"कंग्रॅजुलेशंस mrs ओबेरॉय"..... तपस्या के मंडप में जाते ही सिद्धार्थ मुस्कुरा कर बोला और दुल्हन के जोड़े में तपस्या को हवश भरी नजरों से देखने लगा ।
"अभी टाइम है तो हमारे सरनेम चेंज करने की जरूरत नहीं है जब वक्त आएगा वो खुद ब खुद चेंज हो जाएगा।" तपस्या चिढ़ कर बोली ।
"और मेरी जान..... वो वक्त आने में बस थोड़ा ही वक्त बाकी है ...अभी आप और मैं शादी के मंडप में है फिर आपकी मांग में मेरे नाम का सिंदूर होगा और आपके गले में मेरे नाम का मंगलसूत्र और फिर हमारा सुहागरात ......."वो शरारत से बोला। तपस्या उसके बेशर्मी भरी बातों से तंग आ कर उसे घूरने लगी। सिद्धार्थ भद्दी मुस्कान के साथ उसे ही देख रहा था।
"पल भर में जिंदगी बदल जाती है इसलिए ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं।".... वो गुस्से से उसे घूर कर बोली। सिद्धार्थ उसे अजीब सी नजरों से देखने लगा। तभी शादी के रस्मों के लिए पंडित जी मंत्र उच्चारण करने लगे। तपस्या की धड़कनें अचानक से ही घबराहट से बढ़ गई।
"दुल्हा दुल्हन सात फेरों के लिए खड़े हो जाइए।"..... पंडित जी ने जैसे ही कहा सिद्धार्थ की होठों पर एक शैतानी मुस्कान थी और वही तपस्या घबराहट में अपने लहंगे को मुट्ठियों में कस ने लगी थी और विराट को नम पलकों से देखने लगी। लेकिन विराट अभी भी शांति से खड़ा था और तपस्या को देख अपने दिल पर हाथ रखकर पलक झपका दिया। तपस्या डरी डरी सी सात फेरों के लिए अपने कदम आगे की तरफ बढ़ने लगी।
" रुक जाओ........ ये शादी नहीं होगी ।"एक रौब दार आवाज पूरे मंडप में गूंजी । तपस्या ये आवास पहचानती थी........ तपस्या के साथ-साथ हर कोई आवाज की दिशा में देखने लगा । यशवर्धन रायचंद गुस्से में कांपते हुए हाथों में मोबाइल पकड़ कर उसके स्क्रीन को घूरे जा रहे थे। बस यशवर्धन रायचंद ही क्यों शादी में दूल्हा दुल्हन को छोड़कर मंडप के आसपास हर मेहमान अपने मोबाइल पर ही नजर गाढ़ी बैठे थे।
"क्या हुआ मिस्टर रायचंद!!!!आपने यूं अचानक शादी क्यों रोक दी !!!"........सिद्धार्थ की डैड यशवर्धन के करीब आकर पूछे। माथे पर पसीना था और चेहरे पर चिंता की लकीरें कुछ गलत होने का अंदाजा तो उन्हें भी हो चुका था। यशवर्धन अभी भी मोबाइल पर ही नजर गाढ़े खड़े थे।
"मैं बताता हूं मिस्टर ओबेरॉय की क्यों ये शादी नहीं हो सकती।"..... तपस्या के चाचा समर रायचंद आ कर मिस्टर ओबेरॉय के सामने खड़े हो गए। Mr ओबेरॉय अभी भी घबराए हुए थे।
समर ने उन्हें इशारों से सामने चल रहे बड़े से एलईडी की तरफ देखने के लिए कहा। जहां कुछ देर पहले सिद्धार्थ और तपस्या की शादी की लाइव टेलीकास्ट चल रही थी वहां पर इस वक्त होटल के बंद कमरे में सिद्धार्थ और एक खूबसूरत सेक्सी लड़की की रंगीन रात की क्लिप चल रही थी। जिसे देखकर सिद्धार्थ के तो पैरों से जमीन ही खिसक गई थी और वही मिस्टर ओबेरॉय की सालों के मेहनत पर पानी फिर गई थी।
"ज़रा आवाज बुलंद करो इस वीडियो की .....हम भी सुने कि हमारे होने वाले दामाद ने हमारी तारीफ में इस बाजारू औरत के सामने क्या-क्या कसीदे पढ़े हैं!!!"..... यशवर्धन रायचंद ने रौबदार आवाज में कहा तो वहीं पर खड़े एक आदमी ने भाग कर रिमोट से वीडियो की वॉल्यूम बढ़ा दी और वो आवाज पूरे लर्न में गूंज रही थी।
