Vo Pehli Baarish - 13 books and stories free download online pdf in Hindi

वो पहली बारिश - भाग 13

अगले दिन मीटिंग में अपना अपना आइडिया बताने आई सुनील और चंचल की टीम में लगभग सब ही लोग थोड़े चिंतित थे, आखिर होते भी क्यों ना, उनके अभी किए हुए काम पे, उनका अगला पूरा साल निर्भर करता था।

"निया.. पहले तुम शुरू कर लो।", चंचल बोली।

"चंचल ध्रुव कर लेता है शुरू, अगर कोई दिक्कत ना हो तो।", सुनील चंचल को टोकते हुए बोला।

"ठीक है।", चंचल के ये बोलते ही, ध्रुव अपनी स्क्रीन शेयर करनी शुरू करता है, और प्रेजेंटेशन शुरू करता है।

और हमेशा की तरह ध्रुव अच्छे से अपनी बात कह कर नीतू और सुनील दोनो की तारीफें बटोरता है। प्रेजेंटेशन खत्म होने पे, चंचल जहाँ ध्रुव को हाथ से इशारा करके बताती है, की प्रेजेंटेशन बहुत बढ़िया थी, वहीं ध्रुव निया को देख कर दबी आवाज़ में बोलता है, "पता नहीं इसने ठीक से तैयारी करी भी या नहीं।"

लंबी सांस भरते हुए निया, अपने सीट से खड़ी होती है, और शुरुवात में ध्रुव की तारीफ़ करते हुए उसके आइडिया की अच्छी बातें और कुछ कमियां गिनवाती है। साथ ही बाद में उनके हल और कई और जवाब अपने प्रेजेंटेशन में बताती है।

निया के बोलना खत्म करते ही नीतू बोलती है, "आई एम इंप्रेस्ड.. सही में मज़ा आएगा इस बार इस प्रोजेक्ट में।"

नीतू साथ ही और जरूरी चीजें बताती है, और वहां से चल लेती है। धीरे धीरे सब मीटिंग रूम से बाहर निकलते है।

"अब तो दया नहीं लग रही ना?", निया वहां अपना सामान बैग में डालते हुए ध्रुव से पूछती है।

"हहमम..", कंधे पे अपना लैपटॉप बैग टांग कर ध्रुव वहां से निकल गया।

"अब इसको क्या हो गया?", जाते हुए ध्रुव को देख कर निया खुद से बोली।

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कुछ देर बाद, काम करते हुई निया, जब कॉफी लेने पहुंची, तो वहां ध्रुव पहले से बैठा हुआ था। निया कप में कॉफी डाल ही रही थी, की तभी पीछे से उसे एक आवाज़ सुनाई दी।

"ओए.. ये लड़की तो निया जैसी लग रही है।"

"निया जैसी नहीं वे, ये निया ही है।" ध्रुव की आवाज़ आई।

कॉफी डाल कर निया पीछे मुड़ी तो उसने देखा की ध्रुव वीडियो कॉल पे किसी से बात कर रहा था।

"निया.. ", ध्रुव ने अपनी तरफ़ आने का इशारा किया।

निया ध्रुव की साइड में जाकर बैठी, तो देखा फोन पे कुनाल था।

"हाय निया। कैसी हो?", कुनाल निया से पूछता है।

"कुनाल बाहर घूमने गया हुआ है, तो अपने आस पास का नजारा दिखा रहा था, और फिर मैं अपने आस पास का, तो उसे तुम दिख गई।"

"ओह.. अच्छा।", निया धीरे से बोली।

"ये देखो निया.. बढ़िया है ना??", अपने पीछे के सुंदर से झरने और उसके साथ के हरे भरे नजारें को दिखाते हुए कुनाल ने पूछा।

"वाओ!!.., यार तुम कब चले गए वहां??."

"बस मौका देखा और चौका मारा।", कुनाल हंसते हुए बोला।

मुझे भी बाहर घूमने जाना था। मुझे भी ले जाते।"

"हाहा.. जब कहोगी तभी चल पड़ेंगे, तुम हुक्म करो बस।"

"हीही.. ठीक है, बिल्कुल।"

"ओह भाई.. ये प्लान वगरहा तुम बाद में बनाना। पता है, हमारी क्लाइंट वैसे ही बड़ी पागल सी है, ये सुनेगी तो इसका भी कांटेस्ट करा देगी, की इस बार देखते है, की कौन कितनी ऊपर तक जाकर बेस्ट फोटो लगाएगा।"

"क्या कह रहा है?"

"कुछ नहीं यार, बस यहां पागल बनाए जा रहा हमारा, मिस नीतू द्वारा।"

निया ध्रुव की बातों पे हां में सर हिला कर हंस रही थी, की साइड की तरफ से उसने नीतू को जाते हुए देखा।

"नीतू..", ध्रुव के कंधे पे हाथ रखते हुए डेस्क पे जा रही नीतू की ओर इशारा करके निया बोली।

"क्या... ओह शट। ये यही थी क्या?", ध्रुव निया की ओर देखते हुए पूछता है।

"पता नहीं, पूछ कर आऊ क्या, की नीतू हम आपके बारे में भला बुरा कह रहे थे, आपने सुन लिया या दोबारा सुनाए?"

"यार मतलब कोई अंदाजा हो तुम्हे तो बताओ?"

"लग तो रहा है, बाकी आगे पता लगेगा, अगर हमारी लगी तो बिल्कुल हां।"

"चलो चल कर देखते है।"

दोनो अपनी सीट पे पहुंचे तो देखा की सुनील और चंचल दोनो ही कहीं गायब थे।

जब उन्हें सिर पकड़े हुए बैठ के थोड़ी देर हो गई तो, चंचल और सुनील दोनो अपना अपना लैपटॉप लिए सामने से आते हुए दिखे।

"गाइस.. एक दिक्कत है।"

"क्या??", चंचल की बात पे लगभग सब एक सुर में बोले।

"नीतू ने कहा है, की प्रोजेक्ट थोड़ा शिफ्ट करना पड़ेगा, मतलब दो हफ्ते घटा कर, हमारा टाइम और कम कर दिया गया है।"

ये सुनते ही निया ने जहां अपना सिर नीचे डेस्क पे पटक दिया, वही ध्रुव अपनी सीट से उठ गया। इससे पहले की कुछ और कहे, वो अपनी गलती मान लेना चाहता था।

इससे पहले की वो कुछ बोलता, उसका फोन बजा और एक मैसेज पढ़ कर वो फिर बैठ गया।

सुनील और चंचल भी बिना कुछ बोले अपनी सीट पे बैठ गए।

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थोड़ी देर बाद पानी लेने गई निया, को ध्रुव रास्ते में रोकता हुआ, वो मैसेज पढ़ने को कहता है।

"हाय.. पहली बारिश के सिंसले में मैंने आपको जिसकी हेल्प करने के लिए कहा था, मेरी उस फ्रेंड है का नाम नीतू है। हम आप लोगो से मिलने के लिए तैयार है, बस एक छोटी सी चीज़ है, वो ज़रोर में काम करती है, तो उसके आस पास ही कहीं मिलते है, नहीं तो वो आएगी नहीं।"