उड़ान - Novels
by ArUu
in
Hindi Fiction Stories
आज वह बहुत परेशान थी आँखे रुहासी जल मग्न थी बहुत अकेला महसूस कर रही थी खुद को। जिंदगी ऐसे मोड़ पर खड़ी थी जहा से मुड़ कर देखना उसके लिए मुश्किल सा हो रहा था । अपने छोटे ...Read Moreकमरे में अकेले बैठे आँसू बहा रही थी। जब कुछ निष्कर्ष न निकाल पायी तो रसोई की तरफ चल दी। कूकिंग उसका शौक था। जब भी उदास होती तो खाना न बना कर मन हलका कर लेती। पर आज वह इतनी दुखी थी की उसका मन कहीं नहीं लग रहा था। थक हार कर बिस्तर पर सिमट गयी। आँखों से अविरल आँसू बह रहे थे। जाने कोनसा पल उसके लिए आखरी हो। ऐसा नही था की उसे कोई ज
ये कहानी है काव्या की जो एक 21 साल की युवती है। उसे अपने जीवन में कई उतार चढाव का सामना करना पड़ता है। जिसको वह चाहती है वह सब उससे दूर चले जाते है पर फिर भी उसके ...Read Moreकम नहीं होते। अपने होसलो के दम पर वह सारे मुकाम हासिल करती है जिसे वह चाहती है पर ये सफर कितने काँटों भरा था ये सिर्फ वह जानती है। जिसे लफ़्ज़ों के मोती में पिरोने का छोटा सा प्रयास है। ये कहानी...
ये कहानी है काव्या की जो एक 21 साल की युवती है। उसे अपने जीवन में कई उतार चढाव का सामना करना पड़ता है। जिसको वह चाहती है वह सब उससे दूर चले जाते है पर फिर ...Read Moreउसके होसले कम नहीं होते।
अपने होसलो के दम पर वह सारे मुकाम हासिल करती है जिसे वह चाहती है पर ये सफर कितने काँटों भरा था ये सिर्फ वह जानती है। जिसे लफ़्ज़ों के मोती में पिरोने का छोटा सा प्रयास है।
ये कहानी...
ये कहानी है काव्या की जो एक 21 साल की युवती है। उसे अपने जीवन में कई उतार चढाव का सामना करना पड़ता है। जिसको वह चाहती है वह सब उससे दूर चले जाते है पर फिर ...Read Moreउसके होसले कम नहीं होते।
अपने होसलो के दम पर वह सारे मुकाम हासिल करती है जिसे वह चाहती है पर ये सफर कितने काँटों भरा था ये सिर्फ वह जानती है। जिसे लफ़्ज़ों के मोती में पिरोने का छोटा सा प्रयास है।
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ये कहानी है काव्या की जो एक 21 साल की युवती है। उसे अपने जीवन में कई उतार चढाव का सामना करना पड़ता है। जिसको वह चाहती है वह सब उससे दूर चले जाते है पर फिर ...Read Moreउसके होसले कम नहीं होते।
अपने होसलो के दम पर वह सारे मुकाम हासिल करती है जिसे वह चाहती है पर ये सफर कितने काँटों भरा था ये सिर्फ वह जानती है। जिसे लफ़्ज़ों के मोती में पिरोने का छोटा सा प्रयास है।
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ये कहानी है काव्या की जो एक 21 साल की युवती है। उसे अपने जीवन में कई उतार चढाव का सामना करना पड़ता है। जिसको वह चाहती है वह सब उससे दूर चले जाते है पर फिर ...Read Moreउसके होसले कम नहीं होते।
अपने होसलो के दम पर वह सारे मुकाम हासिल करती है जिसे वह चाहती है पर ये सफर कितने काँटों भरा था ये सिर्फ वह जानती है। जिसे लफ़्ज़ों के मोती में पिरोने का छोटा सा प्रयास है।
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ये कहानी है काव्या की जो एक 21 साल की युवती है। उसे अपने जीवन में कई उतार चढाव का सामना करना पड़ता है। जिसको वह चाहती है वह सब उससे दूर चले जाते है पर फिर ...Read Moreउसके होसले कम नहीं होते।
अपने होसलो के दम पर वह सारे मुकाम हासिल करती है जिसे वह चाहती है पर ये सफर कितने काँटों भरा था ये सिर्फ वह जानती है। जिसे लफ़्ज़ों के मोती में पिरोने का छोटा सा प्रयास है।
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अपने होसलो के दम पर वह सारे मुकाम हासिल करती है जिसे वह चाहती है पर ये सफर कितने काँटों भरा था ये सिर्फ वह जानती है। जिसे लफ़्ज़ों के मोती में पिरोने का छोटा सा प्रयास है।
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ये कहानी है काव्या की जो एक 21 साल की युवती है। उसे अपने जीवन में कई उतार चढाव का सामना करना पड़ता है। जिसको वह चाहती है वह सब उससे दूर चले जाते है पर फिर ...Read Moreउसके होसले कम नहीं होते।
अपने होसलो के दम पर वह सारे मुकाम हासिल करती है जिसे वह चाहती है पर ये सफर कितने काँटों भरा था ये सिर्फ वह जानती है। जिसे लफ़्ज़ों के मोती में पिरोने का छोटा सा प्रयास है।
ये कहानी...
