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पागल - भाग 2

भाग –२
हेलो, फ्रैंड्स कैसे है आप लोग , उम्मीद करती हूं अच्छे होंगे । मैं आपको मेरी कहानी बता रही थी । मैने उसे कॉलेज में देखा वह बाइक पर था चेहरे पर मास्क और हेलमेट पहने , मेरा दिल किया दौड़कर उसका मास्क हटाकर बात कर लूं लेकिन ,
मैं धीरे से उठी और उसके पीछे जाने लगी । उसने खिड़की पर कुछ पूछताछ की और चला गया। मैं फिर कसमसाती रह गई । "क्या यार सबसे इतनी बातें कर लेती है उससे क्यों नहीं कर पाती?" मेरी अंतरात्मा ने मुझे कोसा।

अब दिल और बेचैन हो उठा। आखिर चक्कर क्या है आज तक किसी के लिए इतना बेचैनी नही हुई । फिर अब ये क्यों?
मन बहुत बेचैन रहा तो मम्मी समझ गई इसे कुछ हुआ है।
उन्होंने कहा , "नहीं बताना तो कोई बात नही मंदिर जाकर आ, दर्शन कर वहां बैठकर अपने मन को हल्का कर , ईश्वर के पास सारी समस्या का निधान है, "

"ईश्वर, हां उन्होंने ही तो ये सब झोल किया अब उन्हीं से कहती हूं या तो मेरी बेचैनी दूर करो या उससे मुलाकात करवाओ।" सोचते हुए मैं घर के कपड़ो में ही मंदिर की और भागी। मम्मी सोच में पड़ गई ये लड़की पागल हो गई है क्या ? 🤔

"मैं पास ही के "ओंकारेश्वरमहादेव मंदिर" गई । नाम ओंकारेश्वर था लेकिन वहां और भी कई भगवान के मंदिर थे मैने सभी से प्रार्थना की। मेरे लिए सभी देवी देवता एक समान थे कोई एक खास नहीं था।

"भगवान , क्यों उसे मेरी जिंदगी में भेजा जब मिलाना नही था । और मिलाना ही था तो कम से कम उससे बात करवा देते , उसका नाम जान पाती मैं। उसे ढूंढ लेती नाम से। कुछ करो ना प्रभु, मुझे उससे मिला दो ना"

ये कहकर जब घर जाने निकली तो उसी के खयालों में थी। और अचानक किसी ने हाथ पकड़ कर खींचा मुझे ।
"पागल हो गई हो? मरना चाहती हो?"
मुझे होश आया तो देखा , एक ट्रक मेरे पीछे से जा रही थी । उसने खींचा ना होता तो वो ट्रक मुझे चपटा कर गई होती । 🥵

"समझ नही आता ? देखकर नही चल सकती? ध्यान नही रहता तो घर में बैठी रहो, निकल क्यों जाती हो सड़कों पर?" वो मुझे डांट रहा था और मैं मुस्कुराते हुए उसे देख रही थी।
और धीरे से बुदबुदाई "पहले पता होता कि मंदिर में आने के बाद भगवान इतनी जल्दी सुनते है तो कब की आ जाती"
"हैं? कुछ कहा तुमने?"
"न,,, नहीं तो"
"तुम वही हो ना जो मेरे घर पार्सल लेने आए थे ?" मैने पूछा ।

इस बार मैं उसे जाने बिना अपनी आंखों से ओझल नहीं होने देने वाली थी।

"हां "
"नाम क्या है तुम्हारा?"
"रावण"
"नहीं बताना तो कोई बात नही " मुझे उसके जवाब से गुस्सा आया ।
"रोहिणी आंटी के क्या लगते हो तुम?"
"तुम्हे उससे क्या?"
"हाउ रूड?"
"मैं अजनबी लड़कियों को अपनी इनफॉर्मेशन नहीं देता " उसने एटीट्यूड में कहा।
मेरा मुंह छोटा सा हो गया । अब मैं उसे क्या कहती। पलट कर जाने लगी।

उसने मेरा हाथ पकड़ा , मेरा तो कलेजा निकल कर मुंह को आ गया था। सड़क पर मेरा हाथ पकड़ा था उसने दिल की धड़कने तेज हो रही थी।

"तुम्हारा मोबाइल तो लेकर जाओ" ये सुनकर मैने अपनी आंखे मिच ली और मेरी जीभ अनायास ही दोनो दांतों के बीच आ गई।
मुझे लगा था वो मुझसे कहेगा कि उसे मैं पसंद हूं पर ये तो मोबाइल दे रहा है ।
"क्या करूंगी इसका जब इसमें तुम कही नही हो" मैं मन ही मन बुदबुदाई वो मुस्कुराया और कहा, ढूंढने से तो भगवान मिल जाते है, शायद उसे धीमी आवाज भी सुनाई देती थी।

क्या सुन लिया था उसने जो मैने कहा था या बस वो मेरा वहम था। जानने के लिए थोड़ा इंतजार तो करना पड़ेगा आप लोगों को । ज्यादा इंतजार नहीं करवाऊंगी ।ये वादा है ।