Lavanya - 13 books and stories free download online pdf in Hindi

लावण्या - भाग 13

लावण्या के हाथ से फोन नीचे गिर गया और वो भी ढ़ेर होके नीचे बैठ गई ,,,,,
श्रुति ने फटाफट फोन उठाया और सामने पूछा आपने क्या बोला वह फिर से बताओ,, ,,
सिया ना फिर से सारी बात बताइए,,,,, श्रुति ने उसे आश्वासन देते हुए कहा मैं कोशिश करूंगी कि वह जल्द से जल्द वहा आ जाए,,,
और उसने फोन रख दिया,,,,!!

वह लावण्या से कुछ कहती उस्से पहले ही लावण्या ने अपने आप को ठीक किया ,,,आंसू पोंछे और श्रुति को कहा मुझे घर ले चलो,,,,,
श्रुति_____
यार अभी तुम पुरी तरह से ठीक नहीं हुई,,, डोक्टर ने तुम्हें अभी यहा रहेने को बोला है ,,,अभी डिस्चार्ज देने से मना किया है ,,,
अभी बहुत ज्यादा कमजोर हो तुम,,,!

लावण्या ने कहा _____
मैं कल तक कि राह नहीं देख सकती मुझे इंडिया के लिए किसी भी हाल में आज ही नीकल ना है ,,,,और वो भी अभी,,!
तुम आ रही हो,, या नहीं ,,,?
या फिर में अकेली चली जाऊ,,,,,,
श्रुति ने ना चाहते हुए भी कहा ओके ओके मैं आती हूं,,,,,! उसने डॉक्टर को सारी बातें बता दी और वहां से लावण्या को लेकर घर निकल गई ।
वह लोग कुछ ही देर में घर पहुंच गए,,,, श्रुति ने ऑनलाइन टिकट बुक करवा दी थी।
लावण्या जल्दी से ऊपर गई ,, पर्स लिया उसमें जरूरी डाक्यूमेंट्स पासपोर्ट रखा और वो नीचे आ गई,,,,,
उसने श्रुति की ओर देख कर कहा _____मुझे एयरपोर्ट छोड़कर आने के बाद ही तुम विक्रांत को बताना कि मैं क्यों गई हुं,,,!
और उसे बोलना कि वह मेरे पीछे ना आए मैं,, कुछ वक्त के बाद अपने आप यहां आ जाऊंगी,,,!!
और हां,,,,,, एक बात और
उसे बोलना अगर वह मेरे पीछे आया तो मैं उसके मॉम डैड को बता दूंगी कि उसने मेरे बच्चे को मारा है,,,,!
और वह अपने घर को एक नजर देखने लगी जैसे वह वापस आना ही ना चाहती हो ।।।।
दोनों कार में बैठ गए और श्रुति ने एयरपोर्ट की ओर अपनी गाड़ी भगा दि,,,,,,,
लावण्या ने श्रुति को थैंक यू बोला और हग किया और वह अपनी मंजिल की ओर जाने लगी ,,,,,, श्रुति जाती हुई लावण्या को देखते रही ,,,,,,,,!
लावण्या फ्लाइट में बैठ चुकी थी और फाइनली उसने जैसे कनाडा को बाय बाय बोल दिया था।।
उसने अपनी आंखों पर चश्मा लगाया और सोने की कोशिश कर ने लगी,,,
लावण्या के दिल में बहुत उथल-पुथल मची हुई थी ।।। आज एक ही दिन में उसने अपना बच्चा और नाना नानी दोनों को खो दिया था।
___________

लावण्या पूरे पंद्रह घंटे के बाद दिल्ली पहुंची थी,,,,,, उसने किसी को नहीं बताया था कि वह कब पहुंचने वाली है,,,
पर जैसे ही वो फ्लाइट में बैठी श्रुति ने सिया को फोन कर दिया था इसलिए सचिन उसे एयरपोर्ट लेने आ गया था।
सुबह के आठ बज रहे थे,,,,,लावण्या एयरपोर्ट से बाहर आई थी ,,,, वो जैसे ही गेट के पास आई उसने सचिन को देखा,,,
सचिन बार बार उसे ही फोन लगा रहा था पर उसका फोन स्विच ऑफ हो गया था तो लगता कैसे,,,,सचिन बार बार गेट की और देख रहा था,,,,,,
पर उसके सामने आती हुई लावण्या को उसने नही पहचाना,,,,,
पहचानता भी कैसे,,,, वो पहले जैसी रही नहीं थी,,,, ना चहेरे पर पहेले सी हसी ना वो नूर,,,, दिखने मे भी काफि कमजोर लग रही थी,, ,!!
सचिन उसकी राह तके हुए वहां खड़ा था ,,,, वो उसके करीब आई फिर भी वो पहचान नही पाया,था ,,,
पर जब लावण्या उसके पास आकर बोली गाड़ी स्टार्ट करो तब वो उसकी आवाज से लावी को वो पहचान पाया,,,,,,,!
वो बस उसे देखता ही रहा और उसके मुह से निकल गया,,,,लावी तुम्हे हुआ क्या है,,,,,???
ये क्या हाल बना रखा है,,
लावण्या कुछ भी बोले बिना ही कार मैं बैठ गई,,,,,,,पूरे रास्ते में गाड़ी में सन्नाटा रहा,,,,,!!
सचिन पूछना तो बहुत कुछ चाहता था पर उसके मुंह से एक शब्द नहीं निकला ,,,, लावण्या के आंखों से आंसू नीचे टपक रहे थे।
गाड़ी में भी गम का माहौल छा गया था,,,!

