Vo Pehli Baarish - 51 books and stories free download online pdf in Hindi

वो पहली बारिश - भाग 51

“हाँ.. तुम्हारा जवाब हाँ है?”, ध्रुव ने लिफ्ट से निकलते हुए थोड़ा हैरान होकर पूछा।

“अ. अ. अ.. वो..”, निया अभी बोल ही रही होती है, की तभी एक लड़की आकर उसकी बात काटते हुए ध्रुव से बोली।

“ध्रुव.. आप यहाँ।"

“हाय अन्नू.. हाँ.. वो अपनी फ्रेंड से मिलने आया था बस..”, ध्रुव ने मुस्करा कर जवाब दिया।

“हाय अन्नू..”, एक टक देखती हुई अन्नू को देखती हुई निया बोली।

“अर्रे निया आप भी यहाँ?”, अन्नू ने हैरान होते हुए पूछा।

“हाँ.. मेरी जिस फ्रेंड की मैं बात कर रहा था, वो निया ही है।"

“ओह.. अच्छा। ध्रुव अच्छा हुआ आप यही मिल गए, आप जब भी निया से मिल कर जाने लगो ना तो एक बार मुझे बताना, मुझे आपसे एक जरूरी बात करनी थी।

“ठीक है।", अपनी खास वाली बड़ी सी मुस्कराहट के साथ ध्रुव ने जवाब दिया, और वहीं पास खड़ी निया, कभी ध्रुव का खिला खिला चेहरा देखती तो कभी अन्नू की चेहरे की मुस्कराहट।

“चले?”, हल्का से चिड़ते हुए निया ने ध्रुव को अंदर चलने का इशारा करते हुए बोला।

“हाँ.. चलो।", ये बोलते ही ध्रुव और निया, निया के फ्लैट में जाते है।

“तो तुम क्या कह रही थी फिर?”, ध्रुव ने निया के हॉल मे पड़ी एक कुर्सी पे बैठते हुए पूछा।

“अ. अ. कुछ खास नहीं।", निया ने पानी से भर हुआ ग्लास ध्रुव को पकड़वाते हुए कहा।

“खास नहीं.. खास कैसे नहीं, तुमने मेरी बात का जवाब हाँ दिया है। तो खास तो ये अपने आप ही हो गया ना।", ध्रुव ने मुस्कराते हुए निया की तरफ देख कर कहा।

“हाँ.. कहा तो हाँ ही है।", निया ने भी धीरे से बोला।

“तो मतलब, अब हम रीलैशन्शिप में है?” , ध्रुव ने निया की तरफ देखते हुए पूछा।

“हाँ.. शायद.. ऐसे ही शुरुआत होती है रीलैशन्शिप की!!”, निया ने धीरे से बोला तो ध्रुव आगे बढ़ा और उसने निया को उठने का इशारा किया।

“क्या?”, ध्रुव से पूछते हुए निया उठी तो, फट से ध्रुव ने उसे गले से लगा लिया।

“मैं वादा करता हूँ, मैं इस रिश्ते में अपना बेस्ट दूंगा।", गले लगे हुए ध्रुव ने निया को बोला।

“मैं भी..”, निया ने ध्रुव से कहा, “पर सुनो..”, निया ध्रुव को आगे कुछ कहने की कोशिश कर रही थी, की इतने में ध्रुव का फोन बज गया।

फोन पे बात करते ही, निया की तरफ मुड़ कर बोला। "मुझे अभी जाना होगा, बाद में फोन करता हूँ।", ध्रुव की चेहरे की मुस्कराहट बयान कर रही थी की वो इस रिश्ते से कितना खुश था, पर वहीं निया के चेहरे पे आई हल्की सी शिकन, उसकी कशमशकश बयान करना चाहती थी।

“ये अन्नू से मिलने गया है, क्या?”, खुद से बोलती हुई निया ने अपना दरवाज़ा बंद किया और अपने कमरे में चली गई।

“अ.. अ.. अ.. ये क्या कर दिया, मैंने। ऐसे बेवकूफी कौन करता है।", अपने सिर पे हाथ रखते हुए निया अपने बेड पे पीछे होकर लेट गई।

हाँ.., ध्रुव की बात पे अपने दिए हुए उस जवाब पे निया याद करके गंदा सा मुंह बनाते हुए, पैर हवा में मारने लग जाती है, जैसे इन सब से उसकी याद और वो पल दोनों ही फुर हो जाएंगे।

