Udaan - 2 - 6 books and stories free download online pdf in Hindi

उड़ान - चेप्टर 2 - पार्ट 6

वह काव्या को ऐसे हंसते देख समझ ही नही पाया कि उसके साथ हो क्या रहा है
काव्या की मासूम सी मुस्कुराहट देख वो सोचने लगा कि कोई लड़की सच में हंसते हुए इतनी प्यारी लग सकती है।
वो काव्या को बिना रोक टोक किए बस देखता रहा। काव्या को आज अरसा हुआ था खुल के हंसे। वह अपनी हसीं पे काबू करती हुई बोली,
I'm sorry... तुम इतना क्यों डर रहे हो मैं तो बस यहां तुमसे माफी मांगने आई थी। मुझे बुरा लगा तुम्हारे साथ ट्रेन में जो मैंने बर्ताव किया।
तब वह लड़का समझ पाया की काव्या क्यों हंस रही थी। अब वह अपनी हरकत पर हंसने लगा। उसने काव्या को बोला
" कोई बात नहीं मैं उस वक्त गहरी नींद में था तो तुम्हारी गोद में पैर रख दिए गलती तो की थी मैने , I'm sorry too"
शिव...शिव नाम है मेरा और आपका
"काव्या"
काव्या ने धीरे से बोला और जाने लगी।
तभी उसने साथ में ब्रेकफास्ट करने का ऑफर दिया तो वह मना नहीं कर पाई।
बस सिलसिला चल पड़ा वही से।
अब काव्या कही भी जाती शिव उसके साथ होता।
फ्लर्ट करने में आगे था वह पर काव्या से कभी फ्लर्ट कर नही पाया।
काव्या के साथ उसे सुकून मिलता था । उसने इतने टाइम तक अपने बचपन से लेकर जवानी तक के सारे किस्से काव्या को सुना दिए थे । काव्या उसके साथ बहुत सहज रहती। उसे शिव के साथ समय बिताना बहुत पसंद था। क्योंकि वह उसके अतीत के बारे में कुछ नही जानता था।
इसी बीच कभी पीहू विनी का फोन आ भी जाता तो इस डर से की वो लोग कभी रूद्र के बारे में बात न कर ले इसी वजह से वह उनसे ज्यादा बात करने से बचती। वो दोनों भी इस बात को समझती थी इसलिए वो खुद चल के कभी इस बारे में बात नहीं करती।
वक्त कैसे बीत गया पता ही नही चला।शिव के साथ वह दुनियां भूल जाती पर दो दिन बाद उसे जाना था वापस उसी दुनिया में रूद्र की यादों के साथ।
शिव को काव्या का साथ छुट जाना अच्छा नहीं लग रहा था।
वह मन ही मन काव्या को चाहने लगा था। आज तक उसकी जिंदगी में इतनी लडकियां आई पर उसने उनको बस दोस्ती तक सीमित रखा। कभी किसी लड़की ने उसके दिल पर दस्तक नहीं दी। काव्या पर वह दिल हार बैठा था।
काव्या की सादगी उसके दिल को भा गई थी। वह जाने से पहले काव्या को अपने दिल की बात बताना चाहता था। पर काव्या को ऐसे उदास बैठे देख उसकी हिम्मत नही हुई।
पर दो दिन बाद काव्या उससे दूर चली जायेगी ये सोच के उसका दिल बहुत उदास हो गया।
वह देर तक काव्या के पास खामोश बैठा रहा।
जब रात गहरा गई तो काव्या उठ कर जाने लगी।
उसने काव्या को रोका
"थोड़ी देर और बैठ जाओ" उसकी आवाज में भारीपन था।
काव्या बैठ गई
" एक बात बतानी है तुम्हें "
"जल्दी कहो शिव रात बहुत हो गई है सोना भी तो है न "
" I love u" शिव ने उसकी आंखो मे आंखे डाल कर बोला
काव्या सपकपा गई वह समझ नही पा रही थी क्या बोले वह उठ कर वहा से चली गई।
शिव बहुत देर तक वहा बैठा रहा ...उसे लगा जैसे उसने गलती कर दी हो काव्या को अपने दिल का हाल बता कर।
पर दिल का हाल तो बताया भी कहा
काव्या ने तो कुछ सुना भी नही
कितना कुछ था उसके पास कहने को पर वो सब कुछ बिना सुने चली गई
उसे बताने का मौका तो देती की वह उसे कितना चाहता हैं।
