Wo Nigahen - 14 books and stories free download online pdf in Hindi

वो निगाहे.....!! - 14









!!!नाराजगी भरी निगाहे उनकी
उन्हे और दिलकश बना गया!!!















अगले दिन....

धानी को होश गया था वो खमोशी से लेटे हुये छ्त को घूरॆ जा रही थी! उसका जो चेहरा हर वक़्त दमकता था इस वक़्त मुरझाया सा था!
किसी कि आहट से धानी ने नजरे सामने कि वहा उसकी मम्मी भरी आँखो से होठो पर मुस्कान लिये हुये उसे हि देख रही थी!
धानी के होठो पर भी मुस्कुराहट आ गई!
धानी कि मम्मी धानी के माथे पर अपना प्रेम अंकित कर दिया l

कैसा है मेरे बच्चा?
धानी भी होठो पर मुस्कान लिये
"ठीक हूँ मम्मी "
मम्मी पापा कहा है आय नहीं है क्या वो दरवाजे कि ओर देख रही थी l

हा बेटा वो अभी आ रहे है?

तुम्हे बच्चा दर्द तो नहीं हो रहा है ना उसके चेहरे को हाथो में लिये बोली l

दर्द तो हो रहा था चेहरे पर कोई भाव ना लाने दि..
नहीं मम्मी दर्द नहीं हो रहा है! आप परेशान मत हो!

दूर खड़ी श्री माँ बेटी को देख रही थी उसकी भी आंखें भरी हुई थी धानी को इस हाल में देख उसका कलेजा फ़टा जा रहा था l उसने कभी धानी को इतना शान्त ना देखा था हमेशा हस्ती मुस्कुराती हुई देखती आई चाहे कितनी परेशानी में क्यों ना हो!

तू वहा खड़ी क्या कर रही है मिलना नहीं है क्या? आइब्रो को उचकाते हुये धानी बोली!

उसका इतना बोलते हि श्री कि आंखें डबडबा गई तेजी से अपना सिर हिलाने लगी l श्री वही खड़ी रही!

तो आ जाना!

जाते ही धानी के गले लग गई उसके गले लगते ही धानी दर्द से कराह उठी
अरे मेरी माँ आराम से दर्द हो रहा है पागल लडकी! धानी दर्द से करहाते हुये बोली!

सॉरी सॉरी लगी तो नहीं श्री झट से उठ गई उसका सिर सहलाने लगी l

बाहर खिड़की से मायूर भरी आँखो से अंदर देख रहा था उसकी हिम्मत नहीं पड रही थी धानी को इस हालत में देख ले!

नहीं लगी रे श्रीया कहकर मुस्कुरा पडी! धानी शरारत से बोली!

उसको मुस्कुराते देख श्री धानी कि मम्मी बाहर खडा मायूर भी मुस्कुरा दिये!

अन्दर आता हुआ तेज भी !
क्या बाते हो रही है भई वो भी हमारे बगैर ही ये तो गलत बात है! झूठमूठ नाराजगी से बोला!

उसके आते हि श्री कि मुस्कान और भी बढ गई
उसको कखनियो से देखने लगी!

अरे जीजू तुसी भी आ गये हमारे बहाने श्री से तो नहीं मिलने आये है आप आंखों को गोल गोल घुमाते हुये बोली! धानी के चेहरे पर इस वक़्त शरारत हि शरारत भरी थी !

इतना बोलते हि श्री जो तेज को चुप चुप कर निहारने रही थी वो धानी को आंखें दिखाने लगी l मानो कह रही हो चुप कर पागल औरत!

धानी श्री कि ओर देख आन्ख मार दि!

और नहीं तो क्या धानी जी आपके बहाने हि सही श्री के दीदार हि हो जायेगे! वो कहावत तो सुनी हि होगी "एक पंथ दो काज"शरारत से वो भी मुस्कुरा पडा!

कहता हुआ धानी के मम्मी के पैर छु लिये!

अरे अरे बेटा ये क्या कर रहे हो आप हमारे यहा दमाद के पैर छुये जाते! अफ़सोस से बोली पैर छूने लगी तेज के !

तेज फ़ौरन हि पीछे हुआ अरे नहीं मम्मी दामाद नहीं सही बेटा तो छू सकता बेटा हि समझकर आशिर्वाद दे दिजिये! मुस्कुरा पडा!

अरे बेटा जी हमारा आशिर्वाद सदा आपके साथ है कहकर सिर पर हाथ धर दि!

दर्दभरा महौल अब खुशनुमा हो चुका था l

हाय मै मरजावा जीजा तुसी तो दिल ले लियो कहकर धानी हस पड़ी l

अच्छा जी साली साहिबा भौओ को उचकाते हुये पूछा तेज l

हा जी जीजा जीईई!

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इसी तरह पांच दिन बीत गये थे!

धानी से सभी लोग धानी के मम्मी पापा श्री तेज श्री के माँ पापा वामा वेद स्कूल के धानी ले सह अध्यापिका प्रिंसिपल मैम सब मिल लिये धानी से l सिर्फ़ मायूर को छोडकर l

श्री और तेज भी एक दूसरे को दूर से हि निहार लेते थे l वेद भी चला गया था l हा इस बार वो ट्रान्सफ़र कि अर्जी दे दी ती यही के लिये!

धानी को हर रोज मायूर कि आस थी हर बार उसकी आस टूट जाती किसी से पूछ भी नहीं सकती थी l उसे अभी डिस्चार्ज नहीं मिला था उसकी सेहत को देखते l कोई ना कोई रुकता था धानी के पास l

झटके से दरवाजा खुला धानी जो आंखों पर हाथ धरे लेटी थी l भीनी सी खुशबू आई धानी अच्छे से पहचानी थी उसकी आँखें चमक के साथ साथ नाराजगी के भाव भी थे l मुहँ फेर कर लेट गई l

वो आवाक से खडा रह गया l उसे अच्छे से पता था यही होने वाला है l





क्रमशः!!!