Dil aur Dehleez - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

दिल और दहलीज़ - 1

आज मंगलवार का दिन था मे ऑफिस के काम मे busy थी इतने मेरी पुराने office की फ्रेंड रजनी का कॉल आया ,
मे चौक गयी ,
hello साँची क्या चल रहा है और क्या हाल चाल कैसी हो ?
बस ठीक हु, तुम ? आज कैसे कॉल किया ?
अरे अपने ऑफिस का सेमिनार है लखनऊ मे ,
हम सब लोग लखनऊ आ रहे है ,
तेरी ऑफिस मे है पता है ना तुझे ,
हा .......
ठीक है बोलकर कॉल कट किया ,
मे न जाने कहा खो गयी थी गस पे चाई रखी सब जल गयी यमुना मेरी नौकरानी उसने आकर गैस बंद किया ,
क्या हो गया था मुझे ,
कहा खो गयी थी मे ....
पता नही ये अतीत मेरा पीछा कब छोड़ेगा ?
हम हर वक़्त ज़िंदगी को साथ लेकर नही चल सकते ,
कुछ तस्वीरें पीछे छुट जाति है लेकिन हर तरीके से याद आती है ,
1 साल पेहले की बात है ,
मुंबई के IT centre मे काम करती थी उस वक़्त engeenirng खत्म होने के बाद मेने company join की थी ,
2 साल से उसी company मे जॉब करती रही ,
.....................
दिक्क़त इस बात पे थी कई बार अच्छे offers भी ठुकरा चुकी थी ,
क्युकी वहा सिर्फ जॉब नही दिल भी था मेरा ,
सुरज ❤️
अपने नाम की तरह था तेजस्वी , और मे साँची साँझ की तरह शांत , हमारे नाम एकदूसरे से काफी अलग थे लेकिन character एक जैसे थे , मिलजुलना बातों का सिलसिला रोज होता था ,
लेकिन ये काफी न था हमारी जिंदगी मे एक और शख्स शमील था , अंजली सुरज की wife, हा सुरज शादीशुदा थे फिर भी मुझे उनसे प्यार था बेहद उसे भी तो उतनाही था ,
एक दिन ऑफिस की annual party मे अंजली से मुलाक़ात हुयी थी , बहोत गुरुर और सख्त मिजाज से पेश आती थी औरों के साथ , बात करने का तरीका कुछ ऐसा था की मनो एहसान करती हो ,
hii i m anjali, मैने कहा hii तुम साँची हो ना हा सुरज हमेशा आपकी बातें करते है अभी आ जाओ घर पे ,
हा जरूर क्यू नही ,
बस तब से हम friends बन चुके थे ,
मुझसे कभी attitude से बात नही की उसने , हमेशा एक अच्छे दोस्त की तरह बात करती थी ,
एक दिन हम सब office के friends एक साथ pic nic पे गये थे तो अंजली भी सुरज के साथ चलीं आयी ,
रात मे एक हॉटल मे रुके थे गर्ल्स के सेक्शन मे अंजली मेरे पास वाले बेड पे सोयी थी ,
हम दर रात बातें कर रहे थे , उन बातों मे सौ बार सुरज का जिक्र होता था , उसे क्या पसंद है वो किस बात पे गुस्सा ज्यादा आता है, ये सब बातें मुझे पता थी लेकिन बोल नहीं सकती ,
पहली बार अजीब महसूस हो रहा था ,
1 साल से मे सूरज को जानती थी मुझे कभी इस बात का एहसास नही हुआ था की सूरज married है , लेकिन आज हो रहा था , पता नही क्यू प्यार हिता है तो सिर्फ हो जाता है किसी का वजूद नहीं रहता और नहीं कोई अतीत याद रहता है , मेरे साथ कुछ ऐसा ही था ,
सिर्फ प्यार हुआ मुझे नतीजा नजर नहीं आया ,
मुझे रात भर नींद नहीं आ रही थी मेने देखा तो अंजली भी जाग रही थी ,
मैने पुछा उससे क्या हुआ सोयी नहीं अभी तक ?
अरे मुझे नींद नहीं आ रही मुझे ,
क्यू क्या हुआ ?
