Udaan - 2 - 9 books and stories free download online pdf in Hindi

उड़ान - चेप्टर 2 - पार्ट 9

काव्या का गुस्सा सातवें आसमान पर था। सामने बेड पर लेटी निशी को देख वह अपने गुस्से पर से काबू खो ती जा रही थी ।
उसने निशी को अपने ग्रुप में जगह दी फिर भी उसने उसकी जिंदगी बर्बाद कर दी।
उसने उसका प्यार उससे छीन लिया।
वह कभी माफ नहीं कर सकी थी उसे आज तक और न ही कभी करना चाहती थी ।
वह उसकी बात सुनना तो दूर उसकी शक्ल देखना पसंद नहीं करती ।
उसे सारे पुराने जख्म हरे हो चले थे।
ट्रीप के दिन रुद्र के कपड़े पहने रुद्र के कमरे में निशी का होना ।
रुद्र का निशी के साथ रहना उसे रत्ती भर पसंद नहीं था और उसी निशी का आज सामने होना उसके मन में नफरत बढ़ा रहा था।
पर गुस्सा शांत होने पर उसे ख्याल आया की निशी यहां कैसे ।
वो रुद्र के साथ क्यो नही है...और वो इस हाल में कैसे।

कुछ देर बाद जब काव्या सहज हो गई तो निशी ने आत्मग्लानि भरे स्वर में बोला
"मुझे माफ कर दो काव्या... मैं तुम्हारी गुनहगार हूं मुझे पता है मेरी गलती माफी के लायक नहीं है पर में अब इस बोझ को अपने सीने में ले कर मरना नहीं चाहती... तुम चाहो तो मुझे जान से मार दो पर उससे पहले एक बार कह दो की तुमने मुझे माफ कर दिया"।
निशी की आंखो से पश्चाताप के आंसू बह रहे थे ।
वह बिना रुके बोली जा रही थी ।
"काव्या मैं तुम्हारी ही नहीं रुद्र की भी उतनी ही गुनाहगार हूं वो तुमसे बहुत प्यार करता था काव्या उसने कभी तुम्हे धोखा नही दिया"
अब तक बिना निशी की तरफ देखे उसकी बाते सुन रही काव्या ध्यान से उसकी तरफ देखने लगी।
"क्या बोला तुमने उसने मुझे धोखा नही दिया .....फिर उस रात तुम दोनो साथ क्या कर रहे थे ....उसके बारे में सोच कर में कई रातों को सो नहीं पाई थी। बताओ निशी पूरी बात बताओ मुझे" काव्या उसे पकड़ कर रोने लगी।

"बताती हूं इतने सालो से बोझ उठाए जी रही हूं । सारी बात बताती हू तुम ध्यान से सुनना। जब कॉलेज के दिनों में मेरे ब्वॉयफ्रेंड ने किसी और लड़की के लिए मुझे धोखा दे दिया तो बहुत टूट गई थी मैं उस वक्त रुद्र ने मुझे संभाला। वो बस एक टूटे दिल वाली लड़की को संभाल रहा था बस दोस्ती के नाते पर उसका साथ मुझे अच्छा लगने लगा था।
वो मेरे साथ वक्त बीतता ताकि मैं उसे भूल पाऊं पर मैं उसे पसंद करने लगी थी।
तुम जब मुझे उसके आस पास दिखती मुझे बहुत गुस्सा आता।
तुम दोनो का साथ में घूमना मुझे बिल्कुल पसंद नही था । मैं चाहती थी रुद्र बस मेरा बन कर रहे।
ये चाहत कब मुझपे हावी होती गई मुझे पता ही नही लगा।
तुम्हे याद है कॉलेज के दिनों में तुम्हारा कार एक्सीडेंट हुआ था ।
वो एक्सीडेंट मेने करवाया था ताकि तुम्हे रास्ते से हटा सकू पर तुम बच गई।
दिन रात रुद्र तुम्हारे पास रहने लगा।
मैं एक पल तुम्हें उसके पास नही देखना चाहती थी पर उस एक्सीडेंट के बाद रुद्र तुम्हारे और करीब आ गया ।
ये मुझसे देखा नही गया तो मेने रुद्र को सीधे सीधे बोल दिया की वो तुमसे दूर रहे।
वरना मैं तुम्हे जान से मार दूंगी। सिर्फ तुम्हारी जान बचाने के लिए वो मेरे सामने तुमसे दूर होने के नाटक करने लगा।
एक दिन जब में क्लास में नहीं थी तब वो तुम्हे मेरी सच्चाई बताने वाला था पर मैने उसे बोला की तुमने जरा भी कोशिश की काव्या के पास जाने की
तो मैं उसे सच में मार दूंगी। रुद्र को पता था की में कोरी धमकी नहीं देती इसलिए वो तुमसे दूर रहने लगा । "कहते कहते निशी का गला रूंध गया।

