Triyachi - 13 books and stories free download online pdf in Hindi

त्रियाची - 13

भाग 13

त्रियाची महल से निकल कर बाहर की ओर आ जाता है। वहीं सुक्रा सोच में गुम हो जाती है। त्रियाची के पास एक सेवक आता है और कहता है राजे सेवक मगोरा आपसे मिलने के इच्छुक है। त्रियाची उसे राज महल में आने का कहकर राजमहल की ओर चल देता है। कुछ ही देर में मगोरा त्रियाची के सामने होता है। 

त्रियाची- आओ मगोरा हमें तुम्हारा बेसब्री से इंतजार था। बताओ क्या सूचना लेकर आए हो पृथ्वी से ? क्या पृथ्वी पर शक्तिपूंज है ? 

मगोरा- राजे धरती पर कदम रखते ही मुझे शक्तिपूंज के पृथ्वी पर होने का अहसास हो गया था। पृथ्वी पर पहुंचने के बाद मैं एक ग्रामीण बनकर एक गांव में पहुंच गया और शक्तिपूंज का पता लगाने लगा। जब मुझे यकीन हो गया कि शक्तिपूंज पृथ्वी पर है तो मैंने वहां के मानवों को अपना गुलाम बनाना शुरू कर दिया और युद्ध कला का अभ्यास भी करा रहा हूं ताकि मानवों से ही मानवों को खत्म कराकर हम शक्तिपूंज को हासिल कर सकते हैं। 

त्रियाची- वाह मगोरा यह कार्य तुमने बहुत सही किया है। मानवों से ही मानवों का युद्ध होगा और हमें शक्तिपूंज हासिल हो जाएगा। 

मगोरा- जी, हां राजे। यह कार्य बहुत अधिक मुश्किल नहीं था। परंतु .... 

त्रियाची- परंतु क्या मगोरा ? तुम्हारे मुख से परंतु शब्द बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा है। 

मगोरा- मैंने शक्तिपूंज का पता तो लगा लिया है परंतु उसे प्राप्त करने के लिए हमें अथक प्रयास करने होंगे। 

त्रियाची- हमें विस्तार से बताओ मगोरा कैसे अथक प्रयास ? 

मगोरा- राजे शक्तिपूंज धरती के गर्भ में छिपा है। उसे प्राप्त करने के लिए ही हमें प्रयास करना होंगे। 

त्रियाची- तुमने अब भी विस्तार से नहीं बताया कि किस तरह के प्रयास करना होंगे ? 

मगोरा- राजे गणना के अनुसार पृथ्वी की कुल लंबाई करीब 12 हजार 713 किलोमीटर है और शक्तिपूंज की तलाश में जो गणना मैंने की है वह पृथ्वी की कुल लंबाई का लगभग आधा है। मतलब शक्तिपूंज पृथ्वी में करीब 7 हजार किलोमीटर नीचे हैं। ऐसे में शक्तिपूज को प्राप्त करना पाना बहुत ही मुश्किल कार्य हैं। 

त्रियाची- हमने इससे भी कई मुश्किल कार्य किए हैं क्या तुम यह भूल चुके हो मगोरा ? 

मगोरा- नहीं भूला हूं राजे इसलिए तो मैंने कहा कि हमें अथक प्रयास करना होंगे। 

त्रियाची- क्या तुम्हें याद है मगोरा अंतरिक्ष में एक बहुत बड़ा पत्थर हमारे ग्रह त्राचा से टकराने वाला था, परंतु हमने उसका मार्ग बदल दिया था। उस पत्थर का वजन करोड़ो टन था। जब हम उस पत्थर की राह बदल सकते हैं तो क्या पृथ्वी से शक्तिपूंज हासिल नहीं कर सकते ? 

मगोरा- राजे आप कुछ भी करने में सक्षम हैं परंतु हमें यह ज्ञात नहीं है कि पृथ्वी के 7 हजार किलोमीटर नीचे क्या होगा। वहां अथाह पानी भी हो सकता है और भयंकर अग्नि भी हो सकती है। 

त्रियाची- ओह तो यह चिंता है तुम्हारी ? 