जबतक सुरज की उँगलिया मेरी बालों मे ना हो मुझे नींद नहीं आती ,
दिल बैठ गया कुछ बोल ना सकी ,
एकदम चुप चाप , सोचो कितना दर्द होता है सिर्फ इस बात से की किसी को आप इतना चाहते हो और उसकी ज़िंदगी मे कोई और भी होता है , वो भी इतने पास दिल इस बत accept नहीं कर पाया ,
मुझे इस बात से कभी एतराज नही था लेकिन अब होने लगा था ,
ये कैसा रिश्ता था?
अगली सुबह वापस जाते समय सुरज और अंजली एकसाथ बैठे थे , और मे कही और ..........,
मे अपने flat पोहोच गयी मेरि तबियत कुछ खास नही थी पुरा बदन बुखार से तप रहा था ,
रात के 2:30 बजे मे अकेली बेड पे लेती रही फोन हाथ मे था लेकिन किसे कॉल करू ये समझ नही आ रहा था ,
"अजीब सा अकेलापन था मेरे साथ हमेशा जो किसी के इंतज़ार मे नही कटता और ना हि किसी के होते हुए भी खत्म होता है"
सुबह जब आँख खुली तोह फोन की घंटी बजी देखा तो वो सुरज था ,
मैने फोन उठाया तो बोल पड़ा
ये क्या हुआ है तुम्हे morning msg नही कुछ और रात को भी नही ,
नही मे सो गई थी ,
आवाज ऐसी क्यू है ,
नही कुछ नही मैने दबी दबीसी आवाज मे कहा
मे आ रही हु ऑफिस ,
ऐसे कहकर फोन कट किया ,
मे रेडी हो रही थी की दरवाजे की घंटी बजी देखा तो वो सुरज हि था ,
सीधा अंदर आके माथे को चूमा बुखार है ना तुझे जूट क्यू बोला आवाज से पता चल जाता है मुझे ,
क्यू ऐसे करती हो तुम और ऑफिस आ रही हो तबियत खराब है फिर भी ,
मे चुप थी उसने doctor को कॉल किया chake up हो गया मेडिसिन दी ,
मे सिर्फ सुरज को देख रही थी कितनी care करता है वो मेरी , doctor के जाने बाद मे बेड पे लेटी सोच रहे थी सूरज आ गया और हल्के से मेरा सिर उसके गोद मे रखा धीरे से मेरे माथे को चूमा , साँची तुम्हे पता है ना मुझे ये सब पसंद नही तुम क्यू मेरी बात नही सुनती हो , अपना कुछ ख्याल नहीं रखती रात मे call भी नही किया.......
आखिर क्यू साँची?
सो जाओ चुप चाप से और जबतक ठीक नहीं हो जाति office नही आओगी तुम समझ गयी ,
उसका ये प्यार देखकर मुझे कुछ सूझता नही.......
मुझे किसी बात की कमी नही थी लेकन ये कुछ समझ नही आ रहा की क्या मंझील थी इस रिश्ते की ,
evening के 4 बजे मेरी नींद खुली तो देखा सुरज मेरे पास था ,
मे चौक गई अरे आप गये नही इतनी देर से गये नही अभीतक ......
सुरज बड़े प्यार से मुझे देख रहे थे मे हाथ को अपने हाथ मे लेकर बोले मेरी जान को इतनी तकलीफ मे छोड़ कर कैसे जाऊ ,
मे शर्मा गयी ,
चलो अब बहोत हो गया खाना खाते है , अब बुखार उतर गया है तेरा ,
डाइनिंग टेबल पे देखा तो दाल खिचड़ी और पालक सुप बनाया था मुझे white color के roses बहुत पसंद थे तो उनका गुलदस्ता था और मेरे पसंद के गुलाब जामुन ये सब कुछ सुरज ने किया था ,
उसने कभी कोई कमी नही होने दी और कुछ restrictions भी नही थे उसके , मुझे अच्छा लगता था उनके साथ रहना ये ,
उनका अंदाज़ बात करने का तरीका औरों से बहोत अलग था .
मुझे कभी अकेला नही होने देता हमेशा मेरे साथ होता है,
अगले दिन मे office चली गयी बस अपने केबिन मे बैठकर कल के एकाउंट्स चेक कर हि रही थी की सामने के केबिन की window खुल गई वो सुरज होंगे ये सोचकर मे अंदर चली गई लेकिन वहा अंजलि थी ,