“मैंने कहना था, की हाँ मैंने सोचा, पर उस अन्नू की वजह से मैं अपनी बात नहीं पूरी कर पाई। अन्नू...”, खुद से ये कहते हुए निया अपने बिस्तरे से उठी और फोन की तरफ देखने लगी।
“अभी फोन करके कह दूँ क्या, की ये नहीं हो सकता। नहीं.. अभी कैसे कह दूँ, ऐसे तो नहीं चलेगा, उससे मिल कर ही बोलना चाहिए इतनी ज़रूरी बात, नहीं तो हमारी दोस्ती खराब हो जाएगी।"

निया अभी फोन उठा कर ही बैठी होती है, की उसका फोन में ध्रुव का मैसेज आता है।

“आज के लिए थैंक्यू. मैं घर पहुँच गया हूँ, फ्री होकर बताना, बात करते है...”

“अब क्या बात करनी है इसे, कहीं अन्नू ने इससे ये तो नहीं बताया की वो इससे पसंद करती है.. नहीं.. नहीं.. वो इतनी पुरानी बात अब क्यों लाएगी। मतलब अब तक तो वो आगे बढ़ गई होगी, क्या पता कोई बॉयफ्रेंड भी हो उसका.. या ना भी हो तो इतना तो समझ सकती है, की अब ध्रुव आगे बढ़ गया हो, और इसलिए उसे परेशान करनी की कोई जरूरत नहीं रहेगी।", अपने ख्यालों में डूबी निया, बिना ज्यादा कुछ सोचे, आगे बढ़ती है और ध्रुव को फोन मिला देती है।

“हैलो", फोन उठा कर ध्रुव बोलता है।

“मेरा दिमाग खराब हो गया है क्या..”, फोन पे हाथ रखते हुए निया खुद से कहती है। "ह.. हाय ध्रुव। कैसे हो?”

“मैं तो ठीक हूँ.. अभी तो मिल कर गया ना मैं।"

“हाँ मतलब.. तुमने वो मैसेज किया था ना, तो अभी मैं फ्री ही थी, तो सोचा तुमसे बात करलूँ।"

“हाँ।"

“हाँ.. तो क्या कहना था तुम्हें।"

“अ. अ।। कुछ खास है भी और नहीं भी।"

“मतलब"

“मतलब, तुम्हें बताना था, की ये मेरी पहली रीलैशन्शिप है, तो मुझे नहीं पता.. की एक रिश्ते में सामने वाला अक्सर आप से क्या इक्स्पेक्ट करता है। तो बस कहीं कुछ रह जाए, तो बता देना।"

“हहमम..”, निया ने एकदम से जवाब दिया। "पता तो शायद मुझे भी नहीं है, पर कोई ना, हम दो लोग है, चला लेंगे इस रिश्ते को।"

“हाँ.. मुझे भी पूरा यकीन है तुम पे, खुद पे और हम पे, की हम कभी कोई ऐसा काम नहीं करेंगे जिससे हम से किसी को भी चोट पहुंचे।"

“हाँ.. बिल्कुल।", निया ने धीरे से जवाब दिया।

“अच्छा ध्रुव.. मुझे लगता है की मुझे कोई बुला रहा है, तो मैं तुमसे बाद में बात करती हूँ।"

“ठीक है।"

ध्रुव का फोन काटते ही निया खुद से कहती है, “वो मुझ पे पूरा भरोसा करता है, की मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगी जिससे उसे चोट पहुंचे , और मैं तब से, बस ये सोचे जा रही हूँ, की मैं उसे ना कैसे कहूँ। अपने ना कहने के चक्कर में, मैंने एक बार भी नहीं सोचा, की ये ना सुन कर ध्रुव को कितना बुरा लगेगा।
नहीं।
नहीं। ऐसे नहीं चलेगा, मैं ध्रुव के साथ ये नहीं कर सकती.. अब हाँ बोल कर ना बोलने पे उसे और बुरा लगेगा।

हाँ तय रहा.. मैं ध्रुव के साथ इस रीलैशन्शिप में रहूँगी, और उसे प्रोटेक्ट करूंगी किसी भी तरह से हर्ट होने से। "

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“पर वैसे सवाल तो उसका सही था, आखिर एक रीलैशन्शिप में करना क्या होता है, की वो सफल रहे?", किचन में सब्जी काटती निया, एकदम तेज़ से चाकू सब्जी पे मारते हुए सोचती है, की तभी उसे एहसास होता है, की वो थोड़ा ज़ोर से बोल पड़ी।

“हह?”, साथ खड़ी सिमरन तड़के के लिए प्याज टमाटर निकालते हुए पूछती है।

“सुन ना..”, हाथ में चाकू लिए निया सिमरन की तरफ बढ़ कर बोलती है।

“सुन रही हूँ.. तू ज़रा इससे दूर रखेगी।", सिमरन ने खुद को चाकू से दूर करते हुए कहा।

“हाँ..”, निया ने चाकू पीछे छुपाते हुए बोला। "तेरी रीलैशन्शिप इतने सालों से चल रही है, और अब तो तुम लोग शादी भी कर रहे हो, तो तू मुझे बताएगी क्या?”

