Gangster - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

गैंगस्टर - 1

मैं हुँ ग्रेगरी मेकवान और ये है मेरी कहानी साल 1988. सुरत गुजरात मै तब 17 साल का था वो मेरी पहली बडी़ लूट उस दिन के पहले की दो रात मे सो नही पाया था घर का अकेला मदँ अब मे था और मुझे ही घर चलाना था रास्ता जो भी हो मौ और मेरा दोस्त शकील उघार ली हूई मारुति 800 मै बेड़े ईतजार कर रहे थे लोकल बैंक को उस कमँचारी के अाने खबर के अनुसार आज वो करीब पचास लाख ट्रांसफर करने वाला था| तीन घंटे वहीं बैड़े रहने के बाद एक एंबेसडर कार वहाँ से गूजरी | वो उसी की थी | हमने लेक गाडँन सिगन्ल. तक उसका पीछा किया | दोपहर को रास्ते सुनसान होने वाले है उसका अंदाजा हमे पहले से था और जेसे ही उस की कार सीगन्ल पर खड़ी रही हमने उसे पीछे से ठोक दी | कार थोडी आगे वही पाकँ हुई ओर एक आदमी बाहर आया | वो अभी कुछ सोचे उसके पहले 6 एम एम बन्दूक उसके सामने मुह फाड़कर खड़ी थी और दूसरी ही षण मांस काटने वाला बड़ा सा चाकू था उसकी गँदन पर | उसके माथे से पसीने की बूँदे सरकने लगी | हम उसकी कार में बैड रहे थे ! शकील उसकी गरदन पर चाकू रख गाडी की पिछली सीट में बैड गया मै डाइविंग सीट पर बैड गया था और कुछ ही षण मैंने पैसे से भरी वो बैग ढुंढ निकाली थी ! मैंने गाड़ी चालु कि और हमने उड़ान भरी मैने पहले सोचा की उस आदमी को हमारे साथ ही ले चले लेकिन फिर ... उसी वक्त मैंने मेरा निणँय बदला और शकील को आदेश दीया कि वो उसे बाहर फेंक दे ! नब्बे सेकेंड बाद हमे हमारी पहले समस्या का सामना करना पड़ा ! मैंने कभी बड़ी एम्बेसडर कार चलाई नहीं थी ! ब्रेक फेल हूई और एक घर के गेट. के साथ हमारी गाड़ी टकरा गई ! कुछ देर बाद मैं होश मे आया ! कार को वहाँ से निकाल कर मैं उसे पागलो की तरह तेंज चलाने लगा इतने सारे पैसे पाकर मैं बेहोत खूश था! तभी गुजरात पुलिस की जिप्सी कार सामने से तेजी से आ रही थी मैं और शकील दोनों डर गए ! पर पुलिस की गाड़ी हमें छोड़ आगे बड गई ! हमने चेन की। साँस ली पर उनकी गाड़ी सिफ २० फिट ही आगे गई होगी कि तभी एक तेज आवाज़ हूई ! जिप्सी वापस मूड गयी चूंकी थी और पुलिस की सविस मिवाँल्वसँ कि मुह हमारी कार कि तरफ था भागना पडेगा चीते सी स्फूर्ति से हमने अपने हिथयार लिये. कार मे से कूदे और अलग अलग दिशा मे खो गए ! मेरी पीस्तौल मेरे पतलून कि जेब मे मैंने ठूंसी हुई थी ! मैं भाग रहा था, पीछे देखे बिना ! मुझे एक खेत दिख रहा था जिसकी फेंस कुद कर मैं सीघा हाईवे पहुच सकता था ! पुलिस की जिप्सी वहाँ थी लेकिन मैं एक आड़ में छिप गया था वो मुझे ढुंढ नही पाए ! कूछ देर बाद वो वहाँ से चले गए मैं भी फिर भागकर काफी आगे बढ़ गया ! मे बहोत थक चुका था उस जगह मुझे एक पुरानी झोपड़ी जैसा खाली घर दिखा! मैं अंदर चला गया! अगर शाम तक मैं यहाँ रूक जाउू तो फीर रात को में आसानी से बहोत दूर भाग सकता था! डर और थकान से भरा मैं वही लेट पड़ा ! क्या शकील पकड़ा गया होगा ? और वो गद्दार बन कर मेरा नाम पुलिस को दे देगा तो ? और मेरी माँ ? अगर मै पकड़ा गया तो वो तो शमँ से मर जाएगी! और तभी पुलिस के सायरन ने मेरा चितभम तोड़ा पुलिस को मेरा पता चल चुका था! वो वहीं थी। पिस्तौल मेरे हाथ मै ही थी हथेली नें जमा पसीना मेरी पकड़ को ढीला कर रहा था क्या यहीं मेरा अंत है ! मैं चाहता था कि मैं सरेंनडर होकर चला जाउु , लेकिन मेरे अंदर उतनी भी शक्ति नहीं बची थी। और तभी़ ये कतारगाम पुलिस डिपार्टमेंट है अपनी छोड़ दो वरना मारे जाओगे! ओके..ओके..प्लीज गोली मत चलाना ! मैं बहोत बड़ी मुश्किल मैं फंस चुका था। पकडो हरामखोर को !