने के लिए शक्ति ,मारिया को ही उसके संग भेजा करता,इस तरह से आवारा और मारिया के बीच बहुत अच्छी अण्डरस्टैडिंग हो गई थी,इसी तरह मारिया ने एक दिन अपनी कहानी आवारा को कह सुनाई कि उसने किस वजह से इस खतरनाक दुनिया में कदम रखा है,जहाँ हर सुबह का सूरज देखने के बाद ये डर बना रहता कि रात का चाँद नसीब होगा या नहीं....
उसके बड़े भाई इन्सपेक्टर थे जिनका नाम अमरेन्द्र आहुजा था और अण्डरवर्ल्ड में काम करने वाला एक शख्स जिसका नाम नटराज है उसके खिलाफ भाई को काफी सुबूत मिल गए थे,वो उसे अपनी टीम के साथ बस पकड़ने की फिराक मे थे, लेकिन किसी पुलिस वाले ने गद्दारी कर दी और नटराज तक ये ख़बर पहुँचा दी उस रात मेरे भइया को नटराज के गुण्डो ने बीच सड़क पर गोली मार दी,
और तब मैं अपने भाई की मौत का बदला लेने के लिए इस आग के दरिया में कूद पड़ी,मेरा असली नाम शाकुंभरी है,लेकिन इस दुनिया में आकर मैने मेरा नाम बदल लिया,मुझे शक्ति बाँस ने बहुत हौसला दिया,एक बहन की तरह हमेशा मेरा ख्याल रखा उन्होंने कहा कि मैं तो अपनी बहन को नहीं बचा पाया लेकिन तुम्हें कुछ नहीं होने दूँगा।।
मारिया की बात सुनकर आवारा बोला...
हम सबकी कहानी कितनी मिलती जुलती हैं,किसी को बदला लेना है और कोई बदला ले चुका है,काश ये जिन्द़गी कभी तो हमारे कहें अनुसार चल पाती।।
सही कहते हो आवारा मैं भी कभी कभी सोचती हूँ कि ना जाने क्या होगा मेरा? ना जाने कब किसकी गोली का निशाना बन जाऊँ या क्या पता कोई किसी दिन बाम्ब से ही उड़ा दे ,मारिया बोली।।
मैं वादा करता हूँ तुमसे कि तुम्हारा बदला लेने में मै तुम्हारा साथ दूँगा,किसी ना किसी दिन नटराज को उसके गुनाहों की सजा मिलकर रहेगी....आवारा बोला।।
तभी मैं भी चैन से मर पाऊँगीं,मेरी जिंदगी का यही मकसद है और मैं इसे हर हाल में पूरा करना चाहती हूँ,मारिया बोली।।
तुम जरूर अपना मकसद पूरा करोगी और मैं दूँगा तुम्हारा साथ,आवारा बोला।।
तुम्हारी बातें सुनकर मुझे ऐसा लगता है कि सामने मेरे भइया खड़े हों,वो भी ऐसे ही निडर थे,किसी से नहीं डरते थे,मारिया बोली।।
तो आज से तुम ये समझो कि तुम्हारा भाई वापस आ गया है,आवारा बोला।।
मुझे भी अच्छा लगा ये सुनकर,मारिया बोली।।
अब मारिया और आवारा दोनों ही तैयार थे हर खतरें का सामना करने के लिए,आए दिन उन दोनों की जान पर मौत का साया मँडराता रहता,दोनों ने शक्ति के साथ मिलकर धन्धों को और भी बढ़ाना शुरू कर दिया,आवारा और शक्ति कभी कभी बाहर घूमने भी जाते थे लेकिन सतर्क रहकर....
इधर आवारा को एक दिन ख़बर मिली कि नटराज कोई बड़ी डील करने के लिए सेवेन स्टार होटल महाराजा में ठहरा है,उसने ये ख़बर आकर मारिया को सुनाई,वो तो ना जाने कब से इस पल के इन्तज़ार में थी ,दोनों ने महाराजा होटल जाने की योजना बनाई लेकिन उन्होंने इस बात की ख़बर शक्तिमान खुराना को नहीं दी ,
और दोनों सबको बिना बताए महाराजा होटल भी पहुँच गए,लेकिन दोनों ने ये नहीं सोचा कि इतना बड़ा डाँन बिना सुरक्षा कहीं भी नहीं जाता होगा और भला दो लोंग उसका क्या बिगाड़ पाएंगे?
