💔 PART — 2 :
रात बहुत लंबी थी…
पर उस रात सूरज सो नहीं पाया।
उसके कमरे में अंधेरा था, पर उसके अंदर उससे भी गहरा अंधेरा था।
💔 उसकी आंखें रो-रो कर सूज चुकी थीं।
💔 सांसें भारी थीं।
💔 दिल बिखर चुका था।
"सब खत्म हो गया…"
उसने खुद से कहा।
लेकिन अंदर कहीं एक सवाल बार-बार जल रहा था—
🔥 "मैंने उसका क्या बिगाड़ा था…?"
🌧️ दर्द का दूसरा दिन…
सुबह हुई, लेकिन सूरज के अंदर अब भी रात थी।
कॉलेज जाना, लोगों से मिलना, हंसना—सब अब बोझ लग रहा था।
फिर भी वो कॉलेज गया…
क्योंकि शायद उसका दिल अभी भी उम्मीद में था कि माहीं उससे मिलेगी… सब ठीक हो जाएगा।
लेकिन हकीकत हमेशा दर्द देती है।
जैसे ही उसने कॉलेज गेट क्रॉस किया, सामने माहीं थी…
लेकिन अब वो सूरज की माहीं नहीं थी।
वो सचिन के साथ खड़ी थी।
हँस रही थी।
उसकी मुस्कुराहट आज पहली बार ज़हरीली लगी।
सूरज वहीं रुक गया।
पैर कांप गए।
दिल तेज़ धड़कने लगा।
माहीं ने सूरज को देखा…
और जानबूझकर नज़रें हटा लीं।
जैसे चार साल का रिश्ता कभी था ही नहीं।
💔
उस पल सूरज टूट गया…
लेकिन टूटते हुए भी उसने मुस्कुराने की कोशिश की।
उसकी आंखों में आँसू थे, पर उसने सिर झुकाकर खुद को संभाल लिया।
सूरज वहां से दूर चला गया और लाइब्रेरी में जाकर सबसे कोने में बैठ गया।
वहां कोई नहीं था—
बस सन्नाटा था।
उसने अपनी नोटबुक निकाली और लिखा—
"सच्चा प्यार कभी नहीं बदलता… बदल वे लोग जाते हैं, जिनसे सच में कभी मोहब्बत हुई ही नहीं।"
लेखन शायद उसकी दवा थी…
क्योंकि बोलने के लिए अब कोई नहीं था।
📞 अचानक आया कॉल…
फोन वाइब्रेट हुआ।
Caller ID: "Mahi ❤️"
दिल फिर धड़क गया।
हाथ कांपे…
पर कॉल उठा ली।
"हेलो… सूरज?"
उसकी आवाज़ आज पहले जैसी न थी।
ठंडी… अजनबी… दूर।
"हां…" सूरज ने दर्द दबाते हुए जवाब दिया।
"वो… मैंने तुमसे कहा था ना?"
"कृपया मुझे कॉल मत करना, मैसेज मत करना, मेरे सामने मत आना…"
सूरज ने धीरे से कहा—
"मैंने कॉल नहीं किया माहीं… तुमने किया है।"
वो कुछ सेकंड चुप रही।
फिर बोली—
"हाँ… बस ये बताने के लिए कि अब सब खत्म है। और एक बात और…
प्लीज़ सचिन को हमारी पुरानी बातों के बारे में मत बताना।
मेरी लाइफ अब उसके साथ है।"
ये कहते हुए उसकी आवाज़ में वो softness नहीं थी जो कभी सूरज के लिए थी।
सूरज ने कुछ सेकंड चुप रहकर कहा—
"खुदा गवाह है माहीं… तुम्हें खोकर भी मैंने तुम्हारी इज़्जत नहीं खोई।"
फोन कट हो चुका था…
लेकिन इस बार सूरज की आँखों में आँसू नहीं थे।
🔥 दर्द से आग बनने का सफर
उस दिन सूरज ने फैसला लिया—
अब वो दुआ नहीं करेगा… अब वो खुद को बदल देगा।
दर्द ने उसे तोड़ा था…
लेकिन अब वही दर्द उसे मजबूत बना रहा था।
उसने जिम जॉइन किया 💪
किताबें पढ़ना शुरू किया 📚
पार्ट टाइम काम ढूंढा 💼
अब वह रोता नहीं था…
बस चुपचाप खुद को बेहतर बना रहा था।
💭 हर रात दिमाग में वही शब्द गूंजते—
"जिसने छोड़ा है, उसे कभी दिखाना मत… कि तू टूट गया।"
🌹 कुछ तो बाकी था…
लेकिन दिल से feelings इतनी जल्दी नहीं जातीं।
कभी-कभी वो पुराने फोटो देखता…
कभी वो चैट पढ़ता…
कभी एक voice note…
"I love you Suraj 💕"
जैसे दिल में चाकू घुसा देता।
कई रातें फिर भी आंसुओं में गुजरतीं…
पर अब हर बार वह खुद से कहता—
"तू रो रहा है आज…
पर जल्द ही लोग तेरी फोटो पर कहेंगे—
'वाह… कितना बदल गया है!'"
🌙 एक रात… अचानक मुलाक़ात
लगभग एक महीना बीत चुका था।
उस रात सूरज पार्क में बैठा था, आसमान में तारेदेख रहा था…
ठंडी हवा थी, लेकिन दिल अब शांत लगता था।
तभी पीछे से किसी ने धीमी आवाज़ में कहा—
"सूरज…"
वो आवाज़…
वो एहसास…
वो कंपकंपी—
माहीं थी।
वो सामने आई…
चेहरा उदास था… आँखें लाल थीं…
वो पहले से ज्यादा टूटी हुई लग रही थी।
सूरज ने चौंककर पूछा—
"तुम… यहाँ?"
माहीं ने धीमी आवाज़ में कहा—
"मुझे तुमसे बात करनी है… बहुत ज़रूरी।"
सूरज ने उसकी आँखों में देखा—
इन आंखों में वो चमक नहीं थी जो सचिन के साथ दिखती थी।
कुछ तो हुआ था…
कुछ बड़ा…
और सूरज के दिमाग में सिर्फ एक सवाल दौड़ा—
🔥 "क्या सचिन ने उसे धोखा दिया…?"
To Be continue.................
"सूरज… मुझे माफ़ कर दो… मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी।"
पर क्यों…?
क्या हुआ था?
क्या सचिन ने उसे छोड़ दिया?
या कुछ और बड़ा सच सामने आने वाला है?
👇👇
wait for next part.........!
writer:- ................
.................Vikram kori .