"साले बुड्ढे की 10 साल से सारी बकबक सुन रहा हूं साला मैं सिद्धार्थ ओबेरॉय जो अपने बाप की तक नहीं सुनता और मुझे उस बूढ़े की बकवास सुननी पड़ती है..... बस raychand 's के वो 50% शेयर के लिए जो शादी के बाद तपस्या रायचंद के साथ-साथ मेरे भी हो जाएंगे।"...... सिद्धार्थ ने बेड पर आधी अधूरी कपड़ों में लेटी उस लड़की के होठों के करीब जाकर मजाकिया अंदाज में कहा।
"और अगर यशवर्धन रायचंद जी को ये बात पता चल गई तो पता है ना वो तुम्हारी हालत क्या करेंगे ???...."उस लड़की ने अपनी उंगलियों को सिद्धार्थ के चेहरे और गर्दन पर सहलाते हुए कहा ।
"बेवकूफ बुड्ढा सठिया गया है .....जो इतने सालों तक नहीं समझ पाया कि मुझे उसकी बेटी से ज्यादा उसकी प्रॉपर्टी पर नजर है तो अब शादी के एक दिन पहले वो क्या ही समझ पाएगा। एक बार शादी हो जाने दो और वो प्रॉपर्टी मेरे नाम हो जाने दो फिर हम मिलकर ऐश करेंगे उसकी करोड़ों की प्रॉपर्टी पर ।".... वो नशीली आवाज में बोला और उस लड़की के होठों पर अपनी होंठ रख दिए ।यशवर्धन अपनी आंखें कसकर भींच चुके थे और गुस्से से उनका चेहरा लाल पड़ चुका था । माथे पर पसीने की बूंदे चमक रही थी।
जहां अभय यशवर्धन रायचंद की इतनी तारीफ सुनकर खुद को खुल कर हंसने से रोक नहीं पा रहा था वही पूरे रायचंद फैमिली में दहशत फैल गई थी। पूरे वातावरण में शांति फैल गई थी जैसे किसी की मौत हुई हो। किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी यशवर्धन रायचंद के सामने खड़े होकर कुछ बोल सके या उन्हें कुछ समझा सके। यहां तक की सिद्धार्थ के डैड ने भी अपनि नज़रें झुका ली थी। अपने बेटे की बेवकूफी पर इससे ज्यादा भला वो कर ही क्या सकते थे! तपस्या खुश थी लेकिन अपने दादाजी को देखकर वो अंदर ही अंदर गिल्ट भी फील कर रही थी। अपने दादाजी के साथ कर रहे धोखे की एहसास कहीं ना कहीं उसे भी था।
विराट वहीं एटीट्यूड के साथ दोनों हाथ पॉकेट में डाल यशवर्धन के गुरूर और खोखली इज्जत की धज्जियां उड़ते देख रहा था। लेकिन ये तो यशवर्धन के बर्बादी का बस आगाज था और अपने जीत के ओर उसका पहला कदम।
उसे इंतजार था उस घड़ी का जिसके लिए उसने उस घर की चौखट में इस इंसान के सामने वादा किया था की तपस्या रायचंद उसकी अमानत है और यशवर्धन रायचंद खुद उसका हाथ विराट के हाथों में देगा। ये सब सोचते हुए ही उसके होठों पर एक बिजई मुस्कान थी। उसने मीडिया में खड़े कुछ रिपोर्टर्स के तरफ कुछ इशारा किया और विराट से इशारा पाते ही वो लोग कैमरा और माइक लेकर यशवर्धन जी और उनके घर के हर सदस्य के ऊपर सवालों की बरसात दाग दिए।
"अब क्या होगा मिस्टर रायचंद!!! क्या आप सिद्धार्थ ओबेरॉय से अपनी पोती की शादी अभी भी करवाएंगे??? अगर नहीं करवाए तो इस तरह से मंडप से बारात लौट ने के बाद आप के खानदान और आपके पोती की इज्जत दिनों ही बिखर जाएंगी। इसके बाद अगर कोई भी आपकी पोती के साथ शादी करना चाहेगा तो वो बस आपकी प्रॉपर्टी और आपके रुतबे को लेकर...
