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बेवकूफ (भाग-2)

अब तक आपने पढ़ा….

संयुक्ता और कमल दोनों खास सहेलियां है. एक अमिर घर में पैदा हुई तो दूसरी गरीब घर में लेकिन दोनों की परवरिश एक ही घर में हुई और एक ही स्कूल, कॉलेज में शिक्षा हुई. कॉलेज में उनकी मुलाकात राजवीर से होती है जिससे संयुक्ता प्यार करने लगती है. कमल संयुक्ता का एक न्यूड वीडियो बनाती है. जिसे उसी दिन संयुक्ता डिलीट कर देती है. लेकिन उसे शक है कि डिलीट होने से पहले वह वीडियो लिक हो चुका है. संयुक्ता और कमल का प्यार देखकर संयुक्त का भी दिल राजवीर पर आता है और वह उससे प्यार का इजहार कर उसके साथ घुमने फिरने लगती है. जिसका पता कमल के पिता को चलते ही वे गुस्सा होते है. संयुक्ता और कमल में इसी बात को लेकर झगडा होता है और संयुक्त अपने बहन के यहां रहने चली जाती है जहां उसे पता चलता है कि कमल की शादी तय हो गई है. अब आगे…… 

 

बेवकूफ (भाग-2)

“आ गई महारानी… गुस्सा ठंडा हो गया है”

“तेरी शादी मेरे बिना कैसे संभव थी इसीलिए आना पड़ा. कौन है दूल्हा ?”

“मैं क्यों बताऊं कल खुद ही देख लेना” कमल ने भी मुझे नहीं बताया. उसके चेहरे पर कोई चिंता परेशानी के भाव नहीं थे बल्कि वह ज्यादा ही खुश नजर आ रही थी. उसकी खुशी देखकर मुझे डर लगने लगा कही राजवीर ही तो दूल्हा नहीं है. वरना कमल इतनी शांत कैसे रह सकती है. अब मेरा शांत मन अशांत हो चला था. हल्दी का कार्यक्रम कैसे निपटा, किस किस तरह नाच-गाने हुआ, क्या मस्ती हुई मेरा कही मन नहीं लगा. मैं दुल्हन के साथ होते हुए भी अकेली थी. पूरी रात करवटे बदलते हुऐ बित गई. राजवीर ने भी मेरा फोन नहीं उठाया.

जब दूसरे दिन सुबह सुबह मैं दुल्हन के साथ होटल पहुंची तो सामने ही स्वागत बोर्ड पर बड़े बड़े अक्षरों में लिखा था कमल वेड्स राजवीर. मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई. कमल ने कनखियों से मेरी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए बोली, “स्वागत बोर्ड कितना अच्छा लग रहा है ना.. और उस पर का नाम कमल वेड्स राजवीर”

मैंने अजीब सी नजरों से कमल की ओर देखा. मेरी आंखों में आंसू थे.

“अरे .. यार तेरी तो आंखों में आंसू आ गये. बचा कर रख पगली, जब मेरी विदाई का समय रहेगा तब जी भर के रो लेना. अभी तो मैं तुझे बड़ा सा थैंक-यू देती हूं. मुझे और राजवीर को दूर करने के लिए जो तुने तस्वीरें भेजी थी उन तस्वीरों ने हमें दूर नहीं बल्कि हमेशा का लिए एक कर दिया है.”

मैं ठगी-सी कमल को देखती रही. लेकिन राजवीर तो रोज ही मुझसे फोन पर बात कर रहा था फिर उसकी शादी कमल से हो रही हैं यह बात उसने मुझे बताई नहीं, छुपा कर रखी. तो क्या राजवीर मनिष के कहे अनुसार झूठा फरेबी है ? इतने दिनों तक वह मुझे बेवकूफ बना रहा था. मुझे ना दोस्ती मिली ना प्यार. मेरी कहानी का ऐसा अंत. नहीं..! ऐसा अंत तो मैं हरगिज नहीं होने दूंगी. पर क्या कर सकती थी. वे पैसे वाले थे मैं ड्राइवर की बेटी. सभी मेरा इस्तेमाल ही कर रहे थे और मैं बेवकूफ की तरह इस्तेमाल हो रही थी.

शादी निपट गई. कमल अपने ससुराल चली गई. मेरा एसी रूम मुझसे छूट गया. मैं अपने पिता के सर्वेंट क्वार्टर में आ गई. सिर के ऊपर छत पर किर्रकिर्र करते सिलींग फैन को दोष देने लगी कि इसकी वजह से मुझे नींद नहीं आती. अपना मन बहल जाये इसलिए मैंने कॉलेज जाना फिर से शुरू कर दिया. वहां पता चला कि कमल और राजवीर एक माह के लिए हनिमून मनाने युरोप गये है. ये मेरे लिए अच्छा ही था कि उनकी शक्ल नजर नहीं आ रही थी. ऐसे में मनिष मेरे और करीब आ गया. वह मुझे सांत्वना देता, मेरे टूटे दिल पर मरहम लगाने का काम करने लगा था. मैं भी थोड़ा थोड़ा उसकी और झुकती जा रही थी. राजवीर ने मनिष की जो गलत छवि मेरे मन में बिठाई थी उस छवि का रुप बदलने लगा था. अब वहीं मुझे सच्चा और अच्छा लगने लगा. उसकी सारी बाते सच साबित हो गई थी. मनिष ने कुछ लड़कियों को मेरे सामने पेश किया जिनका राजवीर ने इस्तेमाल कर छोड़ दिया था.

वह महिना बित गया और राजवीर कॉलेज आया उसके साथ कमल नहीं थी. राजवीर ने मुझसे आकर बात करनी चाही पर मैंने उसे जरा भी भाव नहीं दिया. वह गिड़गिड़ाने वाले अंदाज में बात करने की भीक मांग रहा था पर मैंने जरा भी ध्यान नहीं दिया और सीधे उससे बात करने की बजाय मनिष के माध्यम से बोली, “मनिष .. तुम्हारे दोस्त को बोलो मुझे धोकेबाजों से कोई बात नहीं करनी है” मैं वहां से उठकर जाने ही वाली थी कि राजवीर ने मेरा हाथ पकड़ लिया. “तुम्हें मुझसे बात करनी ही पड़ेगी तुम ऐसे ही नहीं जा सकती”

“मैं क्या तुम्हारी जागीर हूं. मेरा हाथ छोड़ो”

“जब तब बात नहीं करोगी हाथ नहीं छोडूंगा” हम दोनों में गहमा गहमी होने लगी तो मनिष बीच में कूद पड़ा और राजवीर को समझाते हुये बोला, “राजवीर संयुक्ता का हाथ छोड़ दे वह तुझसे बात नहीं करना चाहती, तू क्यों उसके पीछे पड़ा है”

उस समय तो राजवीर ने हाथ छोड दिया. मनिष ने विषय को बदलने के लिहाज से पूछा, “तू अकेले ही कॉलेज आया है. कमल का भी कोर्स पूरा होने का है वह क्यों नही आई तेरे साथ”

“वो.. वो.. शादी के बाद हमारे घर की औरतें पढ़ने नहीं जाती.”