“क्या?”

“की ऐसा क्या किया तूने?”

“मतलब?”

“अर्रे ऐसा क्या किया की जो सब सही रहा तुम दोनों के बीच।"

“ऐसा कुछ अलग सा तो नहीं किया।"

“बता ना..”, निया फिर से चाकू आगे कर सिमरन के सामने लाते हुए बोली।

“ओए चाकू!”

“ओह.. सॉरी, पर तू कुछ तो बता ना प्लीज।"

“अगर मुझे ठीक से याद है, तो ऐसा नहीं है, की हमारे बीच सब सही चल रहा था, पर वक्त के साथ हमारा एक दूसरे पे भरोसा बड़ा और हम दोनों ही इस रिश्ते को लेकर सीरीअस थे, तो चीज़े ठीक होती गई।"

“अच्छा।"

“हाँ.. पर तू क्यों पुछ रही है? क्या तूने.. क्या तूने ध्रुव को हाँ बोल दी है?”

“हाँ..”, निया ने धीरे से बताया।

“बढिया.. फिर एक काम कर उसे फोन कर और फटाफट उससे पुछ, की वो उस दिन कौन सी दुकान के बारे में हमे बताने वाला था?”

“हह? तुझे ये जान कर मुझसे सिर्फ यही पूछना है।"

“पूछना तो बहुत कुछ है, पर सॉरी.. इस समय मेरी शादी और शादी की शॉपिंग सबसे जरूरी है।", सिमरन ने हँसते हुए बोला, और वो अपने कमरे में बज रहे फोन को उठाने चली गई।

"इसने कुछ खास तो बताया नहीं है ना, पर सिमरन की तरह मेरा भी तो एक अनुभव है, और अगर मैं उससे ये नहीं जान सकती की क्या करना चाहिए तो ये तो जान सकती हूँ ना, की क्या नहीं करना चाहिए।", निया खुद से बोली।

कुछ देर बाद, निया अपने कमरे में जाकर बैठ गई, और अपने फोन में एक नोट्स नाम की ऐप्लकैशन खोली, और कुछ लिखना शुरू किया।

“तो सबसे पहले.. मैं अंकित को दिन में काम से चार बार फोन करती थी.. तो अब ये नहीं करना है।", निया ने अपने फोन में लिखा।

“पर फोन करना तो अच्छा होता है.. नहीं नहीं जो गलतियाँ मैंने तब करी अब दोबारा नहीं करूंगी।"

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“सुनो.. तुम लोगों को मुझे एक ज़रूरी बात बतानी है।", अपनी बिल्डिंग के बाहर खड़े कुनाल और रिया शायद सूरज को डूबते हुए देख रहे थे जब ध्रुव ने उनसे कहा।

“बोल।", कुनाल ने थोड़े रूखे अंदाज में कहा।

“वो.. वो मैं और निया, मैं और निया.. एक दूसरे को डेट कर रहे है।", ध्रुव ने थोड़ा रुकते हुए कहा।

“अब क्या हुआ.. अब किसका ब्रेकअप करना है तुम्हें, जो ये सब कर रहे हो।", कुनाल ने पूछा।

“किसी का नहीं.. तुझे पता है ना, मैंने उस समय कुछ नहीं किया था।", ध्रुव ने अपनी सफाई देते हुए कहा।

“सच में?”, रिया ने ध्रुव से पूछा।

“हाँ..”

“वाह बढिया है.. तुम दोनों एक साथ बहुत अच्छे लगते हो।", रिया ने खुश होते हुए बोला।

“तुझे सब ही साथ में अच्छे लगते है, अभी थोड़ी देर पहले किसी और को भी यही बातें कह रही थी।", कुनाल ने टोकते हुए बोला।

“मैं.. कब?”, रिया ने कुनाल को गुस्से भरी नज़रों से देखते हुए कहा।

“याद कर.. अभी 10 मिनट पहले जब तेरी वो सहेली मिली थी..”