ये कहानी है काव्या की जो एक 21 साल की युवती है। उसे अपने जीवन में कई उतार चढाव का सामना करना पड़ता है। जिसको वह चाहती है वह सब उससे दूर चले जाते है पर फिर भी उसके ...Read Moreकम नहीं होते। अपने होसलो के दम पर वह सारे मुकाम हासिल करती है जिसे वह चाहती है पर ये सफर कितने काँटों भरा था ये सिर्फ वह जानती है। जिसे लफ़्ज़ों के मोती में पिरोने का छोटा सा प्रयास है। ये कहानी...
कॉलेज के एक्जाम आने वाले थे। हर कोई जोर शोर से तैयारी कर रहा था। काव्या और उसकी टीम भी पढाई में मशगूल थे। कैंटीन से लेकर क्लास तक सब जगह बस किताबें ही किताबें दिखती थी। और धीरे ...Read Moreवो दिन भी आ गया। रुद्र और काव्या को एक ही क्लास मिली थी। दोनों अलग अलग लाइन में पास पास बैठे थे। काव्या बहुत खुश थी पर हल्की सी बैचैन भी थी।वह जिस खिचाव को महसूस करती थी रुद्र के लिए इस हिसाब से तो वह काफी शरमा रही थी। रुद्र की तरफ देखती तो थी पर एक पल
दिन गुजरते गए धीरे धीरे सारे एक्जाम खत्म हो गए पर हाँ एक बात हर एक्जाम में कॉमन होती वो था रुद्र काव्या का पास बैठना और काव्या का कई बार रुद्र को देखना। ********आज लास्ट एक्जाम होने से ...Read Moreप्रिंसिपल सर ने सबको एक हॉल में बुलाया। काव्या का ग्रुप भी गुपचुप करते हुए वहा पहुँच गया। प्रिंसिपल सर ने सबको बताया कि आपके एक्जाम खत्म हो गए है। 2 साल का ये सफर आपका काफी सुहाना रहा होगा। हम चाहते है कि हर बार की तरह हम आपका एनुअल फंक्शन रखे जो कॉलेज की तरफ से हर दो साल
आज कॉलेज में फंक्शन था तो तैयारिया जोर शोर से चल रही थी। सभी बहुत ही ज्यादा उत्साहित थे। अब बारी आने वाले थी काव्या और रुद्र के ग्रुप की। उन्होंने हिंदुस्तान की एक प्रसिद्ध प्रेम कहानी का चयन ...Read Moreक्युंकि मैं राजस्थान से हूँ तो राजस्थान की बड़ी प्यारी सी प्रेम कहानी से परिचित करवाना चाहूँगी जिसका चयन काव्या और रुद्र ने अपने ड्रामे के लिए किया। राजस्थान के प्रसिद्ध सुरवीर शासक पृथ्वीराज चौहान और राजकुमारी संयोगिता की प्रेम कहानी। कन्नोज के शासक जयचंद की पुत्री राजकुमारी संयोगिता और दिल्ली के शास
काव्या कॉलेज गेट के पास बैठे रो रही थी जबकि बारिश बहुत ही तेज हो रही थी। पर वह आज बहुत दुःखी थी...एक तो वह रुद्र को इतना चाहती थी और दूसरा उसकी फीलिंग्स की कद्र करने की बजाय ...Read Moreसामने उसे नीचा दिखाया। उसने मन में ठान लिया की वह अब रुद्र से कभी बात नहीं करेगी। यही फैसला ले वह थोड़ा खुद को शांत करती है। तभी उसका ध्यान जाता है कि इतनी बारिश में भी उसके कपड़े गिले नहीं हुए। वह कुछ सोच के उपर देखती है तो पाती है की अखिल उसके पास छाता लिए खड़ा
सुबह उठ कर काव्या पीहू के घर की तरफ चल दी । उसका बुखार गायब हो चुका था। हाँ गला अब भी खराब था। वहाँ पहुँच कर उसने विनी को भी फोन कर बुला लिया। वही विनी भी आ ...Read Moreकाव्या ने दोनों को रात वाली बात बतायी । काव्या के चेहरे पर इतने दिनों बाद खुशी देख वो दोनों बहुत खुश थी। बहुत देर तक बात करने के बाद काव्या विनी को ले कर अखिल के घर की तरफ चल दी। असल में कॉलेज के दो महीने के हॉलिडे थी तो वो रुद्र का हाल जानना चाहती थी इसलिए
