Mohobbat toh Mohobbat hai - 8 books and stories free download online pdf in Hindi

मोहब्बत तो मोहब्बत है - Part-8

करीब एक महीने बाद

मलखानी हाऊस

हिती आज बिल्कुल अच्छे से तैयार होकर नीचे हॉल में आई उसने लॉन्ग कुर्ता जो कि व्हाइट कलर मे था, और ब्लैक जींस पहना हुआ था माथे पर एक छोटी सी बिंदी दाहिने हाथ में वॉच बालों को खुला छोड़ा हुआ था दाएं कंधे पर दुपट्टा वही बाएं कंधे पर उसने अपना बैंग लटकाया हुआ था ।

हिती ने डाइनिंग टेबल पर बैठे सूरज और गीता की तरफ देखा जोकि रोजाना की तरह निराश बैठे थे इन दोनों के चेहरे पर कोई भाव नहीं था चेहरा मुरझाया हुआ था और आंखें इस तरह ही जैसे हो ज्यादातर समय रोते रहते रहते हो मतलब उन दोनों की आंखें सूजी हुई थी जोकि नींद ना लेने के कारण और रोने के कारण हो गई थी । हिती ने एक नजर उन दोनों की तरफ देखा फिर दरवाजे की तरफ कदम बढा दिये ।

उन दोनों ने हिती को बाहर की तरफ जाते हुए देखा, तो उसे आवाज लगाते हुए कहा-: बेटा कहां जा रही हो तुम,,,!!!

हिती रूक गई उसने हम दोनों की तरफ पलटते हुए एक हल्की मुस्कान के साथ कहा-: दुनिया का सामना करने जा रही हूं मां-पापा,,,, मुझे मेरे सवालों के जवाब चाहिए,,,,,,!! मुझे जानना है कि मेरी गलती क्या रही जो मुझ पर उंगली उठाई जा रही है, मैं क्यों अपने घर में छुप कर बैठी हूं??? गलत सिर्फ मैं ही क्यों हूं आकाश भी तो है,,,, मुझे आकाश से मिलने जाना है.....!!

सूरज और गीता, हिती बात सुनकर डायनिग टेबल से उठ खडे हुए और उसकी तरफ बढ़ आए ।

" क्यों जाना है तुम्हें उससे मिलने,,, उस लड़के ने उस लड़की के परिवार ने कोई कसर नहीं छोड़ी है हमें बर्बाद करने में, हमारी इज्जत खराब करने में, तुम्हें पता है यह पूरा शहर हम पर थू-थू कर रहा है इस वक्त,,,,,,,!!!

" आप सही कह रहे हो मां, यह पूरा शहर हम पर थू-थू कर रहा है पर यही बात मुझे जाननी है कि हम पर थू क्यो हो रही है, मुझे उस आकाश खन्ना से हर बात का जवाब चाहिए,,,,, और आप दोनों मुझे आज ही आखरी मौका दे दीजिए इसके बाद मैं आप लोगों से कुछ भी नहीं मांगूंगी,,,,!!! हिती ने उन दोनों की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देखते हुए कहा ।

सूरज और गीता ने हिती की बात सुनकर एक दूसरे के चेहरे की तरफ देखा, गीता के चेहरे पर बेहद परेशानी के भाव थे, सूरज ने गीता की तरफ देखकर पलके झपका दी ।

" ठीक है बेटा,,, तुम जो चाहती हो,,,वो कर लो,,,,!! हम तुझे नहीं रोकेंगे पर तू अकेली.....!!!

सूरज इतना ही कह पाए कि तभी उनके कानों में अविनाश की आवाज पड़ती है-: नहीं अंकल ही अकेली नहीं है,,, मै हमेशा हिती के साथ हू,,, और आकाश वो सही नही कर रहा है, मैं नहीं चाहता कि हिती, आकाश जैसे लडके से बात भी करने जाये पर हिती का यही मर्जी है तो मैं इसे अकेला भी नहीं छोड़ सकता.....!!!

" अविनाश बेटा तुम यहां,,,,!!! गीता और सूरज ने दरवाजे पर खड़े हैं अविनाश की तरफ देखते हुए कहा ।

अविनाश ने एक नजर हिती की तरफ देखा, हां फिर वह घर के अंदर चला आया ।

" हां अंकल-आंटी, हिती ने बुलाया था तो आना लाजमी था,,,,!!! अविनाश ने हिती को देखते हुए कहा ।

" पर तुम्हारे पापा,,,,!!!सूरज जी नें परेशान होते हुए कहा ।

" अंकल, वह मुझे रोकने की तमाम कोशिशें कर चुके हैं पर मैं कभी गलत का साथ नहीं देता और डैड इस वक्त गलत है वह गलत का साथ दे रहे हैं, उन्होंने इतने दिन मुझे चारदीवारी में बंद करके रख लिया है, अब वो मुझे चाहकर भी भी नहीं रोक सकते हैं" अविनाश ने काफी गंभीर स्वर में कहा ।

फिर हिती की तरफ देखते हुए-" आप फिकर मत कीजिए, मैं इसका ख्याल रखूंगा, और जो कर पाया इसके लिए जरूर करूंगा"

अविनाश की बात सुनकर सूरज और गीता के मन को थोड़ी तसल्ली हो गई, अविनाश शुरुआत से ही हिती के लिये जितना वफादार और केयरिंग था उसके इस स्वभाव को देखकर सूरज और गीता को उस पर पूरा विश्वास हो चुका था कि वो हिती को कुछ नही होने देगा ।

" ठीक है बेटा,,, हमें तुम पर पूरा विश्वास है,,,,,!!! सूरज ने अविनाश से इतना कहा और फिर उसके कंधे थपथपा दिये । अविनाश, सूरज की तरफ देख कर मुस्कुरा दिया ।

" चलो हिती,,,,!! अविनाश ने हिती की तरफ नजरे घुमाते हुए कहा । हिती ने अपना सिर हिला दिया, फिर वह दोनो घर से बाहर की चले तरफ चले आये, अविनाश ने हिती को कार में बैठाया और कॉलेज की तरफ बढ़ गया ।

अविनाश कार ड्राइव करते हुए हिती के चेहरे की तरफ देख रहा था, वो खिड़की के बाहर की तरफ देख रही थी, उसके चेहरे पर कोई भाव नही था, उसे देखकर लग रहा था जैेसे वो पत्थर बन चुकी है ।

अविनाश ने हिती से नजरे हटाते हुए मन में कहा-: आकाश तूने हंसती-खेलती लड़की को पत्थर बना दिया,,आजत मैने हिती को हमेशा खुश देखा था, पर तूने इसे तोड दिया, काश तू कभी इसकी जिंदगी में आया ही नहीं होता, तो मैं इसे हमेशा खुश रखता, इसे संसार की सारी खुशियां देता, पर तुमने सब खराब कर दिया, तुमने केवल हिती की जिंदगी खराब नहीं की बल्कि उसकी हर खुशी छीन ली है, भले ही हिती तुम्हें माफ कर दे पर मै तुम्हें कभी माफ नही करूंगा.." कहते हुए अविनाश के चेहरे पर बेहद सख्त भाव आ गए थे ।

फिर अविनाश ने एक गहरी सांस ली और कार ड्राइव करने लगा ।

कन्टिन्यू............