🌌 एपिसोड 46 — “वक़्त की कलम और अधूरी रूह”
(कहानी: मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है)
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🌙 1. रूह की खामोशी
नीली हवाओं में अब अर्जुन की धड़कनें गूँज रही थीं।
हर पन्ने पर जैसे उसकी साँसें उतर आई हों।
रूहाना के सामने टेबल पर वही नई कलम रखी थी —
जिसकी निब से हल्की-सी गर्मी निकल रही थी।
वो गर्मी नहीं… अर्जुन की मौजूदगी थी।
वो बोली,
“तुम अब भी यहीं हो न, अर्जुन?”
एक हल्की नीली लकीर हवा में बनी —
> “हमेशा। जब तक शब्द सांस लेते रहेंगे।”
रूहाना की पलकों से आँसू गिरे, और कागज़ पर गिरते ही
स्याही में तब्दील हो गए।
कागज़ ने खुद ब खुद लिखा —
> “ये आँसू अब इश्क़ की स्याही हैं।”
कमरे की हवा अचानक बदलने लगी।
नीली रोशनी सुनहरी बनने लगी।
जैसे वक़्त अब खुद को फिर से लिखने आया हो।
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🌌 2. आर्या का रहस्य
दरवाज़ा खुला।
आर्या भीतर आई — लेकिन इस बार उसका चेहरा अलग था।
वो शांत थी, पर उसकी आँखों में समय घूम रहा था।
वो बोली,
“रूहाना, अब कलम तुम्हारे हाथ में है,
मगर ध्यान रखना — वक़्त की कलम सिर्फ़ प्रेम नहीं लिखती…
वो उसकी परीक्षा भी लेती है।”
रूहाना ने पूछा,
“परीक्षा?”
आर्या आगे बढ़ी, उसकी उंगलियाँ कलम के पास आईं —
“हाँ। अब ये कलम हर बार तुम्हारे लिखे को
किसी और के जीवन में बदल देगी।
जो तुम लिखोगी, वो किसी के भाग्य में घटेगा।”
रूहाना सन्न रह गई।
“मतलब मैं अब… वक़्त को बदल सकती हूँ?”
आर्या मुस्कराई,
“नहीं बदल सकती, लेकिन लिख सकती हो —
और जो लिखा जाएगा, वही होगा।”
रूहाना ने धीमे से कहा,
“तो अब मैं किसी का दर्द नहीं लिखूँगी।”
आर्या ने उसकी आँखों में झाँका,
“लेकिन हर प्रेम कहानी में दर्द ही शुरुआत होती है, रूहाना।”
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🔥 3. एक अनजान पन्ना
रात गहराने लगी।
रूहाना ने अपनी मेज पर दीपक जलाया और कलम उठाई।
कागज़ पर उसने बस इतना लिखा —
> “वो जो रूह बन गया, अब लौट आए।”
नीली स्याही फैल गई।
कमरे की दीवारें हिलने लगीं।
हवा से एक पुरानी खुशबू आई —
अर्जुन की।
रूहाना ने काँपते हुए कहा,
“अर्जुन… क्या ये तुम हो?”
आवाज़ आई —
“मैं हूँ, लेकिन अब शब्दों के पार से।”
रूहाना ने कलम कसकर पकड़ी,
“अगर तुम शब्दों में हो, तो मैं कहानी में आ जाऊँगी।”
तभी दीवार पर एक पन्ना उभरा।
कागज़ की सतह पर उनकी परछाइयाँ बन गईं।
पन्ने ने खुद लिखा —
> “दो रूहें एक कहानी में मिलेंगी,
लेकिन एक को फिर खोना होगा।”
रूहाना की साँस रुक गई।
“फिर खोना? नहीं… इस बार नहीं।”
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🌙 4. वक़्त की चेतावनी
आर्या अचानक फिर प्रकट हुई।
“तुमने वक़्त को चुनौती दी है, रूहाना।
जो रूह स्याही बन चुकी है, उसे दोबारा जिस्म नहीं मिल सकता।”
“मगर अगर वक़्त लिख सकता है,
तो मैं उसे पलट भी सकती हूँ!”
रूहाना की आँखों से नीली चमक निकली।
कलम हवा में उठी और उसने उल्टा लिखना शुरू किया —
अक्षर उलटे, पर अर्थ सीधा था।
> “जो खो गया, वो लौटे।”
हवा में एक कंपन उठा।
पन्ने फड़फड़ाने लगे।
कागज़ों के बीच एक धुंधला आकार बनने लगा —
अर्जुन का चेहरा।
वो अधूरा था — सिर्फ़ आँखें और मुस्कान।
“रूहाना…” उसकी आवाज़ टूटी हुई थी।
“तुम्हें नहीं लिखना चाहिए था… वक़्त खुद को दोहराना नहीं चाहता।”
रूहाना ने हाथ बढ़ाया,
“मैं तुम्हारे बिना कुछ नहीं हूँ।”
अचानक स्याही लाल पड़ने लगी।
कलम जलने लगी।
आर्या चिल्लाई,
“रुको! तुम वक़्त को जला रही हो!”
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💫 5. पुनर्जन्म की रेखा
सब कुछ मौन हो गया।
कमरे की दीवारें घुल गईं।
अब सिर्फ़ रूहाना, कलम, और अर्जुन की अधूरी आकृति थी।
अर्जुन ने कहा,
“वक़्त अब हमें एक नया मौका दे रहा है,
लेकिन नई जगह, नए रूप में।”
“कहाँ?” रूहाना ने पूछा।
“दरभंगा की हवेली में,”
अर्जुन की आवाज़ गूँजी,
“जहाँ रूहों की पहली कहानी लिखी गई थी।”
कलम ने खुद ब खुद नई लकीर खींची —
> “अगला अध्याय वहीं से शुरू होगा,
जहाँ रूहों ने पहली बार इश्क़ महसूस किया था।”
आर्या ने सिर झुकाया,
“तो ये निर्णय है — अब वक़्त खुद उन्हें जन्म देगा।”
नीली रोशनी घूमने लगी,
और दोनों की रूहें एक स्याही की बूँद में समा गईं —
जो हवा में उड़कर कहीं दूर चली गई।
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🌙 6. नई शुरुआत की गंध
सुबह दरभंगा की हवेली में हल्की बारिश हो रही थी।
एक पुरानी खिड़की के पास एक लड़की बैठी थी —
उसकी उँगलियों में वही नीली कलम थी।
किसी ने पूछा,
“तुम्हारा नाम क्या है?”
वो मुस्कराई,
“रूहाना नहीं… अब मेरा नाम आर्या राठौर है।”
उसकी नज़र कलम पर गई।
“लेकिन कभी-कभी, मुझे लगता है
जैसे इस कलम में कोई साँस लेता है।”
हवा चली, और कानों में एक हल्की फुसफुसाहट गूँजी —
> “मैं यहीं हूँ… हर शब्द में।”
लड़की मुस्कराई,
और लिखा —
> “कहानी खत्म नहीं हुई, बस रूह बदल गई है।”
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🌌 एपिसोड 46 हुक लाइन:
> “वक़्त कभी किसी प्रेम को मिटाता नहीं —
वो बस उसे नया जन्म दे देता है।” 💙