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मर्डर (A Murder Mystery) - 3

भाग - 3


( अंकित के घर का दृश्य )



कुछ देर बाद अंकित के घर पहुँचकर उन लोगो से भी पूछताछ होती है। अंकित एक मध्यमवर्गीय परिवार का साधारण लड़का था। उसके पिताजी सरकारी मुलाज़िम थे।और डिपार्टमेंट की तरफ से ही मिले एक फ्लैट में रहते थे।अंकित के सभी घरवालों को अपने सामने बैठाकर इंस्पेक्टर विजय उनसे सवाल करना शिरू करते हैं।

"" आपलोगों ने बताया कि आप पुनीत की कार से अपने किसी रिश्तेदार के फंक्शन में गए थे। वो कार कहाँ है। कहीँ दिख नही रही।""

इंस्पेक्टर विजय की बात सुनकर सभी एक दूसरे का चेहरा देखने लगे जाते हैं। सभी के चेहरों पर एक डर साफ झलकने लगता है। इंस्पेक्टर विजय उनकी इस रहस्मयी चुप्पी को भाँपकर फिर कड़क स्वर में उनसे पूछते हैं। इस बार अंकित के पापा प्रेम नामदेव बोलना शिरू करते हैं।

"" जी इंस्पेक्टर साहब वो बात ये है कि हम लोग तो कल सुबह जाकर कल शाम में ही वापिस आ गए थे। गाड़ी यहीं घर के बाहर खड़ी थी। अंकित ने सोचा आज सुबह जाकर पुनीत को वापिस उसकी चाबी दे आएगा। पर पता नही कैसे.....""" कहते कहते अचानक प्रेम जी फिर अंकित और बाकी घर वालों की तरफ देखने लगते हैं।

"" पता नही का क्या मतलब!!!!!...बोलिये प्रेम नामदेव जी, आगे क्या बोलते बोलते रुक गए आप????""" इंस्पेक्टर विजय सबके चेहरों को गौर से पढ़ते हुए दोबारा सख्त लहजे में उनसे पूछते हैं।

पुलिसिया कड़क लहज़े से सहमे हुए वो धीरे से बोलते हैं।

"" जी वो ऐसा हुआ था कि गाड़ी तो यहीं बाहर पार्क की थी अंकित ने, पर जब सुबह देखी तो यहाँ नही थी। हम लोग इतना परेशान और डर गए कि किसी को कुछ समझ ही नही आया है कि क्या करें। पुनीत एक पैसे वाला लड़का है। उसके पिता ने इतनी मंहगी गाड़ी उसे ले देकर दी, और वो हमसे खो गई। हमे तो सुबह से ही कुछ कैसा लग रहा है क्या बताएं। रमनलाल जी को तो बताने की भी हिम्मत नही हो पा रही हमारी। बस इसलिए ही सभी डरे हुए से सहमे और घबराए हुए हैं साहब।""...प्रेम नामदेव विजय की तरफ चोर दृष्टि से देखते हुए झेंपकर बार बार चेहरा नीचे करते रहते हैं।

"" तो आपने पुलिस में कम्पलेंड तो अवश्य लिखाई होगी। "" विजय अगला सवाल दागते हैं।

"" जी सोचा तो था पर हिम्मत ही नही हुई। अंकित में भी पुलिस में जाने से मना कर दिया।"" प्रेम नामदेव अंकित की तरफ देखते हुए इंस्पेक्टर विजय से बोले।

अब सबका ध्यान केवल अंकित पर था। जो सबसे नज़रे चुराए अबतक खामोशी से सर नीचा किये हुए बैठा था। विजय अब उसकी और मुखातिब होते हुए उससे प्रश्न करते हैं।

"" बोलो अंकित , तुमने पुलिस में जाने से मना क्यो कर दिया। ""..इंस्पेक्टर विजय की एकटक नज़रे अंकित को ही घूरे जा रहीं थीं।

अंकित बहुत डरते हुए बोला।

"" डर की ही वजह से ही सर, यदि पुलिस में जाते तो पुलिस गाड़ी मालिक का पूछती फिर पुनीत के घर वालों को भी इस बात का पता चल जाता। में क्या कहता पुनीत से।""

