BALLU THE GANGSTER - 7 books and stories free download online pdf in Hindi

BALLU THE GANGSTER - 7

[ 20 October 2018, Bhiwani, Rajesh's Residence ]

[ राजेश - मां क्या हुआ तुम्हे ? तुम ठीक तो हो ना ? कितनी बार कहा है कि दवाई समय से लिया करो। पर तुम सुनती कहा हो, बस सारे दिन काम - काम । ]
[ राजेश की मां - अरे बेटा, मुझे काम नहीं चिंता सताती रहती है। जब से वो डायन बल्लू,वहां गई है, मुझे तुम्हारी, दिव्या और बबीता बहु की चिंता सताती रहती है। मुझे उस डायन बल्लू पर जरा भी भरोसा नहीं, घटिया वो। ]
[ राजेश - माता श्री, बल्लू को कोसना आप कब छोड़ोगी? वह बेचारी सीधी सी प्यारी मासूम लड़की कहां किसी को नुकसान पहुंचाएगी। उल्टा वो तो बेहद शुभ है जबसे फिरोजपुर गई है, मेरी तरक्की की रफ्तार बड़ गई है। और मां, तुम्हें एक खुशखबरी सुनाऊं। दरअसल आपका नया मेहमान आने वाला है। ]
[ राजेश की मां - क्या सच्ची ? ये तो बड़ी सुंदर बात कही तुने बेटा? वैसे बबीता बेटी की तबीयत कैसी है? वो और बच्चा स्वस्थ तो है न ? बताओ अब। ]
[ राजेश - हां मां, बबीता पूर्णत : स्वस्थ है, आप अपना ज ध्यान रखा करो मां PLZ ]
[ राजेश की मां - अरे बेटा , मै तो अपने पोते की खबर से पूर्णतः स्वस्थ हो जाऊंगी, बस उस बल्लू को कहीं ठिकाने लगा दे। तभी मुझे आराम मिलेगा। ]
[ राजेश - मां, क्या हो गया है तुम्हें? , मां मुझे लगता था कि बल्लू तुम्हें कम पसंद है, लेकिन तुम उससे इतनी नफरत करती हो, इसका अंदाजा मुझे न था। मां तुम्हें बल्लू से नफरत हो मुझे मेरी दोनों बेटी बहुत प्यारी है अगर मां तुम्हारा बल्लू के प्रति स्वभाव न बदला तो मैं बल्लू को कभी यहां लेके नहीं आऊंगा। तुमसे विनती है कि बल्लू के प्रति जल्द अपना रवैया बदले। ]
[ बल्लू - दादी,दादी,चलो ना पाक चलते हैं। दिव्या सो रही है, हम दोनों चलते हैं। ]
[ राजेश की मां - हट बेहया कहीं की, तेरे साथ जाने के बजाए में नर्क चली जाऊं। ]
[ बल्लू (रोते हुए) - क्या हुआ दादी? मुझे माफ कर दो दादी सॉरी दादी प्लीज । ]
[ राजेश की मां - अरे चुप हो जा, रो मत। क्यों रो कर मेरे बेटे का कलेजा फुंकना चाहती है, चुपचाप से अपने कमरे में पड़ी रह, बाहर आना मत। ]
[ मनीष - सुनीता तुम्हें याद है कि कैसे हम पहले गाड़ियों में Romance किया करते थे, फिर तुम्हारी दोस्त कोमल हमेशा हमें Distrub करती रहती थी। ]
[ सुनीता - हां मनीष, पहले तुम मेरे बालों को सहलाते थे और फिर तुम मुझे.........]
[ मनीष - फिर तुम क्या। बोल न सुनीता, फिर तुम मुझे सहलाते थे,यही ना। ]
[ सुनीता - हां, वो भी क्या दिन थे जब राजेश से शादी का प्रसन्न हुआ था तो हमने एक आखिरी मुलाकात में सेक्स किया था। याद है वह जगह,दिन? ]
[ मनीष- हां, याद है लेकिन यादें दोहराई ना जाए तो धुंधला जाती है। ]
[ सुनीता- अच्छा जी, वो तुम्हें पुरानी यादों को दोहराना है, तो दोहरा लो ना ।]
[ मनीष - सच्ची, सच में यार तुम्हारी वह मस्तानी मुझे रोज तरसाती रहती थी। ]
[ मनीष - ( सुनीता के नग्न शरीर को सहलाते हुए ) - सुनीता कभी इस जिस्म पर केवल मेरे हाथों के निशान हुआ करते थे, लेकिन आज इस पर किसी और के हाथों की निशानी बयां हो रही है, और उसके एक या दो सबूत भी हैं। ]
[ सुनीता- ( मनीष को दूर करते हुए ) - या दो मतलब क्या है तुम्हारा मनीष तुम्हें ये लगता है कि बल्लू सच में राजेश की बेटी नहीं है। मनीष तुम मेरे चरित्र पर शक करोगे, मैंने कभी नहीं सोचा था। तुम भी? ]
[ मनीष -नहीं सुनीता, मैं तुम्हारे चरित्र पर सवाल नहीं उठा रहा सच्ची। ]
[ सुनीता -( रोते हुए ) - मनीष तुम भी ऐसे ही निकले। अगर तुम्हें मुझपर भरोसा नहीं, तो मैं यहां से चली जाती हूं। ]
[ मनीष - यहां तुम मेरी दोस्त की हैसियत से अपनी मर्जी से आई थी, लेकिन जाओगी मेरी मर्जी से। ]