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आखिरी मुलाक़ात

मेट्रो तेज़ी से राजीव चौक की तरफ भाग गयी थी। रीमा मेट्रो मे खड़ी संजय याद मे खोई हुई और कुछ परेशान भी। स्टेशन आता है उसकी आंखे इधर उधर संजय को खोजती हैँ। संजय दूर खड़ा हाथ हिलाता है " रीमा!"। रीमा उसकी तरफ फीकी सी मुस्कुराती है। पास जाने पर संजय कहता है " कैसी हो? चलो कहीं चल कर बैठते हैँ " वह रीमा का हाथ पकड़ता है। रीमा पकड़ छुड़ा कहती है " हम्म चलो " संजय को अजीब लगता है " क्या हुआ? "
"कुछ नहीं, बाहर चल कर बात करते हैँ " मेट्रो के शोर से बाहर जा संजय फिर पूछता है " क्या हुआ! तुम परेशान हो? "
" हाँ, थोड़ी " रीमा बेमन से बोली।
संजय कॉफ़ी हाउस की तरफ मूड़ जाता है रीमा उसके पीछे आमने सामने कुर्सीयों पर बैठ जाते हैँ " अब बोलो। अच्छा रुको कॉफ़ी मांगवा लेता हु "
"हम्म "
" वेटर! दो कॉफ़ी लाओ "
वेटर - जी सर
"कुछ खाओगी?"
" नहीं भूख नहीं है " रीमा नीची नज़र रखती है। संजय उसका हाथ अपने दोनों हाथो मे ले लेता है " क्या बात है जान! क्यों परेशान हो? "
" संजय मै अबसे तुमसे नहीं मिल पाऊँगी " रीमा के दो आंसू उसके गुलाबी गालों से ढलक जाते हैँ।
" पर क्यों! मैंने कोई गलती करदी क्या! ऐसे क्यों कह रही हो? "
" नहीं मै नौकरी छोड़ वापिस रायपुर जा रही हु मम्मी पापा के पास "
" अचानक से ये डिसीजन ले लिया! मुझसे पूछ लेतीं "
" तुम तो मना ही करते। हर बात को मना ही करते हो! शादी भी नहीं कर सकते तो इस रिश्ते को बढ़ाने का क्या औचित्य है!" रीमा चिल्ला पड़ी।
"ऐसा नहीं है शादी करना चाहता हु पर तुम जानती तो हो नौकरी भी खास नहीं है। किराये के कमरे मे रहता हु एक और आदमी के साथ। तुमको कहाँ रखूँगा प्लीज बात को समझो... कुछ वक़्त दो " संजय गिड़गिड़ाया
" पांच साल दिए संजय तुमको.. इस रिश्ते को पर अब बस! "रीमा उठ खड़ी होती है
" प्लीज बैठ जाओ। हम इसे सुलझा सकते हैँ "
रीमा दुखी हो बोली " बस संजय अब और नहीं। मेरी भी ज़िन्दगी है, ख्वाब हैँ कितने ही तुम्हारे साथ देखे हमारा प्यार हमारी शादी हमारे बच्चे! पर ये सपना ही रह जायेगा। पापा मेरे लिए रिश्ता ढूंढ रहे हैँ जो सही लगेगा मै उसको हां कह दूंगी "
संजय परेशान से आहात हो जाता है " यानि अब मै कुछ नहीं मेरा प्यार कुछ नहीं "
"मै नहीं जानती। या तुम मुझसे शादी को हाँ कहो या फिर मै कहीं और शादी कर लुंगी "
संजय चुप हो जाता है इन बातो से वाह सन्न रह जाता है। रीमा उसे चुप देख फिर कहती है " be practical संजय। ये नहीं हो सकेगा अपना साथ यहीं तक था।" और बिना किसी जवाब की प्रतीक्षा किये कॉफ़ी हाउस से बाहर निकल जाती है।
वेटर कॉफ़ी ले आता है। संजय चुप बैठा रह जाता है फिर पैसे रख बाहर की ओर भागता है रीमा मेट्रो की तरफ जा चुकी होती है। स्टेशन पर संजय भागता हुआ आता है " रीमा रुको!। रीमा ट्रैन मे चढ़ते हुए रुक जाती है। " बोलो "
" रीमा मै तुमसे बहुत प्यार करता हु। तुम्हारे बिना अपनी जिंदगी सोच भी नहीं सकता। ठीक है मै मम्मी पापा को मना लूंगा और रायपुर ही आऊंगा तुम्हारा हाथ मांगने। अब बोलो अब करोगी न मुझसे शादी? "
रीमा " हां " कह कर संजय के गले लग जाती है। पास से ट्रैन तेज़ी से भागती निकल जाती है। उनका प्रेम अब ठहर चुका है।