My Soul Lady - 34 books and stories free download online pdf in Hindi

My Soul Lady - 34

वहीं दूसरी तरफ सना गुस्से में ओबरॉय मेंशन पहुंच चुकी थी सना मेंशन के अंदर जाते ही जोर से चिल्लाती है अखिल ओबरॉय कहां हो तुम तुरंत मेरे सामने आओ अभी और इसी वक्त सना की आवाज सुनकर रिया दौड़कर किचन से बाहर आती है , और कंफ्यूज होते हुए सेना से पूछती है कौन है तू और इस तरह मेरे भाई के नाम से क्यों चीख रही हो , , ,




तब सना गुस्से में रिया से कहती है , , , यह बात तो तुम अपने भाई से पूछ लो कि मैं उसे क्यों आवाज दे रही हूं और उसने क्या किया है , , , , ,




सना जब ओबरॉय मिशन में आई थी तब वह अकेली थी क्योंकि वेदांश उसके साथ अंदर नहीं जाना चाहता था वह डर रहा था इसलिए सना वेदांत को गाड़ी में ही छोड़कर मेंशन के अंदर अकेली आई थी ।




सना को इतनी गुस्से में देख कर रिया तुरंत आयुष को आवाज देती है जो इस वक्त अखिल के साथ स्टडी रूम में कुछ काम कर रहा था तभी थोड़ी देर में अखिल और आयुष दोनों ही लिविंग रूम में आ जाते हैं Akhil को आता देख चना गुस्से में उसके पास जाती है और उसका कलर पकड़ते हुए उससे कहती है तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे घर से फाइल उठाने की और कहां है वह फाइल दो मुझे , , , ,





सेना के मुंह से यह सुनकर रिया खुद से कहती है आज यह लड़की कहीं यह बस एक फाइल के लिए मेरे भाई का कॉलर पकड़ ली आज पता नहीं भाई का गुस्सा कौन कंट्रोल करेगा तभी रिया आयुष को इशारा करते हुए उससे कहती है , , , अब तू ही कुछ कर सकता है अब इस लड़की की जान तेरे हाथ में है बचाले इसे वरना यह बेमतलब मारी जाएगी । ।




तभी आयुष सना के पास जाता है और उससे कहता है मिस सना प्लीज आप इतनी छोटी सी बात के लिए क्यों झगड़ रही है आखिल आपका फाइल आपको लौटा देगा , , ,




तभी अखिल गुस्से में सना का हाथ पकड़ता है और उससे कहता है तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यह हरकत करने की अब तुम्हें जो करना है करो मैं वह फाइल तुम्हें नहीं दूंगा , ,




तभी सना अखिल का कॉलर छोड़ देती है और उससे कहती है तुम नहीं दोगी तो क्या मैं ढूंढ नहीं सकती मैं खुद ढूंढ लूंगी इतना बोल कर सना आयुष से कहती है कहां है तुम्हारे दोस्त करो आयुष सेना को इतने गुस्से में देख कर अपने हाथ से ऊपर की तरफ इशारा कर देता है ,





तो सुना आयुष के कमरे की तरफ बढ़ जाती है तभी आयुष अखिल से कहता है , , यार तु मुझसे गुस्सा तो नहीं है ना कि मैंने तेरा कमरा उसे बता दिया तभी अखिल एक स्माइल के साथ आर्यन से कहता है , , मैं तो खुश हूं अब उसे पता चलेगा कि बिना पूछे किसी के कमरे में जाने का अंजाम क्या होता है और तू यह तो समझ ही गया होगा कि मैं यह क्यों कह रहा हूं भाई तूने खुद एक्सपीरियंस किया है इसका अखिल शरारत के साथ आयुष्य से कहा , , ,





तभी आयुष ने हंसते हुए अखिल से कहा नहीं भाई अब लगता है कि तेरी खुशी ज्यादा देर तक नहीं रहने वाली तभी अखिल कंफ्यूज होते हुए आयुष से पूछता है और वह क्यों तभी आयुष सीढ़ियां के तरफ इशारा करता है , जहां सना अपने हाथ में फाइल लिए नीचे आ रही थी और उसके फेस में जंग जीत जाने वाली खुशी साफ साफ झलक रही थी लेकिन सेना को उस तरह देखकर अखिल को और भी गुस्सा आ रहा था तभी वह सेना के करीब जाता है अरे झट से उसके हाथों से वह फाइल छीन लेता है और उसे कहते हैं तुम मेरे कमरे से यह फाइल इतनी आसानी से कैसे लेकर आ गई , , ,





सभी सना हंसते हुए उसे कहती है जैसे लाया जाता है तुम्हारे कमरे में जाकर तभी अखिलेश गुस्से से उससे कहता है यही तो मैं पूछ रहा हूं कि तुम मेरे कमरे में गई कैसे तभी सना उससे कहती है , , कहीं तुम्हें सदमा तो मैं तो नहीं लगा है जैसी बेवकूफ वाली बातें कर रहे हो , ,, और फिर सना आयुष से कहती है लगता है तुम्हारा दोस्त पागल हो गया इलाज इलाज कराओ इसका इतना बोल कर सुना अचानक से अखिल के हाथ से वह फाइल ले लेती है और उसे खुद से दूर करके वहां से जाने लगती है । ।





तभी पीछे से एक प्यारी सी आवाज आती है Angel Di आप यहां , वह आवाज किसी और की नहीं अंश की थी जो सेना को वहां देख कर काफी खुश था तभी वह दौड़ कर सना के पास जाता है और उसे पीछे से हग कर लेता है , , और बड़ी मासूमियत से कहता है क्या आप यहां पैसे मेरे लिए कुछ लेकर आई है तभी सना उसके सामने बैठ जाती है और उससे प्यार से कहती है , , , सॉरी अंश इस बार तो मैं तुम्हारे लिए कुछ नहीं ला पाई लेकिन कोई बात नहीं जब मैं अगली बार आऊंगी ना तो मैं पक्का तुम्हारे लिए तुम्हारी फेवरेट पेस्टरी लेकर आऊंगी । ।







तभी अंश सना से कहता है वह तो ठीक है लेकिन आप यहां क्या कर रही हैं तभी से ना कुछ सोचते हुए उससे कहती है कुछ नहीं अंश तुमने कहा था ना कि तुम मुझे अपनी मामू से मिल आओगे लेकिन तुमने तो मुझे नहीं मिलाया इसलिए मैं खुद आ गई तुम्हारे मामू से मिलने तभी अंश खुश होते हुए सना से कहता है , तो एंजेल दी आपको मेरे मामू कैसे लगे तभी से ना कुछ सोचते हुए अखिल को घूरती है जो उस वक्त से गुस्से से खड़ा उसे ही देखे जा रहा था और अंशु से कहती है , , , वह तो आप अपने मामू से पूछ लीजिए मैंने उन्हें जवाब बता दिया है ठीक है अंश अब मैं चलती हूं इतना बोल कर सना वहां से चली जाती है । ।







तभी अंश दौड़कर अखिल के पास जाता है और उससे कहता है , मामू एंजेल दी ने क्या कहा आपको तभी का खेल अपने गुस्से पर कंट्रोल कर दें अंशु अपनी गोद में उठा लेता है और उससे कहता है , अंश बेटा तुम अपने अपने मामू से प्यार करते हो ना तभी अंश मासूमियत से जवाब देता है हां मामू मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं तभी अखिल उससे थोड़ा उदास होते हुए कैसा है अगर आप मुझसे प्यार करते हैं ना तो आप दि से दूर रहेंगे , , , तभी अंश मासूमियत से कहता है लेकिन मामू ऐसा क्यों ?