शिव सोच ही रहा होता है की फोन की रिंग बजती है ।
काव्या अपना फोन वही भूल गई थी। विनी का फोन था । उसने बहुत बार काव्या को विनी से बात करते देखा था। वह शिव के बारे में भी विनी को बताती रहती थी। पहले तो उसने काव्या का फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा पर फिर भी कुछ सोच कर उसने फोन उठा दिया ।
" हेलो काव्या" दूसरी तरफ से आवाज आई ।
"हेलो " शिव ने बोला तो दूसरी तरफ खामोशी छा गई।
कुछ देर बाद आवाज आई
"शिव???"
" हां शिव बोल रहा हूं, काव्या अपना फोन मेरे पास ही भूल गई है
वह अपने रूम में चली गई हैं "
"अच्छा ठीक है मैं उससे बाद में बात कर लूंगी ...कैसे हो तुम? "
" कुछ खास नहीं ...कुछ जानना था तुमसे अगर तुम फ्री हो तो " शिव ने धीरे से बोला
" हां पूछो ना क्या जानना हैं "
"काव्या की खामोशी की वजह जानना चाहता हूं ...बहुत बार कोशिश की पर वह कुछ बताती ही नहीं। तुम तो उसकी बेस्ट फ्रेंड हो तुम्हें तो पता होगा ना।"
"देखो शिव ...मुझे पता है तुम काव्या के लिए परेशान हो पर उसकी इजाजत के बिना में तुम्हे कुछ नही बता सकती ... कोशिश करना तुम खुद उससे जान पाओ , मुझे यकीन है वो तुम्हे एक दिन जरूर बता देगी।"
विनी ने गंभीर हो कर बोला।
शिव इससे आगे कुछ नही बोल पाया।
वह काव्या को फोन दे कर अपने रूम पर आ गया। पर आज काव्या ने उसे अपने रूम में आने को भी नही बोला । उसकी आंखे भीगी हुई थी ।वह भी कुछ बोलने की हिम्मत भी कर पाया और चुप चाप आ कर लेट गया। सोचते सोचते नींद ने उसे अपनी आगोश में ले लिया ।
सुबह दरवाजा खटखटाने की आवाज से उसकी नींद खुली। घड़ी में देखा तो सुबह के 10 बज रहे थे।
उसने जट से दरवाजा खोला ।
दरवाजे पर हुई दस्तक को देख कर वह चौक गया।
काव्या तैयार हो कर उसके सामने खड़ी थी। मुस्कुराहट के साथ।
उसे एक पल को यकीन ही नहीं हुआ की ये रात वाली काव्या ही हैं। वह कुछ बोलता उससे पहले ही काव्या बोल पड़ी।
"शिव कल का और साथ हैं अपना चलो बाहर चलते है बाइक राइड पर ।"
"अरे तुम बस दो मिनट रुको मैं अभी तैयार हो कर आया "
खुशी खुशी शिव अंदर गया। वह समझ नही पा रहा था की काव्या इसे नॉर्मल रिएक्ट कैसे कर रही है।
थोड़ी ही देर में शिव तैयार हो कर आ गया और दोनों चल पड़े एक अनजाने सफर पर।
रास्ते में शिव ने काव्या से पूछा
"काव्या ...रात को तुम इतनी उदास थी और अब खुश कैसे"
" भोले मत बनो शिव अच्छा अप्रैल फूल बनाया है तुमने मेरा अब ज्यादा स्मार्ट बनने की कोशिश मत करो।"
"अप्रैल फूल??? मैं कुछ समझा नहीं काव्या"
" अरे कमाल करते हो...रात को तुमने मेसेज किया की हैपी अप्रैल फूल काव्या "
शिव ने अपना फोन चेक किया ... सच में उसने काव्या को अप्रैल फूल का मेसेज किया था पर वह गहरी नींद में था उसे कुछ याद ही नहीं रहा।
उसे याद है कॉलेज टाइम लडकिया उसे बहुत कॉल करती थी पर उसने कभी किसी के लिए अपनी नींद से समझोता नहीं किया था और आज काव्या की खुशी के लिए उसने अपने जज्बात अप्रैल फूल के मजाक में बदल दिए थे।
वह दुखी तो हुआ पर काव्या के चेहरे की खुशी देख उसने अपना इरादा बदल दिया।
उसने तय कर लिया था की जब तक काव्या की खामोशी की वजह नहीं जान लेता वह अपने दिल की बात उससे नहीं कहेगा।

