Robert Gill ki Paro - 8 books and stories free download online pdf in Hindi

रॉबर्ट गिल की पारो - 8

भाग 8

अचानक ही उसने महसूस किया कि नींद अच्छी आए इसलिए इस दवा को उसे रोज खिलाया जा रहा है। घाव भी सूख नहीं रहा है। जॉन एफ भी हर दो दिन में यहाँ का चक्कर लगाता और माँ को दवा दे जाता। उसने महसूस किया कि दवा खाने के बाद उसे चक्कर आता है। वह दूध के साथ दवा खाती और थोड़ी देर उसका शरीर घूमता और फिर नींद आ जाती।

माँ ने कहा था कि चिकित्सक बदला है। लेकिन अब सब ठीक हो जाएगा। अगाथा आश्चर्य करती कि चोट के अलावा तो उसको कोई बीमारी नहीं है, फिर यह दवा क्यों? कब ठीक होगी चोट।

एक दिन वह ऐसे ही चक्कर जैसा महसूस कर रही थी। तभी उसके कानों के पास जॉन एफ ने कहा-‘‘ ठंडा गोश्त।’’ उसके सोते जागते स्थिति में जॉन एफ उसके शरीर के साथ खिलवाड़ करता रहा। ‘‘अपनी बहन से सीखा होता कि पुरुष को कैसे सुख दिया जाता है।’’ पुन: वह कान के पास फुसफुसाया। ‘‘वह बच्चा पैदा करने वाली है, उसके साथ यह सब नहीं कर सकता। दाई ने मना किया है। कहाँ जाऊं मैं?’’

सुबह वह एकदम नग्नावस्था में अपने आपको पाती। और बाजू में वह पड़ा खरार्टे लेता होता। जॉन एफ यहाँ के बहुत चक्कर लगाने लगा था। वह असहाय था। वह माँ के सामने यह सब कह डालता, ‘ठंडा गोश्त’ भी कहता। माँ चुपचाप हँसने लगती। कभी-कभी यह हँसी बाहर भी निकल जाती।

एक दिन उसने दवा खाने से इन्कार कर दिया। अब उसका घाव भी ठीक हो चुका था। और नींद भी बगैर दवा के आएगी उसने ऐसा कहा। क्योंकि इस दवा से उसका दूसरा दिन भी बिगड़ जाता है। सिर भारी रहता है और चक्कर आते रहते हैं। लेकिन जॉन एफ कहता कि इस दवा से उसका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। उसमें एक एनर्जी (ऊर्जा) होगी और वह हर काम में परफेक्ट रहेगी। कहकर वह कमीने ढंग से मुस्कुराने लगा। तो अगाथा को लगा कि वह ‘ठंडा गोश्त’ पर कटाक्ष कर रहा है। अगाथा ज्Þयादा लिख-पढ़ नहीं पाती थी। मारपीट भी अब बंद थी।

जॉन एफ अपनी माँ को हिदायत देकर जाता - ‘‘माँ इसकी दवा का गैप नहीं करना। इससे इसका दिमाग शांत रहेगा। दवा नहीं पिएगी तो मर जाएगी।’’ माँ भी मुस्कुराती रहती। जिस दिन वह दवा लेने से इंकार करती माँ उस दवा को दूध में घोल देतीं और ड्रिंकिंग चॉकलेट भी मिला देतीं।

अगाथा सोचती कि ऐसा क्या रोग हो गया है उसे जो यह लोग जानते हैं, उसे पता ही नहीं कि दवा नहीं पिएगी तो मर जाएगी। अब वह ठीक रहती तो भी दवा पीनी पड़ती। जॉन एफ ने उसे डरा दिया था कि किडनी खराब हो सकती है ऐसा चिकित्सक ने कहा है, अत: उसे दवा पीनी ही पड़ती।

टैरेन्स पढ़ने में बहुत तेज नहीं था। लेकिन क्लास-दर-क्लास वह आगे बढ़ रहा था। टैरेन्स शांत रहता था। दूसरे बच्चों की तरह वह शरारती नहीं था। कई विद्वानों का कहना था कि माता-पिता की लड़ाई का असर बच्चों पर पड़ता है। वे अपने आपको असुरक्षित महसूस करते हैं। हाँ, अपने अंकल किम कूरियन के साथ वह खुश रहता। वे भी उसे अपने बच्चे की तरह मानते। उसकी इच्छाओं को किम अवश्य पूरी करता। एक बार किम अपने साथ दो घोड़ों वाली गाड़ी लाया। जिसमें बैठकर तीनों लंदन घूमने गए। राजसी महल को नजदीक से देखा। कई जाने-माने लेखकों के आवास किम ने अगाथा को दिखाए। कई लेखकों के खंडहर आवास भी उन लोगों ने देखे। एक मेला लगा था, जिसमें टैरेन्स ने खूब खेला। यहीं पहली बार उसने मैटल और मिट्टी के बने खिलौने देखे और खरीदे। अगाथा उसकी खरीदी को लेकर मना करती तो किम उसे चुप करा देता। उसके झोले (बैग) में एक सुंदर डॉल, जिसके सुनहरे रेशमी बाल थे। चार घोड़ों वाली फिटन गाड़ी, ऊपर टप वाली गाड़ी जैसी किम लाया था, जिस पर बैठकर वह यहाँ आए थे। और लकड़ी के बने खिलौने जिनको देखकर टैरेन्स खूब खुश हुआ था। अगाथा ने पीतल के दो नक्काशीदार गमले खरीदे थे। जिन्हें वह अपने ड्राइंग रूम में रखेगी। और भी बहुत सारी चीजें खरीदीं, जिनमें टैरेन्स की दादी के लिए लेस लगी कॉलर वाली गरम फ्रॉक थी, जो पैरों तक लम्बी थी। दूसरे दिन ढेर सारे सामान के साथ वे रात में लौटे। जब लौटे तो पता चला जॉन एफ उसी दिन आया था। लेकिन माँ लंदन जाने वाली बात छिपा गई थीं।

रास्ते में अगाथा ने किम को बताया चोट वाली बात कि ठीक होने के बावजूद उसे प्रतिदिन वह दवा दी जाती है कि उसकी किडनी खराब हो गई है, दवा से ठीक होगी। लेकिन किम उस दवा के बाद उसे वॉमिटिंग फील होता है और चक्कर आते हैं। न जाने कैसे-कैसे विचार मन में आते हैं किम... क्या तुम मेरे बाद टैरेन्स का ध्यान रखोगे? टैरेन्स जो ड्राइवर के साथ आगे बैठा था उसने पलटकर माँ को देखा। किम ने अगाथा का हाथ पकड़ लिया। ‘‘तुम्हें कुछ नहीं होगा, मैं आंट से बात करूंगा। और टैरेन्स मेरा बेटा है।’’ कहकर वह चुप और गंभीर हो गया।