मगोरा- जी राजे। 

त्रियाची- मानवों ने अब तक पृथ्वी की कितनी गहराई नापी है ? क्या तुमने इस बात का पता लगाया है। 

मगोरा- मेरी जानकारी के अनुसार मानव अब तक सिर्फ पृथ्वी की 12 किलोमीटर तक ही खुदाई कर पाया है, उसके बाद वह नीचे नहीं जा सका है। 

त्रियाची- मतलब शक्तिपूंज को प्राप्त करने के लिए हमें विस्तृत योजना तैयार करना होगी, क्योंकि यदि पृथ्वी के गर्भ से हमें शक्तिपूंज हासिल करना है तो हमें पृथ्वी के अंजान रहस्यों के साथ कई अंजान मुश्किलों का भी सामना करना पड़ सकता है। 

मगोरा- जी, हां राजे। 

त्रियाची- कुछ भी हो मगोरा हमें शक्तिपूंज हासिल करना ही है। 

मगोरा- जी राजे, परंतु क्या ... ? 

त्रियाची- ओह तुम लोगों को क्या हो गया है, पहले रानी सुक्रा ने परंतु कहा और अब तुम कह रहे हो? 

मगोरा- क्षमा राजे मेरे मन में बस एक प्रश्न था। 

त्रियाची- हम जानते हैं तुम्हारे मन में क्या प्रश्न है। वही प्रश्न रानी सुक्रा के मन में भी था। पर क्या तुम इतने वर्षों से उस दर्द को सह नहीं रहे हो। क्या वो दर्द तुम्हें अच्छा लगता है। 

मगोरा- नहीं राजे बिल्कुल नहीं। 

त्रियाची- बस हम उस दर्द को दूर करने का ही प्रयास कर रहे हैं अगर ऐसा वैसा कुछ होता है तो हम शक्तिपूंज को पुनः कहीं और रख आएंगे। 

मगोरा- जो राजे उचित समझे। 

त्रियाची- वैसे तुम इतने दिनों से पृथ्वी पर हो, बताओ मानवों की अब क्या स्थिति है। 

मगोरा- राजे उन्हें वायु मार्ग के लिए आज भी यान का प्रयोग करना पड़ता है। आज भी वे अन्न उगाते हैं और अन्न व जमीन के लिए लड़ते हैं। 

त्रियाची- ओह मतलब मानव धरती पर बहुत अधिक बदलाव नहीं कर सके हैं ? 

मगोरा- जी राजे। उन्हें सुबह व शाम दोनों समय भोजन चाहिए होता है, कुछ मानव तो ऐसे हैं जो एक दिन में चार से पांच बार भोजन करते हैं। मानव कुछ... धर्म के लिए भी लड़ते रहते हैं। 

त्रियाची- धर्म... ये धर्म क्या है ? 

मगोरा- मुझे बहुत अधिक ज्ञात नहीं हो सका है परंतु शायद धर्म या तो कोई अदृश्य वस्तु है या शक्ति है, जिसके वश में रहकर ये एक दूसरे की हत्या करने तक उतारू हो जाते हैं। 

त्रियाची- हमें विस्तार से बताओ मगोरा। 

मगोरा- राजे मुझे ऐसा लगता है कि धर्म या तो कोई वशीकरण है, जिसके वश में होकर मानव कुछ भी कर गुजरता है। एक दूसरे की हत्या के साथ ही कई देशों को भी नेस्तनाबुत कर चुके हैं। धर्म के वशीभूत होने वाला मानव अलग-अलग तरह के स्वांग रचता है और बहुत कुछ ऐसा कर जाता है राजे जो शायद हमने कभी सोचा भी नहीं होगा। 

त्रियाची- मतलब मानव ने अब तक जीवन जीने की कला सिखी ही नहीं है। 

मगोरा- हां राजे। जो भोजन, जमीन, धर्म, औरत और अपने अहम या अहंकार के लिए लड़ जाता है और अपनी ही एक सोच विकसित करने के बाद उससे डरता रहता है। 

त्रियाची- मगोरा इस हिसाब से तो मानवों की बहुत ही दयनीय स्थिति है। 

मगोरा- जी हां राजे। 

त्रियाची- और क्या पता चला है तुम्हें मानवों के बारे में ? 