“तुम ना चुप करो.. ",कुनाल को चुप होने का कह कर निया आगे बोली। "अब ये बताओ की पार्टी कब और कहाँ मिलेगी.. और तुम रुको.. मैं ज़रा ये निया को फोन करती हूँ पहले.. इसने एक फोन करना भी ज़रूरी नहीं समझा मुझे। अपनी सिमरन के आगे सब भूल जाती है ये.. सुन रहे हो ना तुम।", ध्रुव को देखते हुए रिया बोली।

“हाँ.. सुन ना, तू उससे बाद में बात कर लियो, पहले मुझे तुम्हारी एक मदद चाहिए, ऊपर चल कर आराम से बैठ कर बात करे?"

“हाँ।", रिया ने जवाब दिया तो तीनों, ध्रुव और कुनाल के फ्लैट पे जाते है।

“अब बता क्या हुआ?”, किचन से चाय लाया ध्रुव, जब रिया और कुनाल को चाय पकड़ता है, तो रिया ने पूछा।

“हाँ.. वो मैं तुम लोगों से पूछना चाहता हूँ.. की मुझे क्या करना चाहिए?”

“हह?”, रिया और कुनाल पहले एक दूसरे की तरफ देखते है, और फिर एकदम से ध्रुव की तरफ देखते हुए बोले। "मतलब?”

“मेरा मतलब, ये मेरी मेरी पहली रीलैशन्शिप है, तो क्या करना चाहिए।"

“बता रिया.. जो उस दिन मिली अपनी दोस्त को बताया था, वैसे इसे भी सब बता।"

“हहम्म..”, ध्रुव बोल रहा था की एकदम से रुक गया, “एक मिनट.. तुम दोनों आजकल एक दूसरे के साथ कुछ ज्यादा ही घूम रहे हो?”

“हम दोनों? कहाँ?”, कुनाल ने एकदम से सफाई दी।

“हाँ.. अभी भी तुम इसकी एक दोस्त से मिले , कुछ दिन पहले भी।"

“हहम्म.. कुछ दिन, कुछ दिन बोला क्या मैंने.. नहीं कुछ दिन नहीं, आज ही.. आज ही जब नीचे खड़े थे, तो एक बता रही है, की वो रीलैशन्शिप में है, एक इससे ऐसे सवाल कर रही है.. और तो और.. तू मानेगा नहीं, एक तो अपने बेटे का रिश्ता लेकर इसके पास आई थी, पता नहीं, कितने दोस्त बना रखे है इसने सोसाइटी में, जब भी इस बिल्डिंग के बाहर मिलों, कोई ना कोई मिल ही जाता है, हड्डी बनने।"

“हहम्म.. क्या बनने?”

“बनने नहीं.. बनाए, इसने बड़े सारे दोस्त।"

“अच्छा.. तू इसको छोड़ रिया, तू ही कुछ बता ना।"

“हाँ.. रुक मैं अभी आई।", रिया उनके फ्लैट से बाहर निकलते हुए बोली।

कुछ 5 मिनट बाद आई रिया, अपने साथ हाथ में एक किताब ले कर आई थी, जो उसने आते ही ध्रुव के हाथ में पकड़ा दी।
“सेक्रेट्स तो अ सक्सेस्फल रेलटीऑनशीप।"

“ये क्या है?”, ध्रुव ने हाथ पकड़ी हुई बुक को देखते हुए बोला।

“इसमें स्टेप बाय स्टेप गाइड है, एक रीलैशन्शिप को सक्सेस्फल बनानी की, देख..”, ध्रुव से बुक लेकर, उसे खोल कर दिखाती हुई रिया बोली। "ओर इसके हिसाब से सबसे पहला और ज़रूरी काम है.. पहली डेट...।"

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“हाय निया, कैसी हो?”, फोन पे घबराई हुई सी आवाज में ध्रुव निया से बोला।

“मैं ठीक हूँ। तुम बताओ?”

“मैं भी। वो मैंने ना.. मैंने तुम्हें कॉल किया ये पूछने के लिए, की कहीं.. कहीं डेट पे चले?”

“हह?”

