Udaan - 15 books and stories free download online pdf in Hindi

उड़ान - 15

पीहू के जासूसो ने सोहन का पीछा किया तो उन्होंने जो जानकारी दी वह काव्या और पीहू के लिए यकीन से परे थी।
सोहन कमाने के बहाने अक्सर घर से दूर रहता पर वह कमाने नहीं वह तो अपनी प्रेमिका से मिलने जाता। या यू कहे की वह उसी के साथ रहता था।
वह औरत यानी सोहन की प्रेमिका सीमा जितनी साधारण औरत नहीं थी।
उसका संबंध गुंडा गर्दी से था। हमेशा काले रंग के कपड़े ही पहना करती थी।
बड़ी ही डरावनी थी पर रंग रूप में बहुत सुंदर। बस इसलिए सोहन उसका प्रेमी बना घुम रहा था। जाने कितने सालों से।

पीहू एक पल तो डर गई। पर उसने अपने जासुसो से उनपे सावधानी से नज़र रखने को कहा।

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काव्या सोच रही थी की जिस इंसान को उसने भगवान जैसा समझा वह इतना गिरा हुआ निकला। और रुद्र तो आज भी उसकी इतनी इज़्ज़त करता है। वह गुस्से से भर गई और गुस्से में उस जगह के लिए निकल पड़ी जहाँ सोहन प्रिया (प्रेमिका) के साथ रहता था।
वह अपने गुस्से में इस खतरनाक काम के अंजाम की परवाह किये बिना चली गयी।
वहाँ पहुँच कर वह अंदर जाने ही वाली थी की कुछ सोच कर वह वापस मुड़ गयी।
वह वहाँ से निकल कर सीधा रुद्र के पास गयी। रास्ता लंबा था तो वह पीहू की कार ले गयी थी। वापस आते समय बारिश शुरू हो गयी थी। तेज बारिश में जब कोई कार रुद्र के घर के सामने रुकी तो वह बाहर झांक के देखने लगा की इतनी बारिश में कौन आया है।
कार में काव्या को देख वह भाग कर अंदर गया और एक छाता ले आया।
वह काव्या को बारिश से बचा अंदर ले आया।
काव्या को सीमा ने चाय ला कर दी। काव्या ने कप पकड़ कर रुद्र के सामने देखा और फिर सीमा से कहा।
"चाची जी आपसे कुछ बात करनी है"
"हाँ हाँ कहो ना बेटा... क्या बात है"
रुद्र उसे नजर टिकाये देख रहा था।
"चाची जी आप हिम्मत से मेरी बात सुनना... प्लीज़ गुस्सा किये बिना पूरी बात सुनना और फिर कुछ कहना "
"बोलो तो सही... क्या बात है... ऐसे पहेलिया मत बुझाओ"
"आपसे अकेले में बात करनी है... रुद्र के सामने नहीं"
चाची ने रुद्र को देखा तो वह वहाँ से चला गया।
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काव्या ने सीमा से रुद्र के बीमारी से लेकर प्रिया तक की सारी कहानी बता दी।
उसने सोहन की इतनी कड़वी सच्चाई सीमा को बतायी। सीमा ने बिना कुछ कहे सब सुना। काव्या ने सीमा को देखा तो वह एक कुर्सी पर बैठे रो रही थी। पर उसके चेहरे के भाव से ये साफ पता लग रहा था की ये बात उसके लिए नई नहीं है। जैसे वह पहले से सब जानती है।
काव्या सीमा के पास गई और बोली
" चाची जी क्या आप इस बारे में कुछ जानती थी?
सीमा ने भरी आँखों से काव्या को देखा और कहा
"बेटा जानती थी... पर सोहन अब तक उस प्रिया के साथ है ये नहीं जानती थी। "
काव्या को आश्चर्य में देख सीमा ने बताया की जब शादी हुई तब ही सोहन ने बता दिया था की वह प्रिया को पसंद करता है पर धीरे धीरे सोहन मुझसे अच्छा बर्ताव करने लगे थे।
और कुछ सालों में छोटी भी हमारी दुनिया में आ गयी।
सोहन हमेशा मुझसे कटे कटे रहते थे। हमने छोटी को गोद लिया है। वह मेरी सगी बेटी नही है । शादी के बाद डॉक्टर ने बताया की मै कभी माँ नहीं बन सकती।तो छोटी को गोद ले लिया।भईया की नजर मै हम दोनों पति पत्नी थे पर इतने सालों में कभी सोहन ने मुझे अपनी पत्नी नहीं माना। मैंने किस्मत समझ कर समझौता कर लिया और छोटी के सहारे जीने लगी। रुद्र के आने के बाद तो और अच्छा लगने लगा। उसने मेरे बेटे की कमी को पुरा कर दिया था। पर मै नही जानती थी की सोहन अभी भी उसी प्रिया के साथ रहते है "
कहते कहते सीमा रो पड़ी।
काव्या की नज़र दरवाजे की तरफ गयी तो रुद्र और छोटी दोनों उनकी बाते सुन रहे थे। रुद्र गुस्से से भर आया और सीमा काव्या और छोटी को ले प्रिया के घर पहुँच गया।
वहाँ सोहन प्रिया के साथ था।
प्रिया काले लिबास में बैठी थी।
रुद्र को देख उसके होश उड़ गए।
वह कुछ कहता उससे पहले पुलिस आ गयी और उसे गिरफ्तार कर लिया।
रुद्र ने कहा
"जाते जाते कुछ सच तो बोल दो... शायद आपके पाप कम हो जाए"
सोहन ने हँसते हुए कहा
"कोनसा पाप... पाप तो तुम्हारे बाप ने किया था... मुझे मेरी प्रिया से दूर कर के... 24 साल का तो था मैं... कितना गिड़गिडाया था की वो मेरी और प्रिया की शादी करवा दे। पर उनको तो मेरे पल्ले इस गवार को बांधना था ।
मैं पागलो की तरह चाहता था प्रिया को... उसका कसूर बस ये था की वह शहर के जाने माने गुंडे की बेटी थी। पर थी तो वह एक दम भोली सी मेरी प्रिया। पर रुद्र... तुम्हारे पापा नहीं माने। सीमा से शादी के बाद मैने सोच लिया की जिस तरह उन्होंने मुझे प्रिया से दूर किया। मै भी उन्हें उनके अपनो से दूर कर लूँगा।
तुम होने वाले थे ना... उसी दिन मैने तुम्हारी माँ को मार डाला।
उनकी साँसे चल रही थी। मैने ही तो ऑक्सिजन मास्क हटा दिया था। वो तड़प तड़प कर मर गई और उनका तड़पना मुझे अच्छा लगा।
और तो और तुम्हें पता है... वो जो पंडित था उसको भी मैने कुछ पैसे दे कर तुम्हें अभागा बताने को कहा... अनलकी... हाँ हाँ हाँ... तुम तो बहुत लकी हो बेटा। तेरे होते ही तेरे बाप का बिजनेस चल पड़ा। पर मै अब भी खुश नहीं था। जब बहुत दुख बढ़ गया तो मैने तेरे बाप को भी मार डाला। तुझे क्या लगता है तुझे दिल्ली से अपने पास क्यों लाया मै?
हाँ मैने मारा तेरे बाप को और अपनी प्रिया की मौत का बदला लिया।

जैसे ही सोहन ने अपनी बात खत्म की सबकी नज़र काले लिबास पहने बैठी प्रिया पर गयी।
"पर ये तो जिंदा है" रुद्र ने कहा
सोहन ने हँसते हुए रुद्र को देखा और कहा
"जब सीमा से शादी की बात चली और मै अपने बड़े भाई के आगे बेबस हो गया... उसी दिन मेरी प्रिया ने अपनी जान दे दी"
बहुत तड़पा मै उसके लिए पर अब सुकून है... बहुत सुकून।
मै तो तुम्हें भी मार देता... पर तुम सच मै लकी हो की ये लड़की तुम्हारी जिंदगी मै है और इसने इस बार तुम्हें बचा लिया। "
रुद्र ने काव्या की तरफ देखा और उसने प्रिया की तरफ देखा जो अपने चेहरे को ढके हुए थी।
जब उसके चेहरे से पर्दा हटाया तो पता लगा वह प्रिया नही वह तो पीहू थी।
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दरअसल सोहन एक पुतले को काले कपड़े पहना कर रखता जिसे वह प्रिया समझ उसी के साथ रहता। जब पीहू के जसुसो ने उसे ये बात बतायी तो पीहू ने एक प्लेन बनाया।
वह प्रिया बन कर सोहन के पास बैठे गयी। आदतन सोहन जब प्रिया को रोज़मरा की बातें बताने लगा और बातों ही बातों मै अपने सारे जुर्म भी बताता गया। जिसे पीहू ने रिकॉर्ड कर लिया था।
और वह पुलिस को भी ले आयी थी।
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पुलिस सोहन को ले गयी।
रुद्र ने पीहू का बहुत बहुत शुक्रिया अदा किया।
रुद्र ने कहा "तुम उस पागल आदमी के सामने उसकी प्रिया बन कर गयी। अगर उसे जरा भी शक हो जाता तो वो तुम्हें भी मार देता ... क्या जरूरत थी पीहू इतना खतरा मौल लेने की। "

"मैने जो भी किया है अपनी दोस्त के लिए किया है... तुम उसे शुक्रिया कहो।पीहू ने कहा

रुद्र ने काव्या की तरफ देखा और बिना कुछ बोले कार में बैठ गया। सबको ले कर वह घर ले गया। कार पीहू कर घर पार्क की और घर आ गया।
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कुछ ही दिनों में रुद्र ने अपनी पापा की सारी प्रॉपर्टी अपने नाम करवा दी और बिजनस भी संभाल लिया।
आज एक कार काव्या के घर के सामने रुकी
हॉर्न की आवाज़ सुन काव्या बाहर आयी तो देखा एक बड़ी सी महँगी कार में रुद्र बैठा है।
काव्या को बाहर देख रुद्र कार के बाहर आया और काव्या से कहा
"मैंने नई कार ली है... तुम चलोगी मेरे साथ लाँग ड्राइव पर"
"काव्या मुस्कुराते हुए जल्दी से कार में बैठे गयी।
रुद्र ने सोंग प्ले किया
ये आँखे देख कर हम सारी दुनिया भूल जाते है

काव्या गाने में खो गई की रुद्र ने कार रोकी।
काव्या ने देखा की वह एक झील किनारे थे।
रुद्र उसे बाहर ले आया
" तुम्हें पता है काव्या... जब भी मै खुश या बहुत दुःखी होता हू ना तो यही आ कर बैठे जाता हू। "
काव्या ने रुद्र को देखा और मुस्कुरा कर उसके साथ चलने लगी।
झील के किनारे जा रुद्र पानी मे पैर डाले बैठ गया, काव्या भी उसके साथ पानी में पैर डाले बैठ गयी। दोनों घंटों बैठे रहे...खामोशी से... बिना कुछ बोले।
जब शाम होने को आयी तो काव्या ने बोला
"घर चले"
"बस थोड़ी देर और रुक जाओ" रुद्र ने कहा
तभी बारिश होने लगी
काव्या बारिश में भीगने लगी।
वह बेफिक्र हो कर नाचने लगी।
रुद्र एक किनारे खड़ा हो उसे देखने लगा।
बहुत देर देखते देखते जब उसकी आँखे भर आयी तो उसने काव्या को अपनी तरफ खिचा और उसे अपनी बाहों में भर लिया।
बारिश की बूँदों के साथ उसका सारा दर्द आँखों से बह रहा था।
"काव्या... आई लव यू सो मच काव्या"
बारिश और मेहबूब साथ मिल जाए तो कयामत हो जाए। काव्या को किसी शायर की ये लाइन याद हो आयी।
वह रुद्र से सिमट गयी।
बहुत देर दोनों ऐसे ही खड़े रहे।
रुद्र ने काव्या को कुछ कहने के लिए जैसे ही लफ्ज़ संभाले
काव्या ने उसे चुप करवा दिया।
"कुछ मत कहो रुद्र... बस चुप रहो... तुम इज़हार तो बहुत पहले कर चुके... अब मुझे बस इस लम्हे में जीने दो"
रुद्र ने काव्या को खुद से अलग किया।
उसने काव्या को पश्न भरी नजर से देखा तो उसने उस रात की सारी बात बता दी।
रुद्र उसको हँस के देख रहा था।
उसने काव्या को फिर गले से लगा लिया और बारिश उन दोनों को भीगोती रही।
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