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रिश्ता चिट्ठी का

दिनांक:26/12/2022

प्रोफेसर!

मालूम है तारीख़ गलत लिखी है, लेकिन 26 तारीख़ अब शायद ही मैं कभी भूल सकूंगी। जो हुआ उस वजह से नहीं, जो हुआ उस वजह से आपका मेरी ज़िन्दगी में शामिल होना!

कहाँ सब कुछ ख़त्म करने चली थी मैं! बिना कुछ सोचे समझे, बस तय कर के बैठ गयी थी कि अब जीने लायक कुछ नहीं बचा मेरे लिए इस दुनिया में!

वजह आपसे छुपी नहीं,इसलिए यहाँ कहकर ;उस वजह को इतनी तवज्जो नहीं देना चाहती। कौन किसी अजनबी की इतनी परवाह करता है, जितनी आपने की। चली जाती इस दुनिया से किसी को क्या ही फ़र्क़ पड़ने वाला था लेकिन आपने इंसानियत से बढ़कर उस रात मेरा हाँथ थाम लिया, और एक नयी ज़िन्दगी दे दी मुझे!

ये मत समझियेगा कि ये चिट्ठी ,मैंने शुक्रिया कहने के लिए लिखी है। ता उम्र भी अगर आपको शुक्रिया कहूँगी तो वो भी कम ही होगा।

दुनिया में दो लोगों के बीच कोई ना कोई रिश्ता बन ही जाता है। मैं भी हमारे बीच पनपे इस रिश्ते को नाम देना चाहती हूं। ना ना, ये प्यार नहीं, ना ही दोस्ती है। इन बड़े बड़े नामों के बोझ तले ये कोमल सा रिश्ता कुम्हला जायेगा। निश्छल सा ये रिश्ता मैला हो जायेगा। इसे इतना ही कोमल और शाश्वत रखना चाहती हूं सदैव के लिए अपने स्मृति पटल पर मैं।

इसलिए ये चिट्ठी लिख रही, आज से आपके संग मेरा मेरे शब्दों का रिश्ता जोड़ रही मैं। उम्मीद करती हूं ये रिश्ता आप को भी मंज़ूर होगा। अपने जीवन में घटने वाली हर छोटी बड़ी बात आपके संग यूँही सांझा करती रहूंगी। आशा रखती हूं , मेरे संग यूँही आप साथ चलते रहेंगे।

उस एक रात में मैंने जैसे क्या कुछ नहीं महसूस किया, जीवन त्यागने का विचार आना मतलब, सारे बंधनों से मुक्त होना मुझे बेहतर जान पड़ रहा था जीने के बजाय , लेकिन अपने शब्दों के मोह पाश में बाँध कर आपने फिर से मुझमें वो स्नेह भर दिया जिसकी लौ बुझ चुकी थी मेरे अंदर। समझ नही आता आखिर इस अनजान दुनिया में आपको मैं और मुझे आप तभी क्यों मिले ? कितनी ही बातें हो जाने के बाद जैसे मन में ये खयाल आया कि हमारे इस अनमोल से रिश्ते को संजो कर रखना चाहिए मुझे! क्यों? नहीं मालूम, बस दिल किया तो लिख रही।

शायद वो दिन कभी आएगा जब आपसे रूबरू होने का मौका मिलेगा। एक बार ज़रूर उस चेहरे को देखना चाहती हूं मैं, जिसकी अपनी अलग छवि मैंने मन में बना ली है आपको सुन कर। इतनी बातें मैंने आज तक कभी किसी से नहीं की थीं जितनी आपसे करने लगी वो भी बिना आपको जाने, बिना पहचाने! कितना अजीब है ना! अजीब होने के साथ साथ कितना मन को सुकून भी मिल जाता है । आपने तो कभी पूछा नहीं कि आपको प्रोफेसर नाम क्यों दिया मैंने! लेकिन आपसे सवाल है मेरा, Dr T? Ye kya Soch Kar नामकरण किया है आपने मेरा?


आपकी
Dr T.
29/12/2022.
( कोशिश करुँगी आपको हफ्ते में एक बार तो परेशान करूँ ही अपने खतों के माध्यम से!! )