Tera Lal Ishq - 22 in Hindi Crime Stories by Kaju books and stories PDF | तेरा लाल इश्क - 22

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तेरा लाल इश्क - 22

चमड़ी की तंज कसने वाली बात सुन वो आदमी गुस्से में उसे घूरा वो उसे एक घुसा जड़ता की 

मुरीद सीरियस भाव लिए बोल पड़े "शायद उन्हें तुम्हारे कदमों की भनक लग गई थी इसलिए वो सतर्क हो गए और बेवकूफ कहीके कही नही गए थे वो,,,वही कही छुप कर बैठे थे और जैसे ही रास्ता साफ दिखा निकल गए"

"Hmm ऐसा ही हुआ होगा,,,वैसे सर ये सिक्रेट जासूस दिखते कैसे हैं?" चमड़ी कन्फ्यूज होकर बोला सभी अजीब तरह से उसे घुर रहे थे। 

"क्या हुआ ? कुछ गलत पूछ लिया क्या?" सभी को घूरते देख चमड़ी जबरदस्ती बत्तीसी दिखाते हुए बोला।

"तू इस भुलेरा के साथ थोड़ी दूरी बनाकर रह इसकी बीमारी तुझे चिपक रही" कबाड़ी जंगली का कॉलर खींचते हुए बोला।

मुरीद कुछ सोच रहा था की क्या करे अब,,, उसे बड़ी टेंशन हो रही थी अगर उस मीडिया के जासूस ने उनके बारे सब उगल दिया तो उसकी पुलिस की पोस्टिंग तो जाएगी ही और चली भी गई तो उतना फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन उनका राज खुल गया तो वो हैवान बॉस अपनी तरीके से उसका एकाउंटर कर देंगे। 

वो इसी उधेड़ बुन में था की तभी उसे किराज का ध्यान आया वो उसे कॉल मारा लेकिन दूसरी तरफ किराज को भी उसके आदमी ने ये खबर दे दी थी जिससे टेंशन में वो मुरीद को चौकन्ना करना चाहता था क्योंकि उसे लगता था मुरीद बेवकूफ है अपने साथ उसे भी ले डूबेगा दोनो एक दूसरे को कॉल करने में लगे हुए थे पर किसी का लग नही रहा था जिससे दोनो का गुस्सा बढ़ रहा था। 

"उस्ताद एक बात पूछूं ?" जंगली ने इतना कहा ही था की  मुरीद का फोन का रिंग टोन बजा "आ देखे जरा , किसमे कितना है दम" 

सभी की नजर उनपर गई मुरीद सबको इग्नोर कर फोन देखा कीड़ा नाम फ्लैश हो रहा था मतलब किराज का कॉल था उसने झट से कॉल रिसीव किया।

"कहा झक मरा रहे थे" मुरीद कॉल रिसिव कर और किराज कॉल रिसीव होते देख दोनों एक साथ गुस्से में भड़क उठे।

"तुम्हे ही कॉल कर रहा था" दोनो फिर एक साथ बोले।

दोनो रिलैक्स होकर फिर से "पहले तुम बोलो" 

"तुम ही बको पहले,,," मुरीद झुंझलाकर उठा।

"वो चूहा उन जासूसों के हाथ आ गया और तुम,,," 

"तुम्हे भी पता चल गया" उसकी अधूरी बात सुन मुरीद हैरानी से बोला।

"तुम्हे भी मतलब? मतलब तुम,,, छोड़ो ये बताओं कुछ सोचा की क्या करना है उन लोगो को जैसे ही पता चला तुम्हारे कचरे भंडार का राज उन्हे पुरी छूट मिल जाएगी बेधड़क घुसने के की" 

"मै,,मैं कुछ सोचा हु नहीं म,,मतलब सोच रहा,, हु था की" उसे कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था की वो किराज को क्या जवाब दे उसके तो पूरे इज्जत का कचरा हो रहा था।

उसकी कन्फ्यूज भरी बात से झुंझलाते हुए किराज बोला  "चुप साले,,, मुझे लगा ही था खाली हाथ ही बैठा होगा तू,,, अब अपना कैची वाला जबान बंद करके मेरी बात गौर से सुन उन लोगो के आने से पहले वो इलाका जल्द से जल्द खाली करो,,," 

"और माल लेकर जाएंगे कहा तुम्हारे मामा जी के घर?" मुरीद उसे ताना बाना कसते हुए बोले।

किराज नॉर्मली बोला "हा चले जाना जहन्नुम,,, मेरे मामा जी वही रहते वहा के बस की टिकट मैं फ्री में बुक कर दूंगा,,,(फिर अचानक गुस्से में भड़कते हुए) साले मजाक समझा है क्या,,? दिमाग का क्या आचार डाले बैठा है गन फैक्ट्री किसलिए है,,,अभी सारा माल वही रखो,,,टाइम पास करने का वक्त नहीं है सुबह होने से पहले सब कुछ समेटो वहा से कोई सबूत हाथ नही लगना चाहिए उनके" इतना बोल किराज गुस्से में फोन काट दिया।

जंगली कुछ भूल गया था तो कबाड़ी से पूछना चाहता था लेकिन सब उसे इग्नोर कर मुरीद को गौर से देख रहे थे। 
"उस्ताद मुझे कुछ पूछना था?" जगली इस बार चिल्लाकर बोला सभी उसकी तरफ देखे।

"क्या है बे जल्दी बोल?" कबाड़ी गुस्से में बिफरते हुए बोला।

" ये पार्टी क्यों चल रही थी?" उसके सवाल पर सभी गुस्से भरी नज़रों से उसे घूरने लगे जैसे भेड़िए के ग्रुप में भेड़ फसा हो और अभी उसे नोच खा जाएंगे।

"तेरी मौत की पार्टी हो रही थी साले,,,हो गई ना पार्टी अब निकलो सब यहां से,,, काम पर लग जाओ,,,गन फैक्ट्री संभालना है अब,,, तयारी करो,,, अगर मेरे साथ तुम सब भी मच्छर की मौत नही मरना चाहते तो सुबह होने से पहले सारा माल फैक्ट्री में पहुंच जाना चाहिए,,, अब जाओ सब"  मुरीद गुस्से में सब पर भड़का सभी दुम दमाकर भागते हुए उस काम को अंजाम देने में लग गए।

वर्तमान
"आखिर कैसे,,,? कैसे इतनी बड़ी लापरवाही हो गई मुझसे अगर बॉस को भनक लगी तो वो पता नहीं किस तरह मौत देंगे मुझे,,,नही नही नही ये मैं क्या सोच रहा हूं ऐसा कुछ नहीं होगा सुबह वो लोग यहां आएंगे जरूर पर हर बार की तरह खाली हाथ ही जाएंगे" वो मन में बोला और चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान लिए पुलिस चौकी के नीचे जमीन में बने गुप्त अड्डे की ओर बढ़ गया।


और यहां मिकी अपने दोस्त की बातो का सिलसिला जारी रखा हुआ था उसकी कहानी आगे ही नहीं बढ़ रही थी आशना और कृषभ सर पकड़ कर बैठे थे उन दोनों को छोड़ सभी जम्हाई ले रहे थे कनंत और कृषि तो एक दूसरे के सहारे खड़े हुए ही सो गए थे।
"ये आगे बढ़ेगा या दू इसके मुंह पर एक शॉर्ट सर्किट" आशना चिड़चिड़ी नज़रों से मिकी को घूरती हुई बोली।

"तुमने ही पुरी बात बताने तक ना रुकने की धमकी दी अब झेलो" कृषभ आशना के कंधो पर सिर रख उसके बालों से खेलते हुए बोला। 
बहुत समय से वो ऐसे ही करके आशना को तंग कर रहा था अब आशना से बर्दास्त नहीं हुआ और उसने चिढ़चिढी नज़र से उसे घूर कर देखी तो कृषभ मुंह बनाते हुए सर हटा कर सीधा खड़ा हो गया।

और यहां मिकी के कहानी के अंदर,,,

यकीन मानो इस काम में बड़ा मजा आएगा,,,ये बोल मितेश ने अपनी बात खत्म की
और मिकी की ओर देखा जिसकी आखें चमक रही थी और वो मुस्कुरा रहा था।

ये देख मितेश चालाकियत से मुस्कुराया 
और मन में बोला  "लगा मेरा तीर निशाने पर,,,(फिर उससे बोला) खैर छोड़ मैं तो तेरे बारे में ही सोच कर आया था की शायद इस शॉर्टकट पर चलने से तेरा सपना रातों रात पुरा हो जाए पर शायद,,," 

"ठिक है मैं जाऊंगा,,," मिकी जोश में आकर बीच में बोला।
मितेश उसके पीठ पीछे डेंजर स्माइल कर रहा था और फिर सामने से हैरानी का दिखावा करते हुए "सच में???" 

मिकी फिर जोशीले स्वर में "हा मैं जाऊंगा और एक धमाकेदार news लेकर आऊंगा" 

"एक बार फिर सोचले क्युकी ये काम थोड़ा रिस्की है" 

क्या मुरीद बचकर निकल भागेगा ? या फस जाएगा हमारे आठ जासूसों के जाल में? क्या होगा मिकी का फैसला? जानने के लिए बने रहे स्टोरी के साथ 👍👍🙏🙏🤗🤗🤗🤗🤗🤗🙏🙏👍👍