“यार ये भी अजीब है.. कोर्स तो पूरा कर लेने देते”

“क्या करेगी कोर्स पूरा करके, नौकरी तो करनी है नहीं, अपने पती की सेवा करे और घर संभाले. बाकी सुख सुविधाओं के लिए पैसों की कोई कमी नहीं है. जो चाहेगी तश्तरी में परोस कर मिल जायेगा”

“वैसे ये बता तुम्हारे और कमल के पिता के बीच तो दुश्मनी थी फिर ये चमत्कार कैसे हुआ. सीधे दुश्मन से रिश्तेदार बन गये.” मनिष के इस सवाल पर राजवीर ने एक नजर मेरी ओर डाली और बोला. ये शादी नहीं समझौता है.”

“समझौता.. कैसे ?”

“मनिष तू तो यह अच्छी तरह जानता है कि हर कोई शादी के लिए अपने स्टेटस के हिसाब से ही रिश्ते तलाशता है. हमारे देश में गिने चुने राज परिवार है और राज परिवार वाले अपनी आन और शान बनाये रखने के लिए इन्ही परिवारों में रिश्ता जोडते है. ये नहीं देखते की दूल्हे की उम्र कितनी है, वह कैसा है, तलाकशुदा या विधुर है. कैसा भी हो लड़कियां ब्याह दी जाती है. कमल के पिता भी राज परिवार में ही अपनी बेटी के लिए रिश्ता ढूंढ रहे थे. लेकिन फिलहाल उनकी नजर में ऐसा कोई था नहीं. दूसरे यह कि कोरोना के कारण उनके होटल के बिजनेस में काफी नुकसान हुआ था. इलेक्शन में मेरे पापा से हारने के कारण कर्ज में डूबे हुए थे. जीतते तो सारा पैसा वसूल हो जाता पर कोरोना और इलेक्शन की दोहरी मार ने उन्हें लाचार बना दिया था. इसीलिए उन्होंने चाल चली, एक कमजोर राजा ने दूसरे ताकतवर राजा को अपनी बेटी भेट कर दी.”

मनिष राजवीर की बात समझा हो या नहीं पर मैं समझ गई थी. यह दस्तूर रहा है कि पराजित राजा अपने घर की महिलाओं को, बहन-बेटीयों को विजेता राजा को सौंप कर समझौता करते रहे है. ताकि फिर से ताकतवर राजा हमला ना करे और उसे विश्वास बना रहे कि हारा हुआ राजा विद्रोह नहीं करेंगा. राजवीर का मनिष को यह समझाना मैं समझ रहीं थी वह यह सब मुझे सुनाने के लिए ही बोल रहा है.

इसका मतलब दादासाहेब ने सोचसमझ कर यह फैसला लिया था. राजवीर की यह बात तो सच थी कि दादासाहेब कुछ दिनों से आर्थिक परेशानियों से गुजर रहे थे. लेकिन राजवीर तो शादी के लिए मना कर सकता था. उसने मना क्यों नहीं किया. इस सवाल का जबाब भी मुझे जानना था और यह जानने के लिए राजवीर से बात करना जरूरी था लेकिन उस समय मैं उससे यह सवाल नहीं कर पाई. कैसे करती अब तक इतनी अकड़ जो दिखा रही थी. वह बात करने के लिए गिड़गिड़ा रहा था और मैं उसकी ओर देख भी नहीं रही थी.

उसी रात राजवीर ने मुझे फोन किया उसकी आवाज लड़खड़ा रही थी. मानों उसने बहुत पी ली हो. वह कह रहा था, “संयु… संयुक्ता… मैं ..मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं. कमल ने मेरी जिंदगी बरबाद कर दी है. मैं …मैं मर जाऊंगा” उसकी फोन पर लड़खड़ाती आवाज और हकलाकर बोलते हुए शब्द कुछ मेरी समझ में आ रहे थे कुछ नहीं. मैंने उससे कहा कि मैं तुमसे कल मिलती हूं. मिलकर बात करेंगे.

दूसरे दिन मैं राजवीर से एक कॉफी शॉप में मिली, वहां हम दोनों ही थे. मनिष हमारे बीच नहीं था. कुछ देर तक तो हम दोनों ही मौन एक दूसरे को देखते हुए बैठे रहे. बात कहाँ से शुरू करे कुछ समझ नहीं आ रहा था. आखिर मैं ही मौन तोडते बोली, “तुम्हें मुझसे बात करनी है ना”

“संयुक्ता मुझे माफ कर दो.. मैं ..मैं कमल से बिलकुल भी शादी नहीं करना चाहता था. मुझे तो तुमसे शादी करनी है. लेकिन मेरे साथ गेम हुआ है. मुझे इस बार दूसरा स्क्रिन शॉट भेजा गया जिसमें तुमने टॉवल खोल लिया है और आईने में चेहरा तो नहीं लेकिन धुंधला सा तुम्हारा बिना कपडों का शरीर नजर आ रहा है” कहते हुए राजवीर ने मुझे वह स्क्रिन शॉट दिखाया उस स्क्रिन शॉट के नीचे लिखा हुआ था.

‘तुम्हारी कमल से मंगनी हो रही है, चुपचाप उससे शादी कर लो और इस बात का पता संयुक्ता को नहीं चलना चाहिये. यदि ऐसा हुआ तो यह पुरा वीडियो वायरल हो जायेगा.’  

“अब तुम ही बताओं मेरे पास कोई और ऑप्शन था क्या ?... इसीलिए तुमसे फोन पर बातें तो करता रहा लेकिन तुम्हें बताया नहीं कि कमल के साथ शादी फिक्स हो गई है.”

“चलो मान लेती हूं तुमने मजबूरी में कमल के साथ शादी कर ली लेकिन पूरा एक महीना उसके साथ मजा मारने के लिए युरोप टूर पर तो खुशी खुशी गये ना.”

“कैसी बात करती हो संयुक्ता… मजा मारने ..! मेरे लिए युरोप टूर मजा नहीं सजा थी… सजा. घरवालो ने पहले से ही सारी बुकिंग की हुई थी इसीलिए जाना पड़ा. लेकिन मैं एक रात भी कमल के साथ सुख से नहीं बिता पाया.”

“क्यों प्यार तो वह भी तुमसे करती है.. फिर विदेशी होटलो के आलीशान सुईट में कौन रोकने वाला था तुम्हें..”

“प्यार … प्यार सिर्फ ‘शब्दों से’ या ‘आय लव यू’ बोलने से प्यार नहीं होता. उसमें मन और तन दोनों का मिलना भी उतना ही जरूरी है और यहां तो दोनों ही नहीं मिल पाये.”

“कौन रोक रहा था तुम्हें?”

“संयुक्ता मेरा ‘मन’ तो तुमसे लगा हुआ था और रही ‘तन’ की बात तो मैं झूठ नहीं बोलूंगा, हां.. उसकी मैंने कोशिश की लेकिन कमल तो बर्फ की मुरत है. उसका प्यार मेरी समझ में नहीं आया. घुमना-फिरना, मस्ती मजाक सब उसका नार्मल था लेकिन बंद कमरे में मैं तो सुलगता रहा पर उसका तन कभी दहका ही नहीं.”