"" वो तो अभी नही तो कभी पता चलना ही है। कोई खिलौने की कार तो है नही जो इस बात को सबसे छिपा लोगे। जरूर तुम कुछ छिपा रहे हो हमसे। तुम्हारी चोर नज़रे हम खूब समझ गए। मामला गाड़ी का चोरी का नही बल्कि कुछ और ही लग रहा है। सच सच बताओ सारी बात।""..इंस्पेक्टर विजय चेहरे पर क्रोध के भाव लाते हुए अंकित पर गरजे।

अब तो अंकित को काटो तो खून नही। वो इतना डर गया कि वहीं रोने लगा। उसकी ऐसी हालत देखकर विजय थोड़ा नरम पड़ते हुए उससे बोले।

"" देखो अंकित, रोने से काम नही चलेगा। वो कार हमे पुरुलिया गांव के नज़दीक जंगलों में एक्सीडेंट खाई हुई संदिग्ध परिस्थितियों में मिली है। तुम नही बताओगे तो हम पता कर ही लेंगे । पर ये मत समझना तुम बच जाओगे। एक तो पुनीत और तुम गाड़ी चलाने लायक उम्र के भी नही हो। उपर से हमे घुमा रहे हो। क्यो खामखां खुद के साथ साथ पूरे घर को मुसीबत में डाल रहे हो।तुम एक स्टूडेंट हो इसलिये थाने ले जाकर सख्ती नही करना चाहता। तुम्हारा भविष्य खराब करना नही चाहता। यदि बाद में हमे ऐसा कुछ भी पता चला जो तुमने हमसे छिपाया हो, तो यकीन मानो फिर में तरस नही खाऊंगा तुमपर। अभी तो चलते हैं। कल थाने आकर आप अपने फिंगरप्रिंट और ब्लड सेंपल दे जाइयेगा। कहकर इंस्पेक्टर विजय और साठे वहाँ से उठकर बाहर आ जाते हैं।

विजय साठे से बोलते हुए।

"" अपने हवलदार भेजकर आसपास के घरों में पूछताछ करो कि ये लोग सच बोल रहे हैं या नही। यदि कार यही बाहर पार्क थी तो पड़ोसियों की नज़र जरूर पड़ी होगी। और इस घर पर भी नज़र रखो। वो लड़का अंकित जरूर कुछ छिपा रहा है हमसे। घर वालों के सामने तो मैने ज्यादा जोरजबरदस्ती नही की पर दाल में कुछ काला तो है। तुम नज़र रखवाओ इस घर पर। ""..

दोनो केस पर बाते करते हुए थाने वापिस आ जाते हैं।



वापिस थाने आकर विजय दूसरे हवलदारों से केस की अपडेट लेते हैं।

"" वो कार की जांच रिपार्ट आ गई लैब से???...और उन तीनों नशेड़ियों में कुछ उगला या नही । "" कहते हुए वो अपनी टोपी उतारकर टेबिल पर रखकर कुर्सी पर जम जाते हैं।

उनके पूछते ही एक हवलदार अंदर केबिन में आता है।

"" सर, उन तीनों से बहुत कोशिश की पर वो यही बोलते रहे कि उनको कुछ ध्यान नही कुछ पता नही। वो तो नशे में धुत पड़े हुए थे। उन्होंने किसी को भी देखा भी होगा तो उनको याद नही।""

उस हवलदार की बात सुनते हुए इंस्पेक्टर विजय दराज में से वो एक्सीडेंट वाली फोटोग्राफ्स निकालकर गौर से देखने लगते हैं। तभी एक और हवलदार आकर इंस्पेक्टर विजय से बोलता है।

"" सर उस एक्सीडेंट वाली जगह पर के आसपास सभी लोगो से पूछताछ की पर सबने इस बारे में एक ही बात कही की उस रास्ते पर रात में कोई भी नही जाता। जंगल का रास्ता है वहॉं आये दिन दुर्घटना होती ही रहती है। कुछ लोगों ने तो यहाँ तक कहा कि उस रास्ते पर किसी प्रेतात्मा का साया है। जो रात में गाड़ी चलाने वालों को सड़क पार करते हुए दिखती है। जिससे स्पीड में आती गाड़ी उसे देखते ही अचानक ब्रेक लगने से अनियंत्रित होकर एक्सीडेंट का शिकार हो जाती है। पहले भी वहां कुछ दुर्घटनाएँ हो चुकी हैं। और सभी ने वही एक बात कही कोई लड़की रोड क्रॉस करते हुए दिखती है। पर जब गाड़ी रोककर देखा जाता है तो वहां कोई नही दिखता।""..

