Jaadu Jaisa Tera Pyar - 13 - Last Part books and stories free download online pdf in Hindi

जादू जैसा तेरा प्यार - (भाग 13) अंतिम भाग

शहर के कई ऐसे ब्रोकर्स को हमनें अपने साथ जोड़ा जो प्रॉपर्टी रेंट पर दिलाने का काम करते थे.....ऐसे नए लोगो को कम प्रॉफिट पर साथ जोड़ने के लिए कन्वेंश करने में दिक्कत तो काफी हुई.....पर जब उन्हें फ़्यूचर में अच्छे खासे प्रॉफिट दिलाने का यकीन दिलाया तो वह खुशी खुशी हमारे साथ जुड़ गए।

प्रिया के साथ काम करते हुए हर कठिन काम भी बढ़ी आसानी से हो जा रहा था......सिवाय एक काम को छोड़कर...प्रिया को अपने दिल की बात बताने का काम......मैं भी जान गया था कि वह मुझे प्यार करने लगी है.....और वह भी यह बात जान चुकी थी......फिर भी उसे डायरेक्ट प्रपोज करने की हिम्मत अभी तक नही जुटा पाया था मैं, या यूं कहिए कि मैं एक परफेक्ट टाइम आने का इंतजार कर रहा था।

फिलहाल हमारी दिन रात की मेहनत रंग लाई और 'एम्पायर डॉट कॉम ' के नाम से हमने एक एप्स जल्दी ही लांच किया.....

इसके माध्यम से रेंटेड प्रोपर्टी लेने वालों की सुविधाओं एवं सुरक्षा का हमने पूरा ध्यान रखा......बिना किसी झंझट के कम समय मे ही रूम व फ्लैट उपलब्ध कराने वाला यह ऐप्स बहुत कम समय में स्टूडेंट्स एवं अन्य जरूरत मन्दो के बीच बहुत कम समय में ही जबरदस्त पॉपुलर हो गया.......

एक साल लगातार दिन रात मेहनत करने के साथ हमारा स्टार्टअप एक बिजिनेस मॉडल में तब्दील हो चुका था....हम तीन दोस्तो की टीम अब तीस लोगो के स्टाफ में बदल चुकी थी .…....

अपने स्टार्टअप के सफलता पूर्वक एक साल पूरे होने के उपलक्ष्य में हमने एक प्रोग्राम ऑर्गेनाइज किया था....इस अवसर पर हम अपने एप की सर्विस का शुभारंभ देश के बीस अन्य प्रमुख शहरों में भी करने जा रहे थे.......स्पेशल गेस्ट के रूप में हमने जय महाराष्ट्रा स्टील्स के चैयरमैन मिस्टर खड़गचन्द्र भालेराव चटखनी.....अर्थात प्रिया के डैड को इनवाइट किया था......प्रोग्राम की सारी तैयारी हो चुकी थी.....हम सभी दिन भर की व्यस्तता के कारण थक कर चूर हो चुके थे......मैं प्रिया को उसके घर ड्राप करने बाइक से निकला था......कल के प्रोग्राम का डिस्कस करते हुए हम दोनों आगे बढ़ रहे थे.......तभी अचानक से मैंने 'लेक व्यू' के सामने बाइक रोक दी.......शहर के बीचों बीच यह एक कृत्रिम रूप से बनाया गया झरना है....जो शाम के समय अपनी सुंदरता एवं शीतलता से पास गुजरने वाले यात्रियों का मन मोह लेता था........मैं बाइक से उतरा और प्रिया का हाथ पकड़ कर झरने की ओर दौड़ लगा दी.......कुछ ही देर में हम झरने के नजदीक वाली रेलिंग के पास खड़े थे.......हल्की चांदनी रात में दूधिया सफेद रोशनी में झरने का उछलता नीला पानी बेहद खूबसूरत लग रहा था.....और उस झरने से निकल कर हवा के साथ उड़ती हुई पानी की बूंदे हमसे टकरा कर प्राकृतिक सुंदरता मिश्रित सुकून उत्पन्न कर रही थी।
प्रिया इस नजारे को देख कर काफी खुश थी.....तभी मैंने उसकी खुशी को कई गुना बढ़ा देने की एक छोटी सी कोशिश की।
उसके ठीक सामने घुटनो पर बैठ कर ,उसका हाथ थाम कर अपनी पॉकेट में रख कर लाई गई डिब्बी में रखी हहुयी बेहद सुंदर अंगूठी निकाल कर उसकी ओर बढ़ाई....और उसकी आँखो में आंखे डालकर सवाल किया.....
"प्रिया.......क्या मुझसे शादी करोगी?"