काव्या को याद आया एक दिन क्लास में जब वह अकेली बैठी थी तो रुद्र ने उसके कंधे पर हाथ रखा था और कुछ बोलने वाला ही था की दरवाजे पर खड़ी पीहू और निशी को देख रूक गया।
काव्या की आंखों से आंसू बह रहे थे।
कितना प्यार करता है रुद्र मुझसे और मैं उसे कभी समझ ही नही पाई।
कार एक्सीडेंट के बाद तो खाना पीना सोना सब वह हॉस्पिटल में ही करता था एक पल के लिए उसे अकेला नहीं छोड़ता । पर अचानक ऐसे बदलाव को वह कभी समझ क्यों नही पाई।
अपनी गलती पर काव्या बहुत दुखी थी।
अचानक काव्या को ट्रीप वाली रात याद आई जब निशी रुद्र के पास रुकी थी ।
उसने निशी से पूछा "आखिर उस रात तुम रुद्र के कमरे में क्या कर रही थी "

"उस रात मैने शराब बहुत पी ली थी पर रुद्र ने बिल्कुल नशा नहीं किया हुआ था। मेने लाख कोशिश की पर रुद्र को पा नही सकी ।वह दूर हो कर भी तुम्हारा था । मेरे साथ हो कर मेरा नही था । दिन भर साथ रहता पर अजनबी जैसे । मैं जब शराब पी कर टल्ली हो गई तो वो मुझे अपने कमरे में सुला कर खुद अखिल के कमरे में सोने चला गया। सुबह जब तुम आई तो मेरे दिमाग ठनका। मेने सोचा क्यों न तुम्हारे मन में ही रुद्र के लिए नफरत भर दी जाए । उस वक्त मेने ऐसी बर्ताव किया जैसे सच में रुद्र रात भर मेरे साथ रहा हो...वो सुबह जब आया तो तुम जा चुकी थी । उस बेचारे को तो ये तक नहीं पता की तुम क्या सोच कर
यहां से गई हो। तुमने नंबर चेंज कर लिया । मैं अपनी कामयाबी पर बहुत खुश थी पर भगवान सब देखता है। उसने मुझे जिंदगी भर की सजा दे दी ...मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई काव्या .....माफ कर दो प्लीज" कह कर निशी ने काव्या के दोनो हाथ पकड़ लिए और रोने लगी।