“कोशिश तो कि ना…, फिर अब मेरे पास क्यों आये हो. क्या पता मै भी बर्फ ही निकलू.”

“नहीं… संयुक्ता… तुम्हारा तो हाथ भी पकडता हूं तो लगता है बिजली को छू लिया है. मेरे शरीर एक एक रोम फड़क उठता है. उससे शादी करके भी मैं प्यासा ही हूं”

“कितने बेशर्म और स्वार्थी हो तुम. एक तरफ मुझसे प्यार का दम भरते हो दूसरी तरफ कमल से सुख की अपेक्षा भी करते हो. जो पूरी नहीं हुई तो अब अपनी प्यास बुझाने मेरे पास आये हो. मैं क्या मिठी नदी हूं जिसका जितना चाहे पानी निकाल लो और पी जाओ. शर्म आती है तुम्हारी सोच पर. तुम प्यार नहीं सिर्फ तन की भूख मिटाना चाहते हो. पहले मुझसे प्यार का खेल खेला और शादी कमल से की. उसके बावजूद अब मेरे पास आकर अपना दुखड़ा सुना रहे हो.”

“तुम… तुम गलत समझ रही हो …मैंने पहले ही कहा कि मेरा मन तुमसे लग चुका है. लेकिन तन लगाने की मैंने आज तक तुमसे कोई बात नहीं की है और आगे भी नहीं करूंगा. मैं तन का नहीं प्रेम का प्यासा हूं, मुझे बस तुम्हारा प्यार ही चाहिये. जो नहीं मिला तो मे मर जाऊंगा.” यही बात वह मुझे घंटा भर दोहरा दोहरा कर अलग अलग शब्दों का इस्तेमाल करते हुए समझाता रहा.

मैं सबकुछ समझते हुए फिर बेवकूफ बनने को तैयार हो गई. इसका कारण यह भी था कि पिछले दो-तीन महीनों से मैं मखमल के बिस्तर और एसी कमरे को ‘मिस’ कर रही थी. जो मुझे ऐशो आराम से रहने की आदत पड़ चुकी थी उसे खो कर गरीबी की मार झेल रही थी. यदि राजवीर सच में मुझसे प्यार करता है तो वह मुझे किसी आलीशान फ्लैट में रखेगा और सारी सुख सुविधाएं देगा जिसकी मैं कामना करूंगी.

वैसे भी राजवीर राज परिवार से है और पूर्वकाल में राज परिवार के पुरूषों की एक से ज्यादा औरतें होती थी. यहां तक कि उन औरतों के लिए अलग से ‘हरम’ की व्यवस्था भी होती थी. राणी और पटरानी ऐसे ही नामों से उनकी पत्नी बनकर रहती थी. आज हमारा कानून एक से ज्यादा पत्नियां रखने की इजाजत नहीं देता, लेकिन फिर भी कुछ पुरूष ऐसे है जो दो-दो पत्नियों का बोझ उठा रहे है. यह बात अलग है कि दूसरी पत्नी को लोग रखैल कहते है. पर ऐसे शब्दों और नामों से लोगों की परवाह करने वालों पर फर्क पड़ता है, जो प्यार में अंधे होते है वे कहां लोगों की परवाह करते है.

“ठीक है तुम जो प्यार चाहते हो वह तुम्हें मिलेगा लेकिन उसके बदले मुझे क्या दोंगे.”

“तुम जो मांगोगी”

“मुझसे शादी कर लो”

“यह कैसे मुमकिन है… कमल को तलाक देना पड़ेगा उसके बाद ही शादी हो पायेगी और उसे तलाक देना पॉसिबल नहीं है”

“मै जानती हूं पॉसिबल नहीं है. पर दूसरी शादी तो पॉसिबल है ना. हम मंदिर में शादी करेंगे. तुम मुझे रहने के लिए एक फ्लैट दे दो. वहीं पर तुम्हारी पत्नी बनकर रहूंगी”

“लेकिन यह बात मेरे घरवाले और दादासाहेब को पता चली तो वे तुम्हारी जान ले लेंगे. दादासाहेब कैसे चाहेगे की उनका दामाद दूसरी औरत रखे”

“ये सब मुझे नहीं सोचना. तुम ही कोई रास्ता निकालो. यदि मेरा प्यार चाहिये तो मुझसे शादी कर लो.”

राजवीर के कहने पर मैंने दादासाहेब से कहा, “दादासाहेब, कमल के नहीं होने से मेरा मन इस बंगले में नहीं लग रहा है और मै कॉलेज की पढ़ाई भी ठीक से नहीं कर पा रही हूं. मैंने कॉलेज के पास ही किराये से फ्लैट देखा है आप इजाजत दे तो मैं वहां शिफ्ट होना चाहती हूं.”

दादासाहेब को इसमें क्या आपत्ति होती उन्होंने इजाजत दे दी. मैंने अपना सारा सामान समेटा और कॉलेज के करीब एक अपार्टमेंट में शिफ्ट हो गई. इस फ्लैट का किराया जो की चालीस हजार था राजवीर ने देना तय हुआ था. परंतु मैंने अपने बाबु को बताया की किराया दस हजार है जो दादासाहेब चुकाने के ‍लिए तैयार हो गये है.

राजवीर से मैंने मंदिर में शादी कर ली. शादी की कई तस्वीरें खींची, वीडियो बनाया ताकि आगे राजवीर बदल जाता है तो ये तस्वीरें और वीडियो काम में आये. कॉलेज के कुछ खास दोस्तों को गवाह के रूप में शामिल किया. जिसमें मनिष भी था. हमारी शादी होते देख उसका चेहरा लटक गया था. उसने मुझे समझाने का भरसक प्रयास किया. पर बेचारा सफल नहीं हो पाया. 

हमारी सुहागरात रात के बजाय दिन में उसी फ्लैट में हुई. हनिमून की इच्छा अधूरी रह गई. देखते देखते चार महीने बित गये और मुझे एहसास हुआ की अब मै अकेली नहीं हूं मेरे पेट में राजवीर का अंश फल रहा है. चार महीनों तक हमारी शादी कॉलेज के कुछ दोस्तों के अलावा सबसे छिपी रही. किसी को भनक तक नहीं पड़ने दी हमने. लेकिन अब क्या… ? मेरा पेट बढ़ने लगेगा तो…, बाबु पूछेंगे, दादासाहेब पूछेंगे क्या बताऊंगी उन्हें ? इन सावालों में मुझे सोच में डाल दिया.

मैंने राजवीर को यह बात बताई तो वह मुझ से पल्ला झाड़ने लगा. उसने मेरे पास आना ही बंद कर दिया. पंद्रह दिनों तक वह ना तो फ्लैट पर आया और ना ही फोन पर बात की. कॉलेज में भी मुझे देखते ही गायब होने लगा. आखिर एक दिन मैंने उसे कॉलेज में पकड़ ही लिया और बोली, “राजवीर तुम मुझे से और अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हो, हमने शादी की है और अब मैं मां बनने वाली हूं”

“आसान तरीका है यार… किसी हॉस्पिटल में जाकर अबॉर्शन कराओं, मेरे पीछे क्यों पड़ी हो और हां जल्द ही वह फ्लैट भी खाली कर देना मेरे पास उसका किराया भरने के लिए पैसे नहीं है.”

