Wo Nigahen - 20 in Hindi Fiction Stories by Madhu books and stories PDF | वो निगाहे.....!! - 20

The Author
Featured Books
Categories
Share

वो निगाहे.....!! - 20


उनका किसी के गले लगने का कहना
और उसकी निगाहो का सिकुड़ना......!
उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़!!






अरे तुम कहाँ जा रही हो? अभी जीजा जी आये हैं बेचारे सिर्फ़ बहाना हमारा था असल में मिलना तो तुमसे हि था कहकर आई विन्क कर दी और खिलखिला पडी l
धानी कि बात सुन तेज हौले से मुस्कुरा दिया l
श्री ~उसे आंखें दिखाते हुये चुपकर पागल नहीं तो एक थप्पड़ पड़ेगा l तुम बातें करो अपनी जीजा जीईईइसे जी थोडा खीचकर बोली तेज को एक नजर डाल तुरंत हि कमरे से बाहर आ गई l
तेज ~उसके जाते ही तुम दोनों बातें करो हम अभी आते है उन दोनों कि बात सुने बिना हि श्री के पीछे आ गया l श्री एक गिलास पानी मिलेगा?
श्री ~अरे आप तो आ गये आश्चर्य से बोली l तेज के चेहरे कि ओर देख उसकी आँखों कि शरारत देख चुप हो गई l ह...हम अभी लाते है आप बैठो l कहकर रासोईघर जाने लगी कि तेज उसका हाथ पकड़ नहीं मैं तो यूहि कह रहा था आप बताओ क्यों कहाँ था यहाँ आने को?
श्री ~अच्छा रुको तो अभी आते हैं? रसोईघर चली गई मम्मी हमें कुछ काम है तेज जी से हम अभी आते हैं!
धानी कि मम्मी ~जा बेटा उसके सिर प्यार से हाथ फ़ेर दिया
शरारत से मुस्कुरा पड़ी l
श्री ~अरे मम्मी आप यू मुस्कुरा क्यों रही हो ऐसा वैसा कुछ नहीं है शर्मा कर भाग आई l
अपने पीछे धानी कि मम्मी कि मुस्कान और गहरी हो गई l राम जी बच्चों को ऐसे ही खुशहाल रखना! हाथ जोड़ दी सभी के खाना बनाने लगी l

---------
धानी उन दोनों को ऐसे जाते देख हँस रही थी l वो सच में बहुत खुश थी श्री के लिये l कि उसे सच्चा हमसफ़र मिल ही गया जो उसका खुद से भी ज्यादा ध्यान प्यार करता है l
मायूर उसे घूरते हुये एकदम उसके करीब खड़ा हो गया l धानी ~मायूर के इतना करीब आने पर एकदम से अचकचा गई l उसकी धडकने काफ़ी बढ गई l खुद को संयत कर थोड़ा पीछे कि ओर खिसकते हुये मायूर को एक नजर देख ऐसे क्यों घूर रहे हो? उसे समझ नहीं आया था मायूर का ऐसे घूरना और इतना करीब आना l वो नासमझी से उसे देखने लगी l
मायूर उसको ऐसे पीछे खिसकने से और चिढ गया सीधा जाकर उसकी कमर में हाथ डाल खुद से हि सटा लिया और सर्द लहजे में बोला....बड़ा शौक चढा है गले लगने का हैं ना!
मायूर कि इस हरकत पर धानी अवाक सी रह गई इस बार उसका दिल बहुत जोरो से धडका ऐसे लग रहा था कि अभी बाहर निकल कर आ जायेगा l उसकी बात सुनकर वो समझ गई कि मायूर किस वे में बोला है l उसे देखने लगी इस वक़्त मायूर के चेहरे पर जलन और चिढ,खोने के भाव थे माथे कि नसे तनी हुई थी देखने से लग रहा था कि धानी पर अपना आधिपत्य समझता हो l
धानी शरारत से बोली क्यों... क्यों हम किसे गले लग नहीं सकते हैं वो कोई गैर नहीं तुम्हारे जीजा जी हि तो और बाय द वे मेरी प्यारी सखी के वो है वो शब्द पर जोर देते हुये बोली l
धानी कि बात सुनकर मायूर कि आंखें सिकुड़ गई l उसकी बाहे धानी पर और कस गई l






क्रमशः!!