आधे घंटे का सफर , सालो सा लगा।
वो लोग पहुंच गए थे,,,,
लावण्या कार से उतरी,,,,,, उसके कदम जैसे भारी हो गए थे,,,
उसे चलने में भी मुश्किल पड़ रही थी ,,,!!
वह चलते-चलते गिर ही जाती अगर सचिन ने ना संभाला होता।
वो धीरे धीरे धीरे कर कर एक-एक कदम घर की और बढ़ा रही थी,,,,, वह जैसे लिविंग एरिया में आई ......उसने अपने नाना नानी का नश्वर देह देखा ,,,,,वो चिर निद्रा में सोए हुए थे,,,,!
उसकी नजर के सामने उसके बचपन की सारी याद ताजा हो गई,,, कैसे नाना नानी उसके पीछे भागते थे उसे खिलाने के लिए ,,,,
उसके साथ खेलते ,,, नानु घोडा बनके उसे पुरे घर में घुमाते उसे लग रहा था नानु उसे आवाज दे रहे है,,,,पूरे घर में नानु की आवाज गुंज रही थी मेरी गुड़िया मेरी गुड़िया,,,,,!!

वो वही नानू के नश्वर देह के पास बैठ गई,,,और उनके सीने पर अपना सर रख दिया,,,,,
वो एक छोटे बच्चे की तरह लग रही थी,,,, जो बारी बारी से नाना-नानी के सीने लग कर बिना आवाज किये रो रही थी।
वहां खड़ा हर व्यक्ति इस दृश्य को देख कर रो रहा था।।।।
और मामा-मामी, सिया और सचिन जब उन्होंने लावण्या का ये हाल देखा तो,,,, कुछ पल के लिए वो नाना-नानी को खोने का दुख भूल ही गए थे ,,,,,
जब वहा दूर खड़े चंद्रशेखर जी ने लावण्या का यह हाल देखा तो उनके दिल से भी आह निकल गई
उन्हें पता था कि उसको अपने नान नानी को खो ने का दर्द है ,,,,
पर आज उन्हें लावण्या में लक्ष नजर आया,,,,
उसे देख कर सब बहुत ज्यादा शोक्ड थे, की एक जिंदादिल लड़की इस हालत में,,,,,!!

तभी पंडित जी ने मामा जी को कहा,,,, हमें पता है कि बहुत तकलीफ की घड़ी है,,, पर अब अग्नि संस्कार का टाइम हो रहा है,,,
अगर पंचक बैठ गए तो अशुभ बात हो जाएगी,,,,,!

मामा जी ने सिया को इशारा किया उसने लावण्या को वहा से उठाया,,,
लावण्या ने नाना-नानी के आखिरी दर्शन किये और सामने कोने मे जाकर बैठ गई। ।

वहां से उन दोनो को अग्नि संस्कार के लिए ले जा ले जाया गया,,,,
श्मशान भूमि में
माम जी ने अपने माता-पिता को अग्नि दान दिया और वहां चिता मे विलीन होते हुए मा-बाप को देखते हुए खड़े रहे,,,,,,!

उन दोनों की पवित्रा आत्मा पंचभूत में विलीन हो चुकी थी। चंद्रशेखर जी ने मामा जी के कंधे पर हाथ रखकर कहा,,, मुझे पता है ,,,
की आपकी तकलीफ हम नही ले सकते ,,, पर अब आप अगर उनके पीछे ओर आंसु बहाओगे तो उनकी आत्मा को बहुत तकलीफ होगी ।
अब आपको अपने घरवालों को और खास कर के लावण्या को संभालना है ।
उन्होंने वहा दूर खड़े लक्ष को कहा तुम अभी सुधीर के साथ घर जाओ,,,
लक्ष ____
नहीं पापा आप जानते हो मैं वहां नहीं जा सकता,,,,,,

चंद्रशेखर जी ने कहा____
मैं जानता हूं इसलिए मैंने तुम्हें कहा कि वहा जाओ,,,,,और लावण्या को संभालो,,,, !!!
सच में वो तकलीफ में है और शायद तुम्हारे अलावा उसे कोई नहीं संभाल सकता,,,,!!

