Vo Pehli Baarish - 24 in Hindi Fiction Stories by Daanu books and stories PDF | वो पहली बारिश - भाग 24

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वो पहली बारिश - भाग 24

"आ.. आ..।"

"बारिश में पानी ही गिरता है बस, पत्थर नहीं, जो तुम दोनों ऐसे चिल्ला रहे हो।", अपने दोनो तरफ़ से आती हुई आवाज़ को सुन कर रिया कुनाल और निया से बोली।

"ओह शट.. अब मेरे प्लान का क्या होगा?", ध्रुव खुद से बोलता है। "मुझे डेट करने वाले लोगो के साथ नहीं जाना, आज ही ये बोलना था क्या मुझे।", ध्रुव अपने माथे पे हाथ पटकते हुए बोला।

"सुना नहीं तूने, बस पानी ही है, तो ज्यादा ओवरएक्टिंग मत कर।", ध्रुव को देख कर कुनाल मज़ाक में बोला।

"चलो वहां बैठे", बारिश से भाग कर शेड के नीचे आते हुए, निया एक खाली बेंच की ओर इशारा करते हुए बोली।

वो चारो साथ जा कर वहां बैठे और कुछ देर अपने बचपन की यादें ताज़ा करते है।

"पता है.. मैं तो हमेशा बारिश में नहाने भाग जाता था, और वापस आते ही मम्मी मेरे पीछे डंडा लेकर भागती थी।", कुनाल हंसते हुए बोला।

"और हम पता है, छत पे जाकर डांस करा करते थे।", निया भी बचपन की यादों में खो कर बोली।

"और हम क्लासेज बंक करके शर्मा जी के पकोड़े खाने जाते थे।", रिया भी खुद को मुस्कराने से रोक नहीं पाई।

"ध्रुव.. ध्रुव.. तूने कुछ नहीं बोलना?", सब चुप कर ध्रुव की और देखते हुए बोले, जैसे कोई अनकही सी गेम चल रही हो, और ध्रुव ने अपनी बारी में कुछ नहीं किया हो।

"हां.. वो.. सॉरी मैं कुछ सोच रहा था, तो कहां थे हम?", ध्रुव उनसे पूछता है।

"कहीं नहीं, बस सब खुश हो रहे थे, और तेरे चेहरे से खुशी गायब थी।", कुनाल ने कहा।

"अरे नहीं.. वो बस यूं ही।", ध्रुव अपना गला साफ करते हुए बोला। "..बारिश रुक गई", बाहर देखते हुए, एकदम से ध्रुव बोला।

ध्रुव के इतना बोलने की देर थी, और चारों वापसी के लिए निकल दिए।

"यार.. वो मूवी पे नहीं चल सकती है", कुनाल बोला।

"है? क्यों?", ध्रुव ने फट से पूछा।

"तबियत सही नहीं लग रही है उसे, तो इसलिए मैंने ही मना कर दिया।"

"पर आ जाती ना मूवी के बाद सीधा चले जाती या तो।"

"क्या ही करेगा उसे बुला कर, वैसे भी तुझे अजीब लगता है ना कपल्स के साथ?"

"एक बार तो मिल सकती थी ना वो।"

"कोई नहीं, तू मुझसे ही मिल ले अभी, फिर उससे मिल लियो।"

"हाहा.. बिल्कुल।", ध्रुव ने बात करते हुए बोला।

फिर चारो ने तय किया, की वो वहीं से मूवी देखने चले जाएंगे।

*********************

शाम को मूवी देख कर, खा कर और ढ़ेर सारी खरीदारी कर के जब कुनाल और ध्रुव वापस कमरे में आए तो अचानक से कुनाल का फोन बजा।

"हाय.. अब कैसी तबियत है आपकी?", कुनाल फोन पे बात करते करते बाहर जाता हुआ बोला।

"आपकी? ये भी किसी को आपकी बोल सकता है?", ध्रुव ने खुद से बोला।

कुनाल बालकनी में खड़ा था, और ध्रुव से बालकनी की दीवार पे दरवाज़े के पीछे ऐसे कान लगा कर खड़ा हो गया, की कुनाल को वो दिखाई ना दे, और उसे सब सुनाई दे जाए।

