Tere Ishq Me - 8 books and stories free download online pdf in Hindi

तेरे इश्क में. - भाग 8

घर पहुंचने के बाद रूही ने डिनर किया, डिनर टेबल पर ही रूही की मॉम ने रूही से कहा- रूही बेटा तू डिनर खत्म कर के तेरे ड्रेस के डिजाइंस देख ले.
जवाब में रूही ने सिर्फ अपना सिर हिलाया और अपने फोन पर एक नजर मारी, राहिल का अब तक कोई मैसेज या मिस कॉल नही था, रूही का मन अब और ज्यादa उदास हो गया था, वह खाना खाते टाइम भी बार बार अपने फोन को चेक कर रही थी.

सोनल उसकी सारी हरकतों को देख रही थी और समझ चुकी थी की शायद रूही राहिल के ही कॉल का वेट कर रही है, लेकिन सोनल ये देख कर हमेशा की तरह दुखी नहीं हुई बल्कि वह तो खुश थी, आखिर रूही को आज एक सरप्राईज जो मिलने वाला था.

रूही ने अपना खाना खत्म किया, वह अपने रूम में जाने के लिए उठी ही थी की तभी उसकी मॉम ने उसे रोक लिया और उससे कहा- रूही बेटा कहा जा रही है अपने ड्रेस के डिजाइंस तो देख ले.

नही मॉम मेरा अभी कुछ देखने का मन नहीं है, स्टूडियो में आज ज्यादा वर्क लोड होने की वजह से मैं थोड़ा थक गई हु अब मुझे सोना है, इतना कहकर रूही ने एक कदम आगे बढ़ाया ही था की तभी सोनल ने उसका हाथ खींच कर वापस उसे उसकी चेयर पर बैठा दिया और अपना लैपटॉप उसके सामने रख दिया.

ये देख तेरी शादी के ड्रेसेज की ने डिजाइंस, कैसी लगी तुझे..?? रूही की मॉम ने उससे पूछा.

ये... ये डिजाइंस... पर मॉम ये तो.. रूही ने इतना कहा ही था की तभी उसकी मॉम बोली- हां बेटा ये वह डिजाइंस नही है जो हमें सेलेक्ट किए थे दरअसल ये वे डिजाइंस है जो राहिल ने सेलेक्ट किए है, इतना कहकर रूही को मॉम किचन में चली गई.

भाभी क्या है ये सब ये डिजाइंस तो....

हां रूही तुम मेरे साथ रूम में चलो मैं तुम्हे सब बताती हु, इतना कहकर सोनल ने लैपटॉप उठाया और रूही और सोनल दोनो रूही के रूम में चले गए .

रूही ने एक एक डिजाइंस को बड़े अच्छे से देखा मेहंदी, हल्दी, संगीत, रिसेप्शन, फेरा.. सारे के सारे डिजाइन वही थे जो सोनल ने रूही के लिए डिजाइन किए थे. रूही तो इन डिजाइन को देख कर इतनी हैरान थी, की उसके मुंह से शब्द ही नहीं निकल रहे थे.

रूही आज तुम्हारे जाने के बाद शाम को मेरे पास राहिल का फोन आया था.

राहिल का फोन आया था वो भी आपके पास, भाभी आप होश में तो हैं..? मतलब उसे इतना टाइम था की उसने आपको कॉल किया रूही ने बुरा सा मुंह बनाते हुए पूछा.

रूही, राहिल का फोन आया था और उसने मुझसे कहा की को डिजाइंस मैने रेडी किए है वही तुम्हारे लिए फाइनल किए जाए , और उसने बिना किसी से पूछे मुंबई वाले सारे डिजाइंस कैंसिल करवा दिए और इतना ही नहीं उसने उन सारी ड्रेसेज के लिए पे भी किया है, क्युकी तुम्हारी सारी ड्रेसेज रेडी हो चुकी थी और जब पार्सल डिलीवर्ड होने वाला था तभी राहिल ने सब कैंसिल करवा दिया, लेकिन मॉम को ये नहीं पता है की ये सारी डिजाइंस मैने रेडी किए है तो प्लीज तुम मॉम को इस बारे में कुछ मत कहना, ऐसा करने के लिए राहिल ने मुझे कहा है, क्या तुम्हारी उससे कोई बात हुई है??

रूही चुप खड़ी मुंह खोले सोनल की सारी बाते सुन रही थी उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था की चल क्या रहा है.

नही भाभी मेरी उससे कोई बात नही हुई, बल्कि मेने तो खुद उसे कॉल किया था लेकिन हमेशा की तरह उसकी मीटिंग.... खेर छोड़िए ये सब अब मुझे सोना है मैं परेशान हो चुकी हु और आज के लिए इतना काफी है तो प्लीज भाभी अब मैं सोने जा रही हूं, इतना कहकर रूही तो अपने चेंजिंग रूम में चली गई, लेकिन सोनल अब भी लैपटॉप को देख कर असमंजस में पड़ी कुछ सोच रही थी उसे खुद भी कुछ समझ नहीं आ रहा था, कुछ देर बाद उसने अपना लैपटॉप उठाया और अपने रूम में चली गई साथ ही उसने डिजाइंस की पूरी फाइल रूही को भी सैंड कर दी.


