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SUDESH - 3

समीर को थोड़ी बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही थी , इसलिए नहीं कि उसने गलत किया बल्कि इसलिए कि वो फॅस गया और अब सुदेश उसके इरादे भाँप चुकी थी | स्कूल की छुट्टियाँ ख़त्म होने वाली थी | सब बच्चे स्कूल लौटने की तैयारियो मे थे | सुदेश भी बच्चों का आगे का शे᠎ड्‌यू्‌ल तय कर रही थी |
इधर स्कूल मे वेश्यावृति पर वाद - विवाद होने वाला था | अदिति ऐसे प्रसंगो मे अवसर भाग लिया करती थी | आखीरकार प्रतियोगिता का दिन आया | मिस अदिति के विपक्ष मे खुद समीर थे जो स्त्रियों को केवल भोग की वस्तु समझते थे | मिस अदिति बिल्कुल तैयारियां न की थी , उसका मानना था जो सच है , उसे कोई कैसे झुठला सकता है | वाद - विवाद शुरू हुआ तो मिस्टर समीर ने पहले अपना पक्ष रखा , कहा - ' भाइयो -बहनो व अन्य रिस्तेदारो, आप सबको भी लगभग मेरी इस मुददे पर राय से सहमति होगी कि वेश्यावृति कोई मजबूरी का व्यवस्याय नहीं , अतृप्त महिलॉए कि वासनाओ को शांत करने का माध्यम मात्र है | महिलाए इसे मजबूरी का नाम देकर केवल अपनी अतृप्त वासनाऍ को जगत से दुर रखना चाहती है |
'वेश्यावृति मे केवल महिलॉए नही , पुरुष भी शामिल है मिस्टर समीर और तो और वासनाऍ तो महिला से ज्यादा पुरुषो मे होती है | वासनाओ से भरा पुरुष जब घर पर शांत नहीं हो पाता तो वो वेश्यावृति पुरुषो की असंपन्न्न वासनाओ को शांत करने का माध्यम है |
'मिस अदिति , आप कैसे कह सकती है कि पुरुष अपनी वासनाऍ पूर्ण करने वेश्याओ के पास जाते है |
' इसके सबसे बड़े साक्षी तो आप ही है मिस्टर समीर, होली के दिन आपने तो अपनी हवस के चक्कर मे सबकी जान तक खतरे मे डाल दी थी , मुझे तो तीन दिन तक चक्कर आ रहे थे |
' नही - नही, वेश्यावृति महिलाओ की वासना का व्यवस्याय है , पुरुषो को उनका व्यवस्याय चलाने जाना पड़ता है | अगर पुरुष नहीं जाएगे , तो ये वेश्याऍ पुरुषो के साथ जबरदस्ती करने लगेगी और इससे समाज का संचालन दुरस्त न रहेगा'|
' आप जैसे व्यक्ति जब तक धरती पर है , तब तक वैसे ही समाज का दुरस्त नही हो सकता मिस्टर समीर| रही बात वेश्यावृति की, तो वेश्यावृति ने समाज का दुरस्त रखने मे अहम भूमिक निभाई है और निभाती रहेगी | पुरुषो व कुछ महिलाओ की अपार वासनाओ से जो अगर वेश्यावृति के माध्यम से क्षीण न होती, तो न जाने अब तक कितने घर - परिवार उजड़ चुके होते | वेश्यावृति समाज के स्वस्थ संचालन मे एक अहम भूमिका निभा रहा है और ये व्यवस्याय लगभग सभी महिलाओ की मजबूरी व पुरुषो की सहमति से फल - फूल रहा है | यहाँ व्यक्तिगत आलोचना करना ठीक नही , लेकिन अगर आप कम से कम अपनी हवस शांत करने के लिए वेश्यावृति मे ही शामिल हो गए होते, तो कम से कम मिस सुदेश को तो तिरस्कार न सहना पड़ता,'|
अदिति के इस जोरदार भाषण से भीड़ तालियो से गुंज उठी | मिस सुदेश के चेहरे पर एक अलग ही चमक थी, उसे अदिति के भीतर बिंब नजर आ रहा था | अदिति ने उसके अंदर एक अद्भुत-अकल्पनीय शक्ति का संचार कर दिया था | मिस सुदेश ने उसे जोर से गले लगा लिया |
इधर समीर परास्त ओंधे-मुँह पड़ा था| उसका ऐसा तिरस्कार कभी न हुआ था | अगर उसका बस होता, तो अभी अदिति की जान ले लेता | मनीष अदिति को उसके भाषण के लिए अभिवादित कर रहा था | मिस सुदेश, अदिति व मनीष कुछ खाने के लिए कैंटीन की तरफ चले , तो समीर अपने कुछ पिल्लों के साथ बाहर को निकला |
सुदेश की नफरत समीर से और भी बढ़ गई थी, उसके इतने घटिया विचार स्त्रियों के प्रति है, सुदेश के ये कल्पना से भी परे था| टप्पू भी आज गर्व महसूस कर रहा था की उसकी प्रेमिका आज प्रतियोगिता जीती थी लेकिन अंदर ही एक गहरी मायूसी भी थी क्योकि उसके विचार हारे थे| दरअसल टप्पू की भी सारी शक्ति वासनाओ मे निकलती रहती थी | वैसे अभी वह उसकी ताक मे था | बदले का समीर के लिए एक ही प्रयोजन मात्र था - संभोग | उसकी जिंदगी शुरू और अंत संभोग पर ही होती थी | मिस सुदेश आज खुश थी, सो आज स्कूल से जल्दी निकली गई थी।