दोनों ने सोचा कि उसके कमरें में रात को वो अकेला होगा,वहीं पहुँचकर उसका काम तमाम कर देगें,दोनों नटराज के बगल वाले कमरे मे रूककर रात होने का इन्तज़ार करने लगे,रात हुई और दोनों ने पीछे वाली बालकनी के रास्ते के सहारे ,खिड़की से कमरें में जाने का प्लान बनाया।।
और दोनों ने किया भी वैसा ही अपनी अपनी साइलेंसर वाली पिस्तौल लेकर मारिया और आवारा दोनों ही नटराज के कमरें में घुसे जहाँ नटराज अपने पूरे शरीर पर चादर ओढ़कर लेटा हुआ था अच्छा मौका देखकर उन्होंने ने धड़ाधड़ उस पर अपनी अपनी पिस्तौल से गोलियाँ दागनी शुरू कर दी,लेकिन जब उन गोलियों का नटराज पर कोई असर होता हुआ ना दिखाई दिया तो दोनों सोच में पड़ गए और चादर हटा कर देखा तो वहाँ कोई भी नहीं था।।
तभी पीछे से तालियाँ बजाता हुआ नटराज निकलकर आया और दोनों से बोला....
तुम दोनों ने प्लान तो अच्छा बनाया था लेकिन अफसोस सब फेल हो गया,तुमलोगों को क्या लगा ? तुम आजकल के पिद्दी से लोंग मुझे मार दोगे और मुझे पता भी नहीं चलेगा,अरे,इस लाइन में मुझे सालों बीत गए है,एक एक की नस पहचानता हूँ,तुम मेरे बगल वाले कमरे में रहकर मेरे खिलाफ साजिश रचोगें और मुझे पता भी नहीं चलेगा,ऐसा भला हो सकता है कभी,लेकिन अब तुम लोगों को इसकी सजा तो भुगतनी ही पड़ेगी,तुम लोगों ने साँप के बिल में हाथ डाला है और अब साँप तुम लोगों को नहीं छोड़ेगा।।
नटराज ने इतना कहकर अपनी ताली बजाई और उसके कुछ आदमी अपने अपने हाथों में गन लेकर वहाँ आ पहुँचे और दोनों से अपनी अपनी पिस्तौल फेंककर हैण्ड्स-अप करने को कहा,दोनों अब क्या करते ?ऐसा करने के सिवा उनके पास और कोई चारा ही नहीं था।।
उन सबने दोनों के पीछे पिस्तौल लगाई और कहा चुपचाप बिना शोर मचाएं यहाँ से बाहर निकलकर हमारी कार में बैठ जाओ,दोनों चुपचाप ऐसे ही बिना शोर मचाएं बाहर निकलकर कार में बैठ गए और कार चल पड़ी,अँधेरे में कार सुनसान रास्तों से गुजरती हुई चली जा रही थी और उसके पीछे दो कारों में और भी लोंग आ रहे थे,आज मारिया और आवारा को लगा कि जैसे अब भगवान का बुलावा आ गया है।।
लेकिन तभी सामने से आ रही चार पाँच कारों ने उन सभी का रास्ता रोक लिया,कारें रूक गई और तभी सामने वाली कार से सफेद सूट बूट में शक्तिमान अपनी पिस्तौल लेकिन निकला और उसने अपने आदमियों के साथ उन सब पर अँधाधुन्ध फायरिंग शुरू कर दी ,शक्तिमान के तीन चार आदमी मारिया और आवारा को उस फायरिंग के बीच से सुरक्षित निकाल लाए,लेकिन एक गोली आवारा की बाजू से गुजरती हुई निकल गई,
शक्तिमान के आदमियों ने एक एक करके नटराज के सभी लोगों का खात्मा कर दिया इसमें शक्तिमान के कुछ लोग भी भगवान को प्यारे हो गए और कुछ घायल हो गए।।
उस रात आवारा सहित सबको हाँस्पिटल में एडमिट करवाया गया,आवारा को होश तो था क्योंकि गोली केवल उसकी बाजू से होकर गुजरी थी,शक्तिमान और मारिया उसके पास मिलने आए,शक्तिमान पहले से ही आगबबूला था और गुस्से में बोला....
बहुत शौक है खतरों से खेलने का,तो जाकर फौज़ में भरती क्यों नहीं हो जाते मेरे भाई!तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई नटराज से अकेले पंगा लेने की,मुझे कुछ बताया ही नहीं और चले गए मुँह उठाकर दोनों उसे मारने,मुझे ऐन वक्त पर पता ना चलता तो आज गए थे तुम दोनों भगवान के पास।।
तुमलोगों को क्या लगता है?सब कुछ इतना आसान होता है,ये अण्डरवर्ल्ड है मेरे भाई....अण्डरवर्ल्ड... तुम लोगों को क्या मैं बेवकूफ नज़र आता हूँ कि तुम लोंग इतना बड़ा कदम उठा लोंगें और मुझे कुछ पता भी नहीं चलेगा,वो तो महाराजा होटल के खबरी ने ऐन मौके पर मुझे बता दिया और मैं पहुँच गया तुम लोगों को बचाने नहीं तुम बिस्तर में नहीं अर्थी पर लेटे होते।।
शक्तिमान खुराना की बात सुनकर आवारा बोला.....