माँ ने इतना सारा सामान देखा तो बहुत खुश हो गईं। किम ने बहुत चतुराई से अपनी आंट के हाथ से दूध का गिलास ले लिया और कहा-‘‘आंट, आप तो अगाथा का कितना ध्यान रखती हैं, इतना ध्यान यदि जॉन एफ ने रखा होता तो आज स्थिति ही दूसरी होती। अगाथा ने बताया कि चिकित्सक ने दवा खाना जरूरी बताया है वरना किडनी खराब हो जाएंगी अर्थात् फेल भी हो सकती है। लाइए आज मैं उसे दवा खिला देता हूँ।’’ कहकर दवा की पूड़िया टेबिल पर से उठा ली। वे कुछ न कह सकीं। वह दवा और गिलास लेकर अगाथा के कमरे में आ गया। टैरेन्स जमीन पर एक बड़े गद्दे पर चारों ओर अपने खिलौने फैलाए गहरी नींद में सो गया था। उन खिलौनों में एक लकड़ी का बना सुमधुर आवाज वाला प्यानो भी था, जिसे बजाते हुए टैरेन्स सो गया था। अगाथा ने चादर से उसको ढक दिया था। वह भूखा ही सो गया था। किम ने चिंता प्रकट की तो अगाथा ने कहा-‘रास्ते में काफी कुछ खाया था। मुझे भी भूख नहीं है।’

किम ने आकर दवा की पुड़िया उसे दिखाई और कहा-‘‘कल इसे चिकित्सक को दिखाऊंगा या इसे चेक करवाऊंगा।’’

अगाथा को नहीं मालूम था कि वह मृत्यु की ओर बढ़ चुकी है।

अगाथा ने दूध नहीं पिया बल्कि बड़े प्रेम से उसे किम को पिला दिया। किम ने अगाथा को लिपटा लिया।

दूसरे दिन पॉकेट में दवा की पुड़िया डालकर किम चला गया। माँ ने पूछा-‘‘रात दूध के साथ दवा ली थी?’’

अगाथा ने झूठ कहा-‘‘हाँ! ली थी।’’

किचिन  से खाना बनने की खुशबू आने लगी थी। मसालों की सुगंध ने माँ को किचिन तक खींच लिया। वे भी तरह-तरह के व्यंजन बनते देखकर खुश हो गई। कहा-स्टफ्ड शिमला मिर्च जॉन एफ के लिए निकालकर रख देना। वह शायद रात को आएगा। उसे किम से व्यापार संबंधी बात भी करनी है। अगाथा ने कोई उत्तर नहीं दिया। टैरेन्स अब तक सोया हुआ था। आज उसके स्कूल का वीकली हॉलिडे था। किम तीन- चार घंटों में लौटा। तब तक टैरेन्स अपने खिलौनों के साथ ढलवां पगडंडी पर उतर चुका था। वह अपने खिलौने अपने दोस्तों को दिखाएगा। अगाथा ने उसे खाना भी खिला दिया था।

पाइनएपिल की मीठी गोलियां एक बक्से में बंद होकर किम के घर आई थीं। यह आॅस्ट्रेलिया से व्यापार के सिलसिले में आई थीं। जिसमें से पूरा एक पैकेट किम यहाँ के लिए लाया था। टैरेन्स ने अपने हाफ पैन्ट का पॉकिट इन गोलियों से भर लिया था। उसने कहा था-‘‘मॉम! ऐसी गोलियां देखकर मेरे दोस्त हैरत में पड़ जाएंगे।’’

किम ने आकर अगाथा का हाथ पकड़ा और उसे उसके कमरे की ओर ले गया-‘‘कितने दिनों से यह दवा दी जा रही है तुम्हें?’’

‘तीस- पैंतीस दिन तो हो गए।’’ अगाथा ने कहा।

‘‘तीस- पैंतीस दिन???’’ किम लगभग चिल्ला पड़ा। और ‘धम्म’ से पलंग पर बैठ गया। उसकी आँखें भर आईं।

‘‘क्यों, क्या हुआ?’’ अगाथा ने आश्चर्य से पूछा।

‘‘कुछ नहीं, लेकिन अब मत खाना। तुम्हारी ‘किडनी’ ठीक हो चुकी है। लेकिन और खाओगी तो डैमेज हो सकती है।’’

अगाथा ने फिर हैरत से किम की ओर देखा। नहीं कह सका किम कि यह स्लोपायजन का पाऊडर है। ये लोग तुम्हें मार डालना चाहते हैं। और यदि एक महीना ये लगातार खा लिया जाए तो समझो पेट के भीतर सब फट सकता है। कभी भी अगाथा को इन्टरनल ब्लीडिंग होगी और फिर सब कुछ खत्म हो जाएगा। उस चिकित्सक ने जिसके यहाँ पहले अगाथा को ले जाया गया था बताया कि यह दवा उसके यहाँ से नहीं दी गई है। माथे पर अगाथा को चोट लगी थी। पट्टी बंधवाने के बाद फिर जॉन एफ मेरे पास आया ही नहीं।

जांच से ही पता चला था कि यह पाउडर स्लो पॉयजन है। किम जांच करवाकर दुबारा भागा था उन्हीं परिचित चिकित्सक के पास। लेकिन उन्होंने  ‘नहीं’ में सिर हिलाया था। तीस दिन हो जाए तो कुछ नहीं हो सकता। बस अब अगाथा को खुश रखो। सब कुछ खतम होता जा रहा है। प्रभु से प्रार्थना करो कि उसकी मृत्यु शांति से हो।

अगाथा ने खुश-खुश दोपहर का भोजन टेबिल पर लगाया। लेकिन किम लगातार उदास और चुप था।

‘‘मैं टैरेन्स को लेकर आती हूँ।’’ अगाथा ने किचिन में बर्तन रखते हुए कहा।

वह बंगलों से नीचे जाने वाली पगडंडी पर उतर गई। आंटी को अकेला देखकर किम उनके नजदीक आया।

उसने अपनी आंट (बुआ) के दोनों कंधे पकड़ लिए। और झकझोरते हुए सीधे उनकी आँखों में आँखें डालकर कहा-‘‘आप जानती थीं न कि अगाथा को स्लोपॉयजन आप दोनों मिलकर दे रहे हैं। क्यों आंट क्यों? क्या कसूर था अगाथा का? यही कि उसके समक्ष आपको और जॉन एफ को जी़निया अच्छी लगती है। इसलिए उसे मार डालो। क्या आप ही उसके विरुद्ध नहीं रहीं। कभी अपने बेटे की शकल देखी, पूरा गेंडे जैसा दिखता है। फिर आपने क्यों नहीं परी जैसी लड़की से उसकी शादी की। वह कमाता तक नहीं है। यदि दादाजी उसकी सहायता नहीं करते।  तो क्या था उसके पास?     क्या खूबी है उसमें? क्यों इस भयंकर अपराध में आप उसकी सहायता करती रहीं? प्रभु क्या आपको कभी माफ करेंगे? मैंने वह दवा चैक करवा ली है। अब मैं आपके खिलाफ न्याय करवाऊंगा। यह पुड़िया दादाजी के पास जाएगी। वे आगे जो करना चाहें। चिकित्सक का कहना है कि अब जब वह  तीस पैंतीस दिन से इस दवा को खा रही है तो प्रभु भी उसे नहीं बचा सकता।’’ कहते हुए किम हाँफने लगा। काश! जॉन एफ के पिता भी आपको ऐसा ही पॉयजन देते तो आपकी समझ में आता। वे थरथर कांप रही थीं।