मगोरा- जैसा मैंने आपको मानवों के बारे में बताया है सभी मानव उस तरह के नहीं है राजे। वहां कुछ मानव ऐसे भी है जो दूसरों के लिए लड़ते हैं, दूसरों के दुखों में उनकी सहायता करते हैं। एक बात और है राजे कि वहां एक मात्र राजा नहीं है, जैसे की आप है। वहां हर क्षेत्र में एक से अधिक राजा होता है, जिसकी आज्ञा का पालन करना होता है। प्रत्येक कुछ वर्षों में वहां राजा बदल जाते हैं। 

त्रियाची- ये तो तुम कुछ बहुत ही विचित्र बता रहे हो मगोरा। 

मगोरा- राजे अब तक मुझे पृथ्वी से जो भी जानकारी प्राप्त हुई है बस वहीं बता रहा हूं। 

त्रियाची- ये सब छोड़ों और अब ये बताओं कि शक्तिपूंज को हासिल करने के लिए तुमने कोई योजना बनाई है ? 

मगोरा- अब तक तो नहीं राजे, मुझे जैसे ही शक्तिपूंज के बारे में जानकारी प्राप्त हुई तो मैं आपको सूचित करने के लिए यहां चला आया था। 

त्रियाची- ठीक है अब तुम फिर से पृथ्वी पर जाओ और जो भी जानकारी प्राप्त कर सकते हो वो प्राप्त करो। 

मगोरा- जी राजे। 

त्रियाची- एक विशेश बात पता कर हमें सूचित करना है तुम्हें और वह यह है कि मानवों के पास हथियार कैसे हैं, क्या वे हमारा मुकाबला कर सकते हैं ? 

मगोरा- अब तक जो देखा है उसके अनुसार तो मानव हथियारों के मुकाबले में बहुत पीछे हैं। हां पर एक जानकारी प्राप्त हुई है कि उनके पास कुछ हथियार ऐसे भी हैं, जिससे वे खुद को ही खत्म कर सकते हैं। 

त्रियाची- खुद को खत्म कर सकते हैं मतलब ? 

मगोरा- मतलब राजे कि मानव कुछ परमाणू... हां परमाणू हथियार जैसे शब्दों का अक्सर प्रयोग करते हैं वे बताते हैं कि इस हथियार से पूरी मानव जाति पर संकट आ सकता है। 

त्रियाची- तो ऐसे हथियार का निर्माण ही क्यों किया है उन्होंने ? 

मगोरा- ये अलग अलग क्षेत्र के राजाओं के पास अलग अलग हथियार है। उनकी क्षेत्र को लेकर होने वाले युद्ध में वे इन हथियारों का प्रयोग कर सकते हैं। 

त्रियाची- ओह ये मानव अब भी कितनी छोटी-छोटी बातों पर युद्ध करता है। मुझे तो लगता है कि मानव कभी विकसित हो ही नहीं सकते हैं। अगर ये लोग भोजन, जमीन, औरत, अहंकार, क्षेत्र इन बातों के लिए ही युद्ध करते रहे तो ये एक दिन आपस में लड़कर ही समाप्त हो जाएंगे और फिर हम जैसा कोई बचे हुए मानवों पर राज करेगा। 

मगोरा- बिल्कुल सही कह रहे हैं राजे आप। 

त्रियाची- ठीक है मगोरा अब तुम जाओ और हमें और जानकारी जुटाकर सूचित करो। 

मगोरा- जी राजे। 

मगोरा के जाने के बाद त्रियाची उठकर खड़ा होता है और पृथ्वी की दिशा की ओर मुख कर खड़ा हो जाता है। फिर गंभीर मुद्रा में पृथ्वी की दिशा की ओर देखते हुए कहता है कि मानवों संभल जाओ क्योंकि अब त्रियाची धरती पर आने वाला है। वर्षों से एक दर्द है उसे दूर करने के लिए मुझे पृथ्वी पर आना पड़ रहा है पर त्रियाची का धरती पर आना तुम मानवों के लिए विनाश की सूचना है। पृथ्वी की दिशा की ओर देखते हुए त्रियाची कुछ खो सा जाता है और उसके दिमाग में कुछ पुरानी यादें ताजा हो जाती है।