उस हवलदार की बात सुनकर विजय मुंह बनाते हुए बोलते हैं

"" व्हाट नानसेंस !!!!!..गांव वाले तो अक्सर इन्ही आत्माओं में ही यकीन करते हैं। जरा सा कुछ ऐसा समझ से परे हुआ नही की लग गए भूत पुराण बांचने। "" सही से इन्वेस्टिगेशन करो । जिन दुर्घटनाओं का जिक्र वो गांव वाले कर रहे हैं उसका पता करो। मुझे हर एक्सीडेंट की अपडेट चाहिए। फ़ाइल निकलवाकर लाओ। में खुद स्टडी करूँगा। ""..

उनकी बात सुनकर वो हवलदार वहाँ से चला जाता है।


(एक दो दिन बाद थाने में)


इंस्पेक्टर विजय वो सभी एक्सीडेंट केसेज की फ़ाइल का अध्य्यन कर रहे होते हैं तभी एक आदमी उनसे मिलने थाने आता है।उसे देखकर विजय उसे बैठने का इशारा कर आने का कारण पूछते हैं।

"" नमस्ते इंस्पेक्टर साहब, मेरा नाम विपिन ताम्रकार है। में अंकित का पड़ोसी हूँ। वो आपके कुछ हवलदार आकर उनके बारे में पूछताछ कर रहे थे। में वहां तो कुछ बोल नही पाया, पर बाद में लगा कि मुझे ये बात आपको बतानी चाहिए इसलिए यहां अकेले मिलने चला आया""... विपिन इंस्पेक्टर विजय की तरफ देखते हुए बोले।

"" हाँ हाँ , बेझिझक बोलिये। क्या बताना चाहते हैं आप उस बारे में।""..विजय उन फाइल्स को टेबिल पर एक तरफ रखते हुए बोले।

"" जी वो, कार एक दिन पहले शाम तक तो उन्ही घर के सामने खड़ी थी। में अक्सर शाम का खाने के बाद बाहर टहलने लगता हूँ हवा में। उस शाम को भी में ऐसे ही सड़क पर टहल रहा था तो मैने देखा कि कोई दो लोग अंकित के घर के बाहर खड़े थे। थोड़ी देर में अंकित भी निकल कर बाहर आया और उनको एक कोने में ले जाकर बात करने लगा। जैसे उनको कुछ समझाने की कोशिश कर रहा हो। फिर वो वापिस अंदर गया और थोड़ी देर बाद बाहर आकर उनको कोई चीज़ दी। फिर वो लोग उस खड़ी हुई कार को गौर से देखने लगे। उसके बाद वो लोग वहॉं से चले गए और अंकित भी अंदर चला गया। उसके बाद अगले दिन सुबह वो कार वहां नही थी। अंकित के पापा अंकित को डांट कर उस कार के बारे में पूछ रहे थे पर वो कुछ खास जवाब नही दे पा रहा था। बस साहब यही सब देखा उस दिन में। मुझे लगा आपको बताना चाहिए तो में ये बात बताने चला आया। बस इतना ही जानता हूँ मै साहब। ""..विपिन इंस्पेक्टर विजय से गम्भीरता से बोले। और अपना बयान देकर वहां से चले गए।

उनकी बात सुनकर विजय सोच में पड़ जाते हैं। वो अचानक साठे से पुनीत और अंकित के स्कूल चलने का बोल थाने से निकल जातेहैं।


( स्कूल का दृश्य )


प्रिंसिपल के सामने इंस्पेक्टर विजय और साठे बैठे हुए उनसे कुछ जरूरी पूछताछ करते हैं। फिर पुनीत के और दोस्तो से मिलने की इजाज़त लेकर वही एक खाली रूम में पुनीत के दोस्तो को एक एक कर बुलाया जाता है। जिनसे विजय बड़ी गहनता से पूछताछ करते हैं। पुनीत के सभी दोस्त उनको पुनीत के व्यवहार और बाकी बातों के बारे में बताते हैं। पुनीत के ऐसे ही एक क्लासमेट भरत से बात करते हुए इंस्पेक्टर विजय।...