कुछ देर पहले, जब रिया ध्रुव को बताती है, की उसे सबसे पहले क्या करना चाहिए, तो बिना कुछ सोचे ध्रुव सबसे पहले बोलता है।

“इसमें क्या है? मैं और निया पता नहीं कितनी बार बाहर खाने जा चुके है।"

“पक्का, इसमें कुछ नहीं है?”, रिया ने ध्रुव को देखते हुए बोला। "पहले तुम सिर्फ दोस्त थे.. पर अब..”, रिया शरारती आँखों से देखते हुए बोली।

“अ. अ. मैं अभी फोन करता हूँ उसे", ध्रुव ने फोन उठाया, और वो रिया और कुनाल से थोड़ा दूर जाता हुआ, निया को फोन मिलाता है।

“क्या हुआ, नहीं जाना?”, निया के जवाब पे ध्रुव ने पूछा।

“नहीं.. क्यों नहीं जाना? चलो, जहां चलना हो।", निया ने अपना गला साफ करते हुए बोला।


“ठीक है फिर, कल चलते है, मैं जगह मैसेज पे बताता हूँ।", ये बोलते हुए ध्रुव फोन काट देता है, और कुनाल और रिया के पास जाकर बताता है।
“हो गई.. हो गई, हमारी कल की डेट फिक्स। और कुछ भी हो तो बताओ, मुझे पूरा यकीन है, मैं कर लूँगा।

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दोनों ने तय किया की वो निया के घर से थोड़ी दूर एक रेस्टरों में जाएंगे, जिसके लिए ध्रुव शाम 6:30 पे निया को लेने उसके घर आएगा।

“देख ना.. ये पहनू या फिर ये", ऑफशोल्डर पीला टॉप और हरी कुर्ती दिखाते हुए सिमरन से पूछती है।

“हहम्म.. कोई आज डेट पे जाने के लिए बहुत उत्सुक है।", आँखों से मुस्कराते हुए सिमरन ने निया को चिड़ाते हुए कहा।

“नहीं.. ऐसा कुछ नहीं है। अब बाहर जाना है, तो तैयार तो होंगी ना। वैसे भी कुछ टाइम से मैंने जैसे खुद पे ध्यान देना ही छोड़ दिया था, और मैं नहीं चाहती की ऐसा कुछ भी दोबारा हो।", निया सिमरन को पूरे आत्मविश्वास से जवाब देते हुए बोली।

“अच्छा लगा देख कर की मेरी बेवकूफ़ सी निया, अब थोड़ी समझदार हो गई है।", सिमरन ने सामने खड़ी निया को गले लगा कर बोला। "तू रुक मैं तुझे एक ड्रेस देती हूँ।" अपने अलमारी से एक ब्लैक कलर की प्लेन सी ड्रेस निकाल कर देती हुई सिमरन बोली, “ये ले.. सिम्पल भी है, और बढिया भी.. दोनों काम एक ही में हो जाएंगे।

“क्या लगता है तुझे, मुझे सूट पहनना चाहिए?”, ध्रुव शीशे के आगे खड़े कुनाल की तरफ देखते हुए पूछता है।

“क्या?”, पीछे मुड़ कर अजीब सा मुंह बनाते हुए कुनाल बोला, "तू शादी में जा रहा है क्या?”

“नहीं.. पर वो जो किताब रिया ने दी थी ना, उसमें लिखा था, की पहली डेट पे आपको ऐसे तैयार होना चाहिए, जिससे सामने वाले को पता लगे की आप उसके बारे में सीरीअस हो।

“हहम्म.. अगर ऐसा होता ना मिस्टर, तो सारी दुनिया आई लव यू बोलना छोड़ कर नए कपड़े ही ले आती, और तुम्हारे और मेरे जैसे नॉर्मल लोगों के रिश्ते टिकते ही नहीं, क्योंकि अपनी सीरीअसनेस दिखाने के लिए हमारे पास पैसे तो होते ही नहीं।"

“हह?”

“समझा?”, ध्रुव की हैरानी वाला मुंह देख कर कुनाल ने पूछा।

“हाँ.. समझा तो, पर मुझे नहीं पता था की तू इतना समझदार हो गया।"

“समझदार तो मैं हमेशा से था.. बस तूने कभी ध्यान ही नहीं दिया। कभी हम पे भी ध्यान दे देता।", कुनाल ध्रुव को चिड़ाते हुए उसके गले लग जाता है।

“ओए.. मैं नाहा कर आया था अभी।", पीछे होते हुए ध्रुव ने बोला।

“तुझे भी प्यार ने पागल कर दिया है।", कुनाल ने अंदर अपने कमरे में जाते हुए ध्रुव को चिल्लाते हुए बोला।

नीली जीन्स के साथ हल्की ग्रे शर्ट और नीचे सफेद टी-शर्ट पहन कर ध्रुव कमरे से बाहर आता हुआ बोला।

“चल मैं निकल रहा हूँ।"