मैं उसे धमकाने वाले अंदाज में बोली, “मै शादी की सारी तस्वीरें और वीडियो सब को दिखा दूंगी” तो वह बोला, “दिखाओं मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. मैं बोलूंगा कि तुमने मुझे ब्लैकमेल करके शादी की और फिर मनिष भी इस फ्लैट में आता था. क्या पता यह बच्चा उसका हो. तुम जैसी आवारा और बदचलन लड़की पर कौन विश्वास करेंगा.”

यह बात सुनकर लगा अभी जमीन फट जाये और मैं उसमे समां जाऊं. मैं पूरी तरह लुट चुकी थी. फिर एक बार राजवीर के हाथों बेवकूफ बन चुकी थी. राजवीर मुझे रोता हुआ छोड़कर जा चुका था. तभी मनिष वहां आ पहुंचा मैंने रोते रोते मनिष को सारी बात बताई तो वह कहने लगा, “मैंने तुम्हे समझाया था राजवीर से दूर रहो वह लड़कियों का इस्तेमाल करता है और कपड़ों की तरह बदलता है. कमल से शादी इसलिए हो पाई क्योंकि वह रॉयल फॅमिली से थी दादासाहेब जैसे बड़े हस्ति की बेटी थी.”

मैं मनिष के सामने अपनी गलती कबूल करते हुए बोली, “मैंने राजवीर से प्यार करके बहुत बड़ी गलती की है लेकिन अब मैं क्या करुं, मेरे पेट में उसका बच्चा है, फ्लैट भी खाली करने बोल रहा था. मैं कहां जाऊंगी. दादासाहेब को भनक भी लग गई तो वे मेरी जान ही ले लेंगे और मेरे बाबु को भी नोकरी से निकल देंगे.”

मनिष मेरी नाजुक मानसिक स्थिति का फायदा उठाते हुए बोला, “संयुक्ता तुम डरो मत. इस बच्चे को मैं अपना नाम दे सकता हूं. तुम्हे अपना सकता हूं. हां … राजवीर की तरह यह फ्लैट और सुख सुविधाएं नहीं दे सकता. पुरानी बस्ती के चॉल में एक रुम करके दे सकता हूं. बस तुम ये वादा करो की तुम मेरी बनकर रहोगी.”

“तो क्या तुम मुझसे शादी करोगे”

“संयुक्ता .. मुझे गलत मत समझना. मैं तुम्हारी मदत करना चाहता हूं, तुम्हें मुसीबत से निकालना चाहता हूं और तुम्हारे बच्चे को अपना नाम भी दूंगा. बस.. शादी के लिए जोर मत देना वो क्या है ना कि मेरी छोटी बहन की जब तक शादी नहीं हो जाती मैं शादी नहीं कर सकता”

“उसकी शादी कब होगी ?”

“दो साल बाद मेरा होने वाला बहनोई जब दुबई से वापस आयेगा तब”

“तब तक क्या हम लिव इन में रहेंगे”

“मजबूरी है, मेरी बहन के ससुराल वालों को पता चल गया कि मेरा किसी के साथ ऐसा रिश्ता है तो उसकी शादी टूट जायेगी. हम ये रिश्ता सबसे छुपाकर ही रखना है. सिर्फ दादासाहेब और तुम्हारे पिता को बता देना कि ये मेरा बच्चा है. हॉस्पिटल में भी मेरा नाम दर्ज करा देना. पर कॉलेज में या किसी और को बताना नहीं. मैं साथ में नहीं रहूंगा सिर्फ दिन में आता-जाता रहूंगा”

मेरे सामने अब दो ही विकल्प थे एक तो मैं मनिष की बात मान कर उसकी शर्तों पर उसकी बनकर रहूं या फिर अपनी बदनामी होने से पहले और दादासाहेब के हाथों मरने से पहले आत्महत्या कर लूं.

मैंने मनिष से सोचने के लिए समय मांगा जो की मेरा पास बहुत ही कम था. मैं ऐसे पथ पर चल रही थी जिस पर अंधेरा, दुख और धोके के सिवा कुछ न था. मनिष भी दो साल तक मेरा इस्तेमाल करके छोड़ देंगा वह भी दो साल बाद मुझसे शादी करेंगा इस बात की कोई गारंटी नही थी. लेकिन उम्मीद…, ऐसे दौर से गुजरती हुई लड़की को प्यार, मनुहार से विश्वास दिलाते हुए उसमें उम्मीद जगा दे तो वह उसे सच मान ही लेती है. ऐसे ही उलटे सीधे ख्याल रात भर मन में आते रहे. मुझे अपना जीवन नर्क सा महसूस होने लगा. मैं अकेली ही क्यों सहूं ? जिस लड़की के कारण यह हुआ है वह भी तो दोज़ख की आग में जले.

   सुबह उठते ही मैंने राजवीर को फोन लगाया और बोली, “तुम्हें मेरी परवाह नहीं है तो क्या हुआ मेरी परवाह करने वाले और भी है, मनिष मुझसे शादी करने को तैयार है और मेरे बच्चे को बाप का नाम देने को भी. लेकिन मैं तुम्हें भी ऐसे नहीं छोडूंगी आज तुम्हें एक राज की बात बताती हूं. तुम्हे बाप बनने का मैंने मौका दिया, जिसे तुमने गंवाया है. कमल कभी मां नहीं बन सकती. वह एक बार जब बिमारी हुई थी उसके पेट में काफी दर्द हो रहा था तो डॉक्टर ने ऑपरेशन करके उसकी बच्चेदानी ही निकाल ली थी. जिस औरत को बच्चेदानी नहीं वह बच्चा कहां से जनेगी. तुम्हारा वंश तुम्हारे साथ ही खत्म होने वाला है.”

मेरी बात सुनकर राजवीर हंसने लगा, “हा हा हा… बेवकूफ लड़की ! चलो अच्छा है ये बात बताकर तुमने मेरा काम आसान कर दिया है. अब मैं इसी बात का मुद्दा बनाकर कमल से तलाक ले सकता हूं और दूसरी शादी कर सकता हूं.” और उसने फोन काट दिया.

मैंने आग लगा दी थी. जानती थी राजवीर कमल से इस बात पर बहस करेंगा और कमल मुझसे झगडा करने जरूर आयेगी. अब मेरा जो हो सो हो. ‘हम तो डूबेंगे सनम तुमको भी साथ लेकर डूबेंगे’ वाली कहावत चरितार्थ हो रही थी. जब कमल झगड़ा करने आये तो मुझे सहारे की जरूरत थी अत: मैंने दोपहर में ही मनिष को मैसेज किया, “मुझे तुम्हारा ऑफर मंजूर है. तुम अभी आ सकते हो”

मनिष तुरंत ही आ पहुंचा मैं बैठकर उससे बातें कर ही रही थी कि डोर बेल बजी. मैं दरवाजा खोलने आगे बढ़ी. जैसे ही मैंने दरवाजा खोला उसने मेरा गला पकड़ लिया और बोली, “कुतीया तू मुझे चैन से जीने नहीं देंगी, क्या बताया तुने राजवीर को ‘मैं कभी मां नहीं बन सकती’ तेरी वजह से वो मुझसे तलाक लेना चाहता है. राजवीर मेरा नहीं हुआ तो मैं उसे तेरा भी नहीं होने दूंगी. मैं तुझे जान से मार दूंगी.” कमल अत्यंत गुस्से से भरी हुई थी. राजवीर भी कमल के पीछे पीछे आ पहुंचा था.

कमल ने मेरा गला पकड़ा हुआ था जिस पर उसका शिकंजा कसता जा रहा था. मेरे मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी. मनिष ने यह देखा तो वह दौड़कर हम दोनों के बीच आ गया और उसने मेरे गले से कमल का हाथ छुड़ाया. मेरा दम घुटने की वजह से मेरी आंखों से आंसू आ रहे थे. मुंह से लार टपक रही थी. चेहरा सुर्ख हो गया था. उस समय मेरे भी दिलो दिमाग पर गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया. सोचने समझने का वक्त निकल चुका था. मै उस टेबल के दराज की ओर झपटी जहां राजवीर ने मेरी सुरक्षा के लिए एक छोटी रिवाल्वर रखी हुई थी. मैं वह रिवाल्वर निकाल कर कमल की ओर तानते हुये बोली. “ठीक है तो फिर, तु चाहती है ना राजवीर तेरा नहीं तो मेरा भी नहीं, मैं तुझे अभी गोली मारकर इस किस्से को ही खत्म करती हूं”

मैं उस पर गोली चलाने ही वाली थी की मनिष सामने आ गया. रिवाल्वर पर से मेरी पकड़ ढीली हो गई यह देख कमल मेरी ओर झपटी और मेरे हाथ से रिवाल्वर छीनने की कोशिश करने लगी. हम दोनों लड़कियां रिवाल्वर पर अपना कब्जा जमाने के लिए संघर्ष कर रही थी. गोली चल ना जाये इसलिए मनिष और राजवीर हमें रोकने की कोशिश कर रहे थे उसी समय हमने रिवाल्वर का रूख राजवीर ‍की ओर करते हुए साथ में ट्रिगर दबा दिया. गोली एकदम करीब से राजवीर के सिने को चिरते हुए आर पार निकल कर दिवार में जा धंसी. हम दोनों ने रिवाल्वर छोड़ दी और राजवीर की ओर लपकी. राजवीर अपने जख्म पर हाथ रखते हुए जमीन पर लुढ़क गया था.

मनिष पास आते हुए बोला, “बेवकूफ लड़कियों ये क्या किया तुमने, गोली क्यों चलाई राजवीर पर”

जहां मैं तड़पते हुए राजवीर की ओर बढ़ी वही कमल ने फर्श पर पड़ी रिवाल्वर उठाई उसे अपनी चुनरी से पोंछकर मनिष की ओर उछाल दी जिसे मनिष ने लपक लिया.

मैं राजवीर का सिर अपनी गोद में लेते हुए बोली, “हमने .. ? हमने गोली चलाई ? वह भी अपने राजवीर पर. ये तो मेरा प्यार है और इसका पती. इसे तो तुमने मारा है. देखों रिवाल्वर तुम्हारे हाथ में है.”

मेरी बात सुनकर मनिष चकरा गया. उसने देखा सच में रिवाल्वर उसके हाथ में थी. उसने वह रिवाल्वर छोड़ दी जो सीधे फर्श पर आ गिरी. हम दोनों राजवीर के तड़पते शरीर के पास बैठ गई और रोने लगी. रोते रोते ही कमल ने दादासाहेब को फोन मिलाया तो मैंने एक मोबाईल  फोन राजवीर की पैंट की जेब में डाल दिया. गोली की आवाज सुनकर अडोस पडोस के लोग भी दरवाजे पर जमा हो गये. कमल ने जाकर दरवाजा खोला आठ-दस लोगों का हुजूम एक साथ दरवाजे से अंदर दाखिल हुआ. मैं राजवीर का सिर गोद में लेकर बैठी थी. कुछ ही दूरी पर मनिष ठगा सा खड़ा था. उसके पैरों के पास रिवाल्वर पड़ी हुई थी. मनिष लोगों की ओर देखते हुए बोला, “इन दोनों ने … इन दोनों ने मिलकर इसे गोली मारी है”

किसी को भी मनिष की बात पर यकीन नहीं आ रहा था. सभी उसे ही घूरे जा रहे थे. ये देख मनिष दरवाजे पर खड़े लोगों को धकेलते हुए बाहर निकलने की कोशिश करने लगा. दरवाजे पर खडे लोगों की समझ में आ गया कि मनिष भागने की कोशिश कर रहा है. उन्होने उसे पकड़ कर पीटना शुरू किया और कमरे के अंदर धकेल कर कुर्सी पर बिठा दिया. किसी ने बेडरूम से बेडशीट लाकर उसे वहीं पर बांध दिया. जबकि हम दोनों लड़कियां राजवीर के शांत पड़ चुके शरीर के पास बैठकर रोए जा रही थी. थोड़ी ही देर में वहां पुलिस, एम्बुलेंस, दादासाहेब, मेरे पिता और राजवीर के माता-पिता एक के बाद एक आ पहुंचे. पुलिस ने सभी को कमरे से बाहर कर पंचनामा शुरू किया. पडोस के फ्लैट में हमको बिठाकर हमारा बयान लिया गया.

मनिष चिख चिख कर कहता रहा कि गोली उसने नहीं चलाई. कमल और संयुक्ता दोनों ने मिलकर चलाई है. कमरे में घटीत पूरी घटना ज्यो कि त्यो बताई. लेकिन कोई उसकी बात पर विश्वास नहीं कर रहा था.

कमल ने अपने बयान में कहा, “मुझे आज ही पता चला राजवीर ने संयुक्ता से शादी की और उसे एक फ्लैट में रखा है तो मैं गुस्से में संयुक्ता से झगडा करने पहुंची. मेरे पीछे पीछे राजवीर भी आ पहुंचा. मनिष पहले से ही कमरे में मौजूद था. आते से ही मैंने संयुक्ता का गला पकड़ा और उससे सवाल करने लगी. तभी मनिष ने मेरा हाथ छूडाते हुए कहा कि उसने संयुक्ता से शादी की है और वह उसके बच्चे की मां भी बनने वाली है.

मनिष की बात सुनकर मेरा गुस्सा जाता रहा मैं शांत हो गई. तभी राजवीर ने ‘थम्प्स अप’ का इशारा किया, उसे लगा की मैंने इशारा देख लिया है तो अपने हाथों की उंगलियों को अजीब तरह से घुमाने लगा. जिससे मुझे मनिष की बात पर शक हुआ तो मैंने उससे शादी के सबूत दिखाने को कहा. वह बोला सबूत क्या दिखाना है, तुम संयुक्ता से पूछ सकती हो. मैने संयुक्ता की ओर देखा उसने ‘हां’ में गर्दन हिलाई. लेकिन मुझे किसी की बात पर यकीन नहीं हो रहा था, मैने संयुक्ता से उसका फोन मांगा. जिसमें राजवीर और संयुक्ता की शादी की कई तस्वीरें और वीडियो थे.

मैंने राजवीर की ओर देखते हुए उससे पूछा कि, ये क्या है ? ये मनिष है या तुम हो ? तुम सब लोक मिलकर मुझे बेवकूफ बना रहे हो. इस बात को लेकर फिर हम चारों में बहस शुरू हो गई. आखिर मनिष बोला, “अब कमल और संयुक्ता को सच बता ही देते है”  तो राजवीर बोला, “क्या सच बताऐगा ? सच तो यही है कि मेरी कमल से शादी हुई है और संयुक्ता के पेट में तेरा बच्चा पल रहा है.” इस बात से मनिष को गुस्सा आ गया और उसने कहा, “जब सब सच सामने आ गया है तो अब मैं इस बच्चे को अपना नाम क्यों दूं ? मुझे क्या मिलने वाला है ? दोनों का फायदा तुमने उठाया और अब अपना पाप मेरे सिर थोप रहे हो.. मैं चला. ये तुम तीनों का आपस का मामला है मुझे इसमें नहीं पड़ना.” ऐसा बोलकर मनिष जाने लगा तो राजवीर ने उसे रोक लिया और धमकाते हुए बोला, “जो डील हुई है उसे पूरा तो करना ही पड़ेगा. मुझसे काफी रूपये भी तुम ले चुके हो. अब डील पूरी नही की तो मैं तुम्हारा जीना मुश्किल कर दूंगा. तुम्हें ऐसी जगह ले जाकर मारुंगा की तुम्हारी लाश भी किसी को नहीं मिलेगी.” राजवीर की धमकी से मनिष डर गया और उसने दराज में रखी रिवाल्वर निकाल ली और सीधे राजवीर की ओर तानते हुए गोली दाग दी.” 

कमल का पूरा बयान सुनने के बाद इंस्‍पेक्टर ने पूछा, “राजवीर और मनिष जिस डील की बात कर रहे थे तुम जानती हो ?” इस पर कमल ने अनभिज्ञता जाहीर की.  

उसके बाद मुझसे पूछताछ सुरू हुई तो मैंने भी वही बताया जो कमल ने बताया था. मैं बोली, “कमल गुस्से में भरी हुई मेरे फ्लैट पर आई और मेरा गला पकड लिया मुझे गालियां देने लगी. मनिष ने उसकी पकड़ से मेरी गर्दन छुडाई….” उसके बाद वाली सारी बातें जो कमल ने इंस्पेक्टर को बताई मैंने एक एक शब्द वही दोहराया. मेरा बयान सुनने के बाद इंस्पेक्टर ने मुझसे पूछा, “मनिष कैसे जानता था कि रिवाल्वर दराज में है”

“सर, राजवीर और मनिष मेरे अच्छे दोस्त है. राजवीर से शादी वाली बात अगर हमारे घर वालों को पता चल जाती तो वे मुझ पर हमला करने किसी को भी भेज सकते थे. इसीलिए राजवीर ने मेरी सुरक्षा के लिए वह रिवाल्वर दी जो मैंने दराज में रखी और यह सब मनिष के सामने ही हुआ. इसीलिए मनिष यह बात अच्छी तरह जानता था.”

“पर उसका कहना है रिवाल्वर से गोली तुमने और कमल ने मिलकर चलाई. वह ऐसा क्यों बोल रहा है”

“ये तो वो ही जाने”

“क्या ये नहीं हो सकता की राजवीर ने तुम दोनों को बेवकूफ बनाया, दोनों का इस्तेमाल किया इसीलिए तुम दोनों ने साजिश के तहत उसे मार दिया”

“कैसी साजिश…, कमल ने मेरी पीठ पीछे राजवीर को फंसाया और उससे शादी की. हम दोनों में तभी से कोई बातचीत नहीं थी. मै तो उसकी शादी में भी समय पर पहुंची थी. उसके बाद तो उससे मेरी ना तो मुलाकात हुई ना ही फोन पर बात, इसीलिए उसे मेरे और राजवीर के मंदीर में शादी की बात भी पता नहीं थी और आज पता चलते ही वह गुस्से में उफनती हुई मुझसे लड़ने आई. फिर भला हम साजिश कैसे कर सकते है.”

मेरी  इस बात ने इंसपेक्टर को सोच में डाल दिया. वह कुछ देर सोचता रहा फिर बोला,

“और जिस डिल की बात राजवीर कर रहा था वह क्या थी ?”

“इस बारे में तो मुझे भी कुछ पता नहीं”

“तुम तो कह रही हो दोनों अच्छे दोस्त है तो फिर तुम्हें तो डिल के बारे में पता होना चाहिए”

“सर, जैसे राजवीर ने आज तक कमल से हमारी शादी की बात छुपाकर रखी वैसे वो दोनों उनकी आपस में क्या डिल हुई यह मुझे कैसे बता सकते है”

“कमल और तुम, दोनों बचपन से साथ में पले, सबसे अच्छी सहेली हो. सगी बहनों जैसी रहती हो फिर तुम दोनों ने एक ही मर्द क्यों चुना शादी के लिए ?”

“सर, ये सब क्यों कैसे हुआ ये मैं नहीं जानती. मैं बस इतना जानती हूं की मैं राजवीर से प्यार करती हूं”

कुछ देर तक और इंस्‍पेक्टर कभी मुझे तो कभी कमल से सवाल करता रहा. जिसके जवाब हम देते रहे. मनिष को गिरफ्तार कर लिया गया. उसका मोबाईल, राजवीर की दो अलग अलग जेब से दो मोबाईल जाँच के लिए जप्त कर लिये गये.

दूसरे दिन पुलिस ने मुझे तथा कमल को पुलिस स्टेशन बुलाया. हम दोनों उसकी केबीन में बैठी थी. तब इंस्पेक्टर ने हमें एक वीडियो क्लिप दिखाई और पुछा, “यह वीडियों क्लिप इस मोबाईल में जरूर है लेकिन शुट किसी दूसरे मोबाईल से किया गया है. क्या तुम बता सकती हो यह किसने शुट किया ?”

कमल क्लिप देखते ही बोल पड़ी, “ये मैंने शुट किया था मजाक मजाक में. लेकिन मैंने इसे किसी को भी फारवर्ड नहीं किया, शेअर नहीं किया और जिस दिन इसे शुट किया था संयुक्ता ने उसी दिन इसे डिलीट भी कर दिया था.”

“अगर ये डिलीट कर दिया था तो फिर इस मोबाईल में कहां से आया ?”

“सर…! क्या आप बता सकते है यह मोबाईल किसका है ?” मैंने सवाल किया

“ये मोबाईल राजवीर का है और इसमें जो सिम कार्ड इस्तेमाल हो रहा था वह मनिष के नाम पर था.”

“क्या….?” कमल और मेरे मुंह से एकसाथ निकला. इंस्पेक्टर हम दोनों को बारी बारी देखता रहा. हमारे चेहरे पर अब भी चौकने वाले भाव कायम थे.

“हां… और राजवीर के फोन पर इसी वीडियो के स्क्रीन शॉट और उसके नीचे मैसेज लिखे हुए थे”

“वो मैसेज मैं जानती हूं. राजवीर ने मुझे दिखाये थे तभी तो मैं फिर से राजवीर पर विश्वास कर पाई मुझे यकीन हो गया कि राजवीर सिर्फ और सिर्फ मुझसे प्यार करता है और कमल से उसने दबाव में शादी की है.”

मेरी बात सुनते ही इंस्पेक्टर कुछ बोले उससे पहले ही कमल बोली,

“राजवीर ने मुझसे दबाव में शादी नहीं की बल्कि वह मुझसे प्यार करता था इसीलिए उसने मुझसे शादी की. हां.. ये बात अलग है कि इसमें हमारे दोनों परिवार का राजनीतिक हित भी शामिल था. लेकिन इससे राजवीर के प्रति मेरा प्यार कम नहीं हो जाता.”

“कौन किससे कितना प्यार करता है ये जानने के नहीं बुलाया हूं” इंस्पेक्टर ने कमल को देखते हुए कहा और फिर मेरी और देखकर बोला, “कहीं इस वीडियों के कारण तुम ब्लैकमेल होकर राजवीर की सारी इच्छाएं पूरी तो नहीं कर रही थी.”

“नहीं .. सर… मुझे तो लगता था इस वीडियों के स्क्रीन शॉट राजवीर को भेजकर कमल ही राजवीर और मेरे बीच में दरार पैदा कर रही है. लेकिन आज सुबह जब मैंने मनिष को फोन पर बताया की मै मां बनने वाली हूं तो उसका मुझसे बात करने का लहजा ही बदल गया. वह बोला कि मेरी वीडियो उसके पास है और मैं यदि उसकी बात मानकर जो सुख मैंने राजवीर को दिया है उसे भी दूं तो वह वीडियो डिलीट कर देंगा और बच्चे को बाप का नाम भी देंगा. मैंने उससे सोचने के लिए समय मांगा और काफी देर तक सोचती रही कि यह वीडियो वायरल होने पर मैं किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रहूंगी और फिर मेरे होने वाले बच्चे पर भी कई सवाल उठेंगे मुझे कोई दूसरा रास्ता नजर नहीं आया तो मैंने मनिष को मैसेज किया कि मुझे उसका ऑफर मंजूर है वह आ जाये. इसीलिए कमल के आने से पहले से ही मनिष मेरे फ्लैट पर मौजूद था और जब उसने कमल से कहा कि राजवीर ने नहीं उसने मुझसे शादी की है तो मैंने ‘हां’ में गर्दन हिलाई थी. लेकिन आपके कहे अनुसार यह फोन राजवीर के पास था यानी राजवीर खुद ही अपने फोन पर इस फोन से मैसेज कर रहा था ताकि हम दोनों का फायदा उठा सके.”

“अब सही जा रही हो… राजवीर तुम दोनों को बेवकूफ बनाकर तुम दोनों का फायदा उठा रहा था लेकिन सवाल ये उठता है कि राजवीर को यह क्लिप मिली कैसे ? हमने मनिष पर थर्ड डिग्री इस्तेमाल की लेकिन उसने कुछ नहीं बताया वह तो बार बार बोल रहा है कि उसे इस क्लिप के बारे में कुछ भी पता नहीं है”

मैं कुछ देर सोचती रही फिर बोली, “सर.. मुझे याद आ रहा है. जिस दिन कमल ने यह वीडियो बनाया था उस दिन कमल अपना फोन होटल में ही भूल गई थी जिसे लाने कमल ने मनिष को भेजा था. कमल का फोन कभी लॉक नहीं रहता और उस दिन कमल ने मनिष को बोला भी था कि मेरा फोन लॉक नहीं है उसे खोलकर देखना मत, लेकिन मुझे लगता है मनिष ने ही उस फोन से वीडियो इस दूसरे मोबाईल में कॉपी किया होगा. मनिष ने फोन लाकर देते ही सबसे पहले मैंने उससे मोबाईल लेकर यह वीडियो डिलीट किया था”

तभी कमल ने मेरी बात का समर्थन करते हुए कहा “हां… सर संयुक्ता सच बोल रही है. उस रोज यही हुआ था. यानी मनिष और कमल दोनों ही इस वीडियो के बारे में जानते थे और दोनों मिलकर हम दोनों के साथ खेल खेल रहे थे”

“अब तक मिले सबुत और तुम लोगों की गवाही से यही साबित हो रहा है कि, राजवीर और मनिष तुम दोनों को बेवकूफ बनाकर तुम्हारा फायदा उठा रहे थे, लेकिन वह डील अब तक समझ में नहीं आयी क्या थी”

“सर… और क्या हो सकती है, राजवीर के बाद मनिष मेरा शोषण करेंगा यही होगी डिल और उसकी इच्छा पूरी भी हो जाती अगर उस समय कमल झगडा करने नहीं पहुंचती”

“हां… यही हो सकती है और राजवीर ने बोला भी तो था कि तुम्हें अब तक काफी रूपये दे चुका हूं मतलब उसे पैसे भी मिल रहे थे साथ ही राजवीर का संयुक्ता और उसके बच्चे से पीछा भी छूट जाता.”

“जो भी हो सर… गुनहगार तो अब आपकी हिरासत में है, बस उसे कड़ी से कड़ी सजा मिले ऐसा कुछ कीजिए उसने मेरे राजवीर को मुझसे छिना है. हो सके तो फांसी पर चढाईये उसे, फांसी पर..” कमल एकदम आवेश में आते हुए बोली और फिर मेरी ओर देखते हुए कहने लगी,

“संयु.. मुझे माफ कर दो मेरी बेवकूफी की वजह से हम दोनों की लाईफ बरबाद हो गई. अब ना राजवीर सारी जिन्दगी तुम्हारे साथ रह सकता है और ना मेरे. लेकिन राजवीर तुम्हें एक तोहफा जरूर देकर गया है उसके प्यार की निशानी तुम्हारी कोख में पल रही है”

कमल का बदला हुआ सुर देखकर मैं कुछ देर उसे देखती रही. क्या ये वहीं कमल थी जिसने मेरा गला पूरी ताकत से दबाया था. इंस्पेक्टर भी हमारी बातें सुन रहा था. वह आगे बोली,

“संयु.. तुमने मुझे माफ कर दिया ना”

“तुम ऐसा क्यों बोल रही हो..”

“मुझे तुमसे एक बात बोलनी है पर समझ नहीं आ रहा कैसे बोलू” आगे बोलने के लिए शब्दों का चयन करते हुए उसे शायद परेशानी हो रही थी.

“तुम बोल सकती हो कमल जो भी तुम्हारे मन में है”

“संयु… मेरा तो कोई जीने का सहारा ही नहीं रहा… ये पहाड़ जैसी जिन्दगी मै अकेले कैसे काटूंगी… मैं… मैं चाहती हूं की तुम्हारा .. तुम्हारा बच्चा मुझे भी मां कहकर पुकारे… क्या तुम मेरे साथ रहकर यह सुख मुझे दे सकती हो”

“ये कैसे हो सकता है कमल… तुम्हारे ससुराल वाले मुझे कैसे कबुल करेंगे, मेरे बाबु, दादासाहेब मेरे अपने तक मुझसे बात नहीं कर रहे है, सभी मुझे नफरत की निगाहों से देख रहे है.”

