Vo Pehli Baarish - 27 books and stories free download online pdf in Hindi

वो पहली बारिश - भाग 27

"वो यार.. शिपी को चाहिए थे पैसे, वो घर बदल रही है, और उसका पुराना ऑनर इतना बेकार है,पहले वाले पैसे ही नहीं दे रहा वापस।"

"तो इसलिए तूने अपनी मम्मी से झूठ बोला?"

"यार सॉरी.. इस बार संभाल ले बस, मैं कुछ दिन में वापस करदूंगा मम्मी को पैसे।"

"आंटी को पैसे की नहीं, पर तेरी चिंता है। और मुझे भी तेरी चिंता है, तू उसे ऐसा कितना जानता है, जो उसके लिए ये सब कर रहा है।"

"कभी कभी मदद करने के लिए बहुत ज्यादा जानना जरूरी नहीं होता। तू अपनी बारी भूल गया, रिया के एक फोन के बाद तू भी तो कई बार निया के साथ ऑफिस से वापस आया था ना।"

"पर पैसे की मदद के लिए होता है।"

"तू ज्यादा ही सोच रहा है, मेरे ऑफिस में ही काम करती है, मैं बहुत अच्छे से जानता हूं उसे।"

"ठीक है।", ये बोल कर ध्रुव अपने कमरे में चला गया।

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"ओए...", निया ने लिफ्ट में जाते हुए ध्रुव को घर से बाहर आते ही बोला, पर तब तक लिफ्ट बंद गई थी, तो वो भागते भागते सीढियां उतर कर नीचे पहुंची।

"ओए.. तुम तो एक दिन में ही मुझे भूल गए।", लिफ्ट से नीचे उतर कर आगे जाते हुए ध्रुव को पीछे से हाथ मार कर निया बोली।

"हा.. भुला नहीं हूं, आज प्रेजेंटेशन देनी है मुझे, तो मैं लेट नहीं होना चाहता था।", ये बोल कर वो दोनो ऑफिस के लिए निकल गए।

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मीटिंग रूम में बैठा ध्रुव अपनी प्रेजेंटेशन की तैयारी कर रहा होता है, की निया अंदर आती है।

"टेंस हो?"

"नहीं तो।"

"अच्छा.. तुम्हें देख कर लग तो नहीं रहा।", धारियों वाली फॉर्मल शर्ट पैंट पहने ध्रुव के चेहरे के हाव भाव को देख कर निया बोली।

"क्या हुआ?", ध्रुव की ओर आगे बढ़ती निया को देख कर उसने पूछा।

निया ने आगे बढ़ कर धीरे से ध्रुव का हाथ पकड़ा और उसकी कमीज की मुड़ी हुई बाजू को सीधा करने लग गई।
"मिस्टर तुम्हारे सारे फॉर्मल का कचरा हो जाएगा, ऐसे गंदे से बाजू मोड़ के रखोगे तो। अगर ज्यादा दिक्कत हो तो, इसे ऐसे करके बंद किया करो।", उसकी बाजू को पीछे करके बंद करते हुए निया बोली।

"हां..", अपनी बड़ी हुई दिल की धड़कनों को संभालता हुआ ध्रुव बोला।

"इधर दिखाओ दूसरी वाली भी ठीक कर दू।", निया ने दूसरी तरफ़ इशारा करते हुए बोला।

"हां.. नहीं ठीक है, मैं कर लेता हूं।", ध्रुव हिचक के बोला।

पर निया ने उसकी बात पे ध्यान नहीं बिना उसकी दूसरी बाजू को भी ठीक कर दिया।

"वैसे अपनी प्रेजेंटेशन तो दिखाओ।", निया ने उत्साह से पूछा।

"वादा तो ईमानदारी से लड़ने का हुआ था ना?", अपने फार्म में वापस आता हुआ ध्रुव निया को बोला।

"ठीक है.. थोड़ी देर में मिलते है फिर।", निया ये बोल कर वहां से चली गई।

कुछ देर बाद जब प्रेजेंटेशन शुरू होने का समय हुआ तो सब अंदर आकर बैठते है। और नीतू के कहने पे कुनाल भरपूर आत्मविश्वास से बोलना शुरू करता है।

"हमने आपकी पूरी रिक्वायरमेंट को गो थ्रू किया और उसके हिसाब से अपनी एप्रोच में बदलाव करके.. कुछ इस तरह से अपने प्रोजेक्ट को डिजाइन किया।", स्क्रीन पे कुछ रंग बिरंगे डब्बे दिखाता हुआ वो बोला।

वो अभी समझा ही रहा होता है, की बीच में उसकी नज़र सामने बैठी निया पे पड़ती है। और उसका दिल फिर ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगता है, इससे पहले की वो और कोई हरकत करे, सुनील की आवाज़ आती है।

"ध्रुव.. आगे।", हाथों से इशारा करके सुनील ध्रुव को आगे बढ़ने को कहते है।

"सॉरी.. हां, इसके अलावा, हमने इसे सपोर्ट करने का मॉडल भी सोचा है।", ध्रुव फटाफट से अपने आपे में आता हुआ, आगे का सब समझाता है।

"बहुत बढ़िया। तुमने पहले से इसे काफ़ी इंप्रूव किया है।", नीतू ने प्रेजेंटेशन खत्म होने पे बोला। "किसी को कोई सवाल हो तो बताओ।"

निया को हाथ दिखा कर रोकते हुए चंचल बोली।
"नहीं.. वी आर गुड।"

ध्रुव ने भी जब उस तरफ़ दोबारा देखा तो वैसी ही तेज़ी फिर महसूस करी, पर इस बार खुद को तुरंत से संभालते हुए, वो सबके निकलते ही निकल लिया।

ध्रुव के बाहर आते ही, निया उसे आवाज़ लगाती है।
"ध्रुव.."

निया की इस आवाज़ को सुन कर भी अनसुना कर ध्रुव वाशरूम की ओर भागा।

"मुझे पता है.. की तुमने कोई तो गड़बड़ नोटिस की थी आज भी, पर अभी से ज्यादा अच्छा उस गड़बड़ को टेस्टिंग में निकालना होगा।", चंचल पीछे से आकर निया के सामने आते हुए बोली।

"पर मै’म.."

"आई हॉप तुम्हें थोड़ी अपने टीम वालो की मेहनत की भी चिंता होगी।"

"जी मै’म।", निया सिर झुका कर समझने वाले लिहाज़ में बोली।

"गुड", ये बोल कर चंचल अपने डेस्क पे चली गई। और पीछे पीछे आई निया भी अपने डेस्क पे आकर बैठ गई।

"ध्रुव यार.. तू पागल हो गया है क्या? ये क्या हो रहा था तुझे इतनी इंपोर्टेंट प्रेजेंटेशन में।", अपने मुंह पे पानी छिड़कता हुआ ध्रुव खुद से बोल रहा था। "नहीं.. नहीं, जो भी है, तुझे उससे दूर रहना चाहिए कुछ दिन। भाड़ में गया ये ड्रामा.. कहीं इस ड्रामे के चलते इतने समय की मेहनत ना ख़राब कर लियो तू अपनी" , ध्रुव खुद को समझाता है।

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"सुनो.. अगर शिपी सच में अच्छी लड़की नहीं है, तो क्या प्लान है फिर?", मुश्किल से अपने साथ चलने के लिए मनाए ध्रुव से निया पूछती है।

"कुछ नहीं.. तुमने चार हफ्तों का समय दिया है, उतने में अगली पहली बारिश है.. मैंने कल ही चेक कर लिया था। तो काम खुद का खुद ही जाएगा।", ध्रुव ने बड़ी ही खुशी से जवाब दिया।

"ओह..", अपने हाथ पे रखते हुए निया बोली। ",देखो.. मैं तो उस पहली बारिश के भरोसे बैठ नहीं सकती.. अगर तुम्हें लगता है, की ये काम करेगा.. तो प्रूफ करो।"

"डेटा तो दिखाया था ना तुम्हें.."

"उतने से से कुछ नहीं होगा। उस दिन शिपी ने बताया, की तुम कॉलेज में यही काम करते थे..तो डेटा तो बहुत होना चाहिए तुम्हारे पास, मैं वो सब खुद देख कर समझना करना चाहती हूं।"

"हां.. है तो। पर वो मेरे घर पे है।"

"ओह.. "

"अगर तुम्हें देखना है तो अभी चल सकते है, शाम तक वापस आ जाएंगे।"

"कहां.. कहां है तुम्हारा घर?"

"यहीं पुने में ही है, अगर बस से जाएंगे तो लगभग सवा घंटे में पहुंच जाएंगे, और कैब से तो एक घंटे से भी कम लगेगा।"

"ठीक है फिर.. चलो।"