पीहू के जासूसो ने सोहन का पीछा किया तो उन्होंने जो जानकारी दी वह काव्या और पीहू के लिए यकीन से परे थी। सोहन कमाने के बहाने अक्सर घर से दूर रहता पर वह कमाने नहीं वह तो अपनी ...Read Moreसे मिलने जाता। या यू कहे की वह उसी के साथ रहता था। वह औरत यानी सोहन की प्रेमिका सीमा जितनी साधारण औरत नहीं थी। उसका संबंध गुंडा गर्दी से था। हमेशा काले रंग के कपड़े ही पहना करती थी। बड़ी ही डरावनी थी पर रंग रूप में बहुत सुंदर। बस इसलिए सोहन उसका प्रेमी बना घुम रहा था। जाने कितने सालों से। पीहू एक
"काव्या अब घर चले"रुद्र ने उसकी आँखों में आँखें डाल कर पूछा। "थोड़ी देर और रुकते है ना प्लीज़""अच्छा बाबा पर उस पेड़ के नीचे चलते है अब बारिश में भीगना बहुत हुआ""ठीक है चलो" दोनों पेड़ के नीचे ...Read Moreबैठे। बारिश लगभग रुक सी गयी थी। हल्की सी बुँदे गिर रही थी। रुद्र ने काव्या का हाथ थाम कर बोला"काव्या... समझ नहीं आता किस तरह से तुम्हें थैंक्स बोलू। मैने कितना गलत किया तुम्हारे साथ। उसके लिए माफी भी कैसे माँगू और तुम जाने कितनी बार मेरी वजह से जलील हुई। तुम्हें पता है काव्या अगर तुम ना होती तो मैं कभी
प्रिय पाठकोंउम्मीद है आप सब अच्छे होंगेउड़ान का पार्ट 1 लिखे हुए मुझे बहुत टाइम हो गया हैंआज मैं आप सब के बीच में उड़ान पार्ट 2 लेकर आई हूंअब तक आपने पढ़ा की काव्या और रूद्र की एक ...Read Moreलाइफ शुरू हो चुकी हैं । दोनों एक दूसरे के साथ बहुत खुश हैं। और कॉलेज के नए साल के साथ ही उनकी नई मोहब्बत भी उड़ान भरने लगी है।************आज लगभग दो महीने बाद कॉलेज खुला था। सब बहुत खुश थे पर सबसे ज्यादा खुश थे रूद्र और काव्या । और काव्या तो मानों सातवें आसमान पर थी। रूद्र का
आज कॉलेज से ट्रीप जा रही थी। सब बहुत खुश थे। काव्या ने हल्के नीले रंग का सूट पहना हुआ था। बहुत खूबसूरत लग रही थी वह सूट में पर चेहरे की उदासी वह छुपा नहीं पा रही थी। ...Read Moreकी बसे चल पड़ी अपने गंतव्य की ओर...काव्या विनी के पास बैठी थी वही रूद्र निशि के बगल में बैठा था। काव्या की नजरे रह रह के व्हाइट शर्ट पहन बैठे रूद्र की तरफ चली जाती जिसे वह बड़ी समझदारी से बस की खिड़की की तरफ मोड़ देती।बस में पीहु की फरमाइश पर अंतराक्षरी का प्रोग्राम बना। जो काफी देर
कुछ दिनों बाद काव्या कॉलेज जाने लगी।उसका मन नही था पर नेहा मैम के फोन कॉल्स आने पर उसका मन नही होने पर भी वह कॉलेज की तरफ चल पड़ी।इससे पहले विनी और पीहु ने उसे कितनी बार कॉलेज ...Read Moreको कहा यहां तक कि कई बार को उसे लेने घर भी आई पर काव्या ने उन्हें मना कर दिया पर नेहा मैम के बार बार कहने पर वह उनको मना नहीं कर पाई।वह कॉलेज तो गई पर क्लासरूम में जाने की उसकी हिम्मत नही हुई। वह रूद्र को देखना नहीं चाहती थी । शायद डरती थी उसके सामने जानें
काव्या अपने पापा के इस तरह के बर्ताव से हैरान थी।वह जिस नेहा मैम की इतनी इज्जत करती थी उनके बारे में ऐसा सुन कर उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। पर उसके दिल में नेहा मैम की जो छवि ...Read Moreवह उसके पापा के इन कड़वे बोलो से धूमिल नहीं हो पाई थी। वह अब भी मानती थी की नेहा मैम जैसी दिल की अच्छी औरत कभी ऐसा नहीं कर सकती थी। वह मन ही मन ये सोच के बहुत खुश थी की नेहा मैम उसकी मम्मा है। पर उसके मन में अभी भी एक शंका थी जिसे वह समझ
