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गरीब बाप - 1

नमस्कार दोस्तों

मैं आप के बीच एक ऐसा कहा एक गरीब कि ज़िन्दगी क्या होती हैं।

यह एक कहानी नहीं सच्चाई है ।

भारत का एक ऐसा राज्य जो गरीबों का राज्य नी लेकर आया हूँ ,जिससे पता चलता है कि एक गरीब कि ज़िन्दगी क्या होती हैं।

यह एक कहानी नहीं सच्चाई है ।

भारत का एक ऐसा राज्य जो गरीबों का राज्य कहा जाता है, वो है बिहार ,

बिहार के वैशाली जिला में सुरेश नाम का एक बहुत ही गरीब और नेकदिल आदमी रहता था। वो ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं था। वो रिक्शा चला कर थोड़ा बहुत कमा लेता था। जिससे उसके घर परिवार का खर्चा चलता था ।

उसके घर में छः लोग थे ।तीन लड़की ,एक लड़का उसकी पत्नी और वो ।बड़ी लड़की को तो उसने नहीं पढ़ा पाया ,लेकिन दो लड़की को मैट्रिक तक पढ़ाया और लड़के को बी. ए. तक ।। बच्चों की पढ़ाई के लिए दिन रात मेहनत करता फिर भी पढाई का खर्चा पूरा नहीं हो पाता था ,जिसके कारण कर्ज भी लेना पड़ गया।

अभी बच्चे पढ़ाई भी पूरी नहीं हुई थी ,कि बड़ी लड़की शादी के लायक हो गई ।

उसे और भी ज्यादा चिंता होने लगी ,उधर कर्ज भी ज्यादा हो गया था ,जिसके कारण कोई कर्ज भी नही दे रहा था ।

अब सुरेश बहुत ज्यादा परेशान रहने लगा।।

एक दिन सुरेश की पत्नी उससे पूछती हैं _क्या हुआ जी आजकल आप परेशान रहते हो।

सुरेश बोलता है _कुछ नहीं ,बस अपनी बड़ी लड़की शीला की शादी के लिए परेशान हूँ ,दिन रात मेहनत करके जो कमाता हूँ, उन से बच्चों की पढ़ाई और घर के खर्च भी ढंग से पूरा नहीं हो पाता है ,फिर शादी में लड़के वाले दहेज भी तो ज्यादा मांगते है ,मैं क्या करू कुछ समझ में नहीं आ रहा है ।

तो सुरेश कि पत्नी बोली_आप ज्यादा चिंता मत कीजिए मेरे पास थोड़े से गहने हैं जिसे आप गिरवी रख दीजिए, और कुछ पैसे मैं अपने भाई से उधार ले लुंगी ।

तो सुरेश ने कहा _ लाओ गहने दे दो और तुम मायके जाके अपने भाई से कुछ पैसे उधार ले लो।

तो सुरेश की पत्नी जाती हैं घर के अंदर जहाँ एक टूटा फूटा बक्सा पड़ा रहता है जिसमें कुछ कपड़े रहते हैं, उन कपड़ों के बीच से एक छोटा सा पोटली निकालती है, और लाके सुरेश को दे देती है ।

सुरेश उसे लेकर गाँव के बाहर एक बाजार में जाता है ।

ईधर सुरेश कि पत्नी लक्ष्मी अपने मायके चली जाती है ।

सुरेश बाजार पहुँच गया, बाजार में एक इकलौता सोनार का दुकान था ।

सुरेश दुकानदार के पास जाता है और दुकानदार से बोलता है _सेठजी मेरे पास कुछ गहने हैं जिसे मैं गिरवी रखना चाहता हूँ।

दुकानदार बोला_लाओ देखता हूँ । सुरेश दुकानदार के हाथ में गहने की पोटली देते हुए दुखी आवाज में बोलता है, यह लो सेठ जी थोड़ा उचित दाम देकर रख लो। दुकानदार गहने को हाथ में लेते हुए देखता है और बोलता हैं इसकी 1000 दूंगा। तब सुरेश बोलता है कुछ ज्यादा बढ़ा कर दे दो लड़की की शादी करना है।

दुकानदार सुरेश से बोलता है मैं ₹200 और बढ़ा कर दे सकता हूं।

सुरेश बोलता है लाइए जो देना है दे दीजिए। सुरेश उन पैसों को लेकर अपने घर चला जाता है। उधर उसकी पत्नी है अपने घर से ₹5000 ब्याज पे लेकर आती है।।