"" पुनीत के सभी दोस्तों ने उसके बारे में हमे बहुत सी बात बताई है। वो पैसे का घमंडी है। स्कूल में सभी के सामने वो अपनी अकड़ और स्टाइल को लेकर काफी फेमस है। थोड़ा सरफिरा भी है। और स्कूल की लड़कियों के साथ ठीक से पेश नही आता। लेकिन वो पढ़ाई को छोड़कर बाकी एक्सट्रा एक्टविटी में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता है। उसकी और अंकित की बड़ी दोस्ती है। अंकित एक साधारण परिवार से है। और पुनीत पैसे वाला, पर फिर भी दोनो में गजब की दोस्ती है। सभी लोगो का यहाँ तक तो यही कहना है।

टीचर्स और बाकी स्टूडेंट्स ने बताया कि वो भले कैसा भी हो पर डांस में बहुत अच्छा है। डांस करने में उसका कोई तोड़ नही। और उसने एक रियलिटी शो में भी पार्टिसिपेट किआ है। जिसमे उसका सिलेक्शन भी हो चुका है। इन सबके अलावा भरत तुम हमे वो बताओ जो इन सबमे से किसी ने नही बताया। मतलब कोई ऐसी बात जो तुम जानते हो उसके बारे में या अंकित के बारे में। जो शायद और कोई नही जानता हो। ""..इंस्पेक्टर विजय भरत के कंधे पर हाथ रखते हुए उसे विश्वास में लेकर पूछते हैं।

भरत पहले तो इधर उधर देखकर थोड़ा घबराता है। फिर धीरे से बताना शिरू करता है।

"" सर और लोगो ने जो बताया वो एक दम सच है। पर .....""" भरत कुछ कहते हुए अचानक खामोश हो जाता है। विजय उससे प्यार से फिर पूछते हैं।

भरत थोड़ा हिम्मत करके फिर बोलना शिरू करता है।

"" सर वो पुनीत हेना वो क्लास की ही एक लड़की अभिलाषा को बहुत पसंद करता है। पूरी क्लास और टीचर्स सभी ये बात अच्छे से जानते हैं। पर कोई इस बारे में ज्यादा बात नही करता। ना ही किसी को करने देता है। पुनीत अभिलाषा को इम्प्रेस करने के चक्कर मे दूसरे स्टूडेंट्स के साथ कभी कभी बुरा बर्ताव करता था। लेकिन पिछले कुछ दिनों से पता नही क्या हुआ कि वो लड़की अभिलाषा उससे बात करना ही बन्द कर दी। पुनीत के बार बार बात करने पर भी उसे कोई खास जवाब नही देती थी। उसने अचानक से पुनीत से दूरी बना ली थी। पुनीत इस बात से बहुत परेशान रहने लगा था। वो स्कूल भी कम आने लगा था। और अभी 3-4 दिन से तो अंकित भी नही आ रहा। अभिलाषा भी स्कूल नही आ रही दो तीन दिन से तो। और सर ये जो अंकित हेना ये ड्रग्स भी लेता है। पुनीत के साथ साथ इसने कुछ दूसरे लड़को को भी ये लत लगा दी। मेने खुद अपनी आंखों से स्कूल के पीछे वाली सुनसान जगह पर इनको ये सब करते देखा है। अंकित को पुनीत के पेसो का लालच है सर। इसी वजह से उसके साथ घूमता है। पुनीत अपने दोस्तों पर बहुत पैसा उड़ाता है। "" भरत डरते हुए इंस्पेक्टर विजय से बोला।



इंस्पेक्टर विजय भरत की बात सुनकर कुछ सोचते हुए अपना अगला सवाल करते हैं।

"" सुना है पुनीत की स्कूल में कुछ लड़कों से लड़ाई भी हुई। हाथापाई हुई। जिसमें उसके पाँव में चोट लगी है। तुमने भी देखा होगा ये सब !!!!!"""

