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पहली रोमॅन्टिक बारिश

मेरे जिंदगीका पहली रोमॅन्टिक बारिश.…

उस दिन की याद आयी तो आज भी कुछ कहे मुस्कुराता हु.

मुझे रोमॅन्टिक बारिश शादी के बाद महसूस हुई. अभी ही मेरी शादी तय हुई थी. उस वक्त आज कल जैसा साथ फिरना वैगरह नही था. एक दो बार उसके घर गया था. उसे देखने गया था वो ही मेरी आखरी मुलाकात थी. बाकी दो तीन दिनों बाद फोन पर बात होती थी. और वो बात भी एकदम शार्ट में होती थी. तब भी ज्यादा नही बोलती थी. मेरे सवालो पर हा या ना इतना ही बोलती थी. मुझे उसका स्वभाव समज नही रहा था. वो मेरे बारे में क्या सोचती है. वो दिल से कैसी होंगी मैं ये सब सोच रहा था. धीरे-धीरे उसकी पसंद न पसंद समजने लगी. फिरभी मुझे वो पूरी तरह से समझ नही आयी थी.

कुछ दिन बाद शादी हो गयी. पहले कुछ 15-20 दिन ऐसेही गुजर गए. पहले साथ मे भाई और भाभी रहते थे. उसमे भाभी की तबियत खराब हो गयी. इस वजह से और कुछ दिन बीत गए. हमे जैसी आझादी चाहिए थी वो मिल नही रही थी. वो घर के काम मे और मैं ऑफिस के काम बीझी थे. कुछ दिनों बाद मैंने टूर को जाने की प्लांनिग की. उसे मैं महाबलेश्वर लेकर गया. हॉटेल में रूम बुक किया था. एक दिन आराम करके दूसरे दिन मैं उसे वेन्ना लेक लेकर गया. शादी के बहुत दिनों बाद वो और मैं खुलापन महसूस कर रहे थे. वो और मैं ऐसे हम दोनों ही थे. एक दूसरे के लिए नए थे. वहा हमारे जैसे बहोत सारे कपल थे. उस भीड़ में हैम भी मिल गए. कुछ देर झील के पास फिर ने के बाद भेल, आइसक्रीम खाई. बोटिंग की. फिर भी वो मुझसे शर्मारही थी.

वो जून महीने के शुरू के दिन थे. हम एक खुले पहाड़ पर मंकी पॉइंट देखने गए थे. वह से एक पत्थर का आकार गोरिला जैसा दिखता है. उसे मंकी पॉइंट ठीक से दिखाई नही दे रहा था इसलिए मैं उसे हाथ से आकार निकालकर उसे बता रहा था. उसी वक्त जोरो से हवा छूट गयी. बारिश आने ही वाली थी. एक दो बार वहा बारिश हुई थी. वो मुझे जल्दी रूम तरफ लेकर जाने के लिए कह रही थी. मैन उससे कहा "बारिश नही आने वाली है".

वो बोली हमने छाता भी नही लाया हुआ है. और तभी एक जोर से बिजली की आवाज हुई औऱ वो मुझसे आकर गले लग गयी. और तभी जोर से बारिश शुरू हुई. वो बोली मैंने आपसे कहा था जल्दी चलो बारिश आएंगी अब क्या करंगे. मैंने कहा आने दो बारिश उस वजह से तुम मेरे करीब तो आयी. मैंने ऐसे बोलने के बाद वो शर्माकर दूर खड़ा हो गयी. हम दोनो चुपचाप खड़े थे.शर्माकर वो मुझे देखने लगी पर मैन उसे न देखने का नाटक किया. ऊपर बारिश चालू थी और इधर हमारी नजरो का खेल.

हम एक चाय की टपरी पर रूके हुए थे. बाकी के सब लोगो की भी ऐसेही हालात थी. वो देख रहे थे कहा रुकने के लिए जगह मिलती है क्या. टपरी तक पोहचने तक हैम दोनो पूरी तरह से भीग चुके थे. मैंने उसके तरफ देखा तो वो अपने सर पर के बाल पीछे करके अपनी साड़ी सूखा रही थी. उसके खुले बाल हवा में उड़ रहे थे. उसके गोरे रंग पर लाल रंग की साडी की वजह से वो और भी खूबसूरत लग रही थी. वो बारिश में भीगने ने की वजह से वो और भी सुंदर लग रही थी. मैं उसकी तरफ देख रहा हु ये उसके समझ मे आते ही उसने मेरी तरफ देख अपनी आँखें मोटी कर मुझे अपनी आँखों से ही मुझे डाटा. और हँसने लगी. सामने चायवाला बजिये तल रहा था. मैंने उसे दो प्लेट बजिये और चाय की आर्डर दी. चायवाला बोला सहाब चाय एक ही मिलेंगी दूध खत्म हो गया है. बच्चे को भेजा है दूध लाने को पर टाइम लगेंगा. मैंने कहा भाई टैब तक एक ही दे.