अरसा बीत गया इन सब लम्हों कोनेहा और जीवन के साथ बिता वक्त काफी हसीन था।अपनी मम्मी पापा के साथ बिताए पल बहुत खूबसूरत थे पर ये सब काव्या को खलने लगा था। इस शहर में रह कर उसे ...Read Moreजिंदगी में रूद्र की कमी बहुत खलती थी। इस शहर की हर चीज उसे रूद्र की तरफ खींचे ले जाती। खाली वक्त में वह पीहु विनी से मिल आती पर अकेलापन उस पर हावी होने लगा था। जब नेहा को उसके दिल का हाल मालूम पड़ा तो उसने कुछ दिन के लिए उसे घर से दूर इंडिया टूर के लिए
वह काव्या को ऐसे हंसते देख समझ ही नही पाया कि उसके साथ हो क्या रहा हैकाव्या की मासूम सी मुस्कुराहट देख वो सोचने लगा कि कोई लड़की सच में हंसते हुए इतनी प्यारी लग सकती है।वो काव्या को ...Read Moreरोक टोक किए बस देखता रहा। काव्या को आज अरसा हुआ था खुल के हंसे। वह अपनी हसीं पे काबू करती हुई बोली,I'm sorry... तुम इतना क्यों डर रहे हो मैं तो बस यहां तुमसे माफी मांगने आई थी। मुझे बुरा लगा तुम्हारे साथ ट्रेन में जो मैंने बर्ताव किया।तब वह लड़का समझ पाया की काव्या क्यों हंस रही थी।
आज काव्या इतने दिनो बाद घर आई थी विनी और पीहू पहले से उसके घर पर थे । हंस के बाते कर रही थी पर आंखो की नमी को छुपाना उसके लिए आसान नहीं हो रहा था। तभी शिव ...Read Moreफोन आ गया। उसकी बातों से काव्या के चेहरे पर गम भरी खुशी थी।कम्पनी के प्रोजेक्ट के लिए काव्या को अगले हफ्ते ही मुंबई के लिए निकलना था। वह अपनी नई जिंदगी के लिए खुश तो थी पर वह इतनी जल्दी घर से जाना नही चाहती थी। कुछ वक्त वह अपनी मां और दोस्तो के साथ बिताना चाहती थी। पर
विहान बुत बने खड़ा था । ना उसने काव्या को गले लगाया न ही खुद से दूर किया । कुछ वक्त बाद काव्या को समझ आया की वह क्या कर रही हैं तो उसने झटके से विहान की खुद ...Read Moreदूर किया और अगले ही पल बिना कुछ बोले उस कमरे से बाहर चली गई ।विहान ने उसे रोकना चाहा पर काव्या तब तक बहुत दूर जा चुकी थी। शोएब और शिव समझ नही पा रहे थे की हो क्या रहा है ।शिव काव्या के पीछे पीछे नीचे गया तब तक वह जा चुकी थी। शिव काव्या के घर भी
काव्या का गुस्सा सातवें आसमान पर था। सामने बेड पर लेटी निशी को देख वह अपने गुस्से पर से काबू खो ती जा रही थी ।उसने निशी को अपने ग्रुप में जगह दी फिर भी उसने उसकी जिंदगी बर्बाद ...Read Moreदी।उसने उसका प्यार उससे छीन लिया।वह कभी माफ नहीं कर सकी थी उसे आज तक और न ही कभी करना चाहती थी ।वह उसकी बात सुनना तो दूर उसकी शक्ल देखना पसंद नहीं करती ।उसे सारे पुराने जख्म हरे हो चले थे।ट्रीप के दिन रुद्र के कपड़े पहने रुद्र के कमरे में निशी का होना ।रुद्र का निशी के साथ
"शिव कुछ बताना है तुम्हे" काव्या ने बोला"हां बोलो ना काव्या" शिव ने उत्सुकता से कहा "विहान अरोड़ा के घर चले" काव्या ने बोला "हां चलो" कह कर शिव ने कार दूसरी तरफ मोड़ दी। कार विहान के बंगलों ...Read Moreतरफ चल पड़ी । वॉचमैन ने इशारा कर दिया और शिव ने कार पार्किंग में पार्क कर दी।क्योंकि काव्या पहले ही आ चुकी थी तो वॉचमैन ने उसे रोका नहीं।काव्या बिना अपॉइंटमेंट के अंदर चली गई। Welcome to RK Heaven उसे बड़े अक्षरों में लिखा नजर आया ।विहान बाहर गार्डन में अपने पौधों को पानी पिला रहा था । "हेलो