*************
शाम को शिव काव्या होटल के सामने बने बाग में टहल रहे थे। काव्या के पास अपना कैमरा था जिसमे उसने बहुत सारी फोटोज क्लिक की थी।
वह अपनी सारी जर्नी की फोटोज शिव को बता रही थी।
शिव उन्हे ध्यान से देख रहा था।
अचानक ही वह बोल पड़ा
"येस मिल गया ... वाउ पापा कितने खुश हो जायेंगे "
काव्या को गले लगा वह झूम उठा
काव्या ने उसकी खुशी का राज पूछा तो
शिव ने बताया कि उसने जो फोटोज क्लिक किए है वो इतने अच्छे है की उनकी तारीफ शब्दो में नही की जा सकती हैं।
शिव ने बोला "काव्या क्या तुम मेरे पापा की कंपनी के लिए फोटोशूट करोगी "
काव्या समझ नहीं पा रही थी शिव क्या बोल रहा है ।शिव ने काव्या के चेहरे को देख समझाने के भाव से बताया कि वह चाहता है की काव्या उसके पापा की कंपनी मे जॉब करे।

काव्या के पास अब जाने के बाद कोई काम नही था ना ही कोई फ्यूचर प्लान तो उसे शिव का ऑफर बुरा नही लगा ।
उसने अपनी मां बाबा से बात की तो उन्होंने झट से उसे मंजूरी दे दी।
काव्या बहुत खुश थी ।उसे तो यकीन नहीं था की किसी को उसके फोटो इतने पसंद आ सकते है।
पर काव्या फिर उदास हो गई।
शिव ने इतनी खुशी के मौके पर काव्या की उदासी की वजह पूछी तो वो बोली

"शिव मेरे फोटोज तुम्हे पसंद आए है ... मैं तुम्हारी सिफारिश के दम पर जॉब नहीं चाहती शिव।"

"किसने बोल दिया तुम्हे की मैं तुम्हारी सिफारिश करूंगा ...तुम खुद ये फोटोज हमारी कंपनी को मेल करना फिर देखना "

"और मुझे रिजेक्ट कर दिया तो"
" अरे बाबा ... मुझे पता है कंपनी को कैसे फोटो पसंद आते हैं । तुम्हे बस उनके प्रोडक्ट के लिए फोटोग्राफी करनी है ... "

"इतने लोग है अच्छे फोटोग्राफर तो उन्हे क्यों नहीं देते टेंडर "

" हां है बहुत लोग पर वो बहुत डिमांडिंग है और हमारी कंपनी हर बार नए लोगो को मौका देती है तो पापा ने बताया था मुझे और इस काम की जिम्मेदारी भी मुझ पर थी पर में तुम्हारे चक्कर में ये सब भूल गया और देखो तुममें ही मुझे अच्छा फोटोग्राफर मिल गया"
"अब तुम फोटोज मेल कर रही हो या वो भी में ही करू"
"हां बाबा कर रही हूं "
हंसते हुए काव्या ने कहा

काव्या ने अपनी क्लिक की हुई फोटोज शिव की कम्पनी को मेल कर दिए
काव्या बहुत खुश थी । उसके पास अब जीने की नई राह खुल गई थी।
शिव चाहता था वह उसकी कुछ मदद कर दे पर उसे पूरा भरोसा था की कंपनी उसे मौका जरूर देगी इसलिए उसने अपने अंडर काम करने वाले राजू भईया से फोन कर काव्या के बारे में कुछ सिफारिश नहीं की।
***************
काव्या का आज लास्ट दिन था शिव के साथ
वह वापस अपने घर लौटने वाली थी। वह दोनो ट्रेन में बैठे थे खामोशी से। शिव चाहता था की वह कुछ पल और उसके साथ रुके पर ट्रेन चल पड़ी।
कुछ घंटों का साथ और बचा था उनका।
तभी काव्या के मेल पर मेल आया और वह खुशी से झूम उठी ।
वह शिव के गले लग गई। शिव समझ नही पा रहा था क्या हुआ।
काव्या ने मेल बताया तो शिव भी खुशी से झूम उठा।
कंपनी की तरफ से मेल आया था की उन्हे काव्या की फोटोज बहुत पसंद आई और वो लोग उससे मिलना चाहते हैं।
उसके बाद उनके बॉस डिसाइड करेंगे की उसे सिलेक्ट करना है या नहीं। पर मोस्ट प्रोबैबली है की वह सिलेक्ट कर दी जाएगी ।
शिव बहुत खुश था की कुछ दिनों बाद काव्या फिर से उसके साथ होगी ।
तो काव्या अपनी जिंदगी के नए सफर के बारे में सोच कर रोमांचित हो उठी।
शेष...