"अरे वाह.. मतलब अब बिल्कुल सही है।
हां.. क्यों नहीं।
अच्छा.. सही है।
फिर डिनर के लिए ही मिलते है, मैं पिक करु या सीधा वहीं मिल जाओगे?
बाय.. टेक केयर, अब आप काट दो पहले।"
"ये पागल वागल हो गया है क्या?", कुनाल की एक तरफा बातें सुन कर, ध्रुव सोचता है।

"ओए ध्रुव..", चिल्लाता हुआ कुनाल बालकनी से हॉल में आया तो ध्रुव को बालकनी की दीवार के पास खड़ा पाया।
"क्या कर रहा है तू, यहां?", कुनाल ने पूछा।

"वो मैं.. वो मैं.. दीवार, दीवार को थपथपा रहा हूं, की इतनी मजबूत है और इतनी मजबूती से रोज हमारा साथ देती है।"

"थपथपा??"

"हां.. थपथपाना, पता है, कहते है, की इससे दीवारे मजबूत रहती है। बहुत अच्छा होता है, तू भी कर के देख।"

"अ.अ.. अभी तू ही कर, मुझे अभी जाना है, बाद में करते है मिलकर फिर", अजीब सा मुंह बनाता हुआ, कुनाल बोला।

"जाना.. कहां जाना है?", अपने शरीर की मुद्रा ठीक करते हुए ध्रुव ने पूछा।

"डिनर के लिए", कुनाल ने बताया।

"पर अभी थोड़ी देर पहले तो तूने बोला था की तूने इतना खा लिया की तेरा पेट फट रहा है।"

"समझा कर ना यार..", धीरे से ये बोलता हुआ, कुनाल बाहर निकल गया।

"एजेंट 002, मुझे तुम्हारी मदद चाहिए।", फट से फोन घूमता हुआ ध्रुव बोला।

"हह??"

"अरे निया.. मदद चाहिए, आ जाओ।"

"हां.. वो तो ठीक है, पर 002 नहीं 007 होता है, तुम्हें इतना भी नहीं पता।"

"ऐसे कैसे होता है, जब हम लोग ही 2 है, तो मैं तुम्हें 7 नंबर कैसे दे दू? सात तभी आएगा ना, जब हम पहले के 6 लोग ढूंढ लेंगे।"

"ये तो बस नंबर है, कोई भी कैसे भी दिया जा सकता है, और 7 कूल लगता है।"

"तुम बहस करे बिना नहीं मानोगी ना? अगर हो गई हो तो ये बताओ चल रही हो?"

"हां.. पर कहां?"

"वो तो पता करना पड़ेगा।", बाहर भागता हुआ ध्रुव, कुनाल को ढूंढता है ।

"बस 5 मिनट में आई।", ये बोल कर निया फोन काट देती है।

"बस 5 मिनट में आई...", लगभग 20 मिनट के बाद आई निया की देख कर ध्रुव बोला।

"तुम्हारी तरह नहीं हूं ना, की बस मुंह उठाया और चल दी।", निया ने भी सामने से बोला।

"अब चलने को कहीं होगा, तो चलेंगे ना। पहला प्लान तो फेल हो गया, अब इसका भी फ्लॉप होना तय लग रहा है।", ध्रुव बोला।

"रुको.. रुको.. आइडिया है एक", ध्रुव बोल तो निया से रहा था, पर ऐसा लग रहा था, जैसे वो खुद से बात कर रहा हो।

उसने फटाफट से फोन उठाया और बोला।
"ओए.. तू अगर बानेर जा रहा है, तो मुझे रास्ते से राशन का सामान मंगाना था तुझसे।"

"राशन का सामान.. अबे कितना खाएगा, आज ही तो इतना सब लाए है।"

कुनाल के इस जवाब पे, ध्रुव ने अपनी आंखें बंद करके मुंह भींच लिया।
"यार, चाहिए मुझे कुछ ज़रूरी, तू बता जा रहा है क्या?"
"नहीं.. मैं वहां नहीं जा रहा।", कुनाल ने सामने से कहा।

"तो फिर औंध?"

"नहीं.. वहां भी नहीं।"

"यार.. ऐसे तो मैं पूछता ही रह जाऊंगा, तू ये ही बता दे ना की कहां जा रहा है।", ध्रुव ने पूछा।

"तू मैसेज करदे क्या क्या चाहिए, अगर मिला तो आते बारी मैं ले आऊंगा.. हांजी भैया, कुनाल के नाम से ही है.. चल कैब आ गई है, मैं जा रहा हूं.. बाय।"