Vo Pehli Baarish - 38 books and stories free download online pdf in Hindi

वो पहली बारिश - भाग 38

डिनर के लिए एक बड़ी सी टेबल लिए, सब लोग वहाँ बैठ कर अभी देख ही रहे थे, की क्या क्या और ऑर्डर करे, की इतने ही सामने से दीवेश आता है, गोलाकर चेहरा, बड़ी चड़ी हुई बोहे, छोटी आँखें और कारीने से साइड किए हुए कालें छोटे बाल, और वही सुबह की तरह कुछ गुमसुम से हाव भाव लिए, वही सुबह वाला ही ग्रे रंग का सूट पहने हुए वो उस टेबल पे आया और सुनील के साथ बैठ गया।

कुछ देर बाद जब डिनर कर के, वो लोग बाहर निकलने लगे तो निया को सिमरन का फोन आ गया।
ओए.. तू बात ही नहीं करती है आजकल।"

अर्रे.. तुझे नहीं पता की यहाँ क्या क्या चल रहा है...”, सिमरन की शिकायत पे निया उसे सब बताती है। "और आखिर में कुनाल, उसके लिए हम पहली बारिश का ही इंतज़ार कर रहे है। ध्रुव को पूरा यकीन है, की पहली बारिश से बहुत लोगों की तरह उसका भी ब्रैकअप हो जाएगा।", निया ये बोल कर पीछे की तरफ मुड़ती ही है, की वो चंचल को पीछे खड़ा हुआ पाती है।

“चंचल...”, चंचल को देखते ही निया को एक दम से हिचकी सी आ जाती है। "मैं तुझसे थोड़े टाइम में बात करती हूँ।", ये बोल कर निया फट से सिमरन का कॉल काट देती है।

चंचल ने कितना सुन लिया होगा, ये सोच कर जब निया चंचल की तरफ बड़ी तो, तो चंचल ने बस एक ही सवाल किया।
“ये पहली बारिश का क्या झोल है.. ??”

“अ.. अ.. वो ध्रुव को लगता है, की पहली बारिश से लोगों के ब्रेकअप होते है।"

“अच्छा.. कैसे??”

“वो ज़्यादा तो नहीं पता मुझे.. या उसे भी, पर कुछ तो होता है।"

“अच्छा.. सहीं में!! तो वो अगली पहली बारिश कब की है, जिसकी तुम लोग बात कर रहे थे।"

“वो.. वो.. दो हफ्ते बाद की.. पर क्यों?”

“मैं भी आज़माना चाहती हूँ इसे।"

“हह.. पर क्यों?”

“चलो.. सब लोग तुम्हारा इंतज़ार कर रहे है, वापस जाने के लिए कैब उसी हिसाब से कराएंगे फिर।", चंचल ने निया से ये कहते हुए , अपनी बात बदली।

निया और चंचल, वहाँ पहुँचे तो पहले से ही तय हो चुका था, की निया और ध्रुव चंचल और सुनील के साथ जाएंगे.. चंचल को ऑफिस छोड़ दिया जाएगा, जहाँ से वो अपनी गाड़ी उठा सके.. और सुनील को ध्रुव के घर के पास जाना है, तो वो उसे भी छोड़ देंगे।

एक जने को पास ही कहीं जाना था, तो बाकी के लोग कैब करके निकल लिए।

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सुनील और चंचल की गाड़ी में बैठे ध्रुव को सुनील ने बोला।

“ध्रुव.. आज मैं तुम्हारे घर चल रहा हूँ।"

“हह.. पर क्या हुआ सुनील?”

“कुछ नहीं बस शायद.. तुम्हारा कमरा मेरे वाले से ज्यादा आरामदायक है।"

“हह.. और आपके आते ही मेरा सारा आराम गायब हो जाता है।", दबी आवाज़ में ध्रुव खुद से बोला पर इससे पहले की उसका बोला कुछ सुनाई देता, वहाँ से चंचल भी बोल पड़ी।

“निया.. मैं भी तुम्हारे यहाँ रहूँगी आज.. फिर हम भी अपनी वो बात कर सकते है, जो उस टाइम वहाँ होटल में नहीं हो पाई थी।"