दोनों घर पर आकर पैसे को एक जगह जमा करके रख देते हैं, कल सुबह होते सुरेश अपने गांव से कुछ बड़े बुजुर्ग के साथ लड़का देखने पास के गांव में चले जाते हैं, लड़का उनको को पसंद आ जाता है। लड़के के पिता बोलते हैं अपने बेटे को बहुत अच्छे से पढ़ाया और अच्छी नौकरी दिल्ली में करता है। मैं दहेज 50,000 रुपए और एक साइकिल लूंगा। सुरेश बोलता है मैं बहुत गरीब आदमी हूं मेरे पास इतना पैसा तो नहीं है दहेज देने के लिए आप खुद उचित जो समझो वह कीजिए। सुरेश के गांव वाले में से एक बुजुर्ग बोलते हैं ₹10000 दे देना और साइकिल दे देना। सुरेश उन बुजुर्ग की बात सुन के ठीक है बोल देते है। और सब अपने घर वापस लौट आते हैं।

घर आने के बाद सुरेश सोच में पड़ जाता है पैसा तो उनके पास इतना होता नहीं है और अपनी जुबान देकर आ जाते है । सुरेश की पत्नी पूछती है क्या हुआ जी सब सुरेश बोलता है मैं तो अपनी जुबान देकर आ गया मेरे पास तो अपना पैसा है नहीं अब क्या करूं कुछ समझ में नहीं आ रहा है। उसकी पत्नी सच में पड़ जाती है, अब क्या करें?

तब सुरेश बोलता है अब तो भगवान हमारी इज्जत बचा सकते हैं

कुछ देर बाद सुरेश अपनी पत्नी से बोलता है ऐसा करते हैं अपनी जमीन किसी के पास गिरवी रख देते हैं ।

उसकी पत्नी बोलती है आपकी जैसी इच्छा जो कीजिए, सुरेश रात भर सो नहीं पाता है। सुरेश कल सुबह होते ही अपने गांव के एक बहुत बड़े जमींदार के पास अपनी जमीन का कागज लेकर जाता है।

सुरेश से मिलने के पास जा कर बोलता है ठाकुर साहब मुझे मेरी लड़की की शादी में पैसों की जरूरत नहीं जमीन गिरवी रख लीजिए और मुझे कुछ पैसे दे दीजिए,

जमींदार सुरेश से पूछता है कितने पैसे चाहिए तुम्हें, तब सुरेश बोलता है करीबन ₹30000 चाहिए ठाकुर साहब,

जमींदार बोलता है तुम्हें अपनी जमीन गिरवी रखने की जरूरत नहीं है ।

तुम पैसे ले जा सकते हो फिर वो अपने मुंशी को बोलता है मुंशी सुरेश को ₹30000 दे दो। तब सुरेश जमींदार के पैरों में गिर कर रोने लगता है ,और कहता है ठाकुर साहब आपने मेरी इज्जत बचा ली मैं आपका उपकार कभी नहीं भूलूंगा।

तब जमींदार कहता है यह मैं तुमसे उपकार नहीं कर रहा हूं मेरा मेरा फर्ज बनता है अपने गांव के आदमियों की मदद करना तुम्हारे पास जब पैसे आएंगे तो फिर तुम मुझे लौटा देना। ठीक है अब तुम जाओ और अपनी बेटी की शादी की तैयारी करो।

सुरेश खुशी-खुशी अपने घर लौट आता है और अगर अपनी पत्नी को सारी बातें बताता है कि जमींदार कितने अच्छे हैं।

सुरेश कल सुबह होते ही लड़के के घर जाता है , वहां पहुंचकर लड़के के पिता से बोलता है समधी साहब आप पंडित जी को बुलाया और शादी के दिन दिखा लेते हैं।

लड़के के पिता बोलते हैं ठीक है सुंदर साथ में अपने गांव से पंडित जी को बुलाता हूं।

थोड़ी देर बाद गांव के पंडित जी आते हैं लड़का लड़की की कुंडली मिलाते हैं फिर दोनों की शादी की तारीख अगले महीने की 5 तारीख को बता देते हैं।

सुरेश शादी की तारीख पक्की कर दे खुशी से अपने घर लौट आता है । और अगर अपनी पत्नी को बोलता है शादी की तारीख पक्की हो गई है । .