लक्ष को अपने पिता के कहे हुए शब्द बार-बार अपने कानों में गूँज रहे थे,,,
लावण्या तकलीफ है ,,,,क्या हुआ है इसे,,,???
उसने तो सोच लिया था कि जब वह आएगी तो वह एक बार भी उसे देखने नहीं जाएगा या उसके सामने नहीं जाएगा।
अब वह किसी की बीवी है,, और अब उसका ना हक हे ना वो जता सकता है।
पर अपने पापा के मुंह से ये सुनकर उसका दिल बेचैन हो गया।
उसने अपने पापा को "हा," कहा और वह भी सबके साथ घर चला गया।।
वहा आए हुए सब लोग थोड़ी देर वहां बैठे फिर एक एक करके सब ने सुधीर जी को प्रणाम कीया ,,,,,और धीरे-धीरे करके सब लोग जाने लगे ,,,,!
सब के जाने के बाद लक्ष घर के अंदर आया जैसे उसने एक कदम घर के अंदर रखा उसने सामने लावण्या को देखा वो दिवाल का टेका लगाए बैठी थी,,,,
चुपचाप सी,,,,
लक्ष चुपचाप उसको देखता रहा उसकी आँख भर आई वो मन मैं बोला ____
क्या हुआ है लावी तुम्हें,,,,,, तुम्हारा ये दर्द मुझसे सहा नहीं जाता,,,!!!
क्या हाल बना रखा है अपना,,,,क्यु यार,,,,,वो बहार आ गया उसके पीछे सचिन भी ,,,,!
जैसे सचिन उसके नजदीक आया वह सचिन को गले लगा कर फूट-फूट कर रोने लगा,,,
यार ये लावण्या है मेरी,,,??
क्या हाल बना रखा है उसने अपना,,,,, क्या हुआ है, उसे ,,,,,,,,,?
मुझे लगा था कि वह शादी करके खुश होगी,,,, मेने सोचा इसलिए वो तुम सब से बात नहीं कर रही,,, पर मुझे क्यों लग रहा है कि वह अपने आप को सजा दे रही है,,,।

सचिन ने कहा यार मैंने भी उसे पहली बार देखा तो मैं भी पूरी तरह से शोक्ड था।
पर अभी वो तकलीफ है,,, हम उसे कुछ पूछ भी नहीं सकते ,,!
तू अपने आपको प्लीज संभाल।
कुछ दिनों बाद उससे बात करेंगे,, अब चल अंदर।

लक्ष ने सचिन की ओर देखकर का नहीं यार मेरी हिम्मत नहीं हो रही,,,,

सचिन ने लक्ष को खींचते हुए कहा यार हमें हिम्मत करनी पड़ेगी।
तू ऐसे टूट नहीं सकता
अब उन लोगों को हमारी जरूरत है ,और वह उसे अंदर ले गया।
लावण्या वहा अभी भी वही बैठी थी,,,मामा जी ने अपनी पत्नी को इशारा किया की वो उस्से कुछ बात करे,,, क्योंकि पिछले 3 घंटे से वह एक ही जगह बिना कुछ बोले वहां बैठी थी।
मामी जी उसके करीब गई और कहा बेटा चलो नहाकर फ्रेश हो जाओ कुछ खा पी लो,,,,!!
मा_पापा तो जा चुके है वह वापस नहीं आएंगे ,,,आप ऐसे तकलीफ में रहोगी तो उन्हें भी तकलीफ होगी,ना ,,!
लावण्या उनको देखें बिना खड़ी हुई ,, मामी जी ने सिया को इशारे से कहा कि तुम उसके साथ जाओ।
वह धीरे-धीरे ऊपर जाने लगी सिया भी उसके पीछे,,,, वह उपर जाते ही सीधे बाथरूम में नहाने चली गई,,,,
सिया ने उसको कपड़े निकालकर दिये,,,,!
लावण्या जब नाहकर बाहर आई तो सिया खाने की प्लेट लेकर बैठी थी ,,,,

सिया ____
चल लावी कुछ खाले और ये पहेले ऑरेंज जूस पी ले तुम्हें एनर्जी मिलेगी,,,

लावण्या कुछ बोले बिना ही ऑरेंज जूस पी लिया और अपने बेड पर जाकर आंखें बंद कर कर सो गई,,,,,!!