किम ने ऊपर चढ़ने वाली पगडंडी पर अगाथा और टैरेन्स की आवाज सुनी। वह चिल्लाया-‘‘श्रीमती मैरी जॉन, क्या आपको टैरेन्स का भी मामूली ख्याल तक नहीं आया? इतना छोटा बच्चा बगैर माँ के कैसे जिएगा? कैसे जिएगा?’’ वह बच्चों की तरह बिलखकर रो पड़ा।

तभी अगाथा ने टैरेन्स के साथ प्रवेश किया। और वहाँ का माहौल देखकर सकते में आ गई।‘‘ क्या हुआ किम?’’ लेकिन टैरेन्स उसे किचिन की ओर खींचने लगा।

‘‘कुछ खाना दो माँ, भूख लगी है।’’ और किम की ओर घूमते हुए बोला-‘‘ अंकल, दादी से मत लड़ो, वह बहुत अच्छी है। मेरे खिलौने सभी दोस्तों को बहुत पसंद आए।’’

क्या वह अगाथा को बता दे या सुकून से उसे मरने दे। किम सोचता रहा। कुछ फैसला नहीं कर पाया तो जॉन एफ के आने से पूर्व ही वह अपनी फिटन पर बैठकर अगाथा की माँ के घर चला गया।

उसे आया देखकर माँ खुश भी हुई और चिन्तित भी। लेकिन किम ने कुछ नहीं छुपाया, बल्कि कुछ देर बैठकर सब कुछ कह देने की हिम्मत जुटा ली। उसने यह भी बताया कि उसने अपनी आंट को क्या-क्या कहा।

माँ लगभग बेहोश सी अपने जर्जर पलंग पर लेटी थीं। किम उनके नजदीक बैठा था।

‘‘क्या मैं अगाथा को यहाँ लाऊं या आप वहाँ चलेंगी। मैं सोचता हूँ, कुछ समय आप उसी के पास रहें। और यह भी कि सोचकर बताएं कि उसको कुछ बताना है अथवा नहीं। ’’

‘‘क्या हम न्याय का दरवाजा खटखटा सकते हैं किम?’’ फिर स्वत: से बोलीं-‘‘नहीं, रहने दो। सभी अपने ही हैं।’’ उन्होंने अगाथा की मृत्यु को मानो स्वीकार कर लिया था। ‘‘लेकिन किम पहले मुझे जी़निया के पास ले चलो। नागिन को देखना चाहती हूँ कि कैसे उसने अपनी बहन के घर को डसा है।’’

दोनों ने रात को कुछ नहीं खाया। अगाथा की माँ को अपना जीवन व्यर्थ लगने लगा। किम ने बताया कि जी़निया गर्भवती है। अगाथा की मृत्यु होगी, यह चिकित्सक ने बता दिया था। उन्होंने सोचा कि वे ही अभिशापित हैं। उन्हें आज अपने पति बहुत याद आए। उन्होंने तो पहले ही कह दिया था कि अगाथा सीधी सच्ची सरल लड़की है। लेकिन जी़निया बहुत तेज है। जो चाहती है उसे हासिल करती है। वह सुंदर है। लेकिन उसे ऐसा व्यक्ति पसंद आया जो पहले से ही किसी का है। उसे मिस्ट्रेस बनना क्यों ठीक लगा।  उसे तो कोई भी नौजवान मिल सकता था। लेकिन उसे यह नाकमाऊ, बेढंगी देहयष्टि वाला व्यक्ति ही ठीक लगा। जो कुछ ड्रेसेस और जे़वर दिलवाने पर ही उसके ऊपर मर मिटी।

‘‘जैसी प्रभु की मर्जी।’’ उन्होंने उसांस भरी। लेकिन अगाथा के न होने की वे कल्पना भी नहीं कर पा रही थीं। कैसे रहेंगी उसके बगैर? कूल्हे की दोनों हड्डियां बेकार हो गई हैं। न चल सकती हैं न अधिक देर बैठ पाती हैं। अगाथा ने सारा खर्च सम्हाला हुआ था तो उन्होंने सारी भेड़ें बेच दी थीं। बस पुलोवर बनाने का काम करने लगी थीं। क्योंकि वह काम ईजी चेयर पर बैठकर भी किया जा सकता था।

किम ने उनके बालों पर हाथ फेरा। ‘‘चिन्ता मत कीजिए मिसिज जोसेफ। मैं हूँ ना आपका बेटा।’’

वे किम का हाथ पकड़कर फूट-फूटकर रोने लगीं। किम भी रोया। मानो रोकर दोनों ने अगाथा की मृत्यु को दूर ढकेला हो।

दूसरे दिन सवेरे जब किम सोकर उठा तो उसने देखा मिसिज जोसेफ ईजी चेयर पर बैठी शून्य में देख रही हैं। उनका चेहरा पीला पड़ चुका था। जब किम ने उन्हें आवाज दी तो वे चौंक पड़ीं। वे बिस्तर से उठकर सीधे ईजी चेयर पर आ गईं थीं। क्या पता रात भर सोई ही न हों।

किम ने उठकर उनका हाथ पकड़ा। वे थरथराईं। फिर सम्हल गईं। ‘‘मैं तुम्हारे लिए चाय बनाती हूँ।’’ उन्होंने कहा।

‘‘नहीं! मैं बनाता हूँ।’’

वह बाहर गया। थोड़ा फ्रेश होकर आया। और आकर चाय बनाने लगा। उसने साथ में उन्हें पाव भी खिलाए।

‘‘चलने की तैयारी करें। और हाँ पहले यह तय कर लें कि अगाथा को बताया जाए या नहीं।’’

‘‘नहीं किम, कोई माँ अपने बच्चे को कैसे बताए कि तुम मरने वाले हो। उसे पता चल ही जाएगा। वह न बोलने वाली समझदार लड़की है।’’ उन्होंने एक बैग में उटपटांग ढंग से कपड़े भरे और अगाथा के लिए जो स्वेटर उन्होंने तैयार किया था वह भी रख लिया।

शायद आने वाले मौसम तक अगाथा हो और वह उसे पहन सकें। वे रोती जा रही थीं। किम ने उन्हें रोने दिया। उसने बाहर जाकर अपनी फिटन साफ की। घोड़े को दाना डाला और भीतर आकर पानी से भरा बड़ा बर्तन लेकर बाहर निकला तो उसने देखा वे अभी भी रो रही थीं।फिटन में बैठने तक उसने देखा कि रातभर में उनकी उम्र  दस वर्ष तो ज्Þयादा बढ़ ही गई थी। वे टूट चुकी थीं।

पिछली बार अगाथा ने किम द्वारा लाई गई चाय उन्हें साल भर की दे दी थी। वह फिटन में भरकर साल भर का सामान, खराब न होने वाले नाश्ते और टोस्ट आदि ले गई थी।

उन दिनों ही माँ ने उसके लिए स्वेटर आदि बुनना शुरू किया था। उन्हें याद है जब अगाथा छोटी सी थी तो वह ऊन के गोले अपने नन्हें हाथों से बनाया करती थी। वह अपने पिता के साथ भेड़ें लेकर भी दूर-दूर तक जाती थी और सारे घरेलू काम करती थी। उसे पढ़ने की लगन थी। जिसे और आगे बढ़ाया था किम ने। वह बहुत कुछ पढ़ती थी और किम के साथ सार्थक बहस करती थी। जबकि किम की पत्नी घरेलू स्त्री के साथ-साथ एक स्त्री थी, जिसे किसी से लेना देना नहीं था। शायद इसीलिए किम को अगाथा अच्छी लगी थी, जो घरेलू स्त्री होने के साथ ही साथ बुद्धिमान थी। लेकिन किम ने कभी भी अपनी पत्नी का निरादर नहीं किया। विवाहेतर संबंधों को स्वीकार करते हुए भी उसने पत्नी का वैसा ही ध्यान रखा जैसे हमेशा रखता आया था। बल्कि इस बात का भी सम्मान किया कि वह उसके बच्चों की माँ है।

फिटन गाड़ी आगे बढ़ी और सीधे जी़निया के मकान के सामने जाकर रुकी। पांच-छै: घंटों की यात्रा में उन्होंने कुछ खाया-पिया नहीं था। किम भी वैसा ही बैठा था।

अचानक सामने दरवाजे पर जी़निया को खड़ा देखा तो उन्होंने आंसूं पोछे। जी़निया माँ को देखकर हड़बड़ा गई थी। वह कमरे में भागी थी कि उनके बैठने के लिए कुछ लाए. किम ने हाथ पकड़कर उन्हें उतारा तो वे सम्हलीं और फिर तेजी से चलकर कमरे के अंदर पहुंच गईं। किम अंदर जाता तब तक तो उन्होंने अपने पैर से चप्पल उतारकर बेतहाशा गुस्से से जी़निया की तरफ दौड़ीं और उसे मारने लगीं। वे चीखने लगीं-‘‘ तो बड़ी बहन की हत्यारन नागिन पति छीनकर भी तू खुश नहीं थी कि फिर उसे महीने भर से जहर दिलवा रही है। स्लोपॉयजन... क्यों? क्यों? रह तो रही थी यहाँ अकेली फिर तुझे क्या तकलीफ थी, जो वह वहाँ शांति से रह रही थी।’’

जी़निया उनके अचानक आक्रमण को नहीं सम्हाल पाईं। वह नीचे बैठ गई। माँ उसकी जबरदस्त पिटाई कर रही थी। तभी किम भीतर आया। उसने मिसिज जोसेफ का हाथ पकड़ लिया। ‘‘‘नहीं, छोड़ दीजिए। वह प्रेग्नेंट है।’’ किम ने कहा। जी़निया घबराकर दरवाजे के पास खड़ी हो गई। वे नीचे बैठकर रो रही थीं।

किम ने उन्हें सम्हालकर खड़ा कर दिया।

थोड़ी देर बाद जी़निया ने पूछा-‘‘कौन दे रहा है उसे स्लोपॉयजन?’’

‘‘तेरा आदमी, बगैर शादी का तेरा पति और तुझे नहीं मालूम? देखो किम, ये कितना बन रही है, मानो कुछ जानती ही नहीं।’’

‘‘मुझे नहीं मालूम मिस्टर किम। इसमें मेरा कोई हाथ नहीं।’’ जी़निया बोली।

‘‘तेरे हाथ कितने लम्बे हैं मैं जानती हूँ। दूसरे की गृहस्थी नष्ट की अब उसे मार रही है। देखना तू कभी सुखी नहीं रहेगी। कभी टैरेन्स के बारे में सोचा है जो सिर्फ अपनी माँ को ही जानता है। क्योंकि बाप तो उसका ‘नहीं’ के बराबर है। वह दस वर्ष का बच्चा कैसे जिएगा?’’ उनका गला रोते-चिल्लाते सूख रहा था। किम ने उन्हें भीतर से पानी लाकर दिया। वे बाहर निकलीं कहते हुए-‘‘जी़निया आज से तू मेरे लिए मर गई। तू अगाथा की मौत पर शोक मनाने भी नहीं आना। वरना उसकी आत्मा को दु:ख पहुंचेगा। अब उसमें कुछ भी बाकी नहीं है। तुम तीनों ने उसे पॉयजन देकर मारा है। मार रहे हो। देखना तुम तीनों नरक में जाओगे। उसकी हड्डियां गल रही हैं। और किडनी कभी भी फेल हो सकती है।’’

जी़निया उन दोनों को बाहर निकलते देखती रही। संभवत: वह सचमुच पॉयजन देने वाली घटना से अनभिज्ञ हो।

एक घंटे बाद ही वे लोग अगाथा के घर के सामने खड़े थे। फिटन वहीं छोड़कर किम ने घोड़े को पेड़ से बाँधा और उनका हाथ पकड़कर मकान की ओर जाने वाली पगडंडी पर चढ़ने लगा।

बाहर ही जॉन एफ किसी से बातें करते खड़ा था। मैरी जॉन उन दोनों को देखकर भीतर चली गईं। वे इतनी तेजी से अंदर गईं कि दरवाजे से टकरा गईं। टैरेन्स अपनी नानी से लिपट गया।

अपनी माँ और किम को दुबारा आया देखकर अगाथा ने आश्चर्य प्रकट किया। जॉन एफ ऐसे भीतर आया मानो उसे कुछ मालूम ही नहीं है कि हुआ क्या है?

मिसिज जोसेफ हाँफती हुईं सी बैठ गईं। क्या कहें? सामने अगाथा खड़ी थीं। उन्होंने अपने बटुए से निकालकर कुछ चेन्ज (सिक्के) टैरेन्स के हाथ में रखे। वह खुश हो गया और बाहर चला गया।

उन्होंने किम की ओर देखा। उसने ‘नहीं’ में सिर हिलाया। पास जाकर बोला- ‘‘हमें अगाथा की मृत्यु को सुखद बनाना है। वरना वह डर जाएगी।’’

अगाथा किचिन में चली गई थी। जहाँ पहले से ही भोजन पकने की सुगंधित खुशबू उठ रही थी। उसने चाय बनाई। माँ के लिए अधिक मीठी बनाई। उन्होंने अगाथा को पास बिठा लिया। वे उसे गहराई से देखने लगीं। फिर कहा-‘‘तुम्हें देखने चली आई अगाथा। शायद फिर देखना नसीब न हो।’’ कहकर सम्हलीं वे और कहा-‘‘आजकल तबियत अच्छी नहीं रहती... क्या पता कब दुनिया से चली जाऊं...।’’

अगाथा ने माँ के दोनों हाथ पकड़ लिए। ‘‘ऐसा क्यों कहती हैं आप?’’

किम ने कहा-‘‘वहीं से वापिस लौट रहा था, इन्हें देखने चला गया। पता चला कि ये बीमार हैं। तो मैंने कहा-कुछ दिन अगाथा के पास चलकर रह लो। वहाँ अच्छे चिकित्सक हैं। शायद तबियत ठीक हो जाएगी। मैं कल ही आपको चिकित्सक के पास ले जाऊंगा।’’ अगाथा यह सुनकर खुश हो गई कि किम कितना ध्यान रख रहा है।

उसने भी कहा-‘‘हाँ! ठीक है, मैं भी इन्हें पंद्रह-बीस दिन जाने नहीं दूंगी।’’

‘‘जॉन एफ की माँ कहाँ हैं? जब मैं आई थी तो यहीं बरामदे में दिखी थीं।’’ उन्होंने अगाथा से पूछा।

‘‘क्या पता बुलाता हूँ।’’ कहता हुआ किम अंदर चला गया।

अंदर माँ लेटी थीं और जॉन एफ उनका हाथ पकड़े बैठा था। किम को देखकर वह खड़ा हो गया।

‘‘आप यहाँ क्यों बैठी हैं। अपराध करते हुए डर नहीं लगा था और अब नजरें मिलाते डर रही हैं।’’ किम ने कहा।

उन्होंने किम का हाथ पकड़ लिया। कहा- ‘‘तुम अपने दादाजी से कुछ नहीं कहोगे किम।’’

‘‘मैं कहूँगा, कल ही कहूँगा। आप दोनों अपराधी हैं। आप बाहर जाएं वरना मैं शोर मचा दूंगा। आप दोनों को सजा होगी।’’

वह घबरा गई। उठकर बाहर जाने लगीं। तभी जॉन एफ ने कहा-‘‘किम! तुम बकवास कर रहे हो। हमने ऐसा कुछ नहीं किया। क्या प्रूफ है तुम्हारे पास?’’

‘‘यू शटअप। उसने पॉकिट से दवा की पुड़िया निकाली। यह प्रूफ और आंट के कमरे में और भी दवा का प्रूफ। अरे, जिसे चर्च में तुमने अपना बनाया। आखिर उस औरत की गलती क्या थी? गलत तो तुम हो। तुम्हारी माँ का साथ है तुम्हें। और मौत की सजा... उसे मिल रही है।’’

तभी तेज कदमों से वह आंटी के कमरे में  गया। उसने टेबिल पर रखी काँच की वही बोतल उठा ली जिसमें और भी करीब पन्द्रह पुड़िया दवा थी। जॉन एफ भी उसके पीछे भागा। उसने किम के हाथों से बोतल छीननी चाही, लेकिन वह कामयाब नहीं हो सका। किम ने सारी दवा निकालकर पॉकिट में भर लीं और बोतल को दीवार के पास फेंक दिया। काँच की किर्च-किर्च बिखर गईं। बोतल फूटने की आवाज से मैरी जॉन उस कमरे की ओर तेजी से आईं और दोनों की दशा देखकर सहम गईं। उन्होंने जॉन एफ का हाथ पकड़ा और बाहर जाने लगीं।

अगाथा अपनी माँ की गोद में सिर रखे लेटी थी। वह बुदबुदा रही थी-‘‘माँ, तबियत अच्छी नहीं लगती है। खड़े होने में थकावट लगती है। और बहुत चक्कर आते हैं। लगता है गिर पड़ूंगी। और कभी नहीं उठ पाऊंगी।’’ माँ उसके सिर पर हाथ फेरती रहीं। उनकी आँखें रो रही थीं, जो किम को देखकर बरसने लगीं।

अगाथा उठकर बैठ गईं। ‘‘अरे, माँ! आप रोईए नहीं। आप खुद बीमार हैं और मैं अपनी बीमारी लेकर बैठ गई। मैं ठीक हो जाऊंगी।’’

तभी मैरी जॉन ने कहा-‘‘अगाथा फिकर मत करो। हम तुम्हें अच्छे चिकित्सक को दिखाएंगे।’’

किम ने और मिसिज जोसेफ दोनों ने उन्हें घूर कर देखा। वे फिर सहम गईं।

वहीं आकर जॉन एफ बैठ गया। अगाथा उठी लड़खड़ाई और फिर बैठ गई। वह सभी के लिए शक्कर और नीबू वाली चाय बनाकर लाई। बेकरी के बने मीठे-मीठे बिस्किट भी दिए। माँ ने किम ने सिर्फ चाय पी।

यह शाम अजीब सी भयावह थी। सभी मृत्यु की आशंका से सहमे थे। बेटा और माँ पकड़े जाने से चोटिल थे। अगाथा  के वहाँ से चले जाने के बाद मिसिज जोसेफ ने कहा-‘‘गरीब लड़की... कुछ भी नहीं मिला उसको। जबसे विवाह हुआ बस भुगत रही है। वहाँ घर में मेरे सामने यह आपका होनहार बेटा मेरी छोटी बेटी को लेकर रूम बंद किए पड़ा रहता और मैं भुगतती रहती। क्योंकि यह कहता था यदि कुछ कहा तो वह गर्भवती पत्नी को छोड़कर चला जाएगा। तब हम क्या करते? खुद ही रहना कठिन था। छोटे बच्चे को कैसे पालते? जब अगाथा के पिता इस दुनिया से गए, हमारे पास क्या था? चंद भेड़ें। उनसे निकले ऊन से हमारा परिवार नहीं चलता था। जी़निया शुरू से उच्छृंखल स्वभाव की है। उसे गिफ्ट मिले, अच्छा खाने को मिले तो सब कुछ भूल जाती है। यही हुआ। जॉन एफ ने इसका भरपूर फायदा उठाया। और अब पूरे दस वर्ष के बाद जब यह न टैरेन्स की न अगाथा की कोई जिम्मेदारी उठाता है। तब अगाथा को रास्ते से अलग करने का सोचा। और उसकी माँ ने ‘इन्होंने’ (उनकी तरफ इशारा किया) बेटे का साथ दिया।

काश! किम जैसा कोई लड़का अगाथा को मिला होता तो मेरी प्यार से भरी बच्ची अच्छे से जी रही होती।’’

तभी अगाथा टैरेन्स के साथ कमरे में आई। टैरेन्स ने टेबिल पर रखे बिस्किट उठाकर खाना शुरू कर दिया।

किम सुबह ही निकलना चाहता था। उसकी आंट ने कहा-‘‘किम! सुबह मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगी। यह दोनों माँ-बेटी अकेले कुछ समय साथ रह लेंगी।  जॉन भी सुबह चला जाएगा।’’ अगाथा मन ही मन खुश हुई। दोनों ही बीमार हैं, साथ रहेंगी तो एक दूसरे की देखभाल होती रहेगी। किम और पीटर दोनों एकसाथ बोल पड़े-‘‘हम बीच-बीच में आते रहेंगे।’’ फिर दोनों साथ ही चुप हो गए।

‘‘अगाथा! तुम माँ को चिकित्सक को दिखा देना।’’किम ने कहा।

माँ ने ‘‘नहीं’’ में सिर हिलाया।

अगाथा किचिन में चली गई।

जॉन एफ सोने के लिए अपनी माँ के कमरे में चला गया। बाहर काऊच पर किम सोया। लेकिन वह लम्बा है तो उसके पैर बाहर लटकते रहे। अगाथा टैरेन्स और अपनी माँ के साथ अपने कमरे में सोई। लेम्प की मद्धिम रोशनी में अगाथा देर तक लिखती रही। टैरेन्स सो गया था।

’’’

मिस्टर ब्रोनी उनींदे हो चुके थे। इसी बीच लीसा ने टेबिल पर खाना लाकर रखा था। दूर कहीं किसी मिल का भोंपू बज रहा था। मजदूरों की शिफ्ट बदल रही थी। सैनिक छावनी में सन्नाटा था। घर के सामने लगे घने पेड़ पर कुछ पक्षी चीख रहे थे। शायद उनके अंडों को कोई अन्य जानवर नष्ट करने की घात लगाए हुए था। परसो मि. ब्रोनी और लीसा चले जाएंगे। अगला थियेटर शो ब्रिस्टल में होना है। अगाथा की मृत्यु कथा अधूरी रह गई है। शायद फिर कभी मि. ब्रोनी से मिलना होगा। वैसे टैरेन्स काफी कुछ माँ की मृत्यु के बारे में बता चुका है, लेकिन उसने कभी जीनिया के बारे में नहीं बताया।

खाते हुए रॉबर्ट ने मि. ब्रोनी से पूछा था। ‘‘क्या अगाथा की माँ जीवित हैं और जीनिया फिर अगाथा की जगह रहने आ गई थी।’’

उन्होंने कहा-‘‘हाँ, जीवित हैं। किम कूरियन उनसे महीने में दो बार मिलने जाता है। वही उनका सारा खर्च उठाता है। वे समय से पहले काफी बूढ़ी हो चुकी है। जी़निया अगाथा की जगह उस बंगलो में रहने कभी नहीं आई। माँ फिर उससे कभी नहीं मिलीं। एक बार मिसिस जोसेफ ने बताया था जी़निया को लड़की पैदा हुई है। उन्होंने स्वीकारा था कि संभवत: जी़निया को नहीं मालूम था कि अगाथा को स्लोपॉयजन दिया जा रहा है। ऐसा किम ने बताया था। हाँ यह भी कि टैरेन्स को लेकर जॉन एफ पीटर की माँ अपने माता-पिता के पास चली गईं थीं। लेकिन टैरेन्स नानी के पास रहना चाहता था। किम कभी-कभी उसे नानी के पास छोड़ आता था। किम ने टैरेन्स को अपने बेटे के तुल्य रखा और माना भी। किम कूरियन एक अच्छा व्यक्ति सिद्ध हुआ।

लीसा दो दिन बाद चली जाएगी। पता नहीं कब मिलना होगा। उसके दिमाग में आया क्यों न लीसा के साथ एक छोटी-सी ट्रिप की जाए। आइलोव्हाइट आयलैंड उसने भी नहीं देखा है। उसने लीसा से फुसफुसाते हुए पूछा तो उसने इशारा करते हुए कहा मि. ब्रोनी से पूछो। खाना खाकर उठते हुए रॉबर्ट ने मि. ब्रोनी से पूछा था-‘‘मि. ब्रोनी, अगर आप इजाजत दे तो कल सुबह हम आइलोव्हाइट आयलैंड घूमने जाना चाहते हैं। यहाँ से फैरी मिलेगी। कई फिशर वहाँ फिशिंग के लिए जाते हैं। सामान्य लोग भी फिशिंग करते हैं।

‘‘लीसा तैयार है, तो जाओ माइ सन।’’ उन्होंने बेहद प्यार से दोनों को देखा।

रॉबर्ट ने रात को ही अपनी किट तैयार कर ली थी। जिसमें कैनवस, पेपर, पेन्सिल आदि रखे थे।

लीसा ने अपनी सबसे बेहतरीन ड्रेस निकाली थी। जिसकी झालर शटल पर उसकी माँ ने तैयार की थी। बिना हील के सादे शूज और मिलता-जुलता स्कार्फ निकाला था। तैयारी के बाद रॉबर्ट ने थोड़े नाश्ते भी किट में रख लिए थे। खिड़की से झाँकता चन्द्रमा मुस्कुरा रहा था। रॉबर्ट ने लीसा को अपनी बांहों में भर लिया। चांद शरमाकर खिड़की की दीवार के पीछे छुप गया। वे आलिंगनबद्ध ही बिस्तरे पर आ गए। चांद भौंचक-सा आसमान में ऊंचा चला गया। चांदनी मद्धिम हो रही थी। रॉबर्ट और लीसा भी गहरी नींद में थे।

दूसरे दिन लीसा ने ही रॉबर्ट को जगाया। दो घंटे की फैरी ने उन्हें आइलोव्हाइट आयलैंड पर पहुंचा दिया। साथ में चालीस के तकरीबन और लोग वहाँ पर घूमने के लिए उसमें बैठे थे। सारे रास्ते लीसा रॉबर्ट के कंधे पर सिर टिकाए बैठी रही। ‘‘काश! समय यहीं रुक जाता।’’ रॉबर्ट ने सोचा। लीसा सचमुच बहुत अच्छी है। प्यार से भरी... यदि ऐसा हो कि वह फादर रॉडरिक से कहे और वे लीसा के लिए मान जाएं। लेकिन शायद वे रिकरबाय परिवार को वचन दे चुके थे। वरना एक अमीर परिवार अपनी लाड़ली बेटी के विवाह को क्यों इच्छुक होते, वह भी उसके जैसे अतिसाधारण व्यक्ति से।

एक बड़े पत्थर से जंजीर द्वारा फैरी में लगे लोहे के कड़े को बाँध दिया गया था। सभी यात्री उतर रहे थे। रॉबर्ट ने अपना किट सम्हाला और उतर गया।

वहाँ छिटपुट दुकाने भी थीं। जिनमें सेव, अखरोट रखे थे। लीसा पत्थरों पर पैर रखती सम्हल-सम्हलकर आ रही थी। रॉबर्ट ने उसे अपना हाथ दिया। वह पानी से अलग सफेद रेत पर कूद पड़ी। किनारे पर बहुत पत्थर थे। सफेद रेत का किनारा था, जिसमें नन्हें सीपी-शंख और अभ्रक के कण चमक रहे थे।

‘‘रॉबर्ट सामने देखो, वह पहाड़ देखकर लगभग चीख पड़ी। एकदम सफेद पहाड़ ऊंचे-ऊंचे सफेद तने वाले सफेदा के दरख्त अर्थात पूरा टापू ही सफेद था।

वे दोनों मंत्रमुग्ध से सफेद पहाड़ देखते रहे। इस समय लो टाइड थी। पानी पहाड़ की तरफ चला गया था। मछुआरों ने बताया पानी करीब चार घंटे बाद वापिस लौटेगा। यहाँ हर समय लोटाइड और हाईटाइड रहती है। ज्Þयादा आगे मत बढ़ना, वरना लौटते समय पानी के थपेड़े झेल नहीं पाओगे। कई बच्चे सभी उन्मुक्त होकर खेल में निमग्न हो गए थे। लड़के-लड़कियों के जोड़े, और विवाहित दम्पत्ति चट्टानों पर चढ़कर बैठे थे और समुद्र का आनंद ले रहे थे। कई लोगों ने मछली पकड़ने के जाल और लकड़ी डाली हुई थी। वे दोनों भी एक चट्टान पर बैठ गए। बाजू की चट्टान पर बैठे जोड़े ने एक लंबी डंडी में कांटा फंसाया और जब मछली फंसी तो ऊपर खींचा। सभी खुशी से चिल्लाये। लेकिन आधे रास्ते तक आते-आते मछली चुलबुलाई और वापिस पानी में ‘धम्म’ से गिर गई। लीसा की हँसी छूट गई। वे दोनों बेहताशा हँसते रहे। लीसा की आँखों में हँसी के कारण आंसू आ गए। बगल की चट्टान पर बैठा दंपत्ति झेंप गया। उन्होंने फिर कांटे को पानी में डाला। एक बेहद संवेदनशील लड़की... नाटकों में डरपोक प्रेमी की प्रेमिका लीसा कैसी उन्मुक्त हँसी हँस रही है। और जब उसे पता चलेगा कि रॉबर्ट उसका नहीं है, या उसे नहीं मिल पाएगा तो क्या उसकी यह हँसी ऐसी रह पाएगी। कितनी चोट पहुंचेगी उसे। रॉबर्ट अपने आप को धिक्कारने लगा। लेकिन अब वापिसी असंभव थी। जो कुछ हुआ था उसे संग-साथ भुगतना था।

‘‘निश्चित जानो रॉबर्ट लीसा तुम्हें छोड़कर चली जाएगी।’’ रॉबर्ट ने अपने आप से कहा। थोड़ी उदासी ने उसे घेरा लेकिन वह आज उदास होना नहीं चाहता था। यही ज़िंदगी है जिसे वह जी लेना चाहता था। ‘कल’ के लिए ‘आज’ को क्यों खोना। उसने लीसा का हाथ पकड़कर चट्टान पर से उतारा। लीसा कूदी। फिर उसकी बांहों में समर्पित हो गई। एक दीर्घ आलिंगन और चुंबन के पश्चात रॉबर्ट ने अपना कैमरा निकाला और एक बड़े काले कपड़े के भीतर अपना चेहरा डाल दिया। लीसा तट पर सीपियां चुनने लगी। उसे चट्टानों के बीच एक बड़ी सीपी मिली, लगभग खाने की प्लेट बराबर, वह खुशी से चहक उठी। उसने रॉबर्ट को सीपी दिखाने को अपना चेहरा उठाया तो देखा रॉबर्ट उतावला सा उसकी तस्वीरें उतार रहा है। झुकने से उसके ढीले ब्लाउज से उसके स्तनों की गोलाइयाँ झाँक रही थीं। उसने एक के बाद एक कई फोटो लीसा की ले डाली थीं।

वह उठकर खड़ी हो गई। रॉबर्ट के नजदीक आई और वह बड़ी सीपी दिखाकर बोली-‘‘देखो रॉबर्ट, इसमें हम पूरा लैंडस्कैप बनाएंगे। एक नन्हा-सा घर, सामने मखमली घास उगी हुई और आसपास छोटे ही रह जाने वाले पौधे। घास में पानी देंगे और उसे बढ़ने नहीं देंगे। यह हमारे बैठने वाले कमरे में तिपाई पर रखेंगे। कुदरत का अनुपम नजारा होगा। रॉबर्ट ने लीसा के होठों पर हाथ रख दिया। मानो उसकी चाहतों पर उसकी स्वयं की नजर न लगे। लेकिन नजर तो लग ही चुकी थी।

उसने बड़ी सीपी सम्हाल कर रॉबर्ट के किट में रख दी। बाकी छोटी सीपियां और शंख उसे भी अपने रूमाल में बाँधकर किट में डाल दी। वे दोनों अपने में ही मशगूल थे। उसने दो सेव भी खरीदे और कुछ अन्य फल भी। दोनों रेत में पैर फैलाकर बैठ गए। और फल, तथा लंदन से आया नाश्ता करने लगे। कुछ न्यूली मैरिड कपल चट्टानों के बीच घुसकर एक दूसरे की मालिश कर रहे थे और जोर-जोर से बातचीत करते हुए हँस भी रहे थे। रॉबर्ट ने उसे उन लोगों को दिखाया तो वह शरमा गई। खाकर वे दोनों समुद्र तट पर चलने लगे। कुछ दूर पर जंगल की शुरूआत थी जहाँ पेड़ों की छाया थी। यहाँ पर चॉकलेट ड्रिंक भी बिक रहा था और मिल्क चॉकलेट भी। यह जगह बहुत सुंदर थी। लीसा ने सोचा कि वह कभी यहाँ नहीं आ पाती यदि रॉबर्ट न लाया होता।

रॉबर्ट ने फिर तिकोने स्टैण्ड को खोला और उस पर अपना कैमरा रखकर फिर उसने पेड़ों के इर्दगिर्द लीसा की कई फोटो लीं। एक जगह लीसा ने खरगोश का बच्चा उठा लिया था जो था तो बच्चा लेकिन बहुत वजनी था। रॉबर्ट ने फिर फोटो लीं। यदि यह फोटो अच्छी आई होंगी तो वह उनमें से छांटकर कुछ फोटो प्रदर्शनी के लिए भेजेगा, रॉबर्ट ने सोचा। अब लीसा के जाने के बाद डार्करूम में लाल रोशनी में यह तस्वीरें धोनी होंगी। सारी रात निगेटिव सूखेंगे। टैरेन्स इसीलिए तस्वीरों का शौकिन नहीं है क्योंकि डार्करूम की गर्मी और सफोकेशन से वह घबराता है। घबराता तो वह भी है, लेकिन उसे फोटो का शौक है। अभी तक तो किसी  इंसान की फोटो उसके कैमरे में नहीं आ पाई अब देखते हैं इन फोटो को। क्या पता स्याह अंधेरा ही मिले इन निगेटिव में ।

‘‘कहाँ खो गए रॉबर्ट?’’

‘‘नहीं। बस डार्करूम में पहुंच गया था। जहाँ मेरी लीसा की फोटो धुलेंगी।’’ रॉबर्ट ने अपनी कमीज उतार ली थी। वह पानी में जाने की तैयारी में था। बलिष्ठ गोरा बदन.... देखकर लीसा उससे लिपट गई। उसने रॉबर्ट की नंगी पीठ पर अपने होठ रख दिए। और फिर गालों को भी रखा, कभी चेहरा दाएं घुमाकर, कभी बाएं घुमाकर। रॉबर्ट ने उसे खींचा और पानी में ले जाने की जबरदस्ती करने लगा। लीसा ने बताया-‘‘उसे तैरना नहीं आता।’’

रॉबर्ट ने कहा-‘‘चलो, मुझे आता है। डूबने नहीं दूंगा।’’

किनारे पर किट रखकर वह लीसा का हाथ पकड़कर समुद्र में उतर गया। लीसा थोड़ी दूर चली। वह घुटनों से ऊपर भीग गई थी। उसने रॉबर्ट से अपना हाथ छुड़ाया और भागकर किनारे पर आ गई। रॉबर्ट ने लहरों की दिशा में अपने शरीर को बह जाने दिया। फिर वह दूर-दूर तक तैरता रहा। बारह पन्द्रह फीट नीचे कोरल्स होंगे। जिनको देखने के लिए लोटाइडज ही ठीक हैं।

जब रॉबर्ट नहीं दिखता तो लीसा घबराकर खड़ी हो जाती। तभी रॉबर्ट पानी में से निकलता और उसे हाथ दिखाता। समुद्र शांत था लेकिन फिर भी कोई किसी की आवाज नहीं सुन पाता था। क्योंकि हवा की आवाज सफेद पहाड़ से टकराकर सांय-सांय की आवाजों में तब्दील हो रही थी। करीब एक डेढ़ घंटे बाद रॉबर्ट समुद्र से निकला। उसका ट्राउजर और कमीज किट पर रखा था, जिसमें रॉबर्ट के शरीर की गंध रची-बसी थी। लीसा ने उस गंध के सुख से आँखें बंद कर लीं। वह रेत पर किट का तकिया लगाकर लेट गई थी। ऊपर सूर्य बीचो-बीच चमक रहा था। वह हल्के से नींद के आगोश में आ ही गई थी कि उसके चेहरे पर पानी डालकर रॉबर्ट ने उसे जगा दिया। वह ऐसी शरारत करके खूब हँस रहा था। समुद्र तट पर दूर-दूर तक इक्का-दुक्का लोग ही दिख रहे थे। ऐसे एकांत में रॉबर्ट ने लीसा को खूब छेड़ा। दोनों हँसते हुए रेत पर लोट-पोट होते रहे। चमकीली अभ्रक वाली रेत रॉबर्ट के गीले बदन पर चिपक कर उसके शरीर को चमकीला बना रही थी। ऐसे ही लीसा के गालों और कलाइयों पर रेत चमक रही थी। ऐसा लगता था मानों दोनों चमकीले तारों भरी राह पर गुजर रहे हो।

‘‘यह पहाड़ धूप में चमकीला दिखता है। इस टापू का मजा धूप में ही होता है।’’ रॉबर्ट ने कहा।

किनारे पर खड़ी नावों पर मछुआरे मछलियां भर रहे थे। निश्चय ही उनके शरीर से मछलियों की गंध आ रही होगी।

एकदम थककर रॉबर्ट और लीसा ने अपने हैट चेहरे पर रखे और सो गए। यहाँ पर शाम भी उजाले से भरी होती है। लेकिन फिर भी यहाँ का समय है तभी तक फैरी मिलेगी। पहाड़ के दूसरी तरफ छोटी पहाड़ियों में लोग रहते हैं। उनके घर यहाँ से साफ नजर आ रहे थे। हाईटाइड में फैरी का संतुलन न बिगड़े अत: फैरी लोगों को ले जाना शुरू कर रही थी। रॉबर्ट ने बचा-खुचा नाश्ता निकाला। दोनों खाने लगे। लीसा ने कहा-‘‘ हम आखिरी फैरी से जाएंगे।’’

‘‘और सभी ऐसा सोचने लगे तो?’’ रॉबर्ट ने कहा।

‘‘फिर फैरी में जगह नहीं होगी तो रॉबर्ट तैरेगा और मैं उसकी पीठ पर चढ़ जाऊंगी। इस तरह रास्ता पार होगा।’’

दोनों इस कल्पना से खिलखिला कर हँसने लगे।

‘‘अच्छा, छोड़ो आज रात हम इसी टापू पर रुकेंगे। फिर मैं तुम्हें इसी रेत पर खूब तंग करूंगा।’’ रॉबर्ट ने कहा।

‘‘फिर सफेद रेत काली दिखेगी। चंद्रमा हुआ तो उसकी चांदनी में सफेद दिखेगी। और यदि मुझे कोई लहर अपने साथ ले गई तो? तो, मैं तुम्हारी जिदगी से बहुत दूर चली जाऊंगी।

रॉबर्ट ने लीसा के मुंह पर अपना हाथ रख दिया। कहा-‘‘तुम्हारे बिना मेरा जीवन अधूरा है लीसा। तुम सदैव मेरे हृदय में रहोगी।’’

‘‘क्यों रॉबर्ट सिर्फ तुम्हारे हृदय में, तुम्हारे साथ नहीं?’’

अचानक रॉबर्ट गंभीर हो गया। लीसा को ऐसा लगा कि वह कुछ बोलना चाहता है। थोड़ी देर बाद दोनों फिर सामान्य हो गए और बातचीत में मशगूल हो गए।

आखिरी फैरी में सिर्फ चार-पांच लोग ही थे। तेज हवाएं चल रही थीं। फैरी की तहलीटी में थोड़ा पानी डाला गया था, जिसमें सभी आकार-प्रकार की मछलियां तड़प रही थीं। समुद्र उन्मुक्त होकर हवा से बातें कर रहा था।

‘‘मि. ब्रोनी अब तक ऊब चुके होंगे।’’ रॉबर्ट ने कहा।

‘‘वे ऊबने वाले इंसान नहीं हैं। वे दूर-दूर तक घूमने निकल चुके होंगे।’’

कुछ घंटों में वे लोग लंदन पहुंच गए। फैरी काफी तेज गति से चल रही थी। वहाँ से वे लोग काफी समय तक रोमन रोड्स पर घूमते रहे।

लौटे तो दरवाजा केवल भिड़ा हुआ था। लीसा ने धीमे से दरवाजे को धक्का दिया। मि. ब्रोनी गहरी नींद में सो रहे थे। टेबिल पर जूठे बर्तन पड़े थे और गिलास में बची हुईं शराब। शायद उन्होंने अधिक पी ली थी। तभी गिलास में शराब छूट गई थी।

वे दोनों खामोशी से दूसरे कमरे में आ गए। एक बोतल में कल की बची शराब पड़ी थी। रॉबर्ट ने दो गिलास भर लिए थे। खाने को जो कुछ था उन्होंने प्लेटों में निकाल लिया था। वे दोनों थके महसूस कर रहे थे। फिर भी लीसा ने सभी बर्तन आदि किचिन में रख दिए थे।

‘‘कल शायद टैरेन्स आ जाएगा।’’ रॉबर्ट ने कहा।

‘‘और कल हमें निकलना भी है।’’ लीसा ने उदास होते हुए रॉबर्ट की ओर देखा।

रॉबर्ट ने लीसा की आँखों में नमी देखी और उसे अपने से लिपटा लिया।

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