पुरे घर में खुशी का माहौल छा जाता है,पुरा परिवार मिलकर शादी कि तैयारी में लग जाते हैं।

बाजार जाकर कपड़े ,गहने की खरीदारी करते हैं ,बैन्ड बाजा की बुकिंग हो जाती है ,शादी का कार्ड भी छप जाती है।

अब बात आती है कार्ड बांटने की। राहुल सुबह सो के जगता है की,

यह काम सुरेश के लड़के को मिल जाते हैं जिसका नाम राहुल होता है राहुल रोज सुबह उठकर भगवान की पूजा करता था और फिर अपनी पढ़ाई में लगा रहता था उसे दूसरा कोई काम करना ही नहीं आता था । फिर सुरेश राहुल से बोलता है राहुल तुम सबसे पहले एक कार्ड अपने गांव के जमींदार को देकर आ जाओ राहुल हां में सिर हिला देता है। सुबह होकर सबसे पहले राहुल अपने गांव में जमींदार होते हैं वह उनके पास जाता है और जमींदार को कार्ड देकर चला है। राहुल अपने घर आकर अपने मां से बोलता है मां मैं जमींदार साहब को कार्ड देकर चला आया।

सुरेश की पत्नी बोलती है ठीक है बेटा खाना खा लो फिर जाकर रिश्तेदारों में कार्ड देकर चले आना । राहुल हां बोल कर हाथ पैर धोने चला जाता है। हाथ पैर धो कर आता है और अपनी मां से खाना लेकर खाने लगता है। खाना खाने के बाद वह तैयार होकर सबसे पहले अपनी बुआ के पास जाता है। बुआ के घर पहुंचते ही घर के बाहर फूफा जी को देखता है वह अपने फूफा को पैर छूकर प्रणाम करता हैं।

उसके फूफा बोलते हैं जीते रहो बेटा क्या बात है बहुत दिन बाद ऐसे आने का कारण क्या है। राहुल बोलता है फूफा जी बड़ी दीदी की शादी तय हो गई है अगले महीने के 5 तारीख को आपको निमंत्रण देने आया हूं। बुआ जी नजर नहीं आ रही है कहां है। तब राहुल के फूफा बोलते हैं वह अपने काम में व्यस्त है घर में चलो मैं तुम्हें तुम्हारी बुआ के पास ले चलता हूं। राहुल घर के अंदर जाता है देखता है कि बुआ घर के काम में व्यस्त है राहुल बुआ के पैर छू कर प्रणाम करता है राहुल को अचानक देखा उसकी बुआ घबरा जाती है। राहुल से उसकी बुआ पूछने लगती हो क्या हुआ बेटा घर में सब कुशल मंगल तो है ना तब राहुल बोलता है हां बुआ जी सब कुशल मंगल है बड़े सिटी की शादी तय हो गई है जिसका निमंत्रण कार्ड देने आया हूं आप लोगों को ,तब बुआ बोलती है बहुत खुशी की बात है । बुआ राहुल को बोलती है उस चारपाई पर बैठ जाओ छोरा आराम कर लो फिर जाना।

तब राहुल बोलता है नहीं बुआ जी बहुत काम है बहुत जल्द कार्ड बांटने है । तभी बुआ बोलती है कितना दिन बाद आए हो कम से कम थोड़ी देर रुक जाओ नाश्ता करके जाना। राहुल बोलता है नहीं बुआ जी मैं घर से खाना खाकर के निकला हूं। बुआ बोलती है इतने दिन बाद आए हो कम से कम थोड़ा सा नाश्ता करके तो जाओ। तब राहुल बोलता है ठीक है बुआ जी आप इतना जिद कर रहे हैं तो ले आइए नाश्ता कर लेता हूं फिर जाऊंगा। तभी फूफा जी दो समोसे दो मिठाई एक प्लेट में सजाकर राहुल को देते हैं राहुल नाश्ता कर लेता है फिर अपनी बुआ को बोलता है ठीक है बुआ जी अब मैं चलता हूं। वह बोलती है ठीक से जाना बेटा अच्छे से,

राहुल बोलता है ठीक है बुआ जी मैं चला जाऊंगा आप चिंता मत कीजिए। राहुल अपना साइकिल लेता है और वहां से निकल जाता है। वहां से उसके मामा का घर लगभग चार-पांच किलोमीटर होता है फिर वो साइकिल चलाकर अपने मामा के घर जाता है मामा के घर में तीन मामा और उनकी पत्नियां रहती है, और उनके छोटे-छोटे चार पांच बच्चे भी रहते हैं जिसके लिए राहुल बाजार से कुछ मिठाइयां ले लेता है वहां पहुंचते ही राहुल इतने बड़े मामा को

प्रणाम करता है और बोलता है मामा जी आपको तो पता ही है बड़ी दीदी की शादी होने वाली है शादी अगले महीने की 5 तारीख को है ।

मामा बोलते हैं हां हमें सब पता है राहुल अपने मामा को बोलता है आप मानी को भी साथ में लेते आइएगा और बच्चों को भी, तब मामा जी बोलते हैं और ठीक है।

