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लारा - 10 - (एक प्रेम कहानी )

हेलो दोस्तों पूरे 8 महीनों बाद आज एक बार फिर कुछ लिखने का अवसर प्राप्त हुआ है।
वो क्या है ना कि ये एक अद्भुत प्रेम कहानी है इसे ऐसे ही कहीं भी कभी भी नहीं लिख सकते हैं, लिखने से पहले कुछ वक्त देखकर कहानी की भूमिका में खुद को डुबोना पड़ता है आइए अब आपको आगे की कहानी सुनाते हैं।।
(भाग 10)
{भाग 9 में आपको बताया गया था कि किस तरह नैंसी ने जय से अपने धोखे का बदला लिया अब आगे की कहानी भाग 10 में ]

राम जी पूरे शांत मन से सोमा की बातें सुन रहे थे।सोमा की बातों से लग रहा था कि वह अब एक बार फिर से राम को अपनाना चाहती है, अपनी सफाई देकर खुद को बेकसूर साबित करना चाहती थी, कि राम जी जय के लिए मेरे दिल में कोई प्यार नहीं था सिर्फ एक गलतफहमी थी।
उसकी हर लब्ज से एक अनकही सी आवाज आ रही थी, कि राम जी मुझे माफ कर दीजिए किसी धोखेबाज के चक्कर में मैंने आपकी सच्ची मोहब्बत को ठोकर मार दिया।
लेकिन सोमा यह सब राम से नहीं बोल पा रही थी जो राम को अंदर ही अंदर झिकझोरे जा रही थी,
कि राम तु खुद ही पहल कर तेरा प्यार एक बार फिर से तेरे सामने झोली फैला कर खड़ा है, समेट ले उसे अपनी तड़पती हुई दुनिया में, वह शर्मिंदा है नहीं बोल पाएगी ये सब। तुझसे सामना करने की हिम्मत नही है उसमें।
फिर क्या था राम जी ने अपने दिल की सुनी और पूछ हि लिया कि क्या अब मैं अपनी एंट्री समझ सकता हूं ।
मेरे लिए कोई जगह है तुम्हारे दिल में, क्युकी मेरे दिल में तो आज भी तुम्हारी वही जगह है, तुम आज भी मेरे दिल की रानी हो ।
तो सोमा ने कहा कि मैं इसके लायक तो नहीं हूं लेकिन फिर भी आप जैसे ठीक समझे। इतना सुनते ही राम जी बिना कुछ सोचे समझे अपने प्यार का इजहार कर दिये और तुरंत बोल दिए
(आई लव यू जान)
यह तीन शब्द सुनकर सोमा की आंखें बंद हो गई और आंखों से आंसू टपकने लगे। सोमा एक बार फिर बोली कि राम जी एक बार फिर से सोच लीजिए मुझे एक्सेप्ट करना इतना आसान नहीं है, क्योंकि मैं आसमान का वो सफेद चांद नहीं हूं जिसके हल्के दाग को नजरअंदाज कर प्यार किया जाता है, मैं तो आसमान का वो काले दागों वाला चांद हूं जिसे मिटाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।
इतना सुनकर राम जी बोले कि वह चांद कैसा जिसमें दाग ही ना हो, और जो बेदाग हो वो चांद चाहिए ही नहीं।
बस फिर क्या था इतना सुनते ही सोमा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, । मानो राम के इन शब्दों ने दुनिया की सारी खुशियां उसकी झोली में डाल दि हो वो भी तुरंत बोली
(आई लव यू टू जान)
वह शाम इतनी सुहानी थी कि दिल करता था काश यह पल यही ठहर जाए, क्योंकि कब के बिछड़े यह दोनों आज यहां मिले थे।
पूरे 2 घंटे कंटिन्यू बात होती रही लेकिन बातें खत्म ही नहीं हो रही थी, इतने शिकवे गिले जो थे।
फिर सोमा बोली कि जान बाद में बात करेंगे, सब नीचे बुला रहे हैं खाने का टाइम हो गया है। फोन रख कर सोमा जब नीचे आई तो उसकी खुशी का राज सब पूछने लगे कि अरे क्या बात है आज बहुत खुश हो। सोमा खुश होती कैसे नहीं आज फिर उसे एक बार उसकी सच्ची मोहब्बत जो मिल गई थी, लेकिन यह खुशी किसी से जाहिर भी तो नहीं किया जा सकता था ना।
कुछ भी तो नही, इतना कह कर सोमा शांत हो गई सोचा कि अब शांत रहना ही ठीक है। नहीं तो सबको बिना बताए ही पता चल जाएगा कि राज क्या है। दोनों को बस समय का इंतजार रहता कि कब फ्री हो और जल्दी से बात कर ले।
लेकिन सोमा अपनी पूरी फैमिली के एक ही रूम में रहने की वजह से फोन पर बात नहीं कर सकती थी, क्योंकि उसका घर बन रहा था इसलिए उसकी पूरी फैमिली एक ही रूम में रहती थी। राम और सोमा फोन पर दोनों रात को ही बात किया करते थे, जब सब लोग बाहर सो जाया करते ।सोमा अपनी दोनों छोटे भाई बहनों के साथ रूम में सोती थी, और पंखे के चलने की आवाज का फायदा उठाती। और दोनों पूरी रात बात करते कभी-कभी तो सुबह के 4:00 भी बज जाया करते थे, लेकिन उनकी बातें नहीं खत्म होती थी।
एक दिन सोमा बोली कि आपको एक बात बताएं जान नवंबर में मेरा जन्मदिन है। तो राम बोले कि अरे वाह मेरी जान का बर्थडे है, मेरी जान बोले क्या चाहिए गिफ्ट में, मेरी जान क्या लेगी।
तो सोमा बोली कि गिफ्ट मांगा थोड़ी जाता है, जो आपको पसंद हो वह आप दे सकते हैं। तो राम बोले कि ठीक है मैं तुम्हारी पसंद के कलर का दुपट्टा यहां से ऑनलाइन कोरियर कर देता हूं ।
मैं चाहता हूं कि तुम मेरे प्यार के रंग से ढक जाओ और नीला तो हम दोनों का पसंदीदा कलर है, तुम पर खूब जमेगा भी ।
तो सोमा बोली कि नहीं जान कोरियर नहीं करना, क्या जवाब देंगे फैमिली को किसने भेजा कहां से आया है।
आप परेशान ना हो हम यहां खरीद लेंगे और जब कभी आप मिलना तो हमें पैसे दे देना, तब तक उधार ही रहेगा।
राम जी क्या करते उन्हे तो मानना ही था अब सोमा को उसकी फैमिली के खिलाफ भी तो नहीं कर सकते थे, कि नहीं तुम ले लो जो होगा देखा जाएगा
क्योंकि राम और सोमा दोनों ही मेच्योर थे। उन्हें अपनी मोहब्बत को पूरी जिंदगी निभाना था, ऐसी छोटी-छोटी हरकतों से मोहब्बत को खत्म नहीं कर देना था, कि रुसवा करके जोश में होश गवा कर तुरंत मोहब्बत खत्म कर दी जाए।
राम जी बोले ठीक है जैसा तुम्हें ठीक लगे जान जिसमें तुम खुद को सुरक्षित महसूस करो वही ठीक है तुम खुद ही ले लेना दुपट्टा अपनी पसंद का। लेकिन कलर नीला ही होना चाहिए और जब कभी भी मैं मिलूंगा तो मुझसे याद से पैसे मांग लेना। सोमा बोली की ठीक है जान अभी तो सितंबर चल रहा है और मेरा जन्मदिन तो नवंबर में है समय आने दीजिए मैं खुद जाकर ले लूंगी अपने पसंद का।
एक प्यारा सा दुपट्टा जो आपको भी पसंद आएगा, हम दोनों की पसंद का होगा जान आप परेशान ना हो।
यह अगस्त और सितंबर का महीना बातें करते हंसते हंसाते कब गुजर गया कुछ पता ही नहीं चला ।
सोमा और राम दोनों एक दूसरे में इतना खो चुके थे कि उन्हें किसी भी चीज की कोई परवाह ही नहीं रहती। सोमा तो बात करने की लिमिट को कबका क्रॉस कर चुकी थी। घर में सब कोई देखता कि यह बात कर रही है घंटों बात करती है, कभी मैसेज पर तो कभी फोन कॉल पर। लेकिन सोमा को फर्क ही नहीं पड़ता था ।
सोमा की मां कभी गुस्सा भी होती तो सोमा अपनी मां से लड़ जाती की आप तो हमेशा ऐसे ही लड़ते रहते हो, फ्रेंड से बात कर रही थी। सोमा अपनी मां को अपनी बातों में उलझा ले जाती क्योंकि उसकी माँ सोमा पर बहुत भरोसा करती थी, और सोमा थी भी भरोसे के लायक। लेकिन अगर कोई अच्छा है तो इसका मतलब ये तो नहीं की उसकी अपनी कोई खुद की ज़िंदगी नहीं होती, कोई नीड नहीं होती, अरे उस इंसान के अंदर भी तो एक दिल होता है जो कभी किसी के लिए धड़क भी सकता है।
तो बस सोमा भी अपने दिल के हाथों मजबूर हो चुकी थी, हो गया उसे राम जी से प्यार, और प्यार कभी कोई जात पात रिश्ता नाता नहीं देखता प्यार तो बस हो जाता है उससे जो दिल को पसंद आ जाता है। अब किसी के लिए सोमा अपने सच्चे प्यार को तो नहीं छोड़ सकती थी ना।
लेकिन सोमा को ये एहसास हो गया था कि घर में सबको शक हो गया है कि ये किसी लड़के से बात करती है, उसे महसूस होने लगा था कि मेरे प्यार को नजर लग चुकी है, लेकिन हर बार वो अपने दिल को ये कहकर समझा देती की शायद अब हमे राम जी को खोने से डर लगने लगा है इसीलिए ऐसी फीलिंग्स आ रही है। और वो हर किसी को नजरंदाज करके बात करती रही।
(आगे की कहानी अगले भाग 11 में)
देखते हैं सोमा के प्यार को किसकी नजर लग जाती है