“करेंगे … करेंगे संयु… तुम नहीं जानती तुम्हारे पास राजवीर की निशानी है.. उसका वारिस… हमारे खानदान का वारिस तुम्हारे पेट में पल रहा है यह बात मैं अपने ससुराल वालों को समझा दूंगी. बस … सिर्फ तुम तैयार हो जाओं”

“मेरा क्या है कमल, सभी ने मेरा इस्तेमाल ही किया है, पहले तुमने फिर राजवीर ने, मनिष भी करने वाला था और अब तो सभी मुझसे नफरत करते है. मरना भी चाहूं तो अब ये बच्चा….”

“कुछ नहीं होगा संयु… तुम मरने की बात मत करो. तुम्हारे बच्चे को पूरा सन्मान मिलेंगा उसे बाप का नाम और दो मांओं का प्यार”

मेरे लिए सारे रास्ते बंद थे. मेरे अपने पिता मुझसे नाराज थे, दादासाहेब नाराज थे कि मैं उनकी बेटी की सौतन बन गई. नाते-रिश्ते, घर-द्वार सब मुझसे छीन लिया गया. ऐसे में कमल फिर मेरा सहारा बनकर सामने से बुला रही थी मै कैसे इंकार करती.

दूसरे ही दिन मैं अपने ससुराल यानी कमल के ससुराल मतलब हम दोनों के ससुराल में थी. जहां मेरा कोई भव्य स्वागत तो नहीं हुआ लेकिन उस घर के हर सदस्य की नजर मेरे पेट पर थी. सभी की आस, उम्मीद की राजवीर का अंश मैं उस घर में लेकर आई हूं. कमल ने आगे बढ़कर मुस्कुराते हुए मेरा स्वागत किया और बोली, “चल तुझे अपने बेडरूम में लेकर चलती हूं”

बेडरूम में पहुंचते ही कमल ने दरवाजा बंद किया और मुझसे लिपटकर मेरे चेहरे पर चुंबनों की झड़ी सी लगा दी मानो कितने बरसों की प्यार की प्यासी थी.

“बस ..  बस सारा प्यार एक ही दिन में लुटायेगी क्या.”

“क्या करूं…? पिछले सात-आठ महीनों से हम दोनों एक दूसरे से जुदा रहे बातें तक नहीं की हमने”

“ये हमारे प्लान के लिए जरूरी था कमल, देखा ना किसी को शक भी नहीं हुआ”

“सच बोल रही है, एक बेवकूफ को जहन्नुम में और दूसरे को जेल में पहुंचा दिया हमने. चले थे हमें बेवकूफ बनाने…. लेकिन मुझे एक ही बात का डर था यदि मेरी शादी राजवीर से नहीं होती तो ?”

“कैसे नहीं होती… मैंने दादासाहेब को तुम्हारी मां से कहते सुना था, ‘मंत्री जी ने एक साथ खाने पर इसीलिए बिठाया कि लड़का लड़की एक दूसरे को देख ले और रिश्ते की बात आगे बढ़े. उनका कहना था कि यदि यह रिश्ता हो जाता है तो सारी मुसीबतें खत्म हो जायेगी, राजवीर के पिता को अपनी पार्टी में शामिल करना आसान हो जायेगा, यहां पर फिर से अपनी सत्ता होगी.’ लेकिन दादासाहेब का अहंकार आडे आ रहा था, इसीलिए शादी की बात आगे नहीं बढ़ी. मुझे पता था तस्वीरें देखने के बाद दादासाहेब का अंहकार चुर चुर हो जायेगा और अपनी लाड़ली बेटी की इच्छा जरुर पूरी करेंगे. आसानी से नहीं मानते तो फिर तुम्हें तो बता कर ही रखा था आत्महत्या वाला नाटक करने को.”

“उसकी जरूरत ही नहीं पड़ी इस बात की मुझे खुशी है. दादासाहेब, आसानी से मान गये. वरना यार .. या तो मुझे फंदा लगाना पड़ता या गोलियां खानी पड़ती. इस झमले से बच गई.”

हां.. यही सच था. हमने जैसे ही अपना बचपन पार किया और जवानी में कदम रखा हमें अहसास हो गया कि हम दोनों एक दूसरे के बिना जी नहीं सकती और हमारे घर वाले और समाज हमें साथ जीने नहीं देंगे. हम दोनों लड़कियां थी जिनकी आपस में कभी शादी हो नहीं सकती थी पर साथ तो रहना था. इसीलिए हमने प्लान बनाना शुरू किया हमें साथ भी रहना था और शान से भी रहना था. कोई गरीबी और मुफलिसी की जिंदगी नहीं जीना था हमें.

कमल ने पार्टी में पहली बार राजवीर को देखा और मुझे आकर बताया तो हमने उसके बारे में जानकारी हासिल की. उसका लड़कियों के मामले में कैरेक्टर ढीला था. हमें अपना शिकार मिल गया था. राजवीर और मनिष को लगता था कि वे हमारा शिकार कर रहे हैं लेकिन शिकार उनका हो रहा था. राजवीर से मैंने मोबाईल गिफ्ट में मांगा था तो मनिष से उसका आईडी प्रूफ लेकर सिम कार्ड रखीद लिया था. राजवीर के मरने तक तो वह मोबाईल मेरे ही पास था.

बेचारा मनिष, उसने तो कभी कोई मेरा वीडियो देखा ही नहीं था. ऐसा कोई वीडियो है इस बारे में उसे कोई जानकारी भी नहीं थी. कमल ने जैसे ही वीडियो शुट किया मैंने उसे उस मोबाईल में ट्रान्सफर कर लिया और कमल के मोबाईल से वह वीडियो उसी समय डीलिट कर दिया था. होटल से मनिष के मोबाईल लाते ही मैंने मोबाईल से एक-दो पिक डिलीट किये और ऐसे दिखाया जैसे कोई आपत्तिजनक वीडियो डिलीट किया है. पुलिस ने छानबिन की तो कई गवाह उन्हें मिल गये जो हमारी कही बातों को प्रमाणित कर रहे थे.

“क्या सोचने लगी संयु..?”

“सोच रही थी.. मेरे पेट में पल रहे बच्चे के नाम के आगे बाप का नाम होना जरूरी है”

“हां तो वह तो लगेगा ही ना राजवीर का नाम उसके नाम के आगे”

“ये तो हुआ लोगों की नजर से पर मेरी नजर में इसका पिता तो कोई और ही है”

“कौन..? ये कौन-सा सस्पेन्स है जो तुने मुझे बताया नहीं”

“अरे इसके नाम के आगे तेरा नाम भी तो होना चाहिए ना, मेरी नजर में इसके पिता तो तुम ही हो”

“ओ…ह..! तो क्या सोचा है तुमने इसका नाम”

“लडका हुआ तो ‘विरकमल’ और लडकी हुई तो ‘निलकमल’” ये सुनकर कमल ने मुझे अपनी बांहो में भिच लिया और बोली,

“वाह तेरा जवाब नहीं … यू आर वेरी इंटेलिजेंट”

“नहीं यार….! हम लड़कियां तो बेवकूफ है… बेवकूफ !!!”

 

***समाप्त***

अश्वजीत पाटील