Vo Pehli Baarish in Hindi Fiction Stories by Daanu books and stories PDF | वो पहली बारिश - भाग 22

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वो पहली बारिश - भाग 22

"निया... कैसी है तू?", निया से हफ्तों बाद मिली सिमरन उसे गले लगाते हुए बोली।

लंबे काले बाल, गोल सा छोटा चेहरा, काली आंखें और उनकी शोभा बढ़ाते काजल और आई लाइनर, क्रीम टॉप और ब्लू जींस पहनी सिमरन इतनी खूबसूरत तो लग ही रही थी, की उन लोगों के आते ही कुछ पलो के लिए वो वहां बैठे सब लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी। पर लोगो पे ज्यादा ध्यान दिए बिना वो अंकित की और बढ़ी और उसको हल्का से मारते हुए बोली।
"कहां था तू, इतने दिनों से, आ गई अब दोस्त की याद?"

"पता है निया, इतने मैसेज किए इसे की बता तो क्या हुआ है, कहां है, वापस क्यों आया?, पर बदले में जवाब बस इतना ही आता हर बार, की मैं ठीक हूं, मेरी चिंता मत कर", निया की तरफ़ देखती हुई सिमरन बोली।

और निया ने बस एक टक उन दोनो को देखा और फिर नीचे मुंह करके खड़ी हो गई।

ये देखते ही, अंकित से साइड होती हुई, सिमरन निया की तरफ़ बढ़ी।
"अगर अभी बात पूरी नहीं हुई, तो कुछ और करूं मैं?", ये बोलते हुए सिमरन इधर उधर देख कर आगे जा रही होती है, की निया उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक लेती है।

"नहीं.. सब पूरा हो गया है। ये तो वहीं इयररिंग्स है ना?", बात घुमाने के लिए, सिमरन के चांदी के रंग के झुमको पे इशारा करके निया बोली।

"हां.. वहीं है। जो तेरे भाई ने लिए थे।", सिमरन ने बड़ी सी मुस्कराहट के साथ बोला।

"है कहां वो?", निया ने पूछा।

"किसी ज़रूरी काम से जाना पड़ गया उसे आज। पागल कहीं का, इतनी ज़रूरी बात बतानी थी सबको, और वो यहां नहीं है।", सिमरन बोल कर निया का हाथ पकड़ कर बाकी दोस्त की और ले जाती है, जो अब अंकित से मिल रहे थे।

"क्या हुआ है?", निया ने पूछा।

वहां खड़े लगभग 8-9 लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचते हुए सिमरन बोली।

"यार.. ज़रूरी बात तो सुन लो। वैसे तो करन आता तो हम मिल कर ये बताते, पर कोई नहीं। हमने फैसला लिया है, की हम शादी कर रहे है।", अपने हाथों में डाली कपल रिंग दिखाते हुए सिमरन बोली।

"इसमें ज़रूरी बात क्या थी?", पास खड़े एक लड़के ने मज़ाक करते हुए कहा।

"हां.. ये तो होना ही था एक दिन।", एक और ने मज़ाक करते हुए कहा।

"मैं तुम दोनो के लिए बहुत खुश हूं।", पास खड़ी निया ने सिमरन को गले लगाते हुए कहा।

"सब तेरी ही तो वजह से हुआ है।", निया का करन को अपना भाई बना कर, सिमरन के आगे उसकी बढ़ाई करना और उसे एक मौका देने की बात याद करते हुए सिमरन बोली।

"नहीं.. मैं नहीं, वो तो तुम दोनो हो.. जिन्होंने इसे रिश्ते को बरकार रखा है।", सिमरन की साथ वाली सीट पे बैठते हुए निया बोली।

सिमरन की खुशी में अपनी खुशी ढूंढती निया की नज़र अचानक से जब अंकित पे पड़ी, तो उसके चेहरे के उतरे रंग को वो नज़र अंदाज़ नहीं कर पाई और थोड़ा असहज हो गई।

"निया.. फिर आज तो मेरे साथ चल रही है ना.. शाम में खूब गप्पे मारेंगे, कल तो वैसे भी रविवार है।", खाना खा कर बिल का इंतजार करते हुए सिमरन बोली।