“ठीक है।", सामने से कुनाल का जवाब आया।

“और वापस आकर मैं ये जरूर पूछूँगा, की ये 'तुझे भी' का क्या मतलब था, और एक बात बता दूँ, की मुझे कुछ गड़बड़ लग रही है की दिनों से।", ये बोलते हुए ध्रुव बाहर निकल गया, और कुनाल बिना कुछ बोले बाहर आया और "शाम को देखते है", कह कर वापस अपने काम में लग गया।

निया के घर पहुँचा ध्रुव, जब घंटी बजाता है, तो सिमरन दरवाजा खोलती है।

“निया..”, उसने सिमरन की तरफ देखते हुए पूछा।

“ध्रुव?”, सिमरन ने मुस्कराते हुए पूछा, जिस पर ध्रुव ने गर्दन हिला दी। "आओ अंदर आजाओ, निया तैयार हो रही है।"

“ठीक है।"

“तुमसे मिल कर अच्छा लगा, मैं सिमरन।", अंदर आए ध्रुव के आगे हाथ बढ़ाते हुए सिमरन बोली।

सिमरन से पानी का ग्लास लेते हुए ध्रुव ने फिर से निया का पूछा, तो वो एकदम से बोल पड़ी।

“अर्रे आ जाएगी वो.. पहले आप मुझे ये बताओ की कौन सी कौन सी दुकानों का पता है आपको। आज मेरी मम्मी ने आना है, तो बची हुई शॉपिंग खत्म करनी है मैंने।"

ध्रुव अभी सिमरन को सब बता ही रहा होता है, की काली कॉलर वाली पूरी बाजू की घुटने तक लंबी ड्रेस पहन कर निया बाहर आती है।

“हाय ध्रुव।", निया ने हल्के से ध्रुव को कहा।

“हाय निया।", निया को देखते ही ध्रुव के चेहरे की मुस्कराहट बड़ गई, और उसी मुस्कराहट से उसे देखते हुए वो बोला।

“चले?”, निया ने पूछा।

“हाँ।"

“अर्रे रहने दो ना.. यही रुक जाओ, ध्रुव ने अभी तो मुझे सब बताना शुरू किया था।", जाते हुए ध्रुव और निया को टोकते हुए सिमरन बोली।

“आकर आराम से बात करेंगे.. बाय।", निया बोलते हुए बाहर निकली, तो पीछे से सिमरन हँस दी।

कुछ समय में ध्रुव और निया रेस्टरों पहुंचे तो उसके गेट पे रोकते हुए ध्रुव ने निया से कहा।

“मुझे बस अभी एहसास हुआ, की एक बहुत जरूरी चीज तो मैंने तुम्हें अभी तक बताई ही नहीं।"

“क्या?”

“तुम आज बहुत अच्छी लग रही हो।", ध्रुव ने अपनी मुस्कराहट को दोगुना करते हुए कहा।

“तुम भी..”, ध्रुव को हल्की आँखों से निहारते हुए निया ने कहा। ध्रुव को देख कर आज जो चमक उसकी आँखों में आ रही थी, उससे साफ पता लग रहा था, की आज वो जो कह रही थी, पूरे मन से कह रही थी।

अपनी टेबल पे बैठे वो दोनों, अभी अपने मंगाए स्नैक्स का इंतज़ार ही कर रहे थे, की इतने में निया का फोन बज जाता है।

“सुन.. मेरा लहंगा... कह रहा है अगर शादी तक चाहिए तो आज ही फिटिंग चेक करके बताओ, नहीं तो नहीं हो पाएगा। और मैं मम्मी को लेने जा रही हूँ। तो तू ले आएगी क्या उस से? मैं फिर रात में पहन के देख लूँगी, अगर कुछ गड़बड़ हुई तो यही उसका एक बंदा रहता है, उसे पकड़ा दूँगी, वो ले जाएगा फिर सुबह। प्लीज प्लीज प्लीज ले आ।"

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“ध्रुव.. सॉरी, वो सिमरन का फोन आया था, उसका लहंगा.. मुझे आज ही लेना होगा.. तो मैं चलती हूँ।"

“थोड़ी देर रुक जाओ, साथ में चलते है।"

“अर्रे नहीं.. दुकान ना बंद हो जाए कहीं।"

“ठीक है, तुम जाओ, पर जा कहाँ रही हो?”