अपने मुंह को हथेली से छिपाते हुए हंस पड़ी थी प्रिया.....यह हंसी प्यार भरी थी.......शायद उसे भी इस पल का इंतजार था.......अंगूठी को स्वीकार करते हुए मुझे उठाकर सीने से लिपट गयी थी मेरी प्रिया.…....😍

इस तरह से बिना आई लव यू बोले, डायरेक्ट शादी के लिए प्रपोज करने के साथ हमारे प्यार की सार्वजनिक रूप से आज शुरुआत हुई थी।

अगले दिन शहर के 'इम्पीरियर पैलेस' होटल में हमारा लॉन्चिंग प्रोग्राम धूम धाम से सम्पन्न हुआ.....स्टेज पर जब प्रिया के डैड ने एक स्विच ऑन करके बीस शहरों में 'एम्पायर डॉट कॉम' की शुरुआत की ,उसके तुरन्त बाद प्रिया ने चुपचाप से उनके कान में जा कर बोला।

"डैड....यही है वह......वैभव....जिसके बारे में आप हर रोज मुझसे पूंछा करते है।"

प्रिया के डैड की पारखी नजरो ने शायद मुझे उसके लायक समझ लिया था....तभी तो उन्होंने भी बिना मान मनौव्वल के मुस्कुरा कर उसी समय अपनी मौन स्वीकृति दे दी थी।

और फिर एक साल बाद एक ग्रांड पार्टी के दौरान हमारी शादी का अनाउंसमेंट भी खुशी खुशी कर ड़ाला..….।

शादी के बारे में कुछ इम्पोर्टेन्ट डिस्कशन करने के लिए मैंने प्रिया व उसके मॉम ,डैड के साथ एक मीटिंग रखी.....जिसमें मैंने अपनी ओर से उनकी बेटी को खुश रखने के बदले एक शर्त रखी.....
और वह शर्त थी कि उसके मॉम और डैड दोनो को एक परफेक्ट कपल्स की तरह पिछला सब कुछ भुलाकर एक साथ खुशी खुशी रहने की.......मामला काफी मुश्किल था.....पर बेटी और दामाद दोनो की मिली जुली डिमांड को आख़िर कैसे रिजेक्ट कर सकते थे वह दोनो.....आपस में बातें हुईं,गिले शिकवे हुए, शिकायते दूर हुई......और फिर उन दोनों के भी दिल के सारे मैल दूर हो गए.......

फिर एक दिन बड़े ही धूम धाम से हमारी शादी हुई.....ढेर सारी खुशियों के बीच......शादी में शामिल होने आए सौम्या और अनिकेत ....शादी के बाद भी यहीं के हो कर रह गए.…....मतलब उन दोनों ने भी एंपायर डॉट कॉम ज्वाइन कर लिया.…... तब से हम पांचों अपने खुद के बनाये स्टार्टअप में अभी तक साथ है........

और हमारे उस छोटे से स्टार्टअप का वर्तमान रूप अब आपके सामने ही है....….

और इसी के साथ वैभव ने दिव्या के सामने अपनी स्टोरी की हैप्पी एंडिंग की।

वैभव और प्रिया की कहानी से दिव्या इस कदर प्रभावित हुई कि तारीफ करने के लिए मानो उसके पास शब्दो का अकाल आ गया हो।

"Wow.....वैभब सर.....Superb.....यकीन ही नही हो रहा ...कि यह एक रियल स्टोरी थी......ऐसे लग रहा था कोई सुपर डुपर हिट लव स्टोरी वाली बॉलीवुड मूवी सामने चल रही हो।😀"

"हा हा..…नही दिव्या…...इनके द्वारा बताया गया एक एक शब्द एकदम सच है......हमारा सच।"
प्रिया ने हंसते हुए वैभब की बताई सारी बातों की पुष्टि की।

"अब तो मैं खुद ही कन्फ्यूज हो गयी प्रिया मैम कि इस स्टोरी पर डॉक्यूमेंट्री बनाई जाये या कोई मूवी"

दिव्या ने बड़ी मासूमियत से कहा तो वैभब और दिव्या जोरो से हंस पडे।

"ओके दिव्या......अब मुझे जाना है....नही तो क्लाइंट भाग जायेगे मेरे....सुबह से वेट कर रहे है"

वैभव ने अपनी मजबूरी दिव्या को बताकर घर से निकलने की तैयारी कर ली थी।
मगर उन दोनों के लव के प्रति खत्म होने का नाम ही नही ले रहा था।

"ओके सर....आप जाइये.....पर जाते जाते प्रिया मैम के बारे में ,इनके प्यार के बारे में कुछ वर्ड्स तो बोलते जाइये......"

वैभब-प्रिया की प्रेम कहानी जानकर शायद दिव्या हड़बड़ी में जर्नलिज्म भूल कर लव एक्सपर्ट बनने की कोशिश करने लगी थी।😂

पर जाते जाते वैभव ने दिव्या की यह इच्छा भी पूरी कर दी.....उसने प्रिया की ओर मुस्कुरा कर देखा और कुछ पंक्तियां पढ़ डाली।

"तू ही रब मेरा, तू ही मेरा संसार
जादू जैसा तेरा प्यार,जादू जैसा तेरा प्यार...."

(समाप्त)

( कहानी कैसी लगी? क्या इस कहानी को और आगे बढ़ाते हुए ,लिखना जारी रखा जाये?
कृपया कमेंट के माध्यम से अपना अमूल्य सुझाव अवश्य दें। )
धन्यवाद😊