“अ. अ... ठीक है, चंचल।", घबराई हुई सी निया, और कुछ बोलने का सोच ही नहीं पाई।

ध्रुव के साथ उसके घर में गया सुनील, कुछ देर तो वहाँ मज़े से बैठता है, पर बाद में जब ध्रुव सोने की बात करता है तो एकदम से बोला।
“तुम लोगों का घर कितना साफ है, देखो इतना मुश्किल थोड़ी होता है, घर को साफ रखना।"

“हह..!!”, हॉल के कोने में पड़े कबाड़, और शू रैक में आधे बाहर आधे अंदर बेतरीके से रखे जूतों को देखकर ध्रुव बोला। "हाँ सुनील.. धन्यवाद, हम बहुत मेहनत करते है, की इस सफाई को बरकर रखने में।", दीवार में
लगे जालों की तरफ देखते हुए ध्रुव बोला।
“वहीं तो, जब तुम मेहनत कर सकते हो.. तो वो भी तो कर सकती है ना थोड़ी.. पता नहीं ऐसा भी क्या मुश्किल है।", सुनील ने आगे बोला।

“मतलब??”, ध्रुव ने पूछा।

वहीं दूसरी ओर निया के घर बैठी चंचल, पानी का ग्लास उठाते ही बोली।
“तो पक्का ना.. ये पहली बारीश से ब्रेकअप हो जाता है?”
“हाय..”, चंचल की इसी सवाल के साथ ही रिया अंदर आते हुए बोली।

“पता नहीं चंचल..”, रिया जो इशारों से निया से पूछ रही थी की ये कौन है, चंचल से फट से बोली।

“ओ. ओ.. चंचल, तुम्हारी मैनेजर।", रिया ने बीच में ही बोला।

“हाँ.. आज ये यही रुकेंगी।"

“अच्छा.. तो कैसा चल रहा है, काम?”, रिया ने चंचल की तरफ़ देखते हुए पूछा।

“ठीक चल रहा है..”, ऐसे करके कुछ देर चंचल , रिया और निया ने बातें करी, तो कुछ समय बाद एक दम से कुछ सोच के, चंचल बोली।
“तुम लोगों का घर तो बहुत साफ है। तुम्हें टाइम कैसे मिल जाता है, इसका?”

“धन्यवाद धन्यवाद!!”, अपना नकली कोलर चड़ाते हुए रिया ने बोला।
रिया के ये बोलते ही चंचल ने आगे बोला।
“पता है.. बहुत अच्छा है, की तुम लोगों की शादी नहीं हुई, तभी तो जिंदगी अच्छी है तुम्हारी, नहीं तो शादी के बाद बहुत झंझट है, कभी इन छोटे बड़े कामों की, तो कभी ऑफिस की, उसका ऑफिस है तो ठीक है, पर तुम्हारा है तो गलत है, और अगर गलती से भी दोनों एक ही ऑफिस में हो, तो और गलत है। और सबसे बड़ी दिक्कत पता है क्या है, की तुम्हारी अपनी मम्मी के लिए ही ये सब बहुत गलत है...”, अपना सर पकड़ते हुए चंचल बोल ही रही थी की उसे याद आया की वो कहाँ क्या बोल रही है। "सॉरी..”, एकदम से चुप होते हुए चंचल ने बोला।
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“मतलब कुछ नहीं.. आजकल तुम मेहनत कम कर रहे हो।", सुनील ने ध्रुव के सवाल का जवाब दिया। "वैसे तुम्हारा और निया के साथ सब ठीक चल रहा है?”, सुनील के ये पूछते ही, वहाँ बोर हो रहा कुनाल भी, फटाफट उठ के बैठते हुए बोला।
“इसका जवाब तो ये मुझे भी नहीं देता.. बता ना, कैसा चल रहा है सब?”

“ठीक चल रहा है।", सुनील की तरफ देखते हुए ध्रुव ने जवाब दिया और फट से कुनाल की तरफ मुड़ कर गुस्से भारी आँखों से उसे निहारा।

“कितना अच्छा है, की तुम एक रीलैशन्शिप में हो पहले, ये नहीं की तुम्हें लगा की तुम किसी को पसंद करते हो, और तुम्हारी उससे शादी करा दी। मेरी सलाह मानो तो ये शादी वगरह बिल्कुल मत करना..” सुनील ने अपनी सलाह देते हुए कहा।

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वहीं दूसरी और कैब से घर से थोड़ी दूर उतरे नीतू और दीवेश साथ साथ चल रहे थे, और तभी दीवेश ने पूछा।

“कैसी हो?”