Mujse Shaadi kar lo - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

मुझसे शादी कर लो - 2

ऑटो चलाने में कमाई तो सही हो जाती थी।लेकिन कहलाता तो ऑटो वाला ही था।और उसने ऑटो चलाना छोड़ दिया।
उसने नौकरी करने का फैसला लिया।फैसला तो कर लिया लेकिन नौकरी मिलना आसान नही था।इंजीनियरिंग,बी सीए,एम सीए और बड़ी बड़ी डिग्री लेकर लोग बेरोजगार थे।वह तो सिर्फ बी ए पास ही था।फिर भी उसने अपना भाग्य आजमाने का प्रयास किया।
देहली और नोएडा दोनो ही जगह बड़े बड़े कन्सर्न है।बड़ी बड़ी कम्पनियां है।वह एक जगह से दूसरी जगह नौकरी के लिए चक्कर लगाने लगा।पर वह जहाँ भी जाता एक ही बात सुनने को मिलती,"तुम्हारे लायक हमारे पास कोई पद खाली नही है।
सही है।उसने कोई तकनीकी शिक्षा तो प्राप्त की नही थी।केवल बी ए ही तो पास किया था।उसे नौकरी कौन देता।एक मन मे आया फिर से ऑटो चलाने लगे।
एक दिन वह सड़क पर जा रहा था।तभी एक ऑटो उसके पास आकर रुका।
"राघव"
"अरे चन्द्र।"
चन्द्र उसके साथ ही ऑटो चलाता था।राघव ने चन्द्र के पूछने पर सब बात उसे बता दी।राघव की बात सुनकड चन्द्र बोला,"देख यार मेरी बहुत बड़ी जान पहचान नही है।लेकिन तू चाहे तो मैं तेरी गार्ड में नौकरी लगवा सकता हूँ।"
और राघव गार्ड की नौकरी करने के लिए तैयार हो गया।गार्ड की नौकरी लगवाने वाली एजेंसी के मालिक से चन्द्र की जानकारी थी।चन्द्र ने उसकी नौकरी लगवा दी।
उसे ग्रीन सोसायटी में नौकरी के लिए भेज दिया गया।
बहुत बड़ी सोसायटी।गेट बंद।छः ब्लॉक।हर ब्लॉक में 96 फ्लैट।उस सोसायटी में चार गार्ड थे।एक छोड़कर चला गया था।उसकी जगह राघव को रखा गया था।आठ घण्टे की ड्यूटी रहती थी।ड्यूटी बदलती रहती थी।उस सोसायटी में बहुत से लोगों ने फ्लेट खरीद रखे थे और बहुत से लोग किराए पर रह रहे थे।
राघव को एक सप्ताह तो लोगो को पहचाने में लग गया।बहुत से पति पत्नी थे।बहुत से लिव इन रिलेशन में रह रहे थे।बहुत से अकेले रह रहे थे।उनमें से एक थी माया।
माया का कद मंझला था।शरीर छरहरा और नैनं नक्श तीखे और हिरनी सी आंखे।लेकिन रंग सावला था।और पहली बार उस पर नजर पड़ते ही उसकी मोहिनी मूरत राघव के दिल मे बस गयी थी।
माया किसी बड़ी कम्पनी में काम करती थी।अच्छी पोस्ट पर थी।कार थी उसके पास।कुंवारी थी और अकेली रहती थी।उस सोसायटी में अकेली रहने वाली माया ही नही थी।और भी बहुत सी औरते अकेली रह रही थी।लेकिन उनका किसी ने किसी से चक्कर चल रहा था।लेकिन राघव ने कभी भी माया के साथ किसी मर्द को आते हुए नही देखा था।और न ही सोसायटी के किसी मर्द से उसे ज्यादा बातचीत करते हुए देखा था।
सोसायटी के अन्य लोग आते जाते कभी उससे बात कर लेते थे।लेकिन माया बात करना तो दूर उसकी तरफ देखती तक नही थी।
कमल और सुशीला पति पत्नी थे।कमल सर्विस करते थे।लेकिन सुशीला गृहणी थी।बार त्यौहार पर वह गार्डों के लिए भी खाने को भेजती रहती थी।सोसायटी में हर महीने सदस्यों की मीटिंग होती।उसमें खाना पीना भी होता।गार्डों को भी खाने को बुलाया जाता।औरतों की किटी पार्टी चलती रहती थी।तब भी गार्डों को खाने को भेजा जाता।
कुछ लोग ऐसे भी थे,जो गार्डों को बार त्यौहार पर पैसे देते थे।बक्शीस देते थे।उनसे बोलते भी रहते थे