BAAT BAAT MAIN books and stories free download online pdf in Hindi

बात बात में।

दोस्तों बड़ी पुरानी कहानी है जो आपने भी सुनी होगी। एक बार एक ब्यक्ति खाई मे गिर जाता है और खाई में गिरने के बार वो मदद के लिए चिल्लाता है । वहाँ से एक राह गुजर उसकी आवाज सुन कर उन पे तरस खा के उसकी मदद करने के लिए आता है और ये गलती कर देता है की, वो भी खाई मे छलांग लगा देता है। अब वो भी उस खाई मे है और अब दोनों समस्या में फ़से हुए है ।

सबसे पावरफूल मेसेज जो इस कविता का जो में पेश करने जा रहा हूँ, जो शिवमंगलसिंह सुमनजी द्वारा लिखी गई है । वो यही है की खुद अपनी मदद करना सीखो। किसिकी के इंतजार में मत बैठो की कोई और आके मेरी मदद करेगा, मुजे बचाएगा।

और खास करके जो लोग दूसरों की मदद करना चाहते है वो ये चीज याद रखे की ये और अहम है की, आप खुद अपनी मदद करना सीखे । और मुस्किल परिस्थितिओ में, जीवन के हर रंग में की हम अपनी हिम्मत, अपना जोश और जिंदादिली बरकरार रखे । यही मेसेज है इस खूबसूरत कविता का । तो प्रस्तुत है शिवमंगलसिंह सुमनजी के द्वारा लिखित कविता " बात बात में। "

इस जीवन में बैठे ठाले, कुछ ऐसे क्षण भी आते है..

जब हम अपने से ही अपनी बीती कहने लग जाते है ।

 

तन खोया खोया सा लगता है, मन उर्वर सा हो जाता है..

कुछ खोया सा मिल जाता है, कुछ मिला हुआ खो जाता है ।

 

लगता सुख दुख की स्मृतिओ के, कुछ बिखरे तार बुना डालु..

यूँही सुने में उतर के कुछ भाव अभाव सुना डालु ।

 

कवि की अपनी सीमाये है, कहता जितना वह कह पाता है,

कितना भी कह डाले लेकिन अन कहा अधिक रह जाता है ।

 

यूँही चलते फिरते मन में बेचैनी सी क्यूँ उठती है..

बस्ती बस्ती के बीच सदा सपनों की दुनिया लुटती है ।

 

जो भी आया था जीवन मे, यदि चला गया तो रोना क्या,

ढलती दुनिया के दानों में सुविधा के तार में रोना क्या ।

 

जीवन में काम हजारों है, मन रम जाए तो क्या कहना..

दोड़ धूप के बीच एक क्षण थम जाए तो क्या कहना ।

 

कुछ खाली खाली तो होगा, जिसमे नी:स्वार्थ समाया था,

उससे ही सारा जगड़ा है जिसने विश्वास चुराया था।

 

फिर भी सुना पन साथ रहा, तो गति दुगनी करनी होगी,

साँचे के तीव्र वर्तन से मन की पूंजी भरनी होगी।

 

जो भी अभाव भरना होगा, चलते चलते भर जाएगा,

पथ में गुनने बैठूँगा तो जीना दुर्बल हो जाएगा । । । ।

तो दोस्तों आशा है शिवमंगलसिंह सुमन के द्वारा लिखित ये कविता आपको पसंद आई होगी। जो इस कविता का असर मेरे ऊपर हर बार होता है ये यही है की खुद अपनी मदद करना सीखो। काही बार हम नेगेटिविटी में, depression में, negative thoughts में कितनी इन खाईओ में गिर जाते है..! हमें इंतजार नहीं करना चाहिए की कोई और हमे आके बचाएगा। Let us learn to rescue our self. खुद को बचाना, खुद को इस खाई से निकालना हम सीखे, तभी हम अपनी मदद कर सकते है और दूसरों की मदद कर सकते है।

कविता को पूरा पढ़ने के लिए धन्वयवाद। आपको स्टोरी कैसी लगि comment करके अवस्य बताए। दोस्तों में हर महीने एक नई inspirational और motivational स्टोरी के साथ आता हु अगर कोई भी स्टोरी miss नहीं करना चाहते तो मुजे follow कर सकते है। कोई suggestion है तो rating section में लिखके आप मेरा मनोबल बढ़ा सकते है। आपका बहुमूल्य समय देने के लिए बहुत बहुत धन्वयवाद।

में हु Pravin Rathod, मिलूँगा आपसे फिर एक और नई स्टोरी के साथ। तब तक खुश रहिए, मुसकुराते रहिए और Learnings को अपनी life में impliment करते रहिए।