Anokha Vivah - 15 in Hindi Love Stories by Gauri books and stories PDF | अनोखा विवाह - 15

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अनोखा विवाह - 15

अनिकेत - कह तो तू सही रहा है पर आज मैंने उसे कुछ चीजें सीखने को कहा है देखता हूं कितनी प्रोग्रेस करती है और अगर आज उसने कुछ भी नहीं सीखा तो फिर मैं उसे अपने तरीके से सब सिखाऊंगा 

विराज - अरे यार तू भी ना , मेरी बात सुन , देख वो अभी छोटी है खासकर तूने जो बातें बताई हैं उसके बारे में , उन बातों से तो ऐसा ही लग रहा है कि वो अपनी उम्र वालों से भी ज्यादा छोटी , और सिर्फ अपनी आदतों की वजह से , देख , उसे अपना ये अपना स्ट्रिक्ट नेचर मत दिखा और अपना गुस्सा इसे तो तुझे अपने अन्दर रखना होगा तभी तू उसे कुछ सिखा सकता है यार उसकी तुझे एक बच्चे की तरह केयर करनी होगी वरना तुझे देखकर तो जो काम वो अच्छा करने वाली होगी वो भी उससे बेकार हो जाएगा, समझ रहा है ना तू मैं क्या कह रहा हूं

अनिकेत - देख विराज मैं अपने आप को बदल नहीं सकता किसी के लिए भी और रही बात कि मैं स्ट्रिक्ट नेचर ना अपनाऊं , और उसकी केयर एक बच्चे की तरह करूं मतलब अपनी वाइफ को मैं बच्चे की तरह ट्रीट करूं और वो गलतियां करती चली जाए और मैं उसे माफ करता चला जाऊं इसका मतलब है तू कह रहा है कि मैं अपनी लाइफ के रूल्स भूल जाऊं तो ऐसा तो बिल्कुल नहीं हो सकता,,हां लेकिन इतना जरूर कर सकता हूं कि उसे थोड़ा कम डांटू, बस ! इससे इससे ज्यादा मैं खुद को नहीं बदल सकता

विराज मन में - इसे कुछ भी समझाना बेकार है पता नहीं भाभी कैसे रहेगी  इस गुस्से वाले और छोटी -छोटी  बातों पर सख्त रवैया अपनाने वाले के साथ कैसे रहेगी ,  हे भगवान भाभी का ध्यान रखना ये है तो मेरा दोस्त पर मुझ पर तो बिल्कुल नहीं गया है ,,, इतना कहकर विराज , अनिकेत को देख मुंह बना देता है ,,,,,,,, अनिकेत- अब अगर तूने मुझे अपने मन में बुरा भला कह लिया है तो चलें,,,,,,, विराज - अरे ! अभी कहां अभी तो बहुत सारी बातें हैं अच्छा ये सब छोड़ तू तो ये बता कि फिर क्या हुआ तेरे और प्यारी भाभी के बीच ,,,,,,, अनिकेत ये बात सुन शॉक्ड हो गया उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले , तभी विराज की आवाज फिर से उसके कानों में पड़ती है ,,,,,,,,,क्या हुआ ! इतना कुछ हो गया क्या कि तुझे सोचना पड़ रहा है कि क्या बताऊं और क्या नहीं ,, अनिकेत - नहीं यार , तुझे बता तो चुका हूं कि छोटी है वो अभी उसकी उम्र नहीं है कुछ भी समझने वाली , उसे अभी पति पत्नी के बीच के रिश्ते के बारे में कुछ भी नहीं पता है ऐसे में मैं उसे किसी भी बात के लिए फोर्स नहीं कर सकता ना ,,,,,,, विराज - क्या मतलब , तो क्या तू उसे समझाएगा नहीं कुछ भी 

अनिकेत - नहीं अभी कुछ नहीं अभी मैं सिर्फ उसे सब कुछ सिखाना चाहता हूं मैं उसे अनिकेत प्रताप सिंह की वाइफ बनाना चाहता हूं अभी तो वो सिर्फ एक ऐसी लड़की है जिसे इस दुनिया के बारे में कुछ भी नहीं पता और उसे तो ये भी नहीं पता कि वो अनिकेत की वाइफ है वो अनिकेत जो बहुत जल्द टॉप कम्पनी का सीईओ बनने वाला है ,,,सच में यार मैंने कभी नहीं सोचा था कि दादू मेरे साथ ये करेंगे,,,,,,,,,,और सच कहूं तो उस दिन नाइट क्लब जाना बहुत ज्यादा महंगा पड़ गया मुझे 