"बस करो!!!!! ..... गार्ड्स को बुलाओ और इन लोगों को बाहर निकालो ।"यशवर्धन रायचंद सवालों से परेशान होकर चीखते हुए बोले तो समर और अनिरुद्ध जी दोनों ही गार्ड्स की तरफ इशारा कर मीडिया और रिपोर्टर्स को बाहर की तरफ ले जाने लगे। लेकिन तभी भी मीडिया के लोगों का सवाल जारी था। फिर विराट ने अपना आखरी पासा फेंका और यशवर्धन जी के लीगल एडवाइजर के ओर नजर डाला। वो हल्का मुस्कुराकर यशवर्धन जी के ओर बढ़े।
"सर छोटा मुंह बड़ी बात लेकिन इस तरह से कोई प्रॉब्लम सॉल्व नहीं होगी बल्कि बढ़ जाएगा। किस किस का मुंह बंद करेंगे!!!आखिरकार रिपोर्टर्स की बात भी तो सही है ना!! अगर आज तपस्या मैडम की शादी नहीं हुई तो रायचंद खानदान की बड़ी बदनामी होगी... आज तपस्या मैडम का शादी का टूटना मीडिया के सामने लाइव टेलीकास्ट हो रहा है और कल को अभय रायचंद और प्रिया सिंघानिया का मंगनी टूटने की खबर भी पहुंच जाएगी... फिर हम क्या करेंगे!!"यशवर्धन रायचंद के एडवाइजर mr खुराना ने उन्हें समझाते हुए कहा।
"तो फिर क्या करें खुराना!!!!खानदान की बेज्जती तो हम होने नहीं देंगे और प्रिंसेस के साथ इस सिद्धार्थ की शादी अब नामुमकिन है... इसे और इसके बाप को तो हम यूं सड़क पर लाएंगे कि इस जन्म में तो उसका वापस खड़े होना नामुमकिन ही होगा।"मंडप के पास सर झुकाए खड़े सिद्धार्थ को जलती नजर से घूरते हुए रायचंद जी ने कहा सिद्धार्थ और उसके डैड को यशवर्धन जी के बॉडीगार्ड ने घेरे रखा था।
" मेरे नजरों में एक काबिल सख्श है... यूं कहें के आज के दिन में बस यही है जो रायचंद के घर की दामाद बनने के लायक है... अगर उनसे तपस्या मैडम की शादी हो गई तो बस पर्सनल ही नहीं प्रोफेशनल तौर पर भी हमें फायदा है।" एडवाइजर खुराना जी ने कहा और नजर विराट पर टिकी हुई थी। जो पूरे एटीट्यूड के साथ अपना ही रचाया हुआ तमाशा एंजॉय कर रहा था।
खुराना की बात सुनकर यशवर्धन जी ने पहले तो असमंजस में उन्हें देखा लेकिन दूसरे ही पल उनके इशारों को समझ कर उनके भी आंखों में चमक आई थी। आज के दिन में यशवर्धन रायचंद को टक्कर देने वाला बस एक ही शख्स तो था विराट अग्निहोत्री!!जिसे खुद यशवर्धन रायचंद भी सराहने से खुद को रोक नहीं पा रहे थे।
" लेकिन क्या mr अग्निहोत्री इस शादी केलिए मानेंगे!! और उनकी फैमिली....खाश कर जो कुछ भी अभी हुआ उसके बाद....
"जो कुछ अभी हुआ उसमें मिस रायचंद की कोई गलती नहीं है सर... और वैसे भी मैं किसी को उसकी गलत सिचुएशन से जज नहीं करता.... मैं इंसानों को उनकी गलत नीयत से जज करता हूं।"....पीछे से विराट रौबदार आवाज में अपनी बात कहते हुए आया और यशवर्धन रायचंद के सामने किसी चट्टान के तरह खड़ा हुआ।
"आपको इस शादी से....हमारा मतलब है कि हमारी पोती से शादी करने में आपको कोई आपत्ति नहीं है !!!"... पूछते हुए यशवर्धन के आंखों में एक खुशी की चमक थी। और दोनों हाथ आपस में जुड़े हुए थे।
"मिस्टर रायचंद आपकी पोती से शादी करने में मुझे कभी आपत्ति थी ही नहीं बस आप और आपके परिवार अगर इस रिश्ते को लेकर खुश है और आप सबको अगर कोई आपत्ति नहीं है तो मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है आपकी पोती को पूरे इज्जत के साथ अपने घर की इज्जत बनाने की।" अपनी मां और भाई के साथ नजर झुका कर खड़ी तपस्या की तरफ देखकर विराट ने मुस्कुराते हुए कहा।
"इससे ज्यादा खुशी की और इज्जत की बात हमारे लिए और क्या हो सकती है मिस्टर अग्निहोत्री कि आप जैसे काबिल और महत्वाकांक्षी इंसान रायचंद खानदान का दामाद बने!! आप से ज्यादा काबिल दामाद तो हम अपनी पोती के लिए चाहकर भी ढूंढ नहीं पाते।"....कहते हुए यशवर्धन रायचंद की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा और 12 साल पहले की अपनी और अपने पूरे परिवार की बेइज्जती को याद करते हुए विराट की नफरत और गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था.... इसी चौखट पर पहले उसके पिता ...फिर उसकी बहन और फिर वो .....न जाने कितनी जिल्लत और बेइज्जती का सामना कर चुके थे और आज वो शख्स खुद हाथ जोड़कर उसे अपने घर की इज्जत सौंप रहा था ।विराट के चेहरे पर जीत की खुशी और होठों पर शैतानी मुस्कान थी।
"मुझे तो कोई आपत्ति नहीं है और जितना मैं अपने परिवार को जानता हूं उन्हें भी कोई आपत्ति नहीं होगी लेकिन एक बार आप अपनी पोती और उनके माता-पिता और भाई अभय रायचांद को भी पूछ लीजिए की क्या वो लोग मुझे अपने घर का दामाद बनाना चाहते भी हैं या नहीं??".... अपनी बात कहते हुए विराट कदम आगे बढ़कर तपस्या के सामने आकर खड़ा हो चुका था और उसकी नजर एकदम तपस्या के चेहरे पर थी जो काफी उलझी हुई और नर्वस थी।
"क्या आप ये शादी करना चाहते है मिस रायचंद??"विराट हल्का सिर टेढ़ा किए तपस्या की नजरों में देखते हुए पूछा।
"जी... जी.. वो जैसा दादू चाहें.. हम करेंगे।"तपस्या ठहरती हुई शब्दों के साथ मुश्किल से सर झुकाए बस इतना ही बोली ।उसके बात सुनकर जहां यशवर्धन रायचंद के चेहरे पर गुरूर और खुशी दोनों ही थी वहीं विराट के चेहरे पर अजीब से भाव थे जो खुशी के तो बिल्कुल भी नहीं थे।
"अच्छा तो अभी अगर आपके दादू ये बोलते की जो कुछ भी हुआ वो सब भूल कर सिद्धार्थ को माफ करके उनसे शादी कर लीजिए तो क्या आप कर लेती??"... विराट ने सर्द आवाज में पूछा तो तपस्या पलकें उठाकर उसे उलझी हुई सी देखने लगी.... विराट के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे।
"हमारी पोती हमारी जितनी इज्जत करती है उससे कहीं ज्यादा प्यार और भरोसा हम पर करती है हम कुछ भी कहे वो आंख बंद करके हमारे ऊपर यकीन कर सकती है और मान सकती है और हमें नाज है अपनी पोती पर"...... इससे पहले की विराट या तपस्या कुछ और कहते यशवर्धन रायचंद गुरूर के साथ बोले और तपस्या के सर पर हाथ फेर दिए।
"ये बात मुझसे बेहतर और कौन जानता है मिस्टर रायचंद!!".... विराट बेरुखी के साथ बोला और पलट कर मंडप के तरफ जाने लगा। उसे यशवर्धन का यही गुरूर तो तोड़ना था।
"शादी की मुहूर्त निकल जाएगी मिस्टर रायचंद ...रस्म पूरी कर लेनी चाहिए हमें .... मुझे हर चीज वक्त के साथ करने की आदत है।"... बोल कर विराट तपस्या की कलाई थाम कर उसे अपने साथ मंडप की ओर ले जाने लगा। तपस्या की नजरों विराट को पढ़ने की कोशिश कर रही थी.... विराट उसे कुछ बदला हुआ सा लग तो रहा था लेकिन इस वक्त सब कुछ सही तरीके से हो जाने की खुशी तपस्या पर कुछ ज्यादा ही हावी थी तो इस वक्त ख्वाबों की दुनिया में ही रहना चाहती थी।
मंडप में जाते वक्त विराट की नजर सिद्धार्थ पर पड़ी जो गुस्से से कांपते हुए विराट को ही देख रहा था।
"इतना तो समझ गया हूं मैं की ये जो कुछ भी हो रहा है वो सब कुछ तुम्हारा रचाया हुआ है ....तुमने ये सब कुछ प्लान करके रखा था और तुमने ही मुझे फंसाया है..... क्यों और कैसे बहुत जल्द पता चल लगा लूंगा मैं ....रायचंद की प्रॉपर्टी हड़पने का तुम्हारा यह सपना सपना ही रह जाएगा... मिस्टर विराट अग्निहोत्री जस्ट वेट एंड वॉच!!"गुस्से से बौखलाती आवाज में सिद्धार्थ ने कहा विराट पलट कर उसे दिखा...
"आराम से समझते रहना मेरी रचाई खेल को काफी वक्त है तुम्हारे पास और फिर भी अगर समझ में ना आए तो मेरी ऑफिस का एड्रेस तो तुम्हें पता ही है अपॉइंटमेंट लेकर आ जाना अच्छी तरह से समझा दूंगा..."विराट ने बेफिक्रे से कहा फिर थोड़ी देर रुक कर तपस्या के हाथों में उलझी अपनी हाथों को देख उन्हें चूमते हुए वापस सिद्धार्थ की तरफ देखने लगा. .....
"मेरी अमानत थी..... मेरे पास ही आनी थी.... कहा तो था मैंने तुझे..... वैसे ही अपना वादा निभाने का आदि हूं ।"बोलकर विराट सीधे तपस्या को लेकर मंडप में बैठ गया और पंडित जी को शादी शुरू करने का इशारा किया उसका इशारा पाते ही पंडित जी ने तेजी से मंत्र उच्चारण शुरू कर दिए थे। और हर एक रस्मों के साथ तपस्या पूरी तरह से विराट की होती जा रही थी।
सात फेरों के सात वचन के बाद विराट ने तपस्या की मांग में अपने नाम के सिंदूर भरी और उसके गले में अपने नाम का मंगलसूत्र पहना कर पूरे दुनिया में उसकी प्रिंसेस बस उसकी ही है इस बात का ऐलान कर दिया था। सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि सब उलझे हुए थे.... लेकिन यशवर्धन रायचंद के चेहरे पर जीत और खुशी की चमक थी।..... खुशी इसलिए क्योंकि विराट अग्निहोत्री सिद्धार्थ ओबेरॉय से कहीं ज्यादा बेहतर दामाद था रायचंद खानदान के लिए और वही जीत की खुशी इसलिए थी क्योंकि उनके हिसाब से बस अग्निहोत्री इंडस्ट्रीज ही थी जो रायचंद इंडस्ट्रीज के सामने सर उठाकर उन्हें टकर दे रहा था और अब जब विराट अग्निहोत्री उनकी फैमिली हो चुकी थी रायचंद इंडस्ट्रीज और अग्निहोत्री इंडस्ट्रीज अब राइवल नहीं बल्के ऑलमोस्ट एक थे।
कहानी जारी है ❤️ ❤️