सोनल के जाने के बाद रूही अपने।बिस्तर में आ गई थी, वह काफी थकी हुई थी, लेकिन सोने की कोशिश करने के बाद भी वह सो नहीं पा रही थी, वह बार बार अपना फोन चेक कर रही थी शायद उसे कही राहिल का फोन या मैसेज आ जाए, थोड़ी देर बाद रात लगभग साढ़े ग्यारह बजे उसके फोन में मैसेज की रिंगटोन बाजी, उसने सोचा शायद राहिल का मैसेज होगा, फोन देखने पर उसे पता चला मैसेज राहिल का नही बल्कि अमन का था, उसे याद आया उसे डील फिक्स करने के लिए अमन ने कल लंच पर बुलाया है, और मैसेज में उसने वैन्यू सैंड किया है, " होटल राज पैलेस" "ठीक एक बजे आ जाना". अमन ने मैसेज में लिखा था.

अमन का मैसेज का जवाब देते हुए रूही ने भी "ठीक है" का मैसेज कर दिया.

लगभग पांच मिनट बाद अमन का कॉल भी आ गया, रूही उसके कॉल को उठाना नही चाहती थी लेकिन वह उसका कस्टमर है ये सोचकर उसने फोन उठा लिया.

मोहतरमा सोई नहीं अभी तक?, फोन उठाते ही अमन की आवाज आई, उसकी ये बात सुनकर रूही एकदम चौंक गई और बोली- क्या आप मुझे ही कॉल कर रहे थे?? मेरा मतलब है, आपकी बातो से तो लग रहा है आप किसी खास दोस्त को कॉल करने वाले थे?

हम्म्म, मेने तो मिस रूही को ही कॉल किया है, क्यू कोई प्राब्लम हुई क्या? क्या मैं तुमसे फोन पर बात नही कर सकता?? अमन ने रूही से पूछा

नही ऐसी बात नहीं है, दरअसल बात यह है मैं तुमसे ज्यादा मिली नही हूं, ना ही हम दोस्त है इसलिए बात करने में थोड़ी झिझक हो रही थी, वो क्या है ना मेरे बहुत ज्यादा दोस्त नही है, और मैं अपने काम में इतनी व्यस्त रहती हु की, जो दोस्त है मेरे उनसे भी बहुत कम ही बात हो पाती है, और वैसे भी अभी मेरी लाइफ कुछ खास नहीं चल रही है, इसलिए.... कहते कहते रूही एकदम से चौंक गई और रुक गई, है! भगवान ये क्या बोल दिया मैंने, और मैं इसे ये सब क्यू बता रही हू?

हेलो...हेलो...हेलो... उधर से आवाज आई.

हेलो... आई एम सॉरी... अमन वो मैं तुमसे ये सब बोल गई.

एक मिनट रूही तुम रिलैक्स करो मैं अभी फोन रखता हु, हम कल मिलते है, ठीक है बाई गुड नाईट. कहकर अमन ने फोन कट कर दिया.

रूही अब भी अपने फोन को कान से लगाए ये सोच रही थी, की पता नही अमन उसके बारे में क्या सोच रहा होगा, और उससे भी ज्यादा तो ये की वह कितनी बड़ी बेवकूफ है जो किसी अनजान आदमी को ये सब बात बताने वाली थी. वह अपने आपको कोष रही थी, की तभी उसका फोन फिर से बजने लगा.

इस बार फोन राहिल का था, रूही ने फोन उठाया.

हेलो... रूही कब से फोन लगा रहा हु तुम्हे, तुम्हारा फोन क्यू बिजी आ रहा था? किस्से बात कर रही थी तुम? राहिल ने थोड़े सख्त लहजे में रूही से पूछा.

रूही तो राहिल की ऐसी नाराजगी भरी बाते सुन कर डर ही गई फिर उसने हिम्मत कर के राहिल से जूठ बोल दिया की वह किसी कस्टमर से ज्वैलरी की डिजाइंस को लेकर डिस्कस कर रही थी.

लेकिन राहिल तो गुस्से में था उसने रूही की एक बात भी नही सुनी और फोन रख दिया.

रूही को भी राहिल से ये ही उम्मीद थी, वह उससे सीधे मुंह बात ही कब करता था, लेकिन रूही शादी के बाद सबकुछ ठीक हो जायेगा ये सोच कर चुप रह जाती थी, लेकिन आज तो उसे राहिल के व्यवहार पर बहुत गुस्सा आ रहा था, उसने फोन साइड में पटक दिया और चुपचाप सो गई.

उधर अमन भी रूही के बारे में ही सोच रहा था उसे अब फील होने लगा था की जब से वह रूही से मिला है, दिनभर उसी के बारे में ही सोचता रहता है, शायद रूही के लिए उसके दिल में एक सॉफ्ट कॉर्नर बनने लगा है, उसे ऐसा लगता है की जब भी वह रूही से मिलता है ना तो रूही की आंखों में उसे एक अजीब सा सुना पन दिखाई देता है, शायद की वह बहुत दुखी हो किसी बात को ले कर या फिर वह कुछ सुधारना चाहती हो.
***********"