मुझे देखकर बोली क्या हुआ साँची सुरज नही है मे हु , नही वो मे कुछ काम से .......
मे कुछ कह रही थी की वहा सुरज आ गये,
सुरज आते हि अंजलि ने उनका हाथ पकड़ा चलो ना shopping चलते है , सुरज ने कहा तुम जाओ मुझे मीटिंग जाना है अभी ,
मे साँची को लेकर जाती हु ,
नही नही मुझे बहोत काम है sry mam,
मे फिर से मुरझा गई अपने केबिन आकर अपना काम शुरु किया 5 min के बाद सुरज के केबीन से जोर जोर से चिल्लाने की आवाजे आने लगी ,
मे चौक गई कुछ दर बड़ अंजली केबिन से बहार आ गयी उसने दरवाजा जोर से पटक दिया और अपने hills की जोर आवाज के साथ office के बहार चलीं गयी ,
ये कुछ भीत ज्यादा अजीब था , मैने कभी भी सुरज को उसकी married life के बारे मे पूंछा नहीं था तो ये सब पहली बार देखा तो ये तक नही समझ आ रहा था की क्या करू ?
बस मेने अपने कम पे focus किया ,
15 min बाद सुरज मेरे केबिन मे आये , मुझे देख मुस्कुराये और कहा चलो आज डिनर चलते है ,
मेने हा मे सर हिलाया,
शाम मे जब सब कम खत्म कर मे सूरज के साथ dinner के लिए चली गयी डिनर करने के बाद हम एकदूसरे का हाथ पकड़े चल रहे थे ,
उस रात आसमान सितारों से भरा हुआ था ,
मे चांदनी की रौशनी मे हाथ पकड़े और सूरज कंधे पे सिर रख कर चल रही थी ,
ये खाली गलिया , ठंडी हवा और हमारा प्यार कुछ ऐसा मौसम था उस रात का ,
कुछ देर ऐसे खामोशी मे चलने के बाद मैंने सुरज से पूछा सुरज क्या तु कभी मेरा साथ नही छोड़ोगे ?
नही छोडूंगा साँची,
तो ये सब कबतक ऐसे चलेगा और कहा तक ,
सुरज कुछ बोल ना सका रत के सन्नाटे मे एकदम चुप सा रह गया....,
सोचा कुछ बोल दु उसे पर नही मे बोल नहु पायी ,
शायद इस बात का जवाब उसके पास नही था ,
तो क्या था ?
सिर्फ
बचा हुआ ये शायद हि था अब ....
अगले दिन सुनह 8 बजे बेल की आवाज आयी तो देखा तो अंजलि थी मे चौक गयी आज इतनी सुबह कैसे आना हुआ ?
क्यू मे सुबह नही आ सकती तुम्हारे घर?
नही ऐसे नही आओ
आकर सोफे पर बैठ गयी ,
उसके तेवर बहोत अलग थे आज उसने बत सुरु की ,
मे बहोत अमीर खानदान से हु , चाहू तो किसे भी चुटकी मे गायब कर सकती हु ,
थोड़ा अजीब लगा ये क्या है ?
अपने पैसो का रोब मुझे क्यू दिखा रही है ?
आप कुछ लोगी चाई कॉफ़ी ?
नही नही ,
तुम शादी क्यू नही करती ,
ऐसे अकेले रहना आसान नही होता ,
पत्नी और दूसरी औरत मे बहोत फर्क होता है पत्नी घर मे होती है और दूसरी औरत घर के बाहर तुम्हे क्या बनना है ?
अपनी औकात मे रहना चाहिए हर इंसान को ,
इतना सब बोल कर वो निकल गयी और मे ......,
मुझे बहोत कुछ बुरा बोल गयी मे एकजगह चुप बैठी रही फोन बज रहा था ऑफिस से सुरज के ३० missed call थे मैने तैय कर लिया अब सुरज से कभी नही मिलूंगी और चली जाउंगी हमेशा से उसकी ज़िंदगी से बहोत दूर ,

उसे कुछ बिन बताये मे यहा लखनऊ चलीं आई उसे ये बात जरूर पता थी , लेकिन मे ही हु जो अतीत से भाग रही थी और किस्मत एक बार फिर से मुझे मेरे अतीत से मिलवाने मे लगी थी।



To be continued ❤️


Piya ❤️