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"क्या हुआ तुम्हारे साथ और तुम्हारी ये हालत कैसे हुई" काव्या ने पूछा
"सब मेरी गलती की सजा है ,.....कॉलेज खत्म होने के बाद रुद्र मुझसे बहुत दूर चला गया । क्योंकि अब मैं तुम्हे कुछ नुकसान नहीं पहुंचा सकती थी तो वो मुझे छोड़ कर चला गया ....साथ तो कभी था नही फिर भी .....इन सब के बाद भी मुझे कुछ फर्क नहीं पड़ा में उसी ढंग से अपनी जिंदगी जी रही थी ।
शायद रुद्र ने कोशिश की हो तुमसे मिलने की या नहीं मुझे नही पता। पर कुछ सालो बाद मेरी जिंदगी में एक लड़का आया । बहुत प्यारा सा । उसने मुझे बताया कि प्यार क्या होता है। मैं उसके साथ रह कर समझ पाई की क्यों आखिर लोग एक दूसरे के लिए पागल हो जाते है। उससे मिल कर समझ आया की मेने सबके साथ कितना गलत किया है। क्योंकि प्यार तो समर्पण का दूसरा नाम है । मेरी जिंदगी बहुत खुशी से निकल रही थी। कुछ टाइम बाद हमारी झोली में भगवान ने दो बच्चे दिए जुड़वा। मैं इतना सब पा कर बहुत खुश थी। पर भगवान को कुछ और ही मंजूर था। एक दिन पिकनिक पर जाते टाइम हमारा कार एक्सीडेंट हो गया। मेरे दोनो बच्चे और मेरे पति उसी वक्त मुझे छोड़ गए। एक्सीडेंट इतना बुरा था की 3no उसी वक्त दुनिया छोड़ गये। मैं होश में नहीं थी। 6 महीने बाद में कोमा से बाहर आई । तब अहसास हुआ की मैं अपना सब कुछ खो चुकी हूं। मेरे पास जीने की कोई वजह नहीं थी । पर भगवान ने मुझे जिंदा रखा ताकि मुझे अपनी गलतियों का अहसास हो। मैं मर जाती तो शायद ये बोझ मेरे सिर से कभी नही जाता। आज दो साल से में इस हालत में हू ओर बस तुमसे माफी मांगने के लिए जिंदा हूं। सब कुछ खो कर अहसास हुआ की मैने तुमसे भी तो तुम्हारा सब कुछ छीन लिया था तो मैं कैसे खुश रह पाती।
रुद्र से भी माफी मांगना चाहती हू पर मुझे नही लगता की इतना वक्त है मेरे पास।
दिन रात बस एक दुआ करती की तुम्हे बस एक बार माफी मांग से और तुम फिर से आबाद रहो।
भगवान ने मेरी सुन ली और कुछ दिन पहले विनी को मेरे पास भेज दिया। अब देखो मैं चैन से मर पाऊंगी।" आंसुओ के साथ निशी ने अपनी बात खत्म की।

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विनी ने काव्या को बताया कि वह अपने रिश्तेदार से मिलने हॉस्पिटल आई थी तब उसे निशी दिखी ।जब उसने इस हालत के बारे में पूछा तो उसने सब सच बता दिया । मैं चाहती तो तुम्हे उसी वक्त फोन पर बता देती पर मैं नहीं जानती थी की तुम आज भी रुद्र से प्यार करती हो। पर कल जब तुम्हे रुद्र के लिए ऐसे तड़पते देखा तो मुझे लगा की तुम्हे निशी से मिलवाना चाहिए।
काव्या ने विनी को गले लगा लिया।
"विनी मैं बहुत खुश हूं आज....मेरा रुद्र बस मेरा है विनी" उछलते हुए काव्या ने कहा
"हां बस तेरा ही है काव्या"भरी आंखों से विनी ने बोला ।
दोनो ने निशी की तरफ देखा तो वह इस दुनिया से दूर जा चुकी थी ।
शायद कुछ सांसे उसने काव्या को इतनी सी बात बताने के लिए बाकी रखी थी।
सारे रीति रिवाज से उसने निशी का अंतिम संस्कार करवाया और मुंबई की तरफ निकल पड़ी।
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शिव को उसने बता दिया था तो शिव उसे लेने एयरपोर्ट पर आ गया था।
दोनो कार में गुमसुम बैठे थे
काव्या समझ नही पा रही थी की जो किस्सा वह शिव से इतने सालो से छुपा रही है वह उससे कैसे बयान करे।

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