राहुल अपने सभी मामा से मिलकर अपने घर जाने के लिए तैयार हो जाता है । तब राहुल की बड़ी मामी घर से एक छोटी सी बोरी में कुछ लेकर आती है और राहुल की साईकिल में बांध देती है । शाम होने के कारण राहुल वहां से जल्दी जल्दी निकल जाता है। राहुल को घर पहुंचते-पहुंचते शाम के 7:00 बज जाते हैं घर आकर अपनी मां को मामी के द्वारा दिए गए सामान देता है और बोलता है देखो मां इसमें मामी ने क्या दिया है । राहुल की मां उस बोरी को खोलती है उसमें देखती है कि10 किलो के बराबर है चावल होती हैं और चार पांच किलो के आसपास आलू होते होते हैं।

राहुल दिनभर साइकिल चलाकर थक जाता है घर आकर मां को बोलता है मां मैं बहुत थक गया हूं, कुछ खाने को है तो दे दो मुझे नींद आ रही है राहुल की मां उसे रोटी और सब्जी देती है खाने के लिए राहुल खाना खा लेता है और अपने बिस्तर पर जाकर सो जाता है । थोड़ी देर बाद रात के 11:00 बजने को होता है फिर भी अभी तक सुरेश रिक्शा चलाकर वापस नहीं आता है। सुरेश की पत्नी बहुत ज्यादा चिंतित रहती है अभी तक खाना नहीं खाना नहीं खाया और अपने पति का इंतजार कर रही होती है आधे घंटे बाद सुरेश पूरे पसीने से लथपथ अपने घर पहुंचता है बेचारा पूरा दिन रिक्शा चलाकर पसीने से लथपथ आता है तो उसकी पत्नी पूछती है इतनी रात तक काम करना जरूरी है क्या? तुम सुरेश बोलता है जरा देर तक काम नहीं करूंगा तो अपनी लड़की की शादी में है और खर्चे कहां कहां से ला पाऊंगा । इतना कह कर वह अपने घर में चला जाता है घर में जाकर अपना कपड़ा उतारकर आंगन में आता है आंगन में बने चापाकल के पास जाकर अपनी पत्नी को बुलाता है और बोलते हैं थोड़ा पानी भर दो मैं नहा लेता हूं सुरेश की पत्नी बाल्टी में पानी भर देती है सुरेश नहा कर कपड़े बंद होता है और फिर पति-पत्नी खाना खा कर सो जाते हैं सुबह होती है फिर सुबह के 6:00 बजे सुरेश रिक्शा लेकर निकल जाता है। सुबह के 7:00 बजे राहुल की नींद खुलती है ज्यादा थकावट के कारण से जागने में थोड़ी देर हो जाती है। राहुल जागते हैं अपनी मां को बोलता है पिताजी अभी तक कल से आए नहीं क्या? तब मां बोलते नहीं बेटा आए तो थे रात को 12:00 बजे फिर सुबह 6:00 बजे चले गए । राहुल बिस्तर से उठ कर हाथ मुंह धोता है और फिर नहाने चला जाता है नहा कर आता है भगवान की पूजा करता है फिर खाना खाकर अपनी मां से पूछता है मां आज किसके घर कार्ड देने जाना है मां बोलती है मौसी के घर चले जाओ और अपने दोस्तों को भी कार्ड देते आना । राहुल खाना खाकर जाने के लिए तैयार हो जाता है। अपनी मां से कार्ड और पेन मांग लेता है । घर से निकल कर अपनी मौसी के पास जाता है।

अपनी मौसी को कार्ड देकर चला आता है ,और रास्ते में आते समय अपने दोस्तों से मिलता है सबको शादी का कार्ड देते हुए आने का अनुरोध करता है। उधर अपने घर पर तीनों बहन अपनी अपनी सहेलियों को भी कार्ड देने चली जाती है । और सभी जगह कार्ड बांट दी जाती है और सारी खरीदारी भी हो जाती है।शादी कि पूरी तैयारी हो गई। उधर सुरेशअपना काम एक दिन भी नहीं छोड़ा। शादी में सिर्फ 5 दिन ही बचे थे। घर में गीत-संगीत का प्रोग्राम बना था। गाव की औरते को बुलाया जाता। सभी औरतें आकर गीत संगीत का प्रोग्राम करती। गीत संगीत देर रात तक होती है फिर लड़की को हम भी लगाया जाता है। ऐसा करते करते हैं 3 दिन बीत जाते हैं। शादी में सिर्फ 2 दिन बाकी होते हैं। पूरे घर में साफ सफाई होता है अगर वह गाय के गोबर से लीपा जाता है सब साफ सफाई करते करते हैं शाम हो जाती है लाउडस्पीकर अपना सारा सामान लेकर आ जाते हैं माइक लाउडस्पीकर सब सेट कर के गाना बजाने लगते हैं। घर कि औरतें बोलती है शारदा सिन्हा का शादी गीत बजा दो।इधर औरतें मिलकर लड़की को उबटन लगाती है और बाहर गाँव के सभी मर्द मंडप का छप्पर बाँध रहे होते हैं ।उधर गाँव मे नाई घर घर जाकर सबको सपरिवार पूजा में आने और कथा सुनने के लिए न्योता देकर चला आता है । तकरीबन शाम को 7:00 बजे पंडित जाते हैं। आते ही वह अपने काम में लग जाते हैं। पूजा करवाते हैं और लड़की को हल्दी चढ़ाते हैं। उसके बाद सभी प्रसाद लेते हैं और खाना खाने के बाद अपने अपने घर चले जाते है।

रात बीत जाती है सुबह होते ही सभी अपने काम में लग जाते हैं उधर हलवाई आता है और तरह-तरह के पकवान बनाने लगता है। गांव की औरतें लोग सुरेश के घर आते हैं और फिर सभी लड़की को हल्दी लगाते हैं गीत संगीत गाते हैं।और फिर लड़की को नहला कर उसे गाँव के मंदिर में पुजा करवाने के लिए ले जाया जाता है ।बिहार में एक रिवाज होती है बिलौकी मांगने कि। फिर वो बहुत सारी औरतें घर घर जाकर बिलौकी मांगती है और साथ में औरतें नाचते गाते भी हैं।

बिलौकी मांग के सभी घर वापस आ जाते हैं ।गांव के हर आदमी को बुलाया जाता है खाना के लिए क्योंकि बारात आने के बाद नहीं खिला पाऐंगे। लोगों को खाना खिलाते खिलाते रात के आठ बज जाते हैं ।लोग बारात आने का इंतजार करने लगते हैं । तभी मालूम होता है की बारात गांव के सिवान पे आ गई हैं ।लड़की वाले बाराती की सेवा में लग जाते हैं सबसे पहले गाँव वाले बारातीयों के लिए नाश्ता लाते है और सभी को नाश्ता कराने के बाद सुरेश अपने समधी से बोलता है समधी जी अब बाराती को घर पर ले चलिए ।

लड़का के पिताजी बोलते है, "ठीक है समधी जी चलाए। इतना कह कर वो लोग बैंड बाजा और गाडी़ ड्राइवर को बोलते हैं आप लोग बाराती को आगे बढ़ाये ।समय बहुत ज्यादा हो गया।

और धीरे धीरे बाराती घर की तरफ़ बढ़ने लगता है ।

आधे घंटे बाद बाराती दरवाजे पर पहुँच जाता है। दूल्हा को गाड़ी से उतार के जयमाला स्टेज पर ले जाया जाता है ।वहाँ कुछ औरते थाली मे अक्षत और दूब से दूल्हे नजर उतारी जाती है और परीक्षण किया जाता है । सभी विधि होने के बाद बारातियों को खाना खिलाया जाता है। खाने में पूरी , ,बूंदी , मिठाइयां और सब्जियां होती है सभी बारातियों के खाने के बाद उन लोगों को आराम करने के लिए एक पंडाल मैं भेज दिया जाता है। सुबह के 4:00 बजे थे तभी लड़के और उनके पिता को मंडप के पास बुलाया जाता है। और पूरे विधि विधान से दोनों की शादी हो जाती है।

शादी खत्म होते होते सुबह का 5:00 बज जाता है। लड़की को सजाया जाता है । और लड़का को शादी के मंडप में फिर से बुलाया जाता है गांव के सभी बड़े बुजुर्ग आदमी लड़के के पास आते हैं लड़का उनको पैर छूकर प्रणाम करता है और बड़े बुजुर्ग आदमी लोग सलामी के तौर पर लड़के को कुछ ना कुछ देते जाते हैं । लड़के के पिता जी सुरेश को बोलते हैं कि लड़की का विदाई किया जाए। सुरेश भगत है थोड़ी देर रुक जाइए लड़की अभी तैयार हो रही है। लड़का के पिता बोलते हैं ठीक है तो जल्दी कीजिए । थोड़ी देर में लड़की की विदाई का रश्म शुरू हो जाता है। सुरेश अपने सभी से गले मिलता है और उन्हें एक पीले रंग की धोती देता है और मेरा करने के लिए लड़की को घर से बाहर लाया जाता है। लड़की बहुत जोर जोर से अपने मां के गले लग कर रोती है और मां भी रोती है। फिर लड़की अपने पिता के पैर पकड़ के रोती हैं ।पूरा परिवार रो रहे होते है । तभी लड़की को समझाते हुए गाड़ी के पास ले जाते हैं। लड़की के साथ आए हुए सभी आदमी साथ में चले जाते हैं। इधर सुरेश का घर सूना सूना लगने लगता है। सुरेश को ऐसा लगता है जैसे सब कुछ कोई छीन कर ले गया हो। सुरेश घर के कोने में बैठ कर रोने लगता है। शादी में आए हुए मेहमान भी धीरे-धीरे करके चले जाते हैं।उधर लड़की अपने ससुराल पहुंच जाती है वहां उसे पूरे विधि से गृह प्रवेश कराया जाता है । और इधर सुरेश के घर से सारे मेहमान चले जाते है। शादी में थकावट के कारण सुरेश दो-चार दिन अपने काम पर नहीं जा पाता है। दो-चार दिन बाद सुरेश जब अपनी लड़की की शादी में किया गया खर्चे का हिसाब जोड़ता है। तो अपनी बीवी और बच्चे को बोलता है बहुत सारा बहुत सारा कर्ज हो गया है। उसकी बीवी बोलती है क्यों ना हम कहीं और जाकर मैं और आप दोनों मिलकर काम करेंगे फिर सारे कर्ज उतार देंगे। इस पर सुरेश बोलता है नहीं ऐसा मैं नहीं कर सकता हूं मैं गांव में ही रहकर रिक्शा चला लूंगा। उससे जो कमाई होगी उसी में अपना घर भी चला लूंगा और कर्ज भी दे दूंगा। धीरे-धीरे समय बीतने लगता है। कुछ दिन कुछ सालों दो-तीन सालों बाद दो-तीन सालों बाद एक मुसीबत और भी आ जाती है अचानक उसकी बीवी की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो जाती है। तब सुरेश बहुत ही ज्यादा घबरा जाता है क्या करे कुछ समझ में नहीं आता है । उसके पास हॉस्पिटल ले जानें के लिए पैसे नहीं थे । तभी पड़ोस की एक औरत 500रु.देती है और बोलती है सुरेश तुम इसको सरकारी असपताल ले जाओ, वहां अच्छा ईलाज होता है । ठीक है कहकर सुरेश अपनी पत्नी को खुद के रिक्शा पे बिठाया और साथ मे मंझली बेटी को ले कर चल दिया । हॉस्पिटल पहुंच कर सबसे पहले तो वो काउंटर पर जाके अपनी पत्नी के नाम से पर्ची लेता है,फिर हॉस्पिटल के अंदर जाता है वहां एक कंपाउंडर को पर्ची देता है फिर कंपाउंडर उसकी पत्नी से पूछता है क्या हो रहा है।तो सुरेश की पत्नी बोलती है खांसी बहुत ज्यादा होती हैं और सांस फुलने लगता है।तो कंपाउंडर उसे डॉक्टर के केबिन में भेज देता है। डॉक्टर चेक अप करने के बाद कफ जांच और एक्सरे के लिए भेजता है। सुरेश एक रिक्शा चालक रहता है इसलिए उसे हॉस्पिटल मे ज्यादा परेशानी का सामना करना नही पड़ा ।एक्सरे जांच करवा के डॉक्टर के पास जाता है। डॉक्टर के हाथ मे एक्सरे कॉपी देते हुए कहता है डॉक्टर साहब ये लीजिए एक्सरे। डॉक्टर x-ray हाथ में लेकर देखता है, फिर सुरेश को बोलता है बहुत बुरी खबर है।सुरेश घबराकर पूछा ,क्या हुआ डॉक्टर साहब?

डॉक्टर बोलते हैं _आपकी पत्नि को अस्थमा (दमा) हो गया है।और साथ मे टीवी के भी शुरुआत हो रहा है। अगर आप समय से इलाज करवाए तो ठीक हो जायेगी वर्ना बीमारी ज्यादा बढ़ गया तो बचाना मुश्किल हो जाएगा ।

इतना कहकर डॉक्टर कुछ दवाइयां लिख के देते हैं और खिलाने का नियम बताकर जाने को बोल देते हैं।

सुरेश घर अपनी पत्नी को हॉस्पिटल से लेकर घर जाता है।

घर पहुंच कर अपने सिर पर हाथ रख कर एक कोने में बैठ जाता है।ये सब देख उसकी पत्नी की आंखे नम हो जाती हैं। सुरेश को ऐसे टेंसन में देख उसका लड़का राहुल जो 9वी कक्षा में पढ़ रहा था। अपने पीता से पूछता है क्या हुआ पिताजी,तब सुरेश बोलता है कुछ नहीं बेटा तेरे मां की बिमारी को लेकर परेशान हूं।तब राहुल जो कभी पढाई के अलावा कोई दूसरा काम कभी नहीं किया होता है वो बोलता है ।

राहुल अपने पिता से "पिताजी आप अकेले कब तक काम कीजियेगा, मुझे भी कहीं काम पर लगा देते तो अच्छा होता ।

तब सुरेश बोलता है बेटा,मैं तो ज्यादा पढ़ाई नहीं किया तो आज मैं रिक्शा चला रहा हूं।लेकिन मैं यह नहीं चाहता कि तुम भी बड़े हो के यही काम करो और मेरे तरह तुमहे भी ऐसी मुसीबत का सामना करना पडे। इसलिए तुम अभी पढाई में ज्यादा ध्यान दो तो अच्छा रहेगा। उतना सुनकर राहुल चुप हो जाता हैं। राहुल एक बहुत ही संस्कारी और शरीफ लड़का है जो दुर्गा मां की भक्ति और पढ़ाई में लिन रहा करता है।

राहुल अपने पिता से कहा, पिताजी जैसे आप बोलीय, वैसा मै करूंगा।

सुरेश बोलता है ठीक है अब जाओ और अपनी पढ़ाई पूरी करो।राहुल वहां से उठा और अपने रूम मे चल गया।लेकिन राहुल के दिमाग में अभी कुछ और ही चल रहा था ।

इधर सुरेश घर से निकलकर फिर से अपने काम पर चला गया।

घर में दोनो बेटी अपनी मां का बहुत अच्छा खयाल रखती थी। दोनो घर का काम खत्म करके पढ़ाई में लग जाती है।

थोड़ी देर बाद ,शाम होने वाला होता है।तभी मनीषा (मंझली बेटी) अपनी मां से पूछती है मां क्या खाना बनाऊं तभी मां बोलती है रोटी और आलु को उबाल कर सब्जी बना लो।इतना सुनते ही मनीषा अपनी छोटी बहन के साथ घर के काम में लग जाती हैं।

पहले पूरे घर की सफाई करती है फिर बर्तन को साफ करती है तब जाके खाना बनाने लगती है।

खाना बनाने के बाद फिर से पढ़ने के लिए बैठ जाती है।एक घंटे बाद सुरेश हाथ में एक थैला ले कर घर आ जाता है। उस थैले में कुछ फल, सब्जियांऔर बच्चे का खाने का सामन रहता है ।वो थैला अपनी पत्नी को देते हुए कहता है कि इसमें से खाने का सामान निकाल कर तीनों बच्चों को दे दो। तभी सुरेश की पत्नी अपने तीनों बच्चे को बुलाती हैं और उन्हें खाने का सामान निकाल कर दे देती है l aur तीनों बच्चे खाने लगते है ।

थोड़ी देर बाद सुरेश हाथ पैर धोकर मनीषा को पुकारता है मनीषा आती है और बोलती है क्या हुआ पिताजी , सुरेश बोलता मां को खाना दो और दवाई भी,तभी मनीषा खाना लेके आई और अपनी मां को दे दी ।उसके बाद सुरेश के लिए भी खाना लेके आई दे दी । तभी सुरेश बोलता है तुम तीनो भाई बहन भी खाना खा लो। मनीषा सभी भाई बहन को खाना खिलाके खुद भी खाना खा लेती है। सभी को खाना खा लेने के बाद मनीषा और रेखा दोनों बहनें मिलकर बर्तन साफ करती है और घर का काम खत्म करके अपनी मां कि हाथ पैर दबा कर अपने रूम में सोने चली जाती है। तभी राहुल अपने पिता के पास आकर पैर दबाने लगता है तभी सुरेश बोलता है बेटा ,

छोड़ दो और सोने चले जाओ, दिनभर पढ़ाई कर के थक गए हो । राहुल बोलता है नहीं पिताजी आप दिन भर काम करके थक गए होंगे लाइए में पैर दबा देता हु। राहुल और राहुल सुरेश का पैर दबाने लगता है । थोड़ी देर बाद पैर दबाकर राहुल वापस अपने कमरे मे जाकर सो जाता है।

फिर सुबह हो जाती है सुबह-सबह सुरेश उठकर हाथ मुंह धो होता है और फिर अपनी रिक्शा लेकर शहर की ओर कमाने के लिए चला जाता है जब तक घर में सभी लोग सोए हुए रहते हैं। थोड़ी देर बाद राहुल जगता है और झाड़ू लेकर मैं घर की सफाई करता है और फिर नहा धोकर पूजा पाठ करने लगता है पूजा खत्म करने के बाद अपने स्कूल ड्रेस पहनता है तब तक इधर मनीषा और उसकी छोटी खाना बना लेती राहुल खाना खाकर स्कूल चला जाता है और मनीषा भी अपनी मां को खाना और दवाइयां दे के वो भी स्कूल चली जाती है । घर पर सिर्फ सुरेश की छोटी बेटी और उसकी पत्नी रहती है सुरेश की छोटी बेटी है जिसका नाम रेखा होता है। वह अपनी मां की तबीयत खराब होने की वजह से स्कूल नहीं जा पाती है। धीरे-धीरे समय बीतता जाता है, सुरेश की पत्नी की तबीयत धीरे-धीरे ठीक होने लगती है। सुरेश की पत्नी सोचती है क्यों ना हम भी कहीं काम करें वह भी गांव की औरतों के साथ दूसरे के खेत पर काम करने चली जाती है। बात सुरेश को पता नहीं होता है और सुरेश भी अपने काम में लगा रहता है और उसकी पत्नी भी रोज काम में चली जाती थी।ऐसा कुछ दिनों तक लगातार चल रहा था की फिर से सुरेश की पत्नी की तबीयत बिगड़ जाती है। उस समय घर पर सुरेश नही होता है।वो उस रिक्शा चलाने गया था।घर पर केवल उसके दस साल की छोटी बेटी रहती है।वो जलदी से अपनी मां को दवाई खिलाती है।तब जा कर थोड़ा आराम मिलता है।शाम को राहुल और मनीषा घर आ जाते हैं। घर आते ही राहुल को सारी बात छोटी बहन बताती है तो मां को बोलता मां तुम काम करने क्यू जाती है।तो उसकी मां बोलती है बेटा तेरे पिताजी अकेले क्या करेंगे।वो जो कमाते हैं उससे घर तो बहुत मुस्किल से चलता है।और इतने कर्ज है फिर तुम लोगो को पढ़ाना है और कुछ दिनों में मनीषा भी शादी के लायक हो जाएगी।तब राहुल कुछ सोच मे पड़ जाता है।उधर मनीषा और उसकी छोटी बहन रेखा भी घर के काम मे व्यस्त हो जाती हैं । दोनो बहन खाना पकाती है।दोनो खाना पकाने के बाद पढ़ने बैठ जाती हैं l रात के नौ बजे सुरेश थका हारा घर आता है ।और मनीषा को पुकारता है मनीषा पढ़ाई छोड़ कर आती और सुरेश के लिए एक लोटा पानी चापाकल से भर के लाती है।और खाने के लिए पूछती है l तो सुरेश बोलता अभी नहीं थोडा नहा लेता हूं फिर तुम लोगो ने खाना खाया या नहीं।तो मनीषा बोलती है नही पिताजी आप के बिना हमलोग कैसे खाले इसपर सुरेश गुस्सा होता है और मन ही मन खुश भी होता है कि परिवार में मेरी कितनी इज्ज़त है।फिर सुरेश मनीषा से मनीषा पहले अपनी मां को खाना खिलाओ और दवाई भी ।मनीषा बोलती है ठीक है पिताजी इतना कहकर वो घर में चली जाती है।

घर मे जाकर अपनी मां के लिए खाना के लिए पूछती है तो उसकी मां बोलती हैं पहले अपने पिताजी को खिलाओ फिर मैं खा लूंगी।इतने में सुरेश नहाकर आ जाता है ।मनीषा सभी लोगो को खाना परोसती है सभी खाना खाने लगते हैं।सभी को खिलाके सबसे अंत में खुद खाती है। फिर घर का काम खत्म करके सोने जाती हैं ऐसा वो हर दिन करती है । ये सिलसिला रोज का हो जाता है मानो तो एक रुटीन है उसके लिए । सुरेश भी रोज काम पर जाता है धीरे धीरे उसकी आमदनी कम होते जाते हैं हजारों में ऑटो रिक्शा जाने के कारण उसकी कम हो जाती है। अब सुरेश और भी ज्यादा चिंतित रहने लगता है क्या करें क्या ना करें उसको समझ में नहीं आता हैं । वो जितना कमाता है उससे उसके घर के दो वक्त का खाना भी ढंग से नहीं चला पाता है। सुरेश मन ही मन सोचताबच्चों की पढ़ाई और अपनी पत्नी का दवाई कहां से लाऊं मुझे कुछ समझ मे नहीं आ रहा है। क्या करूं कहां जाऊं अब ऊपर वाले की जो मर्जी है , वही होगा। घर के कोने में बैठ कर सब सोचता रहता है। तभी राहुल अपने पिता को चिंतित और परेशान देखकर पूछता है l पिताजी क्या बात है कुछ हम लोग को भी बताइए। सुरेश फिर बोलता है कुछ नहीं बेटा बस तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो। इतना कह कर सुरेश वहां से उठकर चला जाता है। तभी राहुल मन में सोचता है कुछ तो परेशानी है पिताजी को जो हम लोगों से नहीं बताना चाहते हैं। क्या राहुल कुछ कर पाएगा जानने

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