विराज - अरे यार छोड़ भी देख यार जो हो गया उसे नहीं बदला जा सकता और भाभी और तेरे बीच उम्र का इतना फासला भी नहीं है, जो तू दादू को ऐसे कोस रहा है ,बस अगर कुछ ठीक नहीं है तो वो है भाभी का नाबालिग होना एक बार वो 18 के ऊपर हो जाएं ना तो फिर बस मुझे लगता है कि तेरी जिन्दगी बहुत अच्छी चलेगी  

अनिकेत - हम्ममम यार ,, चल अच्छा अब चलें बात करते करते काफी टाइम हो गया,,,, हम्ममम चल 

दोपहर 2 बजे 

सावित्री जी ने सभी घर वालों के लिए खाना बनाया था क्योंकि सुबह सब बिना खाए ही उठ गए थे थोड़ा खाना ऑफिस भेजने के बाद घर में भी सभी खाना खा चुके थे पर एक सदस्य था जिसने अभी तक कुछ नहीं खाया था वो थी घर की बहू , उसे किसी ने पूछा नहीं और शान्त और डर के कारण उसने किसी से कुछ कहा नहीं वो बस सुबह से कुछ खाना बनाने के प्रयास में लगी हूई थी और अब थोड़ा बहुत सीख भी गई थी पर कुछ चीजें थी जिसे वो आज इतने वक्त में सीख पाई थी पर वो खुश थी क्योंकि आज उसने कुछ बनाया था वो खुश थी कि अनिकेत अब उसे डांटेगा नहीं वो ये सोच ही रही थी कि अनिकेत गेट से अन्दर आता हुआ - मांऽऽऽऽ  , मांऽऽऽऽ प्लीज़ खाना लगवा देंगी मुझे बहुत तेज भूख लगी है आप तो जानती हैं कि बाहर कुछ भी खा लूं पर जब तक घर का खाना ना मिले तब तक मेरी भूख नहीं शांत होती है  , सावित्री जी - बेटा , मुझे सब पता है , तुम जल्दी से फ्रेश होकर आओ मैं लगवाती हूं 

थोड़ी देर बाद डाइनिंग टेबल पर अनिकेत खाना खाते हुए - किसी से फोन पर बात कर रहा था और सावित्री जी खाना लगवाकर कुछ काम से घर से बाहर चली गई, तभी सुहानी खुश होते हुए अपने हाथ में एक प्लेट किचन से बाहर लाकर अनिकेत के सामने रख देती है जिसमें एक आलू का पराठा रखा हुआ था , अनिकेत की बात भी खत्म ही हो गई थी उसने मोबाइल फोन को अपने हाथ से टेबल पर रखा और सुहानी की तरफ देखकर उसे बैठने का इशारा किया, सुहानी झट से अविरल से एक कुर्सी छोड़ कर बैठ गई क्यों कि उसे उससे डर लग रहा था पर अनिकेत को ये बिल्कुल अच्छा नहीं लगा तो उसने सुहानी को अपने पास वाली कुर्सी पर बैठने को कहा तो वो बैठ गई,, अनिकेत एक बाइट परांठे का खाते हुए ," तुमने बनाया है ये " सुहानी - अपना सिर हां में हिला देती है ,,,,,,,, अनिकेत - अच्छा बना है ,ये बताओ तुमने कुछ खाया,,,, सुहानी - अपना सिर नहीं में हिला देती है , अनिकेत- क्यों ?

 सुहानी- आपने मना किया था ,,,,,,अनिकेत - ओह गॉड, तुम भी ना,,, चलो अच्छा आज मैं खिलाता हूं तुम्हें , मुंह खोलो ,,,,

सुहानी अपना मुंह खोल अनिकेत के हाथ से एक बाइट खा लेती है ,,,, अनिकेत, सुहानी से - अब तुम खुद खाओ इसी प्लेट में मेरे साथ और हां ये बताओ आज बाहर चलोगी मेरे साथ ? प्लीज फ़ॉलो एंड कमेंट 


क्या सुहानी , अनिकेत के साथ बाहर जाएगी या फिर शादी से पहले की तरह उसे बाहर ले जाना अनिकेत के लिए भी एक बड़ी चुनौती साबित होगा देखते हैं नेक्स्ट पार्ट में....