“यहीं बानेर में एक दुकान है, जिससे लहंगा लिया था उसने, वहीं जा रही हूं बस।"

“अच्छा।"

निया वहाँ से जाते हुए पीछे मुड़ मुड़ कर ध्रुव को देख रही थी, अपना मन भारी करके वो वहाँ से निकली और निकलते हुए धीरे से सॉरी बोली।

वहाँ से कैब करके सिमरन की दी हुई लोकैशन पे पहुँच कर, निया अंदर भागी।

“भैया.. भैया.. वो लहंगा.. सिमरन का लहंगा लेना था मुझे।", निया ने थोड़ा हांफते हुए बोला।

“अच्छा मैडम.. आप आए उनका लहंगा लेने, वो कह रही थी, की अपनी किसी सहेली को भेज रही है।"

“जी हाँ।", अंदर दुकान में जाते हुए वो बोली।

अंदर से एक बड़े से बैग में लहंगा लाते हुए एक लड़का आया, और उसने टेबल पे रख दिया।

“भैया.. ये मेरा है?”

“हाँ.. मैडम।"

थोड़ी मेहनत लगा कर लहंगा उठाते हुए, निया वहाँ से जाने लगी तो दुकानदार बोला।

“मैडम.. इसके पैसे तो देते जाओ।"

“पैसे?”, निया पीछे मुड़ी तो दुकानदार अपनी रसीद की किताब लिए बैठा था।

उसने रसीद की किताब निया के आगे करी, और दिखाया की सिमरन ने जब लहंगा लिया था तो चार हजार बकाया छोड़ दिए थे।"

“भैया.. लेकिन ये उसने पहन कर देखने के लिए रखे होंगे ना, पर अभी ये पहन कर कहाँ देखा है। एक बार पहन कर देखेंगे.. तो दे देंगे।"

“मैडम ऐसे थोड़ी होता है.. हमने तो अपनी तरफ से फिटिंग कर दी है। और आप लिखवा लो, एक दम 100% बढिया फिटिंग आएगी उन्हें।"

“पर भैया.. नहीं आई तो, फिर आप तो ठीक कराने से मना कर दोगे।"

“ऐसे थोड़ी करेंगे मैडम.. हमे भी तो अपना धंधा चलना है। कस्टमर के साथ ऐसे करके हम कहाँ जाएंगे?”, दुकानदार निया की बातों की दलीले देते हुए बोला।

“मतलब अभी देने ही पड़ेंगे?"

“हाँ मैडम.. देने ही पड़ेंगे।"

“ठीक है।", निया ने अपने कंधे से वो पर्स हटाने की कोशिश की, जो वहाँ है ही नहीं। "ओह.. मैं अपना बैग, वहीं रेस्टरों में भूल आई लगता है।", उसने माथे पे हाथ रखते हुए उसने कहा।

“भैया.. आप मझे नंबर बता दो, पैसे फोन से भेजती हूँ आपको।"

“मैडम.. फोन पे तो नहीं भेज सकते.. वो यहाँ हमारे पास नहीं है, पड़ोस वाले साहब के पास है, और अभी वो घर चले गए।"

“तो फोन कर लो ना उन्हें?”

“कैश नहीं है, क्या आपके पास?"

“नहीं है भैया.. तभी तो कह रही हूँ।"

“कैश दे दोगे, तो अच्छा होगा, मैं लगे हाथ, ट्रेलर को भी पैसे देता निकलता.. नहीं तो अब उसके पैसे भी अटक जाएंगे।"

दुकानदार की ये सारी बातें सुन कर निया बोली, “अच्छा आप रुको।"
निया ने फोन उठाया, और ध्रुव को मिलाया।

“हाय ध्रुव। वो मेरा बैग रेस्टरों में ही रह गया था, तो तुम उसे उठा लोगे?"

“हाँ.. मैंने ले लिया है वो।"

“अच्छा.. एक काम और कर सकते हो.. मैं यहाँ बानेर में शॉप पे खड़ी हूँ, तुम यहाँ ला सकते हो उसे। यहाँ सिर्फ कैश ही चल रहा है तो..”

“हाँ.. हाँ.. कोई नहीं। मैं आता हूँ।", ध्रुव ने बहुत प्यार से बोला, और फोन रख दिया।

ध्रुव के फोन रखने के बाद, निया पीछे मुड़ कर दुकानदार के पास वापस गई, और बोली।

“आ रहे है पैसे, भैया.. सॉरी, आप थोड़ा इंतज़ार करना बस।"

“ठीक है मैडम।"

एक दो मिनट वहीं दुकान पे खड़े होने के बाद, निया दुकान से बाहर चली गई, की कहीं ध्रुव आ रहा हो तो।

निया को अभी 5 मिनट ही हुए होंगे, रोड पे खड़े होकर ध्रुव को ढूंढते हुए, की इतने में सामने से हेलमेट पहने एक व्यक्ति निया के सामने आ कर अपनी स्कूटी रोक लेता है।