माँफ कर दो भाई! आइन्दा ऐसा नहीं होगा,आपको बिना बताए अब कोई भी काम नहीं करूँगा,आवारा बोला।।
ठीक है माफ किया,लेकिन अब ऐसा कभी ना हो,शक्तिमान बोला।।
जी! बाँस ! फिर ऐसा कभी भी नहीं होगा,मैं भी इस काम के लिए उतनी ही जिम्मेदार हूँ जितना कि आवारा,मारिया बोली।।
और उस दिन के बाद आवारा कोई भी काम शक्ति से पूछ कर ही करता,इस घटना को कुछ दिन ही गुजरे थे कि एक दिन शक्ति ,आवारा और मारिया अपने ही साथ काम करने वाले एक व्यक्ति की बहन की शादी में शामिल होने पहुँचे,बड़े अच्छे से शादी निपट गई,शक्तिमान ने उस व्यक्ति की बहन को तोहफे में सोने का सेट और दूल्हे को सोने की चेन दी और खाकर पीकर जब वो अपने कुछ गुण्डो के साथ वापस लौट रहे थें तभी नटराज की कारों ने उसी तरह उसका रास्ता रोका जैसा कि उस रात शक्ति ने उसके गुण्डो का रास्ता रोका था।।
कारें रूकते ही दोनों ओर से फायरिंग शुरू हो गई क्योंकि नटराज तो बदला लेने आया था और इसी आपाधापी में नटराज के एक गुण्डे ने शक्तिमान के सीने मे तीन चार गोलियाँ दाग दी,तब मारिया ने आवारा से कहा....
आवारा तू बाँस को लेकर जल्दी से अस्पताल भाग मैं इन सबको सम्भालती हूँ और मेरे साथ अभी इतने लोंग हैं....मैं सम्भाल लूँगी...
लेकिन मैं तुम्हें ऐसे अकेले छोड़कर कैसे भाग सकता हूँ?आवारा बोला।।
बाँस की जान बचानी ज्यादा जुरूरी है और फिर नटराज तो मेरा शिकार है,आज मैं इसे नहीं छोड़ूगीं और इतना कहकर जूली कार से उतर गई,इधर उस कार में घायल पड़े शक्तिमान को आवारा हाँस्पिटल लेकर भागा।।
मारिया गोलियों से बचती हुई नटराज की कार तक पहुंँची और उसके माथे पर दो तीन गोलियाँ दाग दी लेकिन फिर वो भी ना बच सकी,उसे भी नटराज के एक आदमी ने मशीन-गन से भून डाला और उस रात मारिया की जीवन लीला समाप्त हो गई,नटराज भी मर गया।।
इधर जैसे ही आवारा शक्ति को हाँस्पिटल लेकर पहुँचा तो डाक्टर ने उसका चेकअप करके उसे मृत घोषित कर दिया,आवारा वहीं फूट फूटकर रो पड़ा.....
पोस्टमार्टम के बाद उसने मारिया और शक्तिमान का अंतिम संस्कार किया और खुद को पुलिस के हवाले कर दिया,उसका अब इस दुनिया से बिल्कुल से जी भर गया था अब उसे केवल सुकून चाहिए था,इसलिए उसने अपने सारे जुर्म कुबूल कर लिए।।
कुछ दिन बीते उसका केस अदालत पहुँचा लेकिन कोई भी वकील उसका केस लेने को तैयार नहीं था क्योंकि सबको पता था कि उसने कितने संगीन जुर्म किए हैं और कोई भी वकील कितनी भी कोशिश कर ले वो आवारा का केस हार ही जाएगा।।
लेकिन एक दिन जेल में एक महिला वकील पहुँचीं और उन्होंने आवारा से मिलने की इच्छा जताई फिर उन्होंने पुलिस से कहा कि उनको आवारा का केस लड़ने में दिलचस्पी है।।
पुलिस वालों ने पूछा....
मैडम! लेकिन उसका केस तो कोई भी लेने को तैयार नहीं है फिर आप क्यों?