बारिश का पानी बीच बीच मे हमारी ऊपर आ रहा था. वही पर एक कोपरे में खड़े होकर एक बार वो एक बार मैंने एक ही कप से चाय पी रहे थे. दिल मे ही मैं वो चायवाले का शुक्रिया अदा कर रहा था. की उसने एक ही चाय देकर बहोत अच्छा किया क्योंकि हैम पहलीबार इस तरह चाय पी रहे थे. जोरदार बारिश के बीच गरमागरम बजिये और चाय पीने के बाद हम वहा से निकल गए. बारिश भी कम हो गयी थी. रिमझीम चालू थी. मौसम पूरा खुला लग रहा था. हम दोनों ही एक दूसरे के सहारे से पहाड़ के नीचे उतर रहे थे. बारिश की वजह से रास्ता स्लीपरि हो गया था. उतार पर से दो बार मेरा पैर फिसल गया और दोनों बार उसकी वजह से मैन गिरते गिरते बचा. और थोड़ा नीचे जाते ही एक दूसरे को संभालते संभालते दोनो ही फिसल गई और फिसल कर नीचे आ गए. हैम दोनो पूरी तरह से कीचड़ में भर गए थे. नजदीक ही बारिश के पानी की वजह से गड्डो में पानी भरा हुआ था. वहा हात पाव धोये. पानी मे उसकी मस्ती चालू ही थी. हैम एक दूसरे के ऊपर पानी उड़ा रहे थे. पहले से भीगने के लिए न कहने वाली अब मुझे भीगा रही थी. ऊपर से बारिश भीगा रही थी. पानी के खेलने के बाद हैम अब भुट्टेवाले के पास आये. यहा मैंने एकही आर्डर किया और हैम दोनो ने मिलकर खत्म किया.

पहाड़ के नीचे आने के बाद फिर से बारिश शुरू हो गयी. जिधर उधर पानी जमा हुआ था. एकजगह पर उसका पैर स्लीप होने की वजह से उसकी चप्पल टूट गयी इस वजह से उस सामने वाला गड्डा पार नही कर पा रही थी, फिर ये मौका मैं कैसे छोड़ता ? मैंने उसे उठाकर वो ग़ड्डा पर किया. बारिश में कहा रुके ये सोच रहा था कि सामने एक फ़ोटो स्टूडियो दिखाई दिया. हम उस फ़ोटो स्टूडियो में गए. वहा के फोटोग्राफर से फ़ोटो खिंचवा लिए. वो हमें नई नई रोमॅन्टिक पोज सीखा रहा था. हम एक दूसरे को देखकर है रहे थे और हमे ये सब थोड़ा ऑकवर्ड लग रहा था. एक बार तो उसने हमारी हाथ मे छाता देकर कहा एक दूसरे की आँखों मे देखो. पर वैसे करते वक्त उसे बीच मे ही हसी आ जाती. हमने कैसे भी करके वो पोज कंपलीट किया. और वह से चार पांच फ़ोटो लेकर निकल गए.

बारिश कम हो गयी थी लेकिन मौसम ठंडा था. बहोत अच्छा महसूस कर रहे थे खुले मौसम में. पर ठंडी हवा की वजह से उसे ठंडी लग रही थी. वो ठंड से कापने लगी. फिर मैंने अपना लेदर जैकेट फिल्मी स्टाइल से उसे पहनाया तो वो शर्मा गयी. रिक्शा पकड़कर हम रूम पर आए. फ्रेश होकर गरमागरम सुप की आर्डर दी. सुप पीते पीते हमने बहोत बातें की. वो पहली बार इतना खुलकर बातें कर रही थी. दिनभर की हुई बातें याद याद करके हस रहे थे. रात को हॉटेल के गार्डन में हम हात में हात डालकर करीब करीब आधी रात भर गार्डन में बैठे थे. दोनो चुपचाप बैठकर भी बहोत कुछ बोल रहे थे. इस ज़िन्दगीके पहले बारिश ने हमे एक दूसरे के इतने करीब लाया था. दोनो के लिए ये बारिश नभुलने वाली थी. जिंदगी में कितनी बारिश आयी और गयी पर ये बारिश कुछ और ही थी. मेरे जिन्दगीका ये सबसे रोमॅन्टिक बारिश थी.

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