Udaan - 10 books and stories free download online pdf in Hindi

उड़ान - 10

कॉलेज के एक्जाम आने वाले थे। हर कोई जोर शोर से तैयारी कर रहा था। काव्या और उसकी टीम भी पढाई में मशगूल थे। कैंटीन से लेकर क्लास तक सब जगह बस किताबें ही किताबें दिखती थी। और धीरे धीरे वो दिन भी आ गया। रुद्र और काव्या को एक ही क्लास मिली थी। दोनों अलग अलग लाइन में पास पास बैठे थे। काव्या बहुत खुश थी पर हल्की सी बैचैन भी थी।वह जिस खिचाव को महसूस करती थी रुद्र के लिए इस हिसाब से तो वह काफी शरमा रही थी। रुद्र की तरफ देखती तो थी पर एक पल में उसके चेहरे पर लाली आ जाती।क्लास में सर आये और पेपर बाँट दिये गए। अचानक काव्या के चेहरे का रंग उड़ गया उसको याद आया की वह अपना एडमिट कार्ड घर ही भूल आयी है।
उसने सर को अपनी प्रॉब्लम बतायी तो उन्होंने उसे घर जा कर जल्दी से लाने की इज़ाज़त दे दी। कोई और होता तो उसे क्लास से बाहर कर दिया जाता पर काव्या की अच्छी इमेज के कारण उसे यह स्पेशल ट्रीटमेंट दिया गया। अब मुसीबत ये थी की वह पैदल घर जाती तो उसे आने जाने में ही 40 मिनट लग जाते ऐसे में वह बहुत परेशान हो गयी। सबने अपना पेपर शुरू कर दिया था। काव्या सोच में पड़ गयी... उसे विनी पीहू किसी का भी ख्याल नहीं आया क्युंकि वह दूसरी क्लास में थे। और इसी क्लास में होते तो वह उन्हें अपनी वजह से परेशान नहीं करती। तभी रुद्र उठा और उसने कहा "मै चल लेते हू तुम्हारे साथ... बस 10 मिनट में वापस आ जायेंगे। तुम इतनी चिंता मत करो"
इतना कह कर वह अपने फ्रेंड से उसकी बाइक की चाबी लेता है और काव्या के साथ चल देता है। काव्या बिना कुछ कहे उसकी बाइक के पीछे बैठे जाती है। बाइक स्टार्ट होते ही काव्या का हाथ रुद्र के कंधे पर जा टिकता है पर वह जल्दी से वापस अपना हाथ खीच लेती है। रुद्र बिना कुछ कहे जल्दी बाइक ले कर काव्या के घर के आगे पहुँच जाता है। काव्या हैरान थी की उसे कैसे पता उसका घर कहा है।वह चुप चाप अपने घर के अंदर जा कर अपना एडमिट कार्ड ले आती है और जल्दी से बाइक पर बैठे जाती है। जल्दी बैठने के चक्कर में फिर से वह रुद्र के कंधे पर अपना हाथ रख देती है। जिससे रुद्र काव्या की तरफ देखता है... काव्या ऐसे उसे अपनी तरफ देखते देख हाथ हटा देती है। वह बाइक पर रुद्र से कुछ दूरी बना के बैठे जाती है।कॉलेज आते ही जब बाइक के ब्रेक लगते है तो काव्या सीधे जा की रुद्र से टकरा जाती है और जो दूरी उसने बना रखी थी वह भी मिट जाती है। वह चाहती थी की रुद्र से ऐसे ही चिपकी रहे पर रुद्र ने संभलते हुए कहा "काव्या कॉलेज आ गया है... अन्दर नही चलोगी क्या?
काव्या उतर कर क्लास में आ गयी और जल्दी से अपना काम करने लगी। रुद्र भी अपना पेपर करने लगा। पेपर होने के बाद काव्या को याद आया की उसने रुद्र को एक बार भी थैंक्स नहीं बोला तो वह भाग कर रुद्र के पास गयी जब वह अपने दोस्तों के पास खड़ा बाते कर रहा था रुद्र ने जब काव्या को अपनी तरफ आते देखा तो वह समझ गया की काव्या क्या बात करने आ रही इसलिए वह सब दोस्तों को बाय कर आगे बढ़ गया। वह नहीं चाहता था की काव्या को असहज लगे। थोड़ा आगे जा कर वह रुक गया तब तक काव्या वहा पहुँच चुकी थी। रुद्र ने कहा "थैंक यु बोलने आयी हो न" उसने काव्या की आँखों मे झांक कर कहा।
काव्या खुश होते हुए बोली तुम्हें मालूम था?
"जी मोहतरमा... देर से ही सही आपको अहसास तो होता है। " रुद्र ये बात हल्की सी मुस्कुराहट के साथ कह गया। काव्या का दिल तो जाने क्या क्या सपने बुनने लगा था। वह रुद्र को जाते हुए देखती रही। वह सोच रही थी की रुद्र किस अहसास की बात कर रहा है...क्या उसे भी अहसास है की मै उसे पसंद करती हु... क्या वह भी मुझे पसंद करता है... करता है तो इतना कटा कटा सा क्यों रहता है और नहीं करता तो फिर उसने ऐसा क्यों कहा की मुझे देर से अहसास होता है... पसंद नही करता तो आज वो क्यों मुझे परेशान देख कर मेरे साथ चलता... क्यों उस दिन रिहाना को धमकाता...उस दिन भी तो कितने हक से बात की उसने मुझसे। येस वो भी मुझे पसंद करता है। हाँ ये सच है।
सोचते सोचते खुशी से उछल पड़ी।
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