बस,हैं कोई पर्सनल रीजन जो मैं आपको नहीं बता सकती,बस आप मुझे उनसे मिलने की इजाजत दे दीजिए,वकील साहिबा बोलीं।।
और वकील साहिबा को आवारा से मिलने की इजाज़त मिल गई,वकील साहिबा ,आवारा से मिलने पहुँची और उससे उसका केस लड़ने की बात कही।।
लेकिन वकील साहिबा ! आप जानबूझकर क्यों अपने कैरियर को दाँव पर लगा रहीं हैं,जब कि आपको पता है कि आप मेरा केस नहीं जीत पाएंगी,आवारा बोला।।
ठीक है !केस तो नहीं जीत सकती लेकिन आपकी सजा तो कम करवा ही सकती हूँ,वकील साहिबा बोलीं।।
आप मेरा भला क्यों करना चाहतीं हैं? किस नाते से? आवारा ने पूछा।।
एक दोस्त के नाते से,वकील साहिबा बोली...
दोस्त! लेकिन अब मेरा कोई दोस्त नहीं है,आवारा बोला।
तब वकील साहिबा बोलीं....
लेकिन मेरा एक स्कूल का दोस्त था,जो मुझे कभी इमलियाँ तो कभी अमरूद पेड़ से तोड़कर दिया करता था,मैं जब ग्यारहवीं में पढ़ती थी तो मुझे एहसास होने लगा कि मैं उसे चाहने लगी हूँ लेकिन वो एक नम्बर का उल्लू था उसने कभी मेरी आँखों में झाँककर ही नहीं देखा,तब मैने सोच लिया कि जिस दिन बाहरवीं का रीजल्ट आ जाएगा तो उस दिन मैं उससे अपने मन की बात कह दूँगी,बारहवीं का रिजल्ट आ गया और वो सारे स्कूल में अव्वल आया था,लेकिन पता नहीं उस दिन के बाद वो कहाँ चला गया? मैं तबसे उसका इन्तज़ार कर रही हूँ,उसका नाम दीपक था।।
वकील साहिबा की बात सुनकर आवारा चौंकते हुए बोला.....
कहीं तुम ज्योति तो नहीं ,क्योंकि मैं उसको ही इमली और अमरूद तोड़कर दिया करता था..
बिल्कुल सही पहचाना,वकील साहिबा बोली....
ओह...ज्योति! तुम ! मैं बता नहीं सकता कि मुझे कितना अच्छा लग रहा है तुमसे मिलकर....इक्कीस साल ...पूरे इक्कीस साल बीत गए...आवारा बोला....
पता है दीपक!मै तुम्हें एक दिन को भी नहीं भूली और केवल पढ़ाई में अपना ध्यान लगाए रही,घरवालों ने बहुत दबाव डाला शादी के लिए लेकिन मैने शादी नहीं की,बस तुम्हारी ही तलाश करती रही और आज जाकर मिले हो तुम,फिर जब अखबार में तुम्हारा चेहरा देखकर खबर पढ़ी कि कोई भी वकील तुम्हारा केस लेने को तैयार नहीं है,तो मैने तुम्हारा केस लेने का सोचा।।
मुझे तुम्हारे अतीत से कोई सरोकार नहीं है,मेरे लिए तो तुम अब भी मेरे वही दीपक हो जो मुझे इमलियाँ और अमरूद तोड़कर देता था,मैं तुम्हें अब भी उतना ही चाहती हूँ लेकिन हाँ तुम्हारा पता नहीं कि तुम मुझे चाहते हो कि नहीं लेकिन मुझे इससे भी कोई फरक नहीं पड़ता,ज्योति बोली।।
ज्योति की बात सुनकर दीपक की आँखों में आँसू आ गए और वो बोला....
तुमने मेरा इतना इन्तज़ार किया,मैं भी आवारा बन कर परेशान हो चुका हूँ,अब मैं केवल ज्योति का दीपक बनकर जीना चाहता हूँ....
और दोनों के बीच ऐसी ही बातें होतीं रहीं,कुछ दिनों बाद दीपक का केस ज्योति ने लड़ा,दीपक की सजा माफ़ तो नही हुई लेकिन थोड़ी कम जरूर हो गई।।
दीपक जेल गया और ज्योति हमेशा उससे जेल में मिलने जाती रही,दीपक के अच्छे व्यवहार से उसकी सज़ा थोड़ी और कम हो गई,कई सालों के बाद जब दीपक जेल से छूटा तो जेल के बाहर ज्योति उसके इन्तज़ार में खड़ी मुस्कुरा रही थीं......
ज्योति ने फिर कभी भी दीपक को ये कहने नहीं दिया कि मैं आवारा हूँ....

समाप्त.....
सरोज वर्मा.....