"नहीं यार.. आज नहीं हो पाएगा, वो जो मेरे दोस्त है ना,उनके साथ कल सुबह घूमने जा रही हूं, और सुबह जल्दी जाना है।", अगर आज सिमरन से बात की, तो अपने साथ साथ उसका मुड़ खराब कर देगी, ये सोच कर निया ने जाने से मना कर दिया।

"तो मैं तुझे सुबह जल्दी छोड़ दूंगी।", सिमरन ने तर्क दिया।

"सिमस्.. हम दोनो बैठेंगे तो तुझे लगता है, ये हो पाएगा।", अपने पुराने दिनों को याद करके निया ने हंसते हुए बोला।

"हां.. ये तो तूने एकदम ठीक कहा।", सिमरन भी हंसते हुए बोली। "पर फिर अगला वीकेंड सिर्फ हमारा होगा, कोई और प्लान मत बनाइओ, ठीक है?"

"ठीक है, पक्का।", निया ने प्यार से जवाब देते हुए कहा।

"बाय.. फिर मिलते है।"

"बाय..", कुछ बाय के आदान प्रदान के बात, जहां निया के बाकी मित्र और सिमरन दाएं चल दिए, वहीं निया और अंकित बांए मुड़ गए।

"तुम ठीक हो ना?", पूछूं ना पूछूं की असमंजस्ता में पड़ा अंकित एकदम से धीरे से बोला।

"हां.. तुम अभी भी वहीं रहते हो?"

"हां.. वो मेरे ऑफिस से पास पड़ता है ना।"

"ओ.. अच्छा।", बस इतना बोलने के बाद, बस में आधे से भी ज्यादा रास्ता साथ बैठे ये दोनों कुछ नहीं बोले।

**********************

बस नहीं निकली निया, सुनहरी शाम के जिस नज़ारे को अक्सर निया, खड़े होकर सराहाया करती थी, आज उसपे बिना ध्यान दिए ही अपने फ्लैट में भाग गई।

निया जैसे में फ्लैट में घुसी तो बुझी बुझी सी लग रही थी, उसे देख कर रिया ने पूछा।

"क्या हुआ, बात नहीं हुई?"

"हो गई।"

"फिर, क्या हुआ?"

"कुछ खास नहीं।", बस इतना सा जवाब देकर निया अपने कमरे में चली गई, और ना वो कुछ ज्यादा बोली और ना ही अपने काम में लगी रिया ज्यादा कुछ पूछ पाई।

थोड़ी देर बाद जब ध्रुव अपना प्लान बताने उन लोगों के पास आया, तो उसे भी निया को देख कर कुछ गड़बड़ तो लगी।

"ओए.. ये कुनाल कहां है?"

"अन्दर ही बैठा था, फोन पे बात कर रहा था।"

"अच्छा.. फोन कर रहा है वो, मैं देख कर आती हूं, की क्या हुआ है, तुम दोनो बैठो तब तक।", ये बोल कर सिमरन फ्लैट से बाहर निकल गई।

"ठीक है।"

"फिर से प्लान से पीछे हटने का इरादा है क्या?", निया के पास जाकर ध्रुव ने पूछा।

"नहीं.. कल सुबह पक्का चलूंगी मैं तुम लोग के साथ। वो अभी ना मुझे बहुत नींद आ रही है तो मैं चली सोने, बाय।", ये बोल निया उठ कर सोने चल दी।

"बाय..", ध्रुव भी ये कह कर वहां से चला गया।

*********************
"यार तू बिल्कुल पागल हो गया है, कौन कौन करता है ऐसे, की बाकी की लोकेशन सही, बस फ्लैट नंबर गलत। अब कहां पकडूं मैं पिज़्ज़ा वाले को।"

"नीचे जा.. खड़ा होगा वो।", कुनाल चिड़ते हुए बोला। "बता दिया है मैंने की हाउस नंबर गलत है, नहीं देगा वो वहां, फटाफट जा अब।"

"ठीक है।", बाहर निकल कर नीचे जाता हुआ ध्रुव बोला।

पिज़्ज़ा डिलीवरी ले कर ध्रुव आया ही था, की उसकी नज़र सीढ़ियों पर गई, और कुछ देख कर वो डर सा गया।

"कॏन है वहां??", वो घबराते हुए बोला।