उसकी स्कूटी आगे से सब्जियों से लदी हुई थी। वो जैसे ही उतर कर निया के पास बढ़ने लगा, निया फिर से अपने कंधे का बैग ढूँढने लगी, और धीरे से पीछे हो गई।

“कौन?”, उसके सिर पे मारने के लिए बैग ढूँढने की अथाह कोशिशों के बावजूद भी जब वो नहीं मिला, तो निया ने घबराते हुए पूछा।

निया के ये बोलते ही, उस इंसान ने धीरे से अपना हेलमेट हटाया और ज़ोर से हंसने लगा।

“मिस बल्लू.. डर गई आप?”

“ऋषि.. आप?”

“हाँ.. मैं अपने रेस्टरों के लिए सब्जियां लेने बाज़ार आया था, और आपको ऐसे बाहर खड़े देखा, तो सोचा रुक कर पूछ लूँ, की सब सही है ना।"

“हाँ.. सब सही है।", निया ने बिना कुछ सोचे समझे वाला जवाब दिया।

“ठीक है, चलो मैं फिर चलता हूँ। आपको भी चलना हो तो बताओ, वैसे भी अंधेरा हो गया है।"

“नहीं.. एक मिनट, एक दिक्कत है।", निया को अपनी परेशानी याद आई तो फट सी बोली।

“क्या हुआ?”

“वो मैं यहाँ सिमरन का लहंगा लेने आई थी..”, निया ने सारी बातें ऋषि को कह सुनाई तो वो तुरंत से निया के साथ अंदर गया, और अपनी जेब से निकाल कर बकाया चार हजार दे दिए।

"थैंक यू भैया..", पैसे पूरे है, देखते ही, दुकानदार ने लहंगा निया को दे दिया, जिसपे निया ने उसे धन्यवाद कहा।

“थैंक यू ऋषि.. मैं पैसे अभी आपके अकाउंट में डाल देती हूँ। आप अपना नंबर बताइए..”, निया वहीं खड़े होकर अभी ऋषि से बात कर ही रही होती है, की इतने में ध्रुव भी वहाँ आ जाता है।

“ध्रुव..”, ऋषि के पीछे से आते हुए ध्रुव को देख कर निया मुस्कराते हुए बोली।

“आप रुकिए.. कैश ही दे देती हूँ..”, निया ने ध्रुव से बैग लिया, और पैसे निकालने लगी।

“रुको रुको.. मेरा सब्जियां लेकर हो गया है, तो अभी मुझे पैसे नहीं चाहिए.. तो बाद में कभी भी रेस्टरों आ जाना और दे जाना।", ऋषि निया के हाथ को नीचे करते हुए बोला।

“पर?”

“अभी रखो..”, दोस्त की शादी का टाइम है, कैश हमेशा होना चाहिए पास.. पता नहीं, कब क्या लाना पड़ जाए।

“ठीक है।", ऋषि की आखिरी बात मानते हुए निया मुस्करा दी।

“ये लहंगा है?”, काउन्टर पे भारी सी दिखते हुए बैग को देख कर ध्रुव ने पूछा।

निया ने हाँ में सिर हिलाया, तो ध्रुव ने उधर जा कर वो बैग उठा लिया।

“अ.. अ.. कोई नहीं.. मैं उठा लूँगी ये, तुम रहने दो।", निया ने ध्रुव को कहा।

“यही मैं भी कह रहा हूँ, कोई नहीं.. मुझे उठाने दो।"

ध्रुव को देखते ही, पास खड़े ऋषि ने निया से सवाल के लहजे में पूछा।

“ये..?”

“मैं निया का..”, ध्रुव बोल ही रहा होता है, की इतने निया ध्रुव की बात काटते हुए बोली।

“ये ध्रुव.. आप मिले हो ना पहले भी.. मेरा बहुत अच्छा दोस्त और कलीग।"

“ओ.. ओ.. हाँ अच्छा। तुमसे दोबारा मिल कर अच्छा लगा ध्रुव।", ऋषि ने मुस्कराते हुए ध्रुव की तरफ हाथ बढ़ाया।

“मुझे भी..”, यूं तो ध्रुव ने मुस्कराते हुए ऋषि से हाथ मिलाया.. पर अंदर ही अंदर निया के मुंह से उसके दोस्त वाली बात सुनकर उसे अच्छा नहीं लगा, वो भी तब जब सामने ऋषि था, जो जिस तरह से निया को मुस्कुराते हुए देखता है, ध्रुव को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता।