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राब्ता - भाग - 2

अगले दिन सुबह जब वो नाश्ता करने बैठा उस दौरान उसने अपनी मां से पूछा — "क्या आपको कोई लड़की पसंद आई?"
"अरे हां शाम को मैं तुम्हे फोटो दिखा दूंगी।"
नाश्ता कर वो अपने काम पर निकल गया।
"कुछ अजीब नहीं लगा तुम्हे?" उसकी मां ने उसके पिता से पूछा।
"अजीब क्या है?"
शाम के वक्त राजेश उसकी मां के कमरे में गया।
"तो किसे पसंद किया है आपने?"
"ये देख।" उसकी मां ने एक फोटो दिखाते हुए कहा।
"इसका नाम क्या है।"
"सुरभि!" उसकी मां ने जवाब दिया।
उसी शाम राजेश ने अपना लैपटॉप खोला और उसके बारे में जानकारी निकालने लगा। किस्मत से उसे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी और उसने तुरंत से उसकी जानकारी सोशल मीडिया से निकाल ली।
"शायद वक्त आ गया है सच बताने का।" ये सोच वो उसे मैसेज लिखने लगा। इतने में उसकी मां आ गई, घबराते हुए उसने लैपटॉप बंद कर दिया।
"क्या हुआ?"
"कुछ नहीं! आपको कुछ काम था?"
"हां वो रात का नाश्ता तैयार है चलो खाते है।"
"मैं आ ही रहा था, आपको इस उम्र में इतनी सीढ़िया नहीं चढ़नी चाहिए, चलिए चलते है।" कहते हुए राजेश अपनी मां को कमरे से बाहर डायनिंग टेबल पर ले आया।
जल्दी से खाना खाकर वो अपने कमरे में चला गया। लैपटॉप खोला और वापस मैसेज लिखने लगा।
"क्या वो मुझे रिप्लाई करेगी भी?" सोचते हुए उसके हाथ रुक गए।
"ये सही नहीं लगता।" खुद से कहते हुए उसने सब डिलीट कर दिया।
तभी अचानक उसे किसी का मैसेज आता है।
"क्या तुम्हे मदद चाहिए?"
ये देख वो थोड़ा चौक जाता है और मन में सोचने लगता है— "ये कौन है? और इसे कैसे पता मुझे मदद की जरूरत है। क्या कोई मुझपेर नजर रख रहा है?" ये सोच वो अपने कमरे की चारों और देखने लगता है।
"डरो मत मुझे सब पता है।"
"क्या पता है तुम्हे?" राजेश ने रिप्लाई करते हुए पूछा।
"वो रेस्टोरेंट वाली बात।" उधर से रिप्लाई आया।
"कौन हो तुम?" राजेश ने उस अजनबी से पूछा।
"दरअसल मेने तुम दोनो की बातें सुन ली थी।"
"तो,अब क्या तुम्हे इसके बदले में पैसे चाहिए?" राजेश ने गुस्से में पूछा।
"नहीं! मैं बस तुम्हारी मदद करना चाहता हूं।" उधर से रिप्लाई आया।
"जरूरत नहीं!!!" राजेश ने गुस्से में लैपटॉप बंद कर दिया और सोने चला गया। बिस्तर पर लेटे हुए वो उस अनजान व्यक्ति के बारे में ही सोच रहा था।
"कौन हो सकता है वो? क्या मुझे मदद लेनी चाहिए?" उसने खुद से मन में पूछा।
पूरी रात उसी बारे में सोचता रहा।
अगले दिन सुबह उठकर उसे एक बड़ी अजीब चीज पता चलती है।
सुबह के नाश्ते के दौरान जब वे बैठे थे।
उसकी मां बोली — "बेटा दरअसल वो लड़की जिसे हमने पसंद किया था वो किसी और के साथ भाग गई है।"
"क्या?" उसने आश्चर्य से अपनी मां को देखा।
"हां, कल रात को उसके पिताजी का कॉल आया था उन्होंने सब सच बता दिया।"
राजेश के हाव भाव बिलकुल बदल से गए।
"बेटा तुम पानी पियो।" उसकी मां ने पानी का ग्लास थमाते हुए उससे कहा।
वो मन ही मन काफी खुश था और सोच रहा था।
"भागना तो था ही उसे अब इतनी प्रसिद्ध सोशल मीडिया की लड़की भला कहां मानने वाली है।"
उसने चैन की सांस ली और खाना खाकर अपने कमरे में चला गया।
"लेकिन वो दूसरी लड़की भी तो ढूंढ सकते है।" अचानक से उसके मन में खयाल आया।
उसने लैपटॉप खोला और उस अजनबी से बात करने का सोचा।
"ठीक है मैं तैयार हूं, तुम कैसी मदद कर सकते हो मेरी?" उसने उस अजनबी को मैसेज किया।
कुछ मिनटों बात रिप्लाई आया।
"तो जितना मुझे पता है तुम गै हो और किसी लड़की के साथ शादी नहीं कर सकते। कितने लोगो को पता है इस बारे में?"
"सिर्फ मेरे दोस्त को,और किसी को नहीं।"
"तो फिर तो तुम्हे सबको सच बताना चाहिए।"
"मैं ऐसा नहीं कर सकता।"
"पर क्यों?"
"मेरे दोस्त को भी पहले नहीं पता था पर जब मेने उसे बताया तो वो… उसने दोस्ती तोड़ दी और मैं नहीं चाहता की मेरे घरवाले भी मुझे छोड़ दे।"
"पर कोशिश तो करके देखो।" उधर से रिप्लाई आता है।
"शुक्रिया तुम्हारा पर शायद अब नहीं।" इतना लिख उसने दोबारा लैपटॉप बंद कर दिया।
"क्या कह रहा था वो? कैसे बता दूं सबको सच इतना भी आसान नहीं है।" उसने मन ही मन सोचा।

– क्रमशः