सिया का दिल बैठा जा रहा था लावण्या का यह हाल देखकर पर अभी उसकी हिम्मत ही नहीं हो रही थी कि उसे कुछ पूछे वह खाना वहां रख कर नीचे आ गई,,,,,!!!
उसे लगा शायद भूख लगने पर वो खा ले।

सब लोग सिया की ही राह तक रहे थे,,, जैसे ही वो आई और उसकी नम आंखें देखी तो,,,सब ने सवालो की जुड़ी बरसादी,,,,
लावण्या कुछ बोली ,,,,??? उसने कुछ खाया ,,,??? वह क्यु तकलीफ में तुमने कुछ पूछा,,? विक्रांत ने उसके साथ कुछ गलत किया है,,,???
सबने ढेरो सारे सवाल पूछ लिए,,,,, पर ईन सब का एक ही जवाब था,,,,,
"ना".............
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आज लावण्या को आए हुए छे दिन हो गए थे,,,,, पर अभी तक उसने अन्न का एक निवाला भी नहीं लिया था,,,,, बस पानी , दुध या वो जूस या थाली में रखा हुआ सूप ही पीती थी।
वो ना किसी से बात करती थी,,, ना वो नीचे आती थी ..............
बस अपने ही कमरे में गुमसुम सी पड़ी रहती थी ,,,,,,,!

सुबह का टाइम था,, लक्ष और उसके दोस्त आए,,,,, थोड़ी देर मामा जी के पास बैठे,,,,!
फिर लक्ष ने हिम्मत करके मामु से पूछ ही लिया,,,,, आपने बात की ,,,,,केसी हे लावण्या,,,,

मामा जी ने कहा एक काम करेगा_____?

हां मामा जी आप बोलिए क्या काम करना है,,,,???

उसने अपनी वाइफ को इशारा किया वह खाने की प्लेट लेकर आई ,,,,
मामा जी ने कहा____उस बच्ची ने छे दिन से कुछ भी नहीं खाया है ,,,,
और एक तू ही है,, जो इसे खिला सकता है,,, प्लीज उसे कैसे भी करके खिला और उस्से बात कर मुझे उसकी फिक्र हो रही है,,,!
लक्ष कुछ बोले बिना ही खाने की प्लेट लेकर ऊपर चला गया,,,,
कमरा खुला ही था ,,,,उसने एक दो बार नॉक किया पर लावण्या ने कोई रिएक्शन नहीं दिया,,,,,,!! कुछ देर वह बहार ही खड़ा रहा,,,,
फिर वो अंदर गया, ,,, ,, लावी सो रही थी, उसने प्ले टेबल पर रखी।
और उसने लावण्या को आवाज दी,,,,, लावी ..........जैसे ही
लावण्या के कान में लक्ष की आवाज पड़ी वो एकदम से बैठ गई ,,,,,
उसके सामने लक्ष था,,,,,, पूरे छे साल,, दो महीने और तेरह दिन के बाद वो लक्ष को देख रहे थी ,,,,,,,,,उसकी आँख से आंसु बह ने लगे,,,,,,
लक्ष के हलक से एक आवाज भी नहीं निकली उसको देखने के बाद।
उसका दिल जैसे टूट कर चूर-चूर हो गया हो ,,,,,उसने अपनी नम आंखों से लावण्या के सामने प्लेट रखी और वह भी बैठ गया और लावण्या को इशारा करा को खाओ,,,,!

लावण्या जैसे उसके इशारे की राह देख रही थी,,, जैसे ही लक्ष ने उसे खाने को बोला वो एक छोटे बच्चे की तरह दोनों हाथ से खाने लगी,,,,,,,!!
उसकी आंख से एक पल के लिए भी आंसू नहीं रुके थे,,,,,लक्ष को
उसे देखकर हंसी भी आ रही थी और रोना भी,,,!

लक्ष का दिल भारी हो गया था......

बैकग्राउंड म्यूजिक......

तू सफर मेरा, है तू ही मेरी
मंज़िल
तेरे बिना गुज़ारा, ऐ दिल है मुश्किल
तू मेरा खुदा,
तू ही दुआ में शामिल
तेरे बिना गुज़ारा,
ऐ दिल है मुश्किल
मुझे आज़माती है तेरी कमी
मेरी हर कमी को है तू लाज़मी
जूनून है मेरा, बनूँ मैं तेरे क़ाबिल
तेरे बिना गुज़ारा,
ऐ दिल है मुश्किल
ये रूह भी मेरी, ये जिस्म भी मेरा
उतना मेरा नहीं, जितना हुआ तेरा
तूने दिया है जो,
वो दर्द ही सही
तुझसे मिला है तो, इनाम है मेरा
मेरा आसमां ढूँढे तेरी ज़मीं
मेरी हर कमी को है तू लाज़मी
ज़मीं पे ना सही,
तो आसमां में आ मिल
तेरे बिना गुज़ारा,
ऐ दिल है मुश्किल........

क्रमश.......जारी है🙏