विजय की बात सुनकर भरत हामी भरते हुए आगे बोलता है।

"" जी सर, दरअसल इस स्कूल से उस डांस कॉम्पिटिशन में एक दूसरा लड़का संतोष मेहरा भी पार्टिसिपेट कर रहा था। पर पुनीत से कुछ ही नम्बरों में मात खा गया। उसका अगले राउंड में सिलेक्शन नही हो पाया। उसी वजह से उसने पुनीत को कुछ बोल दिया और दोनो में स्कूल के बाद झड़प भी हुई थी। जिसमे उसने पुनीत के पांव पर लकड़ी से जमकर वार किआ और पुनीत को चोट आ गई। अब तो लगता है पुनीत भी उस कंपीटिशन में हिस्सा नही ले पायेगा। ""..भरत इंस्पेक्टर विजय को बताते हुए बोला।

विजय , भरत से अभिलाषा के व्यवहार पढ़ाई और चाल चलन के बारे में और भी भरत से बारीकी से पूछताछ करते हैं। भरत अभिलाषा को एक अच्छी और सुलझी हुई लड़की ही बताता है। मध्यम वर्गीय परिवार की एक होनहार छात्रा के रूप में स्कूल में सभी अभिलाषा की पहचान बताते हैं।

इंस्पेक्टर विजय किसी गहरी सोच में पड़ जाते हैं। फिर वो अभिलाषा के घर का पता लेकर उसके घर पूछताछ के लिए निकल जाते हैं।

( रास्ते मे गाड़ी में आपस मे बात करते हुए)

साठे इस भरत पर भी नज़र रखो। मुझे लगता है ये अभी भी हमसे कुछ छिपा रहा है। और उस अंकित को शाम को थाने बुलाओ। मुझे उससे और भी पूछताछ करनी पड़ेगी। वो बहुत कुछ और भी जानता है इन सबके बारे में। वहां घर मे पिता के सामने बोल नही पा रहा था। और उनके पड़ोसी विपिन ताम्रकार भी बता रहे थे कि कोई दो लोग उससे मिलने आये थे जिसे अंकित में कोई चीज़ दी थी। उन दो लोगो का भी पता करो। ये ड्रग्स का एंगल नया जुड़ गया है अब इस केस में। उस अंकित को खंगालना ही पड़ेगा। यदि भरत की बात सच हुई तो ये बहुत ही गम्भीर मसला है एक स्कूल स्टूडेंट्स ड्रग्स सप्लाई करता है। मुझे लगता है भरत झूठ नही बोल रहा है। उसकी आँखों मे सच्चाई थी। ""...विजय हाथ मे डंडा लिए अपनी हथेली पर हल्के से मारते हुए साठे से बोले।

कुछ ही देर में अभिलाषा का घर आ जाता है। वो घर मे अभिलाषा से पूछताछ करते हुए।

"" तुम पुनीत को कबसे और कितना जानती हो हमे सब बताओ। वो हर एक बात जो तुमको पता है सभी।""...विजय अभिलाषा से बोले।

"" सर, पुनीत और में अच्छे दोस्त थे। पर में उसके बारे में ज्यादा नही जानती थीं वो स्कूल में सबसे अलग था। सबमे मिक्स नही होता था। उसका एक अपना अलग ही स्टैंडर्ड है। उसने एक बार मेरी हेल्प की थी जब में बीमार हो गई थी और स्कूल नही जा पाई थी वो घर पर ही मुझे पढ़ाई सम्बन्धी नोट्स उपलब्ध कराता था। तबसे ही वो मेरा अच्छा दोस्त बन गया था। पर धीरे धीरे जब मुझे उसकी और आदतों के पता चला तो मुझे उससे घृणा हो गई। एक दिन मेने उसे अपने दोस्तों के साथ मेरे बारे में भद्दा मजाक करते हुए सुन लिया। उसी दिन से मैने सारी फ्रेंडशिप खत्म कर दी। मुझे बाद में महसूस हुआ कि वो एक अमीर बाप की बिगड़ी हुई सन्तान है। ""...अभिलाषा नज़रे झुकाकर विजय से बोली।

उसकी बात गौर से सुनने के बाद विजय उसकी तरफ गम्भीरता से देखते हुए बोलते हैं।

"" देखो बेटा, तुमको डरने की कोई जरूरत नही। यदि इसके अलावा भी कोई बात ऐसी है जो तुम किसी को बता नही पा रहि हो तो या तुमको कोई डर है तो बेफिकर होकर मुझे बता सकती हो। में वादा करता हूँ वो सब बातें अपने तक ही रखूंगा। पर मेरे लिए सबकुछ जानना जरूरी है। ""..विजय अभिलाषा को विश्वास में लेते हुए उसके मन का डर दूर करने की कोशिश करते हैं।

अभिलाषा कुछ देर तो गहरी सोच में पड़ जाती है फिर डरते हुए धीरे से इंस्पेक्टर विजय से बोलती है।

"" सर एक बात है । में अक्सर स्कूल की पढ़ाई के सिलसिले में पुनीत के घर जाती रहती थी। पर मुझे वहां कुछ ठीक नही लगता था। पुनीत की जो मम्मी हैं उनका व्यवहार ना ही अंकल से ना ही पुनीत से ठीक था। किसी ना किसी बात को लेकर उनके घर मे हमेशा बहस होती ही रहती थी। पुनीत की मम्मी का नेचर मुझे भी अच्छा नही लगा। में जब भी उसके घर जाती तो मुझे बड़ी अजीब नज़रों से घूरती रहती थीं। वो पुनीत के पापा के एकाउंटेंट हैं ना एक बार पैसे के हिसाब किताब को लेकर भी उसकी मम्मी और पापा में बहुत लड़ाई हुई थी। पुनीत के पापा फिजूलखर्ची को लेकर उसकी मम्मी पर बहुत बिगड़ रहे थे। फिर बाद में पुनीत की मम्मी ने गुस्से में उनके अकाउंटेंट को देख लेने की धमकी भी दी थी। उस दिन के बाद से फिर कभी उसके घर जाना नही हुआ। और बाद में तो स्कूल के उस वाकये के बाद मेरी पुनीत से बातचीत भी बन्द हो गई। ""

"" तुम दो तीन दिन से स्कूल क्यो नही जा रही हो??? ""..इंस्पेक्टर विजय अभिलाषा से पूछते हैं।

"" सर उस दिन स्कूल में पुनीत की लड़ाई हुई थी। जिस लड़के से उसकी बहस हुई थी उसने मुझे लेकर पुनीत को बहुत भद्दे कमेंट भी किये थे। मुझे अच्छा नही लगा। उस लड़के ने मुझे भी बड़ी खूंखार नज़रों से देखा था। में बुरी तरह डर गई थीं । इसलिए ही स्कूल नही गई उस दिन से। पर अब एक दो दिनों में जाऊंगी। पर सर एक बात और हे वो पुनीत का दोस्त हेना अंकित। वो उस लड़के के साथ भी उठता बैठता है। मेने खुद कई बार उसे उन आवारा लड़को के साथ देखा है।"..

"" हम्ममम्म, उस लड़के का क्या नाम है । उसके बारे में कुछ जानती हो तो बताओ । जिस लड़के की पुनीत से लड़ाई हुई थीं???"" इंस्पेक्टर विजय अभिलाषा से पूछते हैं।

"" सर उस लड़के का नाम संतोष मेहरा है। एक नम्बर का गुंडा टाइप लड़का है सर। उसकी पुनीत से बिल्कुल नही पटती है। यूँ समझ लीजिए क्लास में दो ग्रुप थे एक संतोष का एक पुनीत का। संतोष के पापा नही हैं। बस माँ है। वो बस्ती में रहता है। वो दिनभर बाहर बदमाश टाइप के लड़कों में ही उठता बैठता है। मेने कई बार देखा है उसको। इनफैक्ट मुझे भी दो एक बार छेड़ा था उसने। पर पुनीत ने उसे अच्छे से समझा दिया था । जब उस दिन पुनीत और उसकी लड़ाई हुई तो संतोष ने प्रिंसिपल को भी धमकी थी। उन्होंने उसी दिन उसे स्कूल से निकाल दिया था। पूरी क्लास में एक पुनीत ही है जो सबके सामने खुल्लम खुल्ला उस संतोष से दुश्मनी लेता रहता है । बाकी किसी की हिम्मत नही पड़ती थी कि संतोष को कुछ भी बोले।

उसकी बात सुनकर विजय उसे अंदर जाने का इशारा करते हैं। उसके बाद उसके घर वालो से पूछताछ करते हैं। अभिलाषा के माता पिता उसे एक सिंसियर और होनहार लड़की बताते हैं। उनलोगों से पूछताछ करने के बाद इंस्पेक्टर विजय वापिस थाने आ जाते हैं।