Udaan - 2 - 8 books and stories free download online pdf in Hindi

उड़ान - चेप्टर 2 - पार्ट 8

विहान बुत बने खड़ा था । ना उसने काव्या को गले लगाया न ही खुद से दूर किया । कुछ वक्त बाद काव्या को समझ आया की वह क्या कर रही हैं तो उसने झटके से विहान की खुद से दूर किया और अगले ही पल बिना कुछ बोले उस कमरे से बाहर चली गई ।विहान ने उसे रोकना चाहा पर काव्या तब तक बहुत दूर जा चुकी थी। शोएब और शिव समझ नही पा रहे थे की हो क्या रहा है ।
शिव काव्या के पीछे पीछे नीचे गया तब तक वह जा चुकी थी।
शिव काव्या के घर भी गया पर वह बड़ा सा ताला लगा था ।
वॉचमैन ने बताया कि काव्या मैम तो अपने घर के लिए निकल गई है।
उसने अर्जेंट फ्लाइट में अपना टिकट बुक करवा लिया और अपने शहर की तरफ निकल पड़ी।

उसकी आंखो से अविरल धारा बह रही थी।
12 साल में पहली बार उसने रूद्र को देखा था। उसे मुंबई में इस साल का बसनेस मैन ऑफ द ईयर चुना गया था । रूद्र की जगह उस शख्स का नाम था विहान अरोड़ा।
उसने बहुत देर तक उसे देखा। वह विहान अरोड़ा के बारे में न्यूज सुनती रहती थी पर कभी उससे मिली नही। आज पहली बार उसने उसे देखा था। वह उसे अपने रूद्र जैसा दिख रहा था ।
"नहीं मैं जानती हु ये रूद्र है... इसने अपना नाम क्यों बदल दिया और ये इतना बड़ा बिजनेसमैन बन गया है....मेरा रूद्र।"
काव्या को समझ नही आ रहा था की वो खुश रहे या दुखी हो जाए। क्योंकि आज इतने सालो बाद उसने रूद्र को देखा था वो भी विहान के नाम से।
वह चाहती थी की उसे कभी जाने ही न दे पर अगले ही पल उसे याद आया की वह रुद्र नही विहान है।
पर उसकी आंखे जानती थी की वो उसका रुद्र है ।
क्या उसने नही पहचान था उसे ।
क्यों उसने अपना नाम छुपा रखा है सबसे।
नाम तो नाम अपनी पहचान भी छुपा रखी है ।
वह एक पल इस शहर में रूक नहीं सकती थी इसलिए वह निकल पड़ी बिना किसी को कुछ बताए अपने घर की तरफ।
उसे लगा कि उसे शिव को एक बार बता के निकलना चाहिए पर वह अभी कुछ भी समझने की हालत में नहीं थी ।
इतने सालो बाद भी वह रुद्र के स्पर्श को भूल नहीं पाई थी।
वह जानती थी विहान ही उसका रुद्र है पर इतने सालो बाद भी वही उदासीनता ।
क्या रुद्र सच में उसे भूल गया है।
एक पल में सौ सवाल कर बैठती वो खुद से
क्यों नहीं रुद्र ने उसे बाहों में भर लिया
क्यों जाते हुए उसने एक आवाज़ नहीं दी।
वह तो चाहती थी उसके पास जिंदगी भर ठहर जाए पर उसके उसे रोका तक नहीं।
हो सकता है उसने शादी कर ली हो
हां हो सकता है मैं तो उसका कल थी वो कल जो कुछ पल का था।
क्या उसने निशी से शादी की हैं?
शायद उसके लिए ही तो मुझसे दूर गया था ।
कभी अपने दिल को समझती तो कभी तसल्ली देती ।
उसे समझ नही आ रहा था इतने सालो का सब्र सिर्फ रुद्र को देखने भर से कैसे टूट गया ।
क्यों वो उसे देख कर अनदेखा न कर सकी ।
क्यों वो उससे अजनबी की तरह न मिल सकी ।
कब रास्ता पार किया और घर पर आ कर अपने रूम में आ कर सो गई उसे कुछ होश न रहा ।
नेहा को तो उसके आने की खबर ही नहीं ली।
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उधर शिव काव्या के इस बर्ताव से बहुत हैरत में था । काव्या का अचानक ऐसे बिना बताए जाना उसे परेशान कर रहा था।
इतने सालो में शिव काव्या के इतना करीब था अचानक उसे खुद से दूर जाते देख वो दुख से भर गया। उसे काव्या का इस तरह रुद्र को गले लगाना बिल्कुल अच्छा नहीं लगा।
वह चाहता था की अभी काव्या के पास जाए और उससे कह दे सब कुछ पर वह अपने दिल के आगे मजबूर था।
वह काव्या को किसी भी हाल में दुखी नहीं करना चाहता था ।
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काव्या की नींद खुली तब रात गहरा गई थी। वह आदतन उसी बालकनी के पास जा खड़ी हुई जहा वह अपने कॉलेज टाइम खड़ी होती थी ।
आज भी वह बगीचा अपनी रौनक लिए वहा था। हां वहा चहल पहल थोड़ी कम हो गई थी पर उसे बहुत राहत महसूस हुई अपने शहर में आ कर ।
तभी उसे किसी के आने की आहट सुनाई दी।
विनी ने उसके कमरे में दस्तक दी।
काव्या उसे देख कर नजर चुराने लगी।
" चौको मत काव्या ...शिव ने मुझे फोन कर के सब बता दिया है।"
काव्या बिना कुछ कहे विनी से लिपट कर रोने लगी।
वह आज अपना सारा दर्द बहा देना चाहती थी जो सैलाब इतने सालो से अपने अंदर भर रखा था ।
वह चाहती थी की आज खुद को पूरा खाली कर दे । काव्या ने ट्रीप की रात वाली बात से ले कर विहान तक की सारी दास्तान विनी को सुना दी।
उसने विनी से सारी बात कह डाली। विनी भरी आंखों से उसे चुप कराने की नाकाम कोशिश करती रही।
जब बहुत देर रोने के बाद काव्या शांत हुई तो विनी ने उसे प्यार से अपनी गोदी में सिर रख सुला दिया।
"काव्या मुझे पता है तुम इतने सालो से परेशान हो रुद्र के लिए पर मैने तुमसे कभी कुछ नहीं कहा... इस बीच मेने पीहू ने सबने शादी कर ली पर कभी तुम्हे शादी के लिए मजबूर नहीं किया। जानती हो क्यों???
काव्या ने कोरी आंखो से विनी को देखा।
विनी ने बोलना जारी रखा।
"क्योंकि हम सब जानते है की तुम रुद्र के सिवा कभी किसी को हमसफर के रूप में नहीं देख सकती। और कही न कही हम सब ये भी जानते थे की रुद्र तुम्हे धोखा नही दे सकता "
तुम्हारे बीच क्या हुआ ये हम में से कोई नही जानता था और न कभी तुमने किसी को बताया।
पर कुछ दिनों पहले जो मुझे बात पता चली वो तुम्हारे लिए वाकई में बहुत बड़ी खुश खबरी है और तुम चाहो तो अभी रोना बन्द कर के खुश हो सकती हो।"
काव्या के प्रश्न भरी नजर से काव्या को देखा और खड़ी हो गई ।
"बताओ विनी क्या बात है"
"आज नही ...आज तुम सो जाओ कल में तुम्हे किसी से मिलवाने ले चलूंगी"
"पक्का न मेरे लिए खुशी की बात है"
"हां बाबा पक्का...देखना तुम सारा दुख भूल जाओगी बस अभी सो जाओ" कर कर विनी ने काव्या का माथा चूमा और उसे सुला दिया ।
विनी को दिल के राज बता काव्या बहुत हल्का महसूस कर रही थी ।
वह जल्दी ही नींद के आगोश में चली गई।

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सुबह विनी जल्दी आ गई काव्या के घर।
पर काव्या अभी तक सो रही थी ।
ज्यादा रोने की वजह से उसकी आंखे सूझ गई थी ।
विनी ने नेहा को काव्या के आने की खबर दे दी थी ।
नेहा ने सुबह काव्या के पसंद का नाश्ता बना लिया था । विनी काव्या को उठा कर तैयार होने के लिए बोल गई।
कुछ देर बाद काव्या नीचे आई और नाश्ता कर विनी के साथ चल दी।
विनी उसे एक हॉस्पिटल में ले गई।
बेड पर लेटे पेसेंट को देख कर काव्या आग बबूला हो गई ।
वह चाहती की एक पल में उसकी जान ले ले पर विनी ने उसे रोक दिया ।
"क्या कर रही हो काव्या संभालो अपने आप को...वह पहले से बीमार है "
"उसने ही मेरी जिंदगी बर्बाद की हैं विनी "
काव्या गुस्से